अशोक के अभिलेख: जानिए भारतीय इतिहास की इस गौरवशाली धरोहर के बारे में  

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अशोक के अभिलेख

अशोक के अभिलेख भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण अंश हैं,जो हमें उनके धर्मिक और सामाजिक यात्रा के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। इन अभिलेखों का मूल्य आज भी बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे हमें सहिष्णुता, शांति और सामाजिक न्याय के मूल्यों का पालन करने की प्रेरणा प्रदान करते हैं। ये अभिलेख नई पीढ़ियों के लिए एक महत्वपूर्ण शिक्षा के स्रोत हैं और यह हमारे समाज सुधार के लिए महत्वपूर्ण संदेश प्रदान करते हैं।

अशोक के अभिलेख साक्षरता का प्रतीक हैं जो हमारे समाज को सही दिशा में जाने में मदद करते हैं और यह हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाते हैं कि हम भारतीय समृद्धि और करुणा की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं। यहाँ अशोक के अभिलेखों के बारे में विस्तृत जानकारी दी जा रही है। 

अशोक के अभिलेख क्या हैं?

अशोक के अभिलेख, एक प्रकार के पत्थरों पर उकेरे गए निर्देश हैं, जिनमें उनके शासनकाल की  घटनाओं का ऐतिहासिक वर्णन मिलता हैं। ये अभिलेख मौर्य वंश के महान सम्राट अशोक के शासन की महत्वपूर्ण घटनाओं, ख्यातियों और दिशा-निर्देशों का वर्णन करते हैं। ये अभिलेख सिंहासन पर बैठे सम्राट के दिल से निकले हुए शब्दों की तरह माने जाते हैं और वे भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण स्मारक माने जाते हैं।

अभिलेखों की महत्वपूर्ण प्राप्तियाँ

अशोक के अभिलेखों में उनके अनेक महत्वपूर्ण कदम और निर्देश दर्ज हैं। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण प्राप्तियाँ निम्नलिखित हैं:-

  • धर्म का प्रचार: अशोक के अभिलेखों में धर्म के प्रचार का उल्लेख देखने को मिलता है। उन्होंने बौद्ध और जैन धर्म के प्रचार के लिए कई उपायों का सुझाव दिया और अपने अधिकारियों को धर्म के प्रचार में सहायक होने का आदेश दिया।
  • धार्मिक समझौता: अशोक के अभिलेखों में कलिंग युद्ध के बाद उनका समझौता भी दर्ज है। इस समझौते के अनुसार,उन्होंने हिंसा और नरसंहार को बंद करने का प्रण लिया था। इससे साम्राज्य के अंदर एक मानवीय समाज के निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया गया।
  • स्तूप निर्माण: अशोक के अभिलेखों में विभिन्न स्तूपों के निर्माण का उल्लेख होता है, जैसे की सांची का स्तूप। ये स्तूप बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण स्थलों में एक महत्वपूर्ण स्मारक हैं और उनके अभिलेखों में इनके निर्माण के बारे में विस्तार से बताया गया है।

अभिलेखों का मूल्य और प्रभाव

अभिलेखों का मूल्य:

अशोक के अभिलेखों का मूल्य अत्यधिक है, क्योंकि ये हमें उनके शासनकाल की सच्ची घटनाओं और नीतियों के बारे में जानने का अवसर देते हैं। इन अभिलेखों में अशोक की धर्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण की बजाय उनके व्यक्तिगत दृष्टिकोण का भी पता चलता है, जिससे हमें उनके व्यक्तिगत जीवन के बारे में भी जानकारी मिलती है।

प्रभाव:

अशोक के अभिलेखों का प्रभाव आज भी दिखाई देता है। उनके धर्म परिवर्तन के प्रयासों ने भारतीय समाज में धार्मिक सहिष्णुता का संदेश प्रसारित किया और सामाजिक समरसता के लिए महत्वपूर्ण मानवीय मूल्यों को स्थापित किया। इसके अलावा, उनके स्तूपों के निर्माण ने बौद्ध धर्म को बढ़ावा दिया और इन्हें एक महत्वपूर्ण परंपरागत स्थल बना दिया।

अशोक के प्रमुख स्तम्भ 

अशोक के अभिलेख भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण स्रोत हैं जो उनके शासनकाल की घटनाओं को दर्ज करते हैं। ये अभिलेख मौर्य वंश के सम्राट अशोक द्वारा शासन की घटनाओं और नीतियों को विवरणित करते हैं। अशोक के प्रमुख स्तंभों का विवरण इस प्रकार है:- 

  • सांची अभिलेख: यह अभिलेख सांची स्तूप के निर्माण के बारे में है, जिसमें बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण अद्भुत खगोलशास्त्रीय शृंग शैली का वर्णन है। 
  • रामपुरवा अभिलेख: इस अभिलेख में अशोक के बौद्ध धर्म के प्रचार के प्रयासों का वर्णन है, जिनमें वे अपने प्रशासकों को धर्मिक सहायता प्रदान करने के लिए कहते हैं।
  • बाबरपुर अभिलेख: इसमें अशोक ने विगत समय के युद्धों का जिक्र किया और युद्धों को छोड़कर धर्म के प्रचार में लगे रहने का आलंब दिया।
  • दिनरखर अभिलेख: इसमें अशोक ने धर्म के प्रचार के लिए पुरोहितों के पास यात्रा करने का आदेश दिया।
  • गिरनार अभिलेख: यह अभिलेख गुजरात के गिरनार पर्वत पर खुदाई से मिला था और इसमें अशोक के सम्राट बनने के पीछे की कहानी है।
  • ब्राह्मण शिला अभिलेख: इसमें अशोक का बौद्ध धर्म के प्रचार करने का वर्णन है और धर्म के प्रचार के लिए अपने अधिकारियों को निर्देशित करने का वर्णन भी दर्ज है।
  • इंडो ग्रीक अभिलेख: यह अभिलेख ग्रीक और भारतीय संस्कृति के संगम पर प्रकट रूप से प्रभाव डालता है और अशोक के धर्म प्रचार के प्रयासों का जिक्र करता है।
  • बाहमानी अभिलेख: इसमें अशोक ने अपने प्रशासनिक आदेशों को विवरणित किया है जो विभिन्न भागों में भेजे गए थे।
  • ईराणी अभिलेख: इसमें अशोक ने अपने सम्बन्धों का बाहरी राज्यों के साथ वर्णन किया है,जैसे कि योनकोणी (ग्रीस) और अंतियोकिया (सीलेसिया) आदि।
  • कलिंग अभिलेख: इस अभिलेख में कलिंग युद्ध के बाद का समझौता दर्ज है, जिसमें अशोक ने हिंसा को छोड़कर अहिंसा का मार्ग अपनाने का प्रण लिया था। 
  • महानमा अभिलेख: इसमें अशोक ने अपने अधिकारियों को धर्म के प्रचार के लिए उनके प्रदेश में यात्रा करने का आदेश दिया और उन्हें धर्मिक जीवन की उच्च गुणवत्ता का पालन करने की आज्ञा दी।
  • धौली अभिलेख: इसमें अशोक का धर्म के प्रचार के प्रति उनका परम आदर और प्रतिबद्धता है, और वे धर्म के प्रचार के लिए जीवन भर प्रतिबद्ध रहने का आलंब देते हैं।
  • जुगढ़ा अभिलेख: इसमें अशोक ने अपने साम्राज्य के बाहरी संबंधों का वर्णन किया है, जैसे कि सेल्यूकस निकेटर और अलेक्जेंडर के समय के घटनाक्रमों का वर्णन किया गया है।
  • माने गार्डन अभिलेख: इसमें अशोक ने अपने साम्राज्य के अन्य स्थानों के लोगों के साथ अपने संबंधों का वर्णन किया है, जैसे कि ग्रीक और भारतीय नागरिकों के बीच समझौता का वर्णन इस अभिलेख में देखने को मिलता  है।

FAQs

अशोक का 13 वां शिलालेख क्या है?

तेरहवां शिलालेख जो कलिंग युद्ध के अंत में जारी किया गया था, एक आक्रामक और हिंसक योद्धा से एक महान प्रेमी और शांति के उपदेशक के रूप में अशोक के परिवर्तन की एक ज्वलंत तस्वीर देता है।

अशोक का सबसे बड़ा अभिलेख कौन सा है?

अशोक का 13वां शिलालेख सबसे बड़ा शिलालेख है। इसमें अशोक के कलिंग विजय का वर्णन दर्ज है। 

भारत का सबसे पुराना अभिलेख कौनसा है?

भारत का सबसे प्राचीन अभिलेख बोगजकोई अभिलेख है।

भारत में अशोक के कुल कितने अभिलेख हैं?

वर्तमान में अशोक के कुल 40 अभिलेख प्राप्त हो चुके हैं। 

अशोक की लिपि किसने पढ़ी थी?

एक ब्रिटिश पुरावशेष और औपनिवेशिक प्रशासक, अशोक के शिलालेखों को पढ़ने वाले पहले व्यक्ति थे। अशोक के ये शिलालेख बौद्ध धर्म के प्रथम मूर्त साक्ष्य हैं।

हाथी गुफा अभिलेख किसका है?

उड़ीसा के भुवनेश्वर नामक स्थान से तीन मील दूर उदयगिरि नाम की पहाड़ी है, जिसकी एक गुफा में एक शिलालेख उपलब्ध हुआ है, जो ‘हाथीगुम्फा शिलालेख’ के नाम से प्रसिद्ध है। इसे कलिंगराज खारवेल ने उत्कीर्ण कराया था। 

आशा है इस ब्लॉग से आपको अशोक के अभिलेख के बारे में बहुत सी जानकारी प्राप्त हुई होगी। भारत के इतिहास से जुड़े हुए ऐसे ही अन्य ब्लॉग पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।

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