“जीवन में समस्याओं का सामना इसलिए करना पड़ता है ताकि हम उन से लड़कर और भी मजबूती के साथ निखर कर आये” आज हम सभी एक ही डर में रह रहे हैं वह चक्रवात। यह एक ऐसी विकट समस्या है जो हमारे देश को कुछ ही मिनटों में तहस-नहस कर देती है। यह देश के सुंदरता को तो नुकसान पहुंचाती ही है उसी के साथ-साथ कई जान-माल की हानि भी होती है। जब किसी के मुंह से बच्चे चक्रवात शब्द सुनते हैं तो उनके मन में यह प्रश्न उठता है की चक्रवात क्या होता है? आज हम इस ब्लॉग में साइक्लोन की पूरी जानकारी, Cyclone in Hindi, Cyclone in Hindi न्यूज़ और इससे निपटने के उपाय लेकर आए हैं। आइए पढ़ें चक्रवात क्या है?
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साइक्लोन किसे कहते हैं?
चक्रवात क्या है जानने के साथ-साथ यह जानना भी आवश्यक है कि चक्रवात को अंग्रेजी में साइक्लोन कहते हैं। इसकी संरचना अंग्रेजी के V अक्षर जैसी होती है। साइक्लोन एक ऐसी संरचना है जो गर्म हवा के चारों ओर कम वायुमंडलीय दाब के साथ उत्पन्न होती है। जब एक तरफ से गर्म हवाओं तथा दूसरी तरफ से ठंडी हवा का मिलाप होता है तो वह एक गोलाकार आंधी का आकार लेने लगती है इसे ही चक्रवात कहते हैं। आईएमडी का कहना है, “एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात एक तीव्र निम्न दबाव क्षेत्र या उष्णकटिबंधीय या उप-उष्णकटिबंधीय पानी के ऊपर के वातावरण में एक चक्कर है। इसकी अधिकतम गति 30 से 300 किलोमीटर प्रति घंटा हो सकती है। यह एक गोलाकार पथ में चक्कर लगाती घूमती हुई राशि होती है। इसकी गति अत्यंत तेज होती है। दक्षिणी गोलार्द्ध में इसे चक्रवात तथा पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में विली-विली उत्तरी गोलार्द्ध में हरीकेन या टाइफून, मैक्सिको की खाड़ी में टारनेडो कहते हैं।
चक्रवात के प्रकार
चक्रवात क्या है जानने के साथ-साथ यह जानना भी आवश्यक है कि साइक्लोन मुख्य रूप से 6 प्रकार के होते हैं-
- ध्रुवीय चक्रवात
- ध्रुवीय कम
- आतिरिक्त ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात
- अन्त: ऊष्ण कटिबंधीय
- उष्णकटिबंधीय
- मेसोस्कैल
चक्रवात के प्रभाव
चक्रवात क्या है जानने के साथ-साथ यह जानना भी आवश्यक है कि साइक्लोन के कई भीषण प्रभाव होते हैं। कुछ महीने पहले ही में भारत के दक्षिण-पश्चिम राज्यों आए चक्रवात के प्रभाव देखने को मिले जो इस प्रकार हैं:
- साइक्लोन के कारण पेड़ गिर जाते हैं।
- इसके कारण भारी वर्षा होती है।
- कई लोगों की जानें चली जाती है।
- कई स्ट्रीट लाइट के खंभे गिर जाते हैं।
- कई बिल्डिंग गिर जाती है।
- साइक्लोन के कारण फसलें बर्बाद हो जाती है।
- कई दिनों के लिए संचार व्यवस्था में दिक्कत आती है।
- कई इलाकों में पानी भर जाता है।
- जीव जंतु और पक्षियों को भी नुकसान पहुंचाता है।
- घर गिर जाने पर कई दिनों तक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
चक्रवात से हुई तबाही
18 मई 2021 को आए साइक्लोन ने सौराष्ट्र जैसे कई इलाकों में तबाही मचा दी और लोगों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा। चक्रवाती तूफान ताउते ने मुंबई, गुजरात, अहमदाबाद में तबाही मचाते हुए महाराष्ट्र और गोवा में भी इसने कहर मचा दिया। चक्रवाती तूफान ताउते की गति 185 किलोमीटर प्रति घंटे बताई गई है। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी गांधीनगर में ताउते तूफान को लेकर बनाए गए कंट्रोल रूम में मौजूद होकर तटीय इलाकों के अधिकारियों से स्थिति का जायजा लिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चक्रवाती तूफान से आई तबाही का जायजा लिया जानने के लिए देखिए वीडियो-
साइक्लोन से बचाव के उपाय
साइक्लोन से बचाव के उपाय नीचे दिए गए हैं-
- घरों की मरम्मत करवाएं
- कांच की खिड़कियों पर लगाने के लिए लकड़ी के बोर्ड तैयार रखें।
- रेडियो से जुड़े रहें ताकि आपको सारी खबरें मिलती रहे।
- ज्वलनशील पदार्थों को हिफाजत से रखें ताकि तेज हवा चलने पर वह भीष्ण का रूप ना ले ले।
- फ्लैशलाइट,लालटेन,कुछ सूखे सेल अपने पास रखें।
- यदि आप मछुआरे हैं और आप समुद्र के पास रहते हैं तो आप अपना निवास स्थान तुरंत बदल दें।
- पेड़ पौधों तथा बिजली के तारों के नीचे आसपास ना रहे।
- फसलें यदि 80% भी परिपक्व हो गई हो तो उसे काट लें।
- पशुओं को उचित शेड में रखें।
- किसी भी प्रकार की अफवाह से बचें।
जानें कितनी बार आया भारत में?
भारत को कई बार इस चक्रवाती तूफान की समस्या से जूझना पड़ा है। जिसमें कई जाने चली गई आइए देखें अभी तक भारत में कितनी बार इस चक्रवाती तूफान ने तबाही मचा दी है। भारत में आए चक्रवाती तूफान की तालिका नीचे दी गई है-
वर्ष | राज्य | चक्रवात का नाम |
1992 | केरल | बीओबी06 |
1993 | केरल | बीओबी05 |
2000 | केरल | बीओबी06 |
2005 | केरल | फनूस |
2008 | आंध्र प्रदेश | खाई – मुक |
2010 | आंध्र प्रदेश | लैला |
2012 | आंध्र प्रदेश | नीलम |
2013 | आंध्र प्रदेश | लहर |
2013 | आंध्र प्रदेश | हेलन |
2014 | आंध्र प्रदेश | हुदहुद |
1991 | तमिलनाडु | बीओबी09 |
1992 | तमिलनाडु | बीओबी06 |
1993 | तमिलनाडु | बीओबी03 |
1996 | तमिलनाडु | 08बी |
2000 | तमिलनाडु | बीओबी05 |
2005 | तमिलनाडु | फनूस |
2008 | तमिलनाडु | निशा |
2010 | तमिलनाडु | जल |
2011 | तमिलनाडु | थेन |
2013 | तमिलनाडु | नीलम |
2013 | तमिलनाडु | माडी |
1994 | महाराष्ट्र | एआरबी02 |
2009 | महाराष्ट्र | फ्यान |
2010 | महाराष्ट्र | जल |
1996 | गुजरात | एआरबी01 |
1998 | गुजरात | एआरबी02 |
1998 | गुजरात | एआरबी05 |
2001 | गुजरात | एआरबी01 |
2004 | गुजरात | ओनिल |
2007 | गुजरात | येमयिन |
1999 | उड़ीसा | बीओबी05 |
1999 | उड़ीसा | बीओबी06 |
2013 | उड़ीसा | फैलिन |
2014 | उड़ीसा | हुदहुद |
1992 | कर्नाटक | बीओबी06 |
1993 | कर्नाटक | बीओबी03 |
चक्रवात की श्रेणियां
चक्रवात क्या है जानने के साथ-साथ यह जानना भी आवश्यक है कि साइक्लोन की श्रेणियां कितनी होती हैं, जो इस प्रकार हैं:
श्रेणी | चक्रवात की गतियां |
श्रेणी 1 | 90 से 125 किलोमीटर प्रति घंटा |
श्रेणी 2 | 125 से 164 किलोमीटर प्रति घंटा |
श्रेणी 3 | 165 से 224 किलोमीटर प्रति घंटा |
श्रेणी 4 | 225 से 279 किलोमीटर प्रति घंटा |
श्रेणी 5 | 280 और उससे अधिक किलोमीटर प्रति घंटा |
चक्रवात कैसे बनता है?
गर्म इलाके के समुद्र में मौसम की गर्मी से हवा गर्म होकर अत्यंत कम वायु दाब का क्षेत्र बनाती है। हवा गर्म होकर तेजी से ऊपर आती है और ऊपर की नमी से मिलकर संघनन से बादल बनाती है। इस वजह से बने खाली जगह को भरने के लिए नम हवा तेजी से नीचे जाकर ऊपर आती है, जब हवा बहुत तेजी से उस क्षेत्र के चारों तरफ घूमती है तो घने बादलों और बिजली के साथ मूसलाधार बारिश करती है।
साइक्लोन के नाम
भारत के मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने हाल ही में भविष्य के उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के 169 नामों की एक सूची जारी की है, जो बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में उत्पन्न होंगे। दुनिया भर के हर महासागरीय बेसिन में बनने वाले चक्रवातों का नाम क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों (RSMCs) और उष्णकटिबंधीय चक्रवात चेतावनी केंद्रों (TCWCs) द्वारा रखा जाता है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) और पांच टीसीडब्ल्यूसी समेत दुनिया में छह आरएसएमसी केंद्र हैं। आईएमडी ने एक मानक प्रक्रिया का पालन करते हुए बंगाल की खाड़ी और अरब सागर समेत उत्तर हिंद महासागर में विकसित होने वाले चक्रवातों को नाम दिया। आईएमडी को साइक्लोन और तूफान के विकसित होने पर 12 अन्य देशों को सलाह जारी करने का भी अधिकार है।
भारत में आए अब तक के सबसे बड़े साइक्लोन
भारत में आए अब तक के सबसे बड़े साइक्लोन के लिए टेबल नीचे दी गई है-
चक्रवात का नाम | वर्ष | विवरण |
चक्रवात ताउते | 2021 | ताउते साइक्लोन ने दक्षिण भारत, गुजरात, गोवा और महाराष्ट्र में भारी तबाही मचाई थी। यह वर्षा और शक्तिशाली तेज हवाओं का कारण उत्पन्न हुआ था। |
चक्रवात अम्फान | 2020 | इस तूफान ने 3 जून को महाराष्ट्र के तटीय शहर अलीबाग के पास लैंडफॉल बनाया। वर्ष 2009 में चक्रवात फ्यान के बाद महाराष्ट्र में लैंडफॉल बनाने वाला यह पहला चक्रवात था। |
चक्रवात फ़ानी | 2019 | फानी एक भीषण चक्रवाती तूफान था जो भारतीय राज्य ओडिशा से टकराया था। इससे 40 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। यह एक उच्च श्रेणी के 4 प्रमुख तूफान के बराबर था। |
चक्रवात तितली | 2018 | चक्रवात तितली ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश और भारतीय राजधानी नई दिल्ली में भारी वर्षा की थी। उत्तर प्रदेश के मेरठ में सबसे ज्यादा बारिश हुई थी, जहां 24 घंटे में 226 मिमी बारिश हुई थी। यमुना नदी आपातकालीन मोड में थी। |
चक्रवात ओखी | 2017 | चक्रवात ओखी शक्तिशाली और 2017 उत्तर हिंद महासागर साइक्लोन के सबसे सक्रिय ट्रॉपिकल चक्रवातों में से एक था। अरब सागर से ओखी ने केरल, तमिलनाडु और गुजरात के तटीय क्षेत्रों के साथ-साथ भारत की मुख्य भूमि पर प्रहार किया। इस चक्रवात के प्रभाव से 245 लोगों की जान चली गई थी। |
चक्रवात वरदा | 2016 | वरदा ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में भारी वर्षा की और फिर भारत के पूर्वी तट को पार कर चेन्नई, कांचीपुरम और विशाखापट्टनम को प्रभावित किया था। चक्रवात से 38 लोगों की जान चली गई थी। |
चक्रवात कोमेन | 2015 | बांग्लादेश से टकराने के बाद चक्रवाती तूफान कोमेन ने भारत में आया था और इसने पूर्वी भारत में सबसे गंभीर बाढ़ पैदा की, जिसमें 285 लोग मारे गए थे। |
चक्रवात हुदहुद | 2014 | चक्रवात हुदहुद एक भारी ट्रॉपिकल चक्रवात था, जिसने आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में तबाही मचाई थी। ओडिशा के साथ विशाखापट्टनम या विजाग ज्यादातर हुदहुद द्वारा उभारा गया था। इसमें 124 लोगों से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। |
चक्रवात फैलिन | 2013 | चक्रवात फैलिन सबसे शक्तिशाली ट्रॉपिकल चक्रवात था। इस प्रणाली को पहली बार 4 अक्टूबर, 2013 को थाईलैंड की खाड़ी के भीतर, कंबोडिया में नोम पेन्ह के पश्चिम में एक ट्रॉपिकल अवसाद के रूप में देखा गया था। |
चक्रवात नीलम | 2012 | नीलम 2010 में साइक्लोन जल के बाद से दक्षिण भारत को तुरंत प्रभावित करने वाला सबसे खतरनाक ट्रॉपिकल चक्रवात था। इससे 75 लोगों की मौत हुई थी। |
चक्रवात थाइन | 2011 | चक्रवात थाइन ने 30 दिसंबर को तमिलनाडु में कुड्डालोर के ऊपर लैंडफॉल बनाया था जो हिंद महासागर में कहीं भी लैंडफॉल बनाने के लिए एक चक्रवात की सबसे उन्नत तिथि को इंगित करता है। |
चक्रवात लैला | 2010 | तूफान लैला ने भारी नुकसान किया और 65 लोग मारे गए थे। यह 20 वर्षों में प्री-मानसून सीजन के दौरान दक्षिण भारत में आने वाले पहले चक्रवात से बच गया था। |
चक्रवात फ्यान | 2009 | फ्यान 4 नवंबर, 2009 को श्रीलंका में कोलंबो के दक्षिण-पश्चिम में एक ट्रॉपिकल विक्षोभ के रूप में उभरा। इसने 7 नवंबर को दक्षिण भारत में दस्तक दी थी। |
चक्रवात ओडिशा | 1999 | ओडिशा चक्रवात उत्तरी हिंद महासागर में सबसे ऊर्जावान पंजीकृत ट्रॉपिकल साइक्लोन था यह 25 अक्टूबर को अंडमान सागर में एक ट्रॉपिकल अवसाद में बदल गया। इसके विनाश से 15,000 मौतें हुई थी। यह भारत का सबसे बड़ा चक्रवात था जिसमें बहुत जान-माल का नुकसान हुआ था। |
कौन रखता है चक्रवातों के नाम
2000 में, विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने उत्तर हिंद महासागर के बेसिन पर चक्रवातों के लिए नामों की सूची असाइन की थी। यह महासागर बेसिन के आसपास के देशों द्वारा सुझाए गए नामों की सूची का उपयोग करते हैं। प्रारंभ में, भारत ने चक्रवातों के नाम रखने के लिए बाकि देशों से आरक्षण रखने के लिए अपील की थी।
FAQs
चक्रवात के कुछ प्रकार नीचे दिए गए हैं:
ध्रुवीय चक्रवात
ध्रुवीय कम
अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय चक्रवात
अन्त: उष्णकटिबंधीय
उष्णकटिबंधीय
मसोस्केल
ट्रॉपिकल चक्रवात एक तूफान प्रणाली है जो एक विशाल निम्न दबाव केंद्र और भारी तड़ित-झंझावातों द्वारा चरितार्थ होती है और जो तीव्र हवाओं और घनघोर वर्षा को उत्पन्न करती है। उष्णकटिबंधीय चक्रवात की उत्पत्ति तब होती है जब नम हवा के ऊपर उठने से गर्मी पैदा होती है, जिसके फलस्वरूप नम हवा में निहित जलवाष्प का संघनन होता है।
फ्लोरिडा के तट से उठने वाला तूफान हरिकेन कहलाता है जबकि फिलीपींस के तट पर आकर यह टाइफून हो जाता है। हरिकेन अटलांटिक महासागर से उठता है और टाइफून प्रशांत से। हरिकेन और टाइफून जलीय तूफान है जो पानी की सतह से उठते हैं, वहीं दूसरी ओर टोरनेडो जमीन पर उठने वाले तूफान को कहते हैं।
चक्रवात को विश्व के विभिन्न भागों में भिन्न-भिन्न नाम से जाना जाता है। अमेरिकी महाद्वीप में इसे हरिकेन कहते हैं।
हम आशा करते हैं कि अब आप चक्रवात के बारे में जान गए होंगे। यह ब्लॉग अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर शेयर करें। ऐसे ही अन्य रोचक, ज्ञानवर्धक और आकर्षक ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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धन्यवाद! आप ने बहुत ही महत्वपूर्ण और अनमोल जानकारी लिखी है। इसे पढ़कर इस विषय में मेरा ज्ञान और भी बढ़ गया है।
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आपका शुक्रिया। ऐसे ही हमारी https://leverageedu.com/ पर बने रहिये।
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