Organization for Economic Co-operation and Development (OECD) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय छात्र, जो दुनिया की कुछ सबसे विकसित अर्थव्यवस्थाओं में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के दूसरे सबसे बड़े ग्रुप को रिप्रेजेंट करते हैं, वह विशेष रूप से इंजीनियरिंग में STEM विषयों में “बहुत अधिक रिप्रेजेंट” करते हैं।
2017/18 के दौरान, अमेरिका में लगभग आधे अंतरराष्ट्रीय छात्र STEM विषयों का अध्ययन कर रहे थे, और यह हिस्सा भारतीय छात्रों के लिए लगभग 79 प्रतिशत था, जो चीनी छात्रों (45 प्रतिशत) से काफी अधिक था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसी तरह की प्रवृत्ति कई अन्य OCED देशों में देखी जा सकती है। जर्मनी ने 2021 में मुख्य रूप से इंजीनियरिंग क्षेत्रों में एनरोल्ड अंतरराष्ट्रीय छात्रों के तीन बड़े ग्रुप की सूचना दी, जिनमें से भारतीय छात्रों ने चीनी छात्रों को पीछे छोड़ते हुए कुल 66 प्रतिशत का गठन किया, जो कुल 50 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार थे।
2016-17 में, नीदरलैंड में आधे से अधिक भारतीय छात्रों को इंजीनियरिंग डिग्री प्रोग्राम्स में एडमिशन दिया गया था। फ्रांस में हर तीन छात्रों में से लगभग दो (कुल 63 प्रतिशत) को 2018/19 के दौरान एक साइंस कोर्सेज में एनरोल्ड किया गया था, जबकि फ्रांस में चीनी छात्रों को सोशल साइंस के क्षेत्र में “अधिक समान रूप से डिस्ट्रीब्यूट” किया जाता है “अर्थशास्त्र, सामाजिक और प्राकृतिक विज्ञान” केवल 1% के साथ स्वास्थ्य और चिकित्सा क्षेत्र में एनरोल्ड हैं।
मोरक्को और अल्जीरिया के कम से कम 44 प्रतिशत छात्रों ने भी साइंस के क्षेत्र में रुचि दिखाई। जबकि लक्ज़मबर्ग में गैर-यूरोपीय संघ के छात्र STEM विषयों में “सभी एनरोल्ड छात्रों में से आधे” का चयन करते हैं, आश्चर्यजनक रूप से, वे केवल “ओवरऑल एनरोल्ड स्टूडेंट पॉप्युलेशन” के एक-चौथाई से भी कम हैं।
STEM क्षेत्र में भारतीयों के ओवर-रिप्रजेंटेशन का विश्लेषण करने के अलावा, रिपोर्ट में उन विभिन्न फैक्टर्स पर भी प्रकाश डाला गया है जिन्हें भारतीय छात्र उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने से पहले ध्यान में रखते हैं।
डेटा यह भी इशारा करता है कि भारतीय छात्र कम फीस और संभावित नौकरी बाजार वाले स्थानों में विश्वविद्यालयों को पसंद करते हैं। उनकी पसंद को प्रभावित करने वाले अन्य फैक्टर्स में ज्योग्राफिकल प्रोक्सिमिटी, शिक्षा की भाषा और पढ़ाई के साथ काम करना शामिल हैं। इसी कारण से ऑस्ट्रेलिया, नॉर्वे, जर्मनी और स्विटजरलैंड जैसे देशों में भारतीय छात्रों की आमद (influx) देखी गई है।
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