NCERT कक्षा 10 की टेक्स्टबुक कृतिका भाग 2 में साना साना हाथ जोड़ि पाठ हिंदी के सबसे महत्वपूर्ण पाठों में से एक है। साना साना हाथ जोड़ि की लेखिका मधु कांकरिया है और जिन्होंने इसमें अपने यात्रा वृतांत के बारे में बताया है। साना-साना हाथ जोड़ि के टेक्स्टबुक के प्रश्न, साना साना हाथ जोड़ि पाठ का सारांश कठिन शब्दों के अर्थो के साथ इस ब्लॉग में दिए गए हैं । हमें आशा है, साना साना हाथ जोड़ि पाठ की पूरी जानकारी इस ब्लॉग को पूरा पढ़ने पर आपको मिल जाएगी। तो आइए देखें लेखिका ने किस यात्रा वृतांत का साना साना हाथ जोड़ि पाठ में वर्णन किया है।
बोर्ड | CBSE |
टेक्स्टबुक | NCERT |
कक्षा | कक्षा 10 |
विषय | हिंदी कृतिका |
पाठ संख्या | पाठ 3 |
पाठ का नाम | साना-साना हाथ जोड़ि |
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UPSC Motivational Quotes in Hindi
लेखक परिचय
साना-साना हाथ जोड़ि को मशहूर लेखिका मधु कांकरिया जी ने लिखा है। इनका जन्म 23 मार्च 1957 को कलकत्ता में हुआ था। इन्होंने कलकत्ता यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स ऑनर्स की पढ़ाई की है। इन्होंने कई बहुत सुन्दर यात्रा-वृत्तांत भी लिखे हैं। इनकी रचनाओं में विचार और संवेदना की नवीनता तथा समाज में व्याप्त अनेक ज्वलंत समस्याएं जैसे संस्कृति, महानगर की घुटन और असुरक्षा के बीच युवाओं में बढ़ती नशे की आदत, लालबत्ती इलाकों की पीड़ा नारी अभिव्यक्ति उनकी रचनाओं के विषय रहे हैं। मधु जी ने कई नोवेल्स के साथ-साथ एक TV धारावाहिक भी लिखा है।
पाठ का सारांश
साना साना हाथ जोड़ि की लेखिका मधु कांकरिया जी ने अपने यात्रा वृतांत के बारे में इसमें बताया है। यह यात्रा सिक्किम की राजधानी गंगटोक और यूथनांक के बीच थी। लेखिका जब इस शहर में उतरी वह हैरान हो गई। उनका हैरान होने का कारण सितारों की झिलमिलाहट में जगमगाता इतिहास और वर्तमान के संधि स्थल पर खड़ा मेहनतकश बादशाहों का शहर गंतोक की सुंदरता थी।
इस सुंदरता ने लेखिका के मन में भीतर-बाहर शून्य स्थापित कर दिया था। उन्होंने इस यात्रा के दौरान एक नेपाली युवती से प्रार्थना के बोल “साना-साना हाथ जोड़ि गर्दहु प्रार्थना” सीखें जिसका अर्थ था छोटे-छोटे हाथ जोड़कर प्रार्थना कर रही हूं कि मेरा सारा जीवन अच्छाइयों को समर्पित हो। लेखिका ने अगले दिन यूथनांक जाने का निश्चय किया था। जैसे प्रातःकाल में उनकी नींद खुली वह बालकनी की ओर दौड़ी क्योंकि वहां के लोगों ने उन्हें बताया था कि मौसम साफ होने पर कंचनजंघा साफ दिखाई देती है। कंचनजंगा तू ना दिखे परंतु इतने सारे फूल देखे कि वह लिखती हैं “मानो ऐसा लगा कि फूलों के बाग में आ गई हूं।” यूथनांक जोकि गंगटोक से 149 किलोमीटर की दूरी पर था वहां जाने के लिए ड्राइवर कम गाइड जितेन नार्गे के साथ निकलती हैं।
लेखिका जब आ रही थी तब उन्हें गदराए पाईन, नुकीले पेड़, पहाड़ दिखे इसके साथ ही दिखी सफेद बौद्ध पताकाएं जोकि शांति व अहिंसा के प्रतीक होती हैं और बुध की मान्यता के अनुसार जब किसी बुद्धिस्ट की मृत्यु होती है तब 108 श्वेत पताकाएं लहराई जाती है जिन पर मंत्र लिखे होते हैं। कई बार नए कार्य के प्रारंभ में भी पताकाएं फहरा दी जाती है परंतु वह रंगीन होती है। अब गाइड नार्गे के साथ लेखिका की जीप उस जगह पहुंची जहां गाइड फिल्म की शूटिंग हुई थी यह की जगह- कवी लॉन्ग स्टॉक। उन्हीं रास्तों के भीतर लेखिका मधु जी की एक कुटिया की तरफ नजर पड़ी जहां उन्होंने धर्म चक्र को घूमते देखा।
इस प्रेयर व्हील के बारे में नार्वे ने बताया कि इसको घुमाने से पाप धुल जाते हैं ऐसा माना जाता है। अब पर्वतों, घाटियों, नदियों की सुंदरता से आगे बढ़कर लेखिका ने फेन उगलता झरना देखा जिसका नाम- सेवेन सिस्टर्स वॉटरफॉल था। लेखिका लिखती है- पहली बार एहसास हुआ…. जीवन का आनंद है यही चलायमान सौंदर्य। वहां उन्होंने पहाड़ तोड़ती तथा बच्चे को पीठ पर बांधकर पत्ते बीनती महिलाओं को देखा। वापस लौटते समय भी जीप में नॉर्वे ने कई जानकारियां दी। उसने गुरु नानक के फुटप्रिंट और खेदुम एक पवित्र स्थल के बारे में बताया। तभी लेखिका ने कहा गंगटोक बहुत सुंदर है तब नार्गे ने कहा मैडम गंतोक कहिए जिसका अर्थ पहाड़ होता है।
साना-साना हाथ जोड़ि पाठ के कठिन शब्दार्थ
साना-साना हाथ जोड़ि पाठ के कठिन शब्दार्थ नीचे दिए गए हैं-
- अतीन्द्रियता- इंद्रियों से परे
- उजास- प्रकाश,उजाला
- रकम-रकम के- तरह-तरह के
- रफ्ता-रफ्ता – धीरे-धीरे
- शिद्दत- तीव्रता, प्रबलता, अधिकता
- मुंडकी- सिर
- मशगूल- व्यस्त
- अभिशप्त- शापित अभियुक्त
- सरहदों- सीमा
- तामसिकताएं- तमोगुण से युक्त, कुटिल
- वासनाएं- बुरी इच्छाएं
- सयानी- समझदार
- जन्नत– स्वर्ग
- वजूद- अस्तित्व
- युवती- महिला
- पीठ- कमर
- श्वेत- सफ़ेद
- पताकाएं- झंडा
- कुटिया- झोपड़ी
साना-साना हाथ जोड़ि की PDF
क्षितिज पाठ्य पुस्तक के साना-साना हाथ जोड़ि पाठ के प्रश्न उत्तर
उत्तर- झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक लेखिका के हृदय को सम्मोहित कर रहा था। गंतोक शहर के झिलमिलाते हुए सितारे रोशनी की एक झालर सी बना रहे थे। इतिहास और वर्तमान के संधि स्थल पर खड़ा मेहनतकश बादशाहों का शहर गंतोक की सुबह शाम रात सब कुछ बहुत सुंदर थी। लेखिका कहती है कि मानो ऐसा लग रहा था कि कुछ जादू सा हो रहा है सब कुछ अर्थहीन सा लग रहा था मेरी चेतना और आसपास का वातावरण इतना सुंदर था कि उनके भीतर सिर्फ शून्य था। सिर्फ झिलमिलाते सितारों की रोशनी मन मोह रही थी।
उत्तर- गंतोक को मेहनतकश भाषाओं का शहर कहा गया क्योंकि गंतोक शहर के लोग मेहनती होते हैं। पुरुषों के अलावा महिलाएं भी कई मेहनती काम करती है। इस पर्वतीय प्रदेश में मानों ठंड की लहरों के साथ मेहनत की धुंध भी उड़ती है। गंतोक शहर की सुबह शाम रात अति सुंदर थी।
उत्तर- श्वेत पताकाओं पर मंत्र लिखे होते हैं जो शांति और अहिंसा के प्रतीक होते हैं। बुद्धि की मान्यता के अनुसार जब किसी बुद्धिस्ट की मृत्यु होती है तो उसकी आत्मा की शांति के लिए शहर से दूर किसी भी पवित्र स्थान पर 108 श्वेत पताकाएं फहरा दी जाती हैं। इन्हें उतारने की जरूरत नहीं होती है यह धीरे-धीरे अपने आप नष्ट हो जाती है और कई बार नए कार्य की शुरुआत में भी यह पताकाएं लगा दी जाती है पर वे रंगीन होती हैं।
उत्तर- जितेन नार्गे ड्राइवर कम गाइड ने सिक्किम की प्रकृति, वहाँ की भौगोलिक स्थिति एवं जनजीवन के बारे में निम्नलिखित महत्वपूर्ण जानकारियाँ भली-भांति दीं-
1. फूलों और फूलों के बाद के बारे में
2. श्वेत पताकाओं पर मंत्र लिखे होते हैं जो शांति और अहिंसा के प्रतीक होते हैं।
3. बुद्ध की मान्यता के अनुसार जब किसी बुद्धिस्ट की मृत्यु होती है तो उसकी आत्मा की शांति के लिए शहर से दूर किसी भी पवित्र स्थान पर 108 श्वेत पताकाएं फहरा दी जाती हैं।
4. नए कार्य की शुरुआत में भी यह पताकाएं लगा दी जाती है पर वे रंगीन होती हैं।
5. खेदुम में पवित्र स्थल के बारे में बताया जहां पर यह मान्यता है कि जो यहां गंदगी करता है उसकी मौत हो जाती है।
6. उसने गुरु नानक के फुटप्रिंट के बारे में बताया
7. नार्गे ने धर्म चक्र अर्थात प्रेयर व्हील के बारे में बताया कि इसको घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं।
8. उसने कई पहाड़ी इलाकों के बारे में बताया
9. यूमथांग की पहाड़ियों के बारे में बताते हुए कहा कि 15 दिन में यहां फूलों से घाटियां भर जाएंगी और देखने पर ऐसा लगेगा मानो फूलों की सेज लगी हो।
10. कवी लोंग स्टॉक स्थान जहां गाइड फिल्म की शूटिंग हुई थी के बारे में बताया
12. लेखिका को उसने सेवन सिस्टर वाटरफॉल दिखाया।
उत्तर-लोंग स्टॉक में घूमते वक्त जब उन्होंने धर्म चक्र यानी प्रेयर व्हील को देखा तो लेखिका को पूरे भारत की आत्मा एक-सी दिखाई दी क्योंकि बौद्धिक मान्यता के अनुसार धर्म चक्र को घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं ऐसा माना जाता है ठीक इसी प्रकार गंगा नदी को भी पवित्र नदियों में से एक माना जाता है और मान्यता के अनुसार यह कहा जाता है कि गंगा नदी में स्नान करने पर मानव प्रजाति के सभी पाप धुल जाते हैं। यही सोचकर लेखिका ऐसा कहती है।
उत्तर- ड्राइवर कम गाइड जितेन नोर्गे एक कुशल गाइड था। जितेन नार्गे को नेपाल और सिक्किम की भौगोलिक स्थिति एवं जनजीवन के बारे भली-भांति सब पता था। वह लेखिका को हर जगह के बारे में जानकारी दे रहा था। वह वहां से सुपरिचित था। जितेन नार्गे के अंदर कुशल गाइड के गुण थे-
1. एक कुशल गाइड में उसी स्थान की भौगोलिक स्थिति एवं जन जीवन के बारे में भली-भांति पता होना चाहिए जो कि नॉर्वे में थी।
2. नॉर्वे में गाइड तथा ड्राइवर दोनों के गुण थे चूंकि ड्राइवर का काम अत्यधिक घूमने का होता है तो उसे हर जगह के बारे में अच्छे से पता था।
3. एक कुशल गाइड के पास सैलानियों को अपनी बातों की ओर आकर्षित करने का गुण होता है जिससे जीप में बैठे सैलानी को बोरियत महसूस नहीं होती थी।
4. वह पर्यटकों में इतना घुल-मिल जाता है कि पर्यटक उससे उस जगह के बारे में कुछ भी पूछ सकते हैं।
उत्तर- इस यात्रा वृतांत में लेखिका ने हिमालय के अलग-अलग रूपों के बारे में बताया। कहीं बड़े बड़े पहाड़ के रूप में हिमालय दिख रहा था तो कहीं छोटी-छोटी घाटियों के रूप में हिमालय की ओर जाते वक्त कहीं घुमावदार सड़के थी जो जलेबी सी लग रही थी। यह पर्वत शिखर बहुत ही मनोहर लग रहे थे।
उत्तर- एकदम मौन, किसी ऋषि की तरह शांत होकर वह सारे परिदृश्य को अपने भीतर समेट लेना चाहती थी। वह वहां की सुंदरता को देखकर मानों जैसे सम्मोहित हो गई थी। वहां की सुंदरता ने उनका मन प्रफुल्लित कर दिया था। वहां के फूलों की वादियां उनके मन को महका रही थी। झरने से गिरता पानी उनके मन में हिचकोले उत्पन्न कर रहा था।
उत्तर- प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका का मन झकझोर उठा जब उन्होंने पत्थर तोड़ती, सुंदर कोमलांगी पहाड़ी औरतों को देखा लेखिका ने देखा कि कुछ पहाड़ी औरतें पहाड़ों को तोड़ रही थी यह बहुत जोखिम भरा कार्य था क्योंकि इन्हें कई बार डायनामाइट से भी तोड़ा जाता है और वहीं पर यह महिलाएं काम करती हैं। उनके हाथों में हथौड़े कुदाल देखकर मानो ऐसा लगा जैसे मेरा मन झकझोर उठा हो ऐसा लेखिका ने कहा। वहीं दूसरी ओर पीठ पर डोको (बड़ी टोकरी) में उनके बच्चे भी बँधे थे, वह पत्ते बीन रही थी। जहां इतना सौंदर्य का प्रतिरूप था वही भूख,प्यास और आजीविका के लिए लड़ाई चल रही थी।
उत्तर- सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव कराने में निम्न लोगों का योगदान है-
1. वे सरकारी लोग जो व्यवस्था को बनाए रखते हैं।
2. स्थानीय गाइड जो सैलानियों को सारी जानकारी देते हैं।
3. वहाँ के स्थानीय लोग जो सैलानियों के साथ रुचि से बातें करते हैं।
4. सहयोगी यात्री जो यात्रा में एक-दूसरे को बोर नहीं होने देते हैं।
उत्तर- किसी भी आम जनता की देश की आर्थिक प्रगति में अप्रत्यक्ष रूप से योगदान देते हैं। यह आम जनता कई रूपों में होती है जैसे-फेरीवाले, मजदूर वर्ग, कृषि कार्य में जुटे लोग आदि। लेखिका ने यूमथांग मैं यात्रा करते समय पहाड़ी औरतों को देखा जो पहाड़ों को तोड़कर सड़कें बनाने में मेहनत कर रही थी। सड़कें बन जाने पर यहां के पर्यटकों में वृद्धि होगी जिससे देश की आर्थिक स्थिति में प्रगति होगी। अतः इस प्रकार विभिन्न वर्गों के लोग देश की आर्थिक प्रगति में योगदान देते हैं।
उत्तर- प्रकृति के साथ खिलवाड़ करने के क्रम में आज पहाड़ों पर प्रकृति की शोभा को नष्ट किया जा रहा है। वृक्षों को काटकर पर्वतों को नंगा किया जा रहा है। शुद्ध, पवित्र नदियों को विविध प्रकार से प्रदूषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। नगरों का, फैक्ट्रियों का गंदा पानी पवित्र नदियों में छोड़ा जा रहा है। सुख-सुविधा के नाम पर पॉलिथीन का अधिक प्रयोग और वाहनों के द्वारा प्रतिदिन छोड़ा धुंआ पर्यावरण के संतुलन को बिगाड़ रहा है। इस तरह प्रकृति का आक्रोश बढ़ रहा है, मौसम में परिवर्तन आ रहा है। ग्लेशियर पिघल रहे हैं।इसे रोकने में भूमिका-
1. वृक्षों को ना काटे ना ही काटने दे
2. वृक्षारोपण करें
3. वाहनों का उपयोग कम करें
4. प्रदूषण को कम करने के उपाय देखें
5. पॉलीथिन का उपयोग ना करें
6. रासायनिक उर्वरकों का उपयोग ना करें
उत्तर- लेखिका लायुग में स्नोफॉल देखने के लिए बेसब्र थी लेकिन यह बेसब्री तब तो उठ गई जब एक सिक्किम युवक ने स्नोफॉल ना होने का कारण प्रदूषण को बताया। और यह कहा कि अतः आपको 500 मीटर ऊपर कटाओ’ में ही बर्फ देखने को मिल सकेगी। प्रदूषण के कारण स्नोफॉल तो कम हो ही रहा है इसी के साथ- साथ नदियों में जल-प्रवाह की मात्रा कम होती जा रही है जिससे पीने के पानी में कमी आ रही है। वायु प्रदूषण होने के कारण सांस की बीमारियां फैल रही हैं तथा सांस लेने में कठिनाइयां होती हैं। प्रदूषण के कई कारण है जिसके कारण हमारी प्रकृति को निरंतर नुकसान हो रहा है।
उत्तर- ‘कटाओ’ को अपनी स्वच्छता और सुंदरता के कारण हिंदुस्तान का स्विट्जरलैंड कहा जाता है। यह सुंदरता का बरकरार रहने का कारण यह है कि वहां पर कोई भी दुकान नहीं है और क्योंकि व्यवसायीकरण सुंदरता का कम होने का कारण है यदि वह भी यहां हो जाए तो यहां की सुंदरता धीरे-धीरे नष्ट हो जाएगी। अतः ‘कटाओ’ पर किसी भी दुकान का न होना उसके लिए वरदान है।
उत्तर- प्रकृति में जल संचय की व्यवस्था बहुत सुंदर है। सर्दियों में पहाड़ों पर गिरने वाली बर्फ, बर्फ के रूप में जल का संचय करती है।हिम-मंडित पर्वत-शिखर एक प्रकार के जल-स्तंभ हैं जो गर्मियों में पिघल कर करोड़ों लोगों की प्यास बुझाता है। सागर से जलवाष्प के बादल मैदानी भागों में वर्षा का कारण बनते हैं जो सिंचाई में मदद करती है।
उत्तर- देश की सीमा पर बैठे फौजी मौसम की मार को सहते हुए कई कठिनाइयों से जूझते हैं। वह अपने परिवार से दूर रहकर देश के लिए समर्पित रहते हैं। कड़ाके की ठंड में भी वह अपने उत्तरदायित्व को निभाते हैं और भीषण गर्मी में रेगिस्तान में रहते हुए कई सारी कठिनाइयों का सामना करते हैं। उनके प्रति हमारा दायित्व यह है कि हम उनका हमेशा सम्मान करें। और जैसे वह देश के लिए अपने प्राणों को त्यागने के लिए तैयार रहते हैं और हमारी रक्षा करते हैं उस ठीक उसी प्रकार हमें भी उनके परिवार का सम्मान और रक्षा करनी चाहिए। सैनिकों का सहयोग करना चाहिए और विभिन्न अवसरों पर उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए।
उत्तर- गंतोक से युमथांग जाते समय रास्ते के दोनों किनारों पर असीम सौंदर्य बिखरा था। इस सौंदर्य को देखकर अन्य सैलानी झूमने लगे और सुहाना सफ़र और ये मौसम हँसी…।’ गीत गाने लगे, पर लेखिका की प्रतिक्रिया इससे हटकर ही थी। वह किसी ऋषि की भाँति शांत होकर सारे परिदृश्य को अपने भीतर समेट लेना चाहती थी। वह कभी आसमान छूते पर्वत शिखरों को देखती तो कभी दूध की धार की तरह झर-झर गिरते जल प्रपातों को, तो कभी नीचे चिकने-चिकने गुलाबी पत्थरों के बीच इठलाकर बहती, चाँदी की तरह कौंध मारती तिस्ता नदी को। ऐसा सौंदर्य देखकर वह रोमांचित हो गई थी।
उत्तर: लेखिका ने देखा कि कोमल कायावाली औरतें हाथ में कुदाल और हथौड़े लिए भरपूर ताकत से पत्थरों पर मार रही थीं। इनमें से कुछ की पीठ पर बँधी डोको में उनके बच्चे भी बँधे थे। वे भूख से लड़ने के लिए मातृत्व और श्रम साधना साथ-साथ ढो रही थीं। ऐसा ही पलामू और गुमला के जंगलों में लेखिका ने देखा था कि आदिवासी युवतियाँ पीठ पर बच्चे को कपड़े से बाँधकर पत्तों की तलाश में वन-वन डोलती थीं। उनके पाँव फूले हुए थे और इधर पहाड़ी औरतों के हाथों में श्रम के कारण गाँठे पड गई थीं।
उत्तर- पहाड़ के निवासी परिश्रम करते हुए कठोर जीवन जीते हैं। उन्हें अपनी रोजी-रोटी के लिए इतना श्रम करना पड़ता है कि वहाँ कोई बर्बाला नहीं दिखता है। वहाँ की औरतें शाम तक गाएँ चराती हैं और लौटते समय लकड़ियों के भारी भरकम गट्ठर लादे आती हैं। बहुत-सी औरतें पहाड़ों को तोड़कर सड़क बनाने, उन्हें चौड़ा करने जैसे कठोर परिश्रम और खतरनाक कार्यों में लगी हैं। यहाँ के बच्चों को तीन-चार किलोमीटर दूर स्कूल जाना पड़ता है। वे लौटते समय लकड़ियों का गठ्ठर साथ लाते हैं।
उत्तर- ‘कवी-लोंग-स्टॉक’ के बारे में जितेन नार्गे ने लेखिका को यह बताया कि इसी स्थान पर ‘गाइड’ फ़िल्म की शूटिंग हुई थी। तिब्बत के चीस-खेबम्सन ने लेपचाओं के शोमेन से कुंजतेक के साथ संधि-पत्र पर यहीं हस्ताक्षर किए थे। यहाँ सिक्किम की दोनों स्थानीय जातियों लेपचा और भूटिया के बीच लंबे समय तक चले झगड़े के बाद शांतिवार्ता की शुरूआत संबंधी पत्थर स्मारक के रूप में मौजूद है।
साना साना हाथ जोड़ि के MCQs
यहां पर साना साना हाथ जोड़ी प्रश्न उत्तर दिए गए हैं।
(i) 146 कि.मी.
(ii) 148 कि.मी.
(iii) 149 कि.मी
(iv) 152 कि.मी.
उत्तर: iii
(i) देवी-देवताओं का
(ii) बड़े व्यापारियों का
(iii) असुरों का
(iv) शापग्रस्त लोगों का
उत्तर: i
(i) मनीपुर
(ii) मिजोरम
(iii) सिक्किम
(iv) मेघालय
उत्तर: iii
(i) अगरतला
(ii) गंगटोक
(iii) शिलॉन्ग
(iv) गुवाहटी
उत्तर: ii
(i) वृदांवन की सैर करना ।
(ii) वृदांवन में मन बस जाना
(iii) ब्रजवासी होना
(iv) अत्यधिक प्रसन्न होना –
उत्तर: iv
(i) माउंट एवरेस्ट
(ii) कंचनजंगा
(iii) अन्नपूर्णा
(iv) नंदा देवी
उत्तर: ii
(i) कटाव
(ii) लोंग स्टाॅक
(iii) खेदुम
(iv) भेटुला
उत्तर: ii
(i) हाँ मैं सिक्किमी हूँ
(ii) नही मैं बंगाली हूँ
(iii) मैं इंडियन हूँ
(iv) मैं गढ़वाली हूँ
उत्तर: iii
(i) तरह तरह के
(ii) पैसा
(iii) नमक
(iv) इनमे से कोई नहीं
उत्तर: i
(i) लाचुंग
(ii) लोंग स्टाॅक
(iii) खेदुम
(iv) भेटुला
उत्तर: i
(i) जितेन
(ii) महेश
(iii) मणि
(iv) गुरुंग
उत्तर: i
(i) तेनजिंग नोर्गे
(ii) एडमंड हिलेरी
(iii) जितेन नोर्गे
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: iii
(i) देवी-देवताओं का
(ii) बुजुर्गों का
(iii) असुरों का
(iv) नेताओं का
उत्तर: i
(i) जलाशय
(ii) चोटी
(iii) पहाड़
(iv) पठार
उत्तर: iii
(i) लाल
(ii) हरा
(iii) पीला
(iv) सफेद
उत्तर: iv
FAQs
उन्होंने इस यात्रा के दौरान एक नेपाली युवती से प्रार्थना के बोल “साना-साना हाथ जोड़ि गर्दहु प्रार्थना” सीखें जिसका अर्थ था छोटे-छोटे हाथ जोड़कर प्रार्थना कर रही हूं कि मेरा सारा जीवन अच्छाइयों को समर्पित हो।
उत्तर: साना साना हाथ जोड़ि की लेखिका मधु कांकरिया जी हैं।
कटाओ’ को भारत का स्विट्जरलैंड कहा जाता है। मणि जिसने स्विट्ज़रलैंड घुमा था ने कहा कि यह स्विट्जरलैंड से भी सुंदर है। कटाओ को अभी तक टूरिस्ट स्पॉट नहीं बनाया गया था, इसलिए यह अब तक अपने प्राकृतिक स्वरूप में था। लायुंग से कटाओ का सफ़र दो घंटे का था।
साना साना हाथ जोड़ि पाठ में लेखिका प्रकृति की अलौकिक घटना को देखकर सोचती है कि एक पल में ही ब्रह्माण्ड में सब कुछ कैसे घटित हो रहा है। प्रकृति अपने अद्भुत रूप और सौंदर्य को लिए नित्य प्रवाहमय है और इसमें चलता रहता है तिनक-सा मानव अस्तित्व।
दि किसी बुद्धिस्ट की मृत्यु होती है, तो उसकी आत्मा की शांति के लिए 108 श्वेत पताकाएँ फहराई जाती हैं। कई बार किसी नए कार्य के अवसर पर रंगीन पताकाएँ फहराई जाती हैं। इसलिए ये पताकाएँ, शोक व नए कार्य के शुभांरभ की ओर संकेत करती हैं।
साना साना हाथ जोड़ी का अर्थ है – छोटे छोटे हाथ जोड़कर प्रार्थना करती हूँ।
“साना साना हाथ जोड़ि” एक यात्रा वृतांत कहानी है।
लेखिका ने साना-साना हाथ जोड़ि प्रार्थना एक नेपाली युवती से सीखी थी।
आशा है कि इस ब्लॉग से आपको साना-साना हाथ जोड़ि 10 के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिली होगी। यदि आप विदेश में पढ़ाई करना चाहते हैं तो आज ही हमारे Leverage Edu एक्सपर्ट्स को 1800572000 पर कॉल करें और 30 मिनट का फ्री सेशन बुक करें।