हमारे देश भारत में कृषि सुधार के लिए क्रांतिया हुई है लेकिन आमतौर पर लोग हरित क्रांति और श्वेत क्रांति के बारे में जानते हैं। भारत में सबसे पहले क्रांति की शुरुआत 1966-67 में हुई हरित क्रांति मानी जाती है | इस क्रांति के कारण भारत खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया और इस हरित क्रांति में मुख्य योगदान उन्नत किस्म के बीजों का रहा है। इसी क्रांति के बाद भारत में विभिन्न प्रकार की क्रांति या जैसे- दुग्ध क्रांति, पीली क्रांति, गोल क्रांति, नीली क्रांति आदि की शुरुआत हुई और भारत दूध, सरसों, आलू और मत्स्य उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया। इन्हीं में शामिल एक क्रांति जिसे गुलाबी क्रांति कहा जाता है। यह मछली उत्पादन और पोल्ट्री से संबंधित क्रांति है। आज के हमारे इस ब्लॉग हम भारत में गुलाबी क्रांति में हम Gulabi Kranti के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे।
This Blog Includes:
- गुलाबी क्रांति क्या है?
- कृषि क्रांति का अर्थ
- गुलाबी क्रांति क्या है?
- भारत में गुलाबी क्रांति के जनक
- भारत में गुलाबी क्रांति किससे संबंधित है?
- भारत में Gulabi Kranti के लाभ
- Gulabi Kranti के दुष्परिणाम
- भारत में हरित क्रांति (Green Revolution) क्या है?
- पीली क्रांति (Yellow Revolution)
- Gulabi Kranti Important Questions : गुलाबी क्रांति जुड़े महत्वपूर्ण सवाल
- FAQ
गुलाबी क्रांति क्या है?
भारत में कई क्रांतियां हुई है जिन्होंने विभिन्न सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रों में एक बिल्कुल नए युग की शुरुआत की। भारत में कृषि क्रांति इस विशेष क्षेत्र में बहुतायत से नए अवसरों और उद्घाटन के निर्माण में मदद करती है।
कृषि क्रांति का अर्थ
कृषि क्रांति का अर्थ है कृषि में महत्वपूर्ण परिवर्तन। जब आविष्कारों, खोजों या नई प्रौद्योगिकियों को लागू किया जाता है। ये क्रांतियाँ उत्पादन के तरीकों को बदलती हैं और उत्पादन दर को बढ़ाती हैं। भारत में विभिन्न कृषि क्रांतियां हुई है और कृषि क्षेत्र में एक बिल्कुल नए युग की शुरुआत हुई है।
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गुलाबी क्रांति क्या है?
कभी भारत अपनी जरूरत का अनाज दूसरे देशों से आयात (Import) करता था, लेकिन आज यह इस मामले में आत्मनिर्भर हो गया है। देश के लोगों के जेहन में दो प्रमुख कृषि क्रांतियां हैं- पहली हरित क्रांति (Green revolution) और दूसरी श्वेत क्रांति । दोनों ही क्रांतियाँ देश को तरक्की के रास्ते पर ले गईं, लगभग हर प्रधानमंत्री ने अपने-अपने कार्यकाल में कृषि की तरक्की के लिए किसी न किसी क्रांति जैसे भारत में गुलाबी क्रांति आदि की शुरुआत की। इसी क्रम में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मधुमक्खी पालन और इससे जुड़ी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए 2016 में मीठी क्रांति शुरू की। आइये अब जानते हैं कि भारत में गुलाबी क्रांति के बारे में –
गुलाबी क्रांति या पिंक रिवोल्यूशन (Pink Revolution) एक शब्द है जिसका उपयोग मांस और पोल्ट्री प्रसंस्करण (Meat and Poultry Processing) क्षेत्र में प्रयुक्त हुई तकनीकी क्रांतियों (Technological Revolutions) को दर्शाने के लिए किया जाता है। दूसरे शब्दों में, गुलाबी क्रांति के अंतर्गत मांस उत्पादन को तकनीक के उपयोग द्वारा बढ़ाया जा सकता है।
भारत में गुलाबी क्रांति के जनक
गुलाबी क्रांति का संबंध उत्पादन से है। भारत में गुलाबी क्रांति का जनक दुर्गेश पटेल को माना जाता है। भारत ने पहले ही अपने खाद्य उद्योग में ग्रीन (Green) और सफेद (White) क्रांतियों को देखा है, ये क्रांतियाँ क्रमशः कृषि और दूध से संबंधित थीं। इन क्रांतियों की वजह से जहाँ एक तरफ भारत अनाज के मामले में आत्मनिर्भर बना, वहीं दूसरी तरफ दुग्ध उत्पादन में भी विश्व में नम्बर एक स्थान हासिल किया। इन सभी क्रांतियों के बाद भारत का जोर अब पिंक रिवोल्यूशन (भारत में गुलाबी क्रांति) के माध्यम से मांस और मुर्गी पालन क्षेत्रों पर है। भारत में मवेशी बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते हैं तथा मुर्गी पालन भी बड़े स्तर पर किया जाता है, इसलिए इस क्षेत्र के आधुनिकीकरण के माध्यम से विकास की उच्च क्षमता हासिल की जा सकती है।
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भारत में गुलाबी क्रांति किससे संबंधित है?
जिस प्रकार हरित क्रांति का संबंध खाद्यान्नों से है और श्वेत क्रांति का संबंध दुग्ध उत्पादन से है उसी प्रकार गुलाबी क्रांति की शुरुआत भारत में फार्मास्युटिकल, प्याज और झींगा उत्पादन को बढ़ाने के लिए की गयी। गुलाबी क्रांति झींगा मछली के उत्पादन से संबंधित है। भारत के समग्र कृषि निर्यात में वर्ष 2016-17 के दौरान शीर्ष योगदान समुद्री उत्पाद (2.1%) का है। समुद्री उत्पाद में मछली का निर्यात भी समाहित है। भारत के समस्त मछली निर्यात में झींगा मछली का प्रमुख योगदान है।
भारत संसार का सबसे बड़ा झींगा मछली निर्यातक राष्ट्र है। इस मछली के उत्पादन को बढ़ाने के लिए एक मिशन तैयार किया गया, जिससे झींगा मछली का उत्पादन बढ़ाया जा सके। इस मिशन के परिणामस्वरूप झींगा मछली के उत्पादन एवं निर्यात में वृद्धि हुई, जिसे गुलाबी क्रांति (Pink Revolution) की उपमा प्रदान की गई। (भारत में गुलाबी क्रांति) गुलाबी क्रांति का संबंध प्याज उत्पादन से भी है।
भारत में Gulabi Kranti के लाभ
भारत में मांस उद्योग के बढ़ने से होने वाले लाभ निम्नलिखित है-
- विदेशों में मांस की भारी माँग है, ऐसे में यदि भारत में मांस उत्पादन बढता है तो भारत का निर्यात भी बढ़ेगा, जिससे भारत को विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होगी।
- भारत अपनी ऊर्जा संबंधी जरूरतों के लिए विदेशों पर अधिक निर्भर रहता है इसलिए भारत को विदेशी मुद्रा भंडार की ज्यादा जरूरत है।
- जब मांस के निर्यात से भारत को विदेशी मुद्रा प्राप्त होगी तो हमारा देश इस मुद्रा का उपयोग व्यापार असंतुलन को कम करने में कर सकता है।
- इसका उद्देश्य हेतु ‘गुलाबी क्रांति’ बेहतर अवसर उपलब्ध कराती है।
- मांस उद्योग भारी संख्या में रोजगार उपलब्ध कराता है। इसमे कुछ ही कौशल को आसानी से सीखकर रोजगार पाया जा सकता है।
- मांस उद्योग में कार्यरत श्रमिकों में महिलाओं का अनुपात अन्य उद्योगों की अपेक्षा अधिक है।
- भारत सरकार के श्रम मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में मांस उद्योग में कार्यरत कुल श्रमिकों/ कर्मचारियों में 30-40% तक महिलाएं हैं।
- महिलाएँ आधुनिक तकनीकों से युक्त उद्योगों में कम मात्रा में रोजगार पाती हैं, इसलिए महिलाओं के लिए मांस उद्योग या उद्योग का ऐसा क्षेत्र जहाँ अपेक्षाकृत रूप से कम शिक्षा व कौशल की जरूरत होती है, रोजगार की दृष्टि से बेहतर माने जाते हैं।
- भारत में भी मांस की घरेलू खपत को पूरा करने की जिम्मेदारी छोटे-छोटे बूचड़खानों और खुदरा दुकानदारों की है।
- ये लोग उपभोक्ताओं को उच्च स्तर की साफ-सफाई व संक्रमण रहित मांस उपलब्ध नहीं करा पाते हैं। अतः यदि गुलाबी क्रांति के द्वारा छोटे-छोटे बूचड़खानों व खुदरा व्यापारियों/ दुकानदारों को भी आधुनिक बनाया गया तो देश के मांस उपभोक्ताओं को भी उत्तम मांस प्राप्त हो सकेगा।
- गौरतलब है कि भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुधन का महत्वपूर्ण स्थान है और पूरे विश्व में सबसे ज्यादा पशुओं की संख्या भारत में है।
- भारत सरकार द्वारा सन् 2012 में कराई गई पशुधन जनगणना के अनुसार भारत में लगभग 125 करोड़ पशु या मवेशी हैं।
- भारत सरकार पशुधन जनगणना के अंतर्गत भैंस, भेड़, बकरी, सूअर, गधा, खच्चर ,घोड़ा और ऊँट आदि को शामिल करती है।
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Gulabi Kranti के दुष्परिणाम
- देश में दूध उत्पादन में 96 हजार सहकारी संस्थाएं जुड़ी है, 14 राज्यों की अपनी दूध सहकारी संस्थाएं हैं। देश में कुल कृषि खाद्य उत्पादों व दूध से जुड़ी प्रसंस्करण सुविधाएं महज 2 प्रतिशत है, किंतु वह दूध ही है,जिसका सबसे ज्यादा प्रसंस्करण करके दही, घी, मक्खन, पनीर आदि बनाए जाते हैं।
- इस कारोबार की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इससे सात करोड़ से भी ज्यादा लोगों की आजीविका जुड़ी है। लिहाजा मांस के कारोबार को प्रोत्साहित करने से दुधारू पशुओं को बूचड़खाने में काटने का सिलसिला यथावत बना रहता है तो यह वाकई चिंता का पहलू है? इस पर अंकुश लगाने की जरूरत है। बूचड़खाने में काटने के लिए केवल वही मवेशी ले जाए जो बूढ़े हो चुके हैं, जिन्होंने दूध देना बंद कर दिया है।
- देश में स्थित ये बूचड़खाने पशुओं का संकट बन रहे हैं। इस कारण देश में दूध का उत्पादन घट रहा है। नतीजतन घटे दूध की आपूर्ति मिलावटी दूध से होने लगी है, जो सेहत के लिए खतरनाक है।
- जबकि पशुधन के संरक्षण को दूध-उत्पादन और खेती किसानी के परिप्रेक्ष्य में देखने की जरूरत है, क्योंकि बढ़ते बूचड़खाने और घटते पशुधन की चिताएं सीधे रोजगार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दे हैं।
- कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण उत्पादन निर्यात विकास प्राधिकरण द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक 2003-04 में भारत से 3.4 लाख टन गाय-भैंस के मांस का निर्यात किया गया था, जो 2012-13 में बढ़कर 18.9 लाख टन हो गया।
- निर्यात के इस आंकड़े ने भारत को मांस निर्यातक देशों में अग्रणी देश बना दिया है। भारत से यह मांस मिश्र, कुवैत, सऊदी-अरब, वियतनाम, मलेशिया और फिलीपींस देशों में किया जाता है।
- मांस का यह निर्यात सरकारी संरक्षण और राहत के उपायों से उत्पन्न हुआ है।
- सरकार ने बूचड़खानों और प्रसंस्करण संयंत्रों के आधुनिकीकरण के लिए आर्थिक मदद के साथ सब्सिडी भी दीं।
भारत में हरित क्रांति (Green Revolution) क्या है?
अगर कृषि गलत हो जाती है, तो हमारे देश में और कुछ भी सही होने का मौका नहीं होगा।” – एम. एस. स्वामीनाथन
स्वतंत्रता के बाद के शुरुआती वर्षों में भारतीय कृषि प्रणाली सबसे खराब देखी गई। निधियों की कमी, कम उपज वाले कच्चे माल, मशीनरी और प्रौद्योगिकी की कमी , उस समय कुछ मुख्य समस्याएं थीं। कृषि क्षेत्र की बिगड़ती हालत को समझते हुए, भारत सरकार ने Green Revolution की शुरुआत की जिसके माध्यम से देश में उच्च उपज वाले किस्म (HYV) के बीजों का उपयोग किया गया। इसके साथ-साथ सिंचाई सुविधाओं में सुधार और अधिक प्रभावी उर्वरकों के उपयोग में वृद्धि हुई। इस सब के कारण भारत में उच्च गुणवत्ता वाली फसलों का बड़े पैमाने पर उत्पादन हुआ। इन मुद्दों के लिए एक इष्टतम समाधान खोजने के लिए, 1965 में एमएस स्वामीनाथन के मार्गदर्शन में भारत सरकार ने 1967- 1978 तक चली Green Revolution की शुरुआत की।
भारत में हरित क्रांति के जनक के रूप में भी जाना जाता है, एमएस स्वामीनाथन एक भारतीय आनुवंशिकीविद् और प्रशासक हैं।
पीली क्रांति (Yellow Revolution)
हरित क्रांति की अगली कड़ी के रूप में यानी हरित क्रांति के द्वितीय चरण में, विकास की योजना बनाई गई, जिसके अन्तर्गत तिलहनों के उत्पादन में वृद्धि लाने के लिए नवीन रणनीति अपनायी गयी । दूसरे शब्दों में, खाद्य तेलों और तिलहन फसलों के उत्पादन के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास की रणनीति को पीली क्रान्ति का नाम दिया गया । हमारे यहाँ तिलहन के अन्तर्गत 9 प्रकार के निम्नलिखित बीज आते हैं –
- सरसों और तोरिया,
- सोयाबीन
- सूरजमुखी
- अरण्डी
- अलसी
- कुसुम्ब
- मूँगफली
- तिल
भारतीय भोजन में प्रति व्यक्ति वसा एवं तेल की वार्षिक उपलब्धता केवल 6 किलोग्राम है, जबकि विश्व की उपलब्धता औसतन 18 किलोग्राम है । भारत में कुल कृषि उत्पादक क्षेत्र में लगभग 10 प्रतिशत क्षेत्र में इसकी खेती की जाती है । देश के कुल कृषि उतपाद का लगभग 10 प्रतिशत भाग तिलहन फसलों से प्राप्त होता है। साठ के दशक तक भारत तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर था । किन्तु सिंचित क्षेत्र में कम प्रतिशत और मौसम की अनिश्चितता के कारण बढ़ती आबादी के साथ देश में तेलों की प्रति व्यक्ति उपलब्धता कम होती गई, जबकि भारत की जलवायु तिलहन उत्पादन के सर्वथा उपयुक्त है ।
Gulabi Kranti Important Questions : गुलाबी क्रांति जुड़े महत्वपूर्ण सवाल
Ans. दुग्ध उत्पादन से
Ans. बागवानी वशहद उत्पादन से
Ans. आलू उत्पादन के लिए
Ans. झींगा उत्पादन
Ans. भारत में गुलाबी क्रांति का जनक दुर्गेश पटेल को माना जाता है।
FAQ
Ans- भारत में गुलाबी क्रांति का जनक दुर्गेश पटेल को माना जाता है
Ans- मांस और पौल्ट्री फार्म एवं झींगा मछली के उत्पादन से।
Ans- भारत में गुलाबी क्रांति प्याज के उत्पादन से संबंधित है अधिकतर क्रांतियों का संबंध समाज से होता है पर गुलाबी क्रांति का संबंध प्याज से है |
Ans- गुलाबी क्रांति और हरित क्रांति में यह अंतर है कि गुलाबी क्रांति विटामिन की कमी को दूर करने के लिए लाई गई थी और हरित क्रांति लोगों में कुपोषण से बचाने के लिए लाई गई थी
गुलाबी क्रांति या पिंक रिवोल्यूशन (Pink Revolution) एक शब्द है जिसका उपयोग मांस और पोल्ट्री प्रसंस्करण (Meat and Poultry Processing) क्षेत्र में प्रयुक्त हुई तकनीकी क्रांतियों (Technological Revolutions) को दर्शाने के लिए किया जाता है। दूसरे शब्दों में, गुलाबी क्रांति के अंतर्गत मांस उत्पादन को तकनीक के उपयोग द्वारा बढ़ाया जा सकता है।
हरित क्रांति
गोल क्रांति
श्वेत क्रांति
नीली क्रांति
गुलाबी क्रांति
सुनहरी क्रांति
काली क्रांति
पीली क्रांति
धूसर क्रांति
रजत क्रांति
इन्द्रधनुषी क्रांति
सदाबहार क्रांति
गुलाबी क्रांति की शुरुआत भारत में फार्मास्युटिकल, प्याज और झींगा उत्पादन को बढ़ाने के लिए की गयी। गुलाबी क्रांति झींगा मछली के उत्पादन से संबंधित है।
भारत में मांस उद्योग के बढ़ने से होने वाले लाभ निम्नलिखित है-
विदेशों में मांस की भारी माँग है, ऐसे में यदि भारत में मांस उत्पादन बढता है तो भारत का निर्यात भी बढ़ेगा, जिससे भारत को विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होगी।
भारत अपनी ऊर्जा संबंधी जरूरतों के लिए विदेशों पर अधिक निर्भर रहता है इसलिए भारत को विदेशी मुद्रा भंडार की ज्यादा जरूरत है।
जब मांस के निर्यात से भारत को विदेशी मुद्रा प्राप्त होगी तो हमारा देश इस मुद्रा का उपयोग व्यापार असंतुलन को कम करने में कर सकता है।
आशा है, आपको यह भारत में गुलाबी क्रांति के बारे में जानकारी मिल गई होगी। ऐसे ही अन्य तरह के ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहिए