भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। यहां सभी धर्मो के त्योहार बड़ी धूम-धाम से मनाये जाते है उन्हीं में से एक है । ओणम किसी भी देश की बौद्धिक उन्नति वहां के पर्वों के माध्यम से लगाया जा सकता है।हर धर्म में त्योहारों का विशेष महत्व होता है। त्योहार यह मानव संस्कृति के दर्पण होते है। सनातन संस्कृति के त्योहार सिर्फ धर्म विशेष के लोगों के लिए नहीं वरन समूचे मानव समाज को दिशा दिखाने के लिए आते हैं।ओणम त्योहार भी सनातन संस्कृति के उन्हीं चिन्हों में से एक हैं जो लोगों को सामाजिक उत्साह के साथ बौद्धिक तथा आध्यात्मिक ज्ञान देने आता है। तो चलिए जानते हैं ओणम के बारे में।
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ओणम त्यौहार क्या है?
ओणम केरल का त्योहार है। आमतौर पर हर साल अगस्त और सितंबर के महीने में आता है। ओणम को थिरुवोणम का त्योहार भी कहा जाता है । यह एक फसल उत्सव भी है, और मलयालम कैलेंडर के अनुसार 22 वें नक्षत्र पर आता है। ओणम त्यौहार मलयालम लोगों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। ओणम का उत्सव केरल की परंपराओं और संस्कृति को सबसे अनोखे तरीके से दर्शाता है। केरल में ओणम त्योहार हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण महत्व रखता है, लेकिन इस अवसर का हर धर्म द्वारा आनंद लिया जाता है।
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ओणम त्यौहार के बारे में इतिहास
ऐसा माना जाता है के संगम काल में ओणम का त्यौहार एक महीने के लिए मनाया जाता था। यह त्योहार पाताल के असुर राजा महाबली की वार्षिक यात्रा के आगमन के उपलक्ष्य में मनाया गया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, केरल पर राक्षस राजा महाबली का शासन था । उनकी बढ़ती लोकप्रियता को देख कर देवताओं को खतरा महसूस होन लगगा। इस समस्या के समाधान के लिये वे मदद मांगने के लिए भगवान विष्णु के पास आए।
- भगवान विष्णु मदद के लिए तैयार हो भगवान विष्णु ने एक गरीब ब्राह्मण के रूप में खुद को प्रच्छन्न किया।
- एक दिन भवान विष्णु ब्राह्मण के अवतार में राक्षस राजा महाबली के राज्य में गय ।
- ब्राह्मण ने राजा महाबली को तीन कदम जमीन देने को कहा, एक दयालु और परोपकारी व्यक्ति होने के नाते, राजा महाबली ने अपनी जमीन देने के लिए त्यार हो गया।
- जल्द ही ब्राह्मण आकार में बढ़ने लगे और उनका पहला और दूसरा कदम आकाश और पृथ्वी को ढंक गया।
- जैसे ही ब्राह्मण तीसरा कदम उठाने वाला था, राक्षस राजा ने कदम बढ़ाया और उसे अपने सिर पर अपना अंतिम चरण रखने के लिए कहा, जो उसे पाताल तक ले गया। इस कारण राजा का सब कुछ चला गया ।
हालाँकि महाबली के अच्छे कामों के लिए, भगवान विष्णु ने उसे वरदान दिया कि वह सालाना अपने लोगों से मिल सकता है, जिसके कारण भारत में ओणम त्योहार मनाया जाता था।
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कब मनाया जाता है ओणम पर्व?
ओणम का त्यौहार मलयालम सोलर कैलेंडर के अनुसार चिंगम महीने में मनाया जाता है। यह मलयालम कैलेंडर का पहला महिना होता है, जो ज्यादातर अगस्त-सितम्बर महीने के समय में ही आता है। दुसरे सोलर कैलेंडर के अनुसार इसे महीने को सिम्हा महिना भी कहते है, जबकि तमिल कैलेंडर के अनुसार इसे अवनी माह कहा जाता है। जब थिरुवोनम नक्षत्र चिंगम महीने में आता है, उस दिन ओणम का त्यौहार मनाया जाता है। थिरुवोनम नक्षत्र को हिन्दू कैलेंडर के अनुसार श्रवना कहते है।
इस बार सन 2021 में ओणम 12 अगस्त से शुरू होकर 23 अगस्त तक चलेगा। ओणम त्यौहार में थिरुवोनम दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है, जो 23 सितम्बर को है।
थिरुवोनम नक्षत्र तिथि शुरू सुबह 06:48,
थिरुवोनम नक्षत्र तिथि ख़त्म सुबह 09:49
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ओणम त्यौहार के 10 दिन
दिन | महत्व |
अथं | पहला दिन होता है, जब राजा महाबली पाताल से केरल जाने की तैयारी करते है। |
चिथिरा | फूलों का कालीन जिसे पूक्क्लम कहते है, बनाना शुरू करते है। |
चोधी | पूक्क्लम में 4-5 तरह के फूलों से अगली लेयर बनाते है |
विशाकम | इस दिन से तरह तरह की प्रतियोगितायें शुरू हो जाती है |
अनिज्हम | नाव की रेस की तैयारी होती है। |
थ्रिकेता | छुट्टियाँ शुरू हो जाती है। |
मूलम | मंदिरों में स्पेशल पूजा शुरू हो जाती है। |
पूरादम | महाबली और वामन की प्रतिमा घर में स्थापित की जाती है। |
उठ्रादोम | इस दिन महाबली केरल में प्रवेश करते है। |
थिरुवोनम | मुख्य त्यौहार |
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ओणम मनाने का तरीका
- ओणम त्यौहार की मुख्य धूम कोच्ची के थ्रिक्कारा मंदिर में रहती है। इस मंदिर में ओणम के पर्व पर विशेष आयोजन होता है, जिसे देखने देश विदेश से वहां लोग पहुँचते है।
- इस मंदिर में पुरे दस दिन एक भव्य आयोजन होता है, नाच गाना, पूजा आरती, मेला, शोपिंग यहाँ की विशेषताएं है।
- इस जगह पर तरह तरह की प्रतियोगिताएं भी होती है, जिसमें लोग बढचढ कर हिस्सा लेते है।
- ओणम के दस दिन के त्यौहार में पहले दिन अन्थं होता है, जिस दिन से ओणम की तैयारियां चारों ओर शुरू हो जाती है। ओणम के लिए घर की साफ सफाई चालू हो जाती है, बाजार मुख्य रूप से सज जाते है। चारों तरफ त्यौहार का मौहोल बन जाता है।
- पूक्कालम फूलों का कालीन विशेष रूप से ओणम में तैयार किया जाता है। इसे कई तरह के फूलों से तैयार किया जाता है। अन्थं से थिरुवोनम दिन तक इसे बनाया जाता है।
- ओणम के दौरान पूक्कालम बनाने की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती है।
- मार्किट में किसानों के लिए विशेष सेल लगाई जाती है, इसके साथ ही कपड़ो, गहनों के भी मार्किट लगाये जाते है।
- नाव की रेस (Snake boat race) जिसे वल्लाम्काली कहते है, उसकी तैयारी जोरों शोरों से होती है।
- इस रेस का आयोजन ओणम के बाद होता है। इस नाव की रेस का आयोजन भारत के सिर्फ इस हिस्से में होता है, जो पुरे विश्व में प्रसिध्य है।
- ओणम त्यौहार के समय छुट्टी भी होती है, जिससे लोग अपने अपने होमटाउन, अपने लोगों के साथ इस त्यौहार को मनाने के लिए जाते है।
- आठवें दिन, जिसे पूरादम कहते है, महाबली एवं वामन की प्रतिमा को साफ़ करके, अच्छे से सजाकर घर एवं मंदिर में प्रतिष्ठित किया जाता है।
- आखिरी दसवें थिरुवोनम के दिन चावल के घोल से घर के बाहर सजाया जाता है, जल्दी लोग नहाधोकर तैयार हो जाते है। घर को अच्छे से लाइट के द्वारा सजाया जाता है।
- ओणम त्यौहार में नए कपड़े खरीदने एवं उसे पहनने का विशेष महत्व होता है। इसे ओनाक्कोदी कहते है।
- जैसे महाबली दानवीर थे, इसलिए इस त्यौहार में दान का विशेष महत्व होता है।
- लोग तरह तरह की वस्तुएं गरीबों एवं दानवीरों को दान करते है।
- ओणम के आखिरी दिन बनाये जाये वाले पकवानों को ओणम सद्या कहते है। इसमें 26 तरह के पकवान बनाये जाती है, जिसे केले के पत्ते पर परोसा जाता है।
- ओणम के दौरान केरल के लोक नृत्य को भी वहां देखा जा सकता है, इसका आयोजन भी वहां मुख्य होता है।
- थिरुवातिराकाली, कुम्मात्तिकाली, कत्थककली, पुलिकाली आदि का विशेष आयोजन होता है।
- वैसे तो ओणम का त्यौहार दसवें दिन ख़त्म हो जाता है, लेकिन कुछ लोग इसे आगे दो दिन और मनाते है। जिसे तीसरा एवं चौथा ओणम कहते है।
- इस दौरान वामन एवं महाबली की प्रतिमा को पवित्र नदी में विसर्जित किया जाता है। पूक्कालम को भी इस दिन हटाकर, साफ कर देते है।
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क्या खास होता है?
- कई पकवान बनाए जाते हैं
- बच्चों को ओणम पर नए कपड़े मिलते हैं
- मंदिरों में लोग दूर दूर से दर्शन करने पहुंचते हैं
- केले के पत्ते पर सब लोग मिल कर भोजन करते हैं
अगर आप भी केरल घूमने की सोच रहे हैं तो ओणम के वक्त जाइये और इस त्योहार की गरिमा को पास से महसूस कीजिये।
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केरल के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य
1: हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, केरल भगवान परशुराम द्वारा बनाया गया था, जो भगवान विष्णु के अवतार थे और अपने भक्तों को शांति से रहने के लिए नई भूमि बनाने के लिए समुद्र के पार अपना कुल्हाड़ा फेंक दिया था । तो, केरेला भगवान की अपनी रचना है, इसलिए इसे भगवान का अपना देश कहा जाता है।
2: केरल को सिक्किम के साथ भारत का सबसे स्वच्छ राज्य कहा जाता है। हर गाँव में अस्पताल और बैंक होने वाले एकमात्र राज्य। सबसे स्वच्छ राज्य होने के साथ-साथ यह हर कोने में आवश्यक सुविधाएं भी प्रदान करता है। केरल एकमात्र ऐसा राज्य है जिसने अपने दूरस्थ स्थानों में बैंकिंग सुविधाएं और अस्पताल उपलब्ध करवाए हैं, जिससे उसका समग्र विकास हो रहा है।
3: केरल को भारत में बारिश का पहला मंत्र मिलता है। जबकि बाकी देश जुलाई में बारिश का अनुभव करते हैं।
4: केरल को उपचार पद्धति के रूप में आयुर्वेद का उपयोग करने के लिए अग्रणी के लिए जाना जाता है।
5: एकमात्र भारतीय राज्यों में एक महिला – से – पुरुष अनुपात 0।99 से अधिक है। केरल में 1।084 की दर के साथ प्रति 1000 पुरुषों पर 1084 महिलाएं हैं जो कि राष्ट्रीय स्तर 0।940 से अधिक है।
6: भारत दुनिया का 4th सबसे बड़ा रबर उत्पादक देश है। केरल देश में कुल रबर का 90% से अधिक उत्पादन करता है।
7: केरल में हाथी अपने रखवाले और राज्य के लोगों के साथ एक विशेष बंधन साझा करते हैं। हाथी सभी धार्मिक जुलूसों और त्यौहारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
8: केरल जनवरी 2016 में पहला राज्य बना, जिसने अपने साक्षरता कार्यक्रम अथुलियम के माध्यम से 100% प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की।
9: केरल अपने मसालों के लिए प्रसिद्ध है और इसलिए भारत के स्पाइस कोस्ट के रूप में लोकप्रिय है।
10: एकमात्र राज्य जिसमें सबसे अधिक त्योहार मनाए जा रहे हैं।
आशा करते हैं कि आपको ओणम का ब्लॉग अच्छा लगा होगा। ओणम की बहुत-बहुत शुभकामनायें इस ब्लॉग को जयादा से ज्यादा शेयर कीजिये ताकि ओणम मनाये जाने का कारण और इतिहास विस्तार से जान सके। हमारे Leverage Edu में आपको ऐसे कई प्रकार के ब्लॉग मिलेंगे जहां आप अलग-अलग विषय की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं ।