महाराष्ट्र के उच्च शिक्षा विभाग ने इस सत्र से सभी कॉलेजों के लिए NAAC मूल्यांकन किया जाना अनिवार्य कर दिया है। ऐसा करने के पीछे का उद्देश्य प्रदेश में उच्च शिक्षा के स्तर में सुधार लाना है। महाराष्ट्र सरकार लगातार अपनी शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने में लगी हुई है। इसी मुहिम के अंतर्गत महाराष्ट्र सरकार राज्य में नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) को भी लागू करने जा रही है।
NAAC ग्रेडिंग से बेहतर होगा शिक्षा का स्तर : शैलेन्द्र देवलंकर
महराष्ट्र उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक शैलेन्द्र देवलंकर ने बताया कि इस सत्र से महाराष्ट्र के सभी डिग्री कॉलेजों के लिए NAAC मूल्यांकन प्रक्रिया से गुज़रना अनिवार्य कर दिया गया है। शैलेन्द्र देवलंकर के अनुसार ऐसा करने से राज्य के कॉलेजों की क्वालिटी में सुधार होगा। कॉलेज अपनी NAAC ग्रेडिंग में सुधार करने के लिए मेहनत करेंगे।
NAAC मूल्यांकन में देश में टॉप पर है महाराष्ट्र
महराष्ट्र उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक शैलेन्द्र देवलंकर ने आगे बताया कि महाराष्ट्र NACC मूल्यांनकन कॉलेजों के मामले में देश में शीर्ष स्थान पर है। इस कारण से सरकार की ओर से महाराष्ट्र के उच्च शिक्षा विभाग को काफी सराहना प्राप्त हुई है। महाराष्ट्र के एजुकेशन सिस्टम को और बेहतर करने की दिशा में ही काम करते हुए महाराष्ट्र के उच्च शिक्षा विभाग के द्वारा सभी डिग्री कॉलेजों से NAAC मूल्यांकन प्रक्रिया पूरी कराए जाने की अपील की गई है।
NAAC मूल्यांकन नहीं करवाने वाले कॉलेजों को किया जा सकता है ब्लॉक
महाराष्ट्र के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा सभी यूनिवर्सिटीज़ को निदेश दिए गए हैं कि ऐसे कॉलेज जिन्होंने NAAC मूल्यांकन प्रक्रिया को पूरा नहीं किया है, विश्विद्यालय उनके साथ सम्बद्धता ख़त्म कर दें। यूनिवर्सिटी एक्ट में इस प्रकार का प्रावधान दिया गया है। महाराष्ट्र उच्च शिक्षा विभाग ने सभी यूनिवर्सिटीज़ से उनसे एफिलेटेड कॉलेजों से NAAC मूल्यांकन रिपोर्ट मांगने के लिए कहा है। इसके अलावा NAAC मूल्यांकन प्रक्रिया को पूरा नहीं करने वाले कॉलेजों में यूनिवर्सिटीज़ फर्स्ट ईयर एडमिशंस को ब्लॉक भी कर सकती हैं।
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