ऑस्ट्रेलिया की प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी, न्यू ला ट्रोब यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफ़ेसर थ्यो फेरेल इन दिनों पांच दिन के दौरे पर भारत आए हुए हैं। अपने इस दौरे के दौरान उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की न्यू ला ट्रोब यूनिवर्सिटी और भारत के बीच शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग प्रदान करने की बात कही है।
शिक्षा के क्षेत्र में पहले भी सहयोग कर चुकी है यूनिवर्सिटी
ऑस्ट्रेलिया की न्यू ला ट्रोब यूनिवर्सिटी कोई पहली बार भारत के साथ शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग नहीं कर रही है। बता दें कि न्यू ला ट्रोब यूनिवर्सिटी का शिक्षा के क्षेत्र में भारत के शिक्षण संस्थानों के साथ मिलकर काम करने का एक स्वर्णिम इतिहास रहा है। पूर्व में भी न्यू ला ट्रोब यूनिवर्सिटी भारतीय यूनिवर्सिटीज़ के साथ मिलकर कई परियोजनाओं पर अनुसंधान कार्य कर चुकी है।
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इस साझेदारी से दोनों देशों को मिलेगा लाभ
न्यू ला ट्रोब यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर थ्यो फेरेल ने कहा कि इस तरह की शिक्षा संबंधी साझेदारी से दोनों देशों को फायदा मिलेगा। इस पार्टनरशिप से दोनों देशों के युवा छात्रों को रिसर्च और एजुकेशन के फील्ड में काफी कुछ सीखने को मिलेगा।
इन क्षेत्रों में मिलकर अनुसंधान करेंगी न्यू ला ट्रोब यूनिवर्सिटी और भारतीय संस्थान
ऑस्ट्रेलियाई यूनिवर्सिटी न्यू ला ट्रोब यूनिवर्सिटी और भारत के शिक्षण संस्थान स्टार्ट अप्स और स्मार्टसिटी संबंधी परियोजनाओं पर साथ मिलकर काम करेंगे। इसके अलावा न्यू ला ट्रोब यूनिवर्सिटी और भारत के तकनीकी संस्थान जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संबंधी 50 अन्य प्रोजेक्ट्स पर भी साथ मिलाकर शोधकार्य करेंगे।
भारत की 67 यूनिवर्सिटीज़ के स्टूडेंट्स लेंगे भाग
ऑस्ट्रेलिया की न्यू ला ट्रोब यूनिवर्सिटी और भारत की 67 यूनिवर्सिटीज़ इस शोधकार्य परियोजना में साथ मिलकर काम करेंगे। इस कार्यक्रम में कुल 67 स्टूडेंट्स भाग लेंगे। इन स्टूडेंट्स को कुल 18 टीमों में बांटा जाएगा जो कि न्यू ला ट्रोब यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर विभिन्न प्रोजेक्ट्स पर रिसर्च वर्क करेंगे।
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