Kayik Pravardhan Kya Hai: कायिक प्रवर्धन क्या है?

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Kayik Pravardhan Kya Hai
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पौधों में बीजों के अतिरिक्त किसी अन्य कायिक भाग से नए पौधे का जन्म कायिक प्रवर्धन (Vegetative Propagation) कहलाता है। 

कायिक प्रवर्धन किसे कहते हैं?

अलैंगिक जनन की वह विधि जिसमें जड़, तना व पत्ती आदि के माध्यम से नए पौधें का विकास किया जाता है, कायिक जनन या कायिक प्रवर्धन (Vegetative Propagation) कहलाता है। सरल शब्दों में कहें तो कायिक प्रवर्धन वह प्रक्रिया है जिसमें दो अलग-अलग पौधों की शारीरिक (कायिक) कोशिकाओं को मिलाकर एक नई संकर (हाइब्रिड) कोशिका बनाई जाती है। 

कायिक प्रवर्धन से लाभ 

कायिक प्रवर्धन के लाभ इस प्रकार हैं;-

  • इस विधि द्वारा नए पौधे कम समय में उत्पन्न किए जा सकते हैं। पुष्प, बीज व फल बनने तथा अंकुरण के लिए अनुकूल परिस्थितियों की प्रतीक्षा करने में समय व्यर्थ नहीं होता। 
  • कायिक प्रवर्धन द्वारा पौधों की निम्न जातियों से उत्तम जातियों का विकास किया जाता है। 
  • अंगूर, केला और गन्ना आदि में बीज कठिनता से एवं देर से बनते हैं। अंतः इन पौधों की उत्पति कायिक प्रवर्धन द्वारा ही होती है। 
  • लैंगिक प्रजनन की भांति पौधों को इस विधि में बाह्य साधनों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। 
  • कायिक प्रवर्धन द्वारा पौधों की संख्या में वृद्धि तेजी से की जा सकती है। 

कायिक प्रवर्धन से हानियां 

कायिक प्रवर्धन के हानियां इस प्रकार हैं;-

  • कायिक प्रवर्धन द्वारा नए पौधे दूर-दूर तक फैल नहीं पाते तथा मातृ पौधे के समीप इकट्ठे हो जाते हैं। अंतः उन्हें भोजन, जल तथा वायु पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाते और इनकी वृद्धि ठीक से नहीं हो पाती। 
  • इस विधि द्वारा पौधों की नई जातियां उत्पन्न नहीं की जा सकती। 
  • इस प्रकार उत्पन्न पौधों में किसी भिन्नता की संभावना नहीं रहती। 

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