Meera Ke Pad Class 11 Question Answer : जानिए मीरा के पद एवं उनके अर्थ, लेखक परिचय और प्रश्न उत्तर

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Meera Ke Pad Class 11 Question Answer

NCERT कक्षा 11 की हिंदी टेक्स्टबुक आरोह भाग 1 का पाठ मीरा के पद सबसे महत्वपूर्ण पाठों में से एक है। ‘मीरा के पद’ कविता की कवयित्री मीराबाई है जिन्होंने इस पाठ में प्रेम, भक्ति, स्त्री-पुरुष समानता, सामाजिक बुराइयों का विरोध, आत्म-त्याग, समर्पण, भाषा और शैली जैसे अनेक विषयों का वर्णन किया है। कक्षा 11 के विद्यार्थियों को इस पाठ की अच्छी समझ होनी चाहिए। इस कड़ी में यह लेख उन विद्यार्थियों के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस लेख में मीरा के पद एवं उनके अर्थ, लेखक परिचय और Meera Ke Pad Class 11 Question Answer के बारे में बताया जाएगा, जिसे जानने के लिए आपको ये लेख अंत तक पढ़ना होगा। 

उससे पहले Meera Ke Pad Class 11 Question Answer से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण जानकारी आप नीचे दिए गए तालिका में देख सकते हैं।

बोर्ड सीबीएसई बोर्ड
टेक्स्टबुक एनसीईआरटी
कक्षा 11 
विषयहिंदी (आरोह)
पाठ संख्या 10 
पाठ का नाम मीरा के पद 

लेखक परिचय

मीराबाई, एक महान भक्त कवियित्री थीं जिनके मन में भगवान कृष्ण की छवि इस तरह बस गयी थी कि किशोरावस्था से लेकर मृत्यु तक उनका मन भगवान कृष्ण के प्रति समर्पित रहा। जोधपुर के राठौड़ रतनसिंह जी की इकलौती पुत्री मीराबाई का जन्म सोलहवीं शताब्दी में हुआ था। बचपन से ही वह कृष्ण-भक्ति में रम गई थीं। मीराबाई का विवाह मेवाड़ के राजकुमार भोजराज से हुआ था। विवाह के बाद भी वह भगवान कृष्ण की भक्ति में ही लीन रहीं। उनका पूरा जीवन भगवान कृष्ण के प्रति अटूट प्रेम और भक्ति से समर्पित था। 

मीराबाई के पद एवं उनके अर्थ

मीराबाई के पद एवं उनके अर्थ निम्नलिखत है : 

1. मरे तो गिरिधर गोपाल, दूसरों न कोई

जा के सिर मोर-मुकुट, मेरो पति सोई

छाँड़ि दयी कुल की कानि, कहा करिहैं कोई?

संतन द्विग बैठि-बेठि, लोक-लाज खोयी

असुवन जल सींचि-सींचि, प्रेम-बलि बोयी

अब त बेलि फॅलि गायी, आणद-फल होयी

दूध की मथनियाँ बड़े प्रेम से विलायी

दधि मथि घृत काढ़ि लियों, डारि दयी छोयी

भगत देखि राजी हुयी, जगत देखि रोयी

दासि मीरा लाल गिरधर तारो अब मोही

पद का व्याख्या- 

इन पंक्तियों के माध्यम से मीराबाई यह कहना चाहती हैं कि श्री कृष्ण ही उनके लिए सब कुछ हैं। श्री कृष्ण के अलावा उनके जीवन में किसी दूसरे का कोई स्थान नहीं है। मोर मुकुट धारण करने वाले भगवान कृष्ण को ही मीराबाई अपना सबकुछ मानती है। मीराबाई ने कृष्ण जी के लिए अपने परिवार को भी त्याग दिया है। अब उन्हें किसी की परवाह नहीं है। संतन द्विग बैठि-बेठि यानी संतों के पास बैठकर मीराबाई ज्ञान प्राप्त करती है और इस प्रकार लोक-लाज भी खो दी है। उन्होंने अपने आँसुओं के जल से सींच-सींचकर प्रेम का बीज बोया है।  

अब वह प्रेम का बीज फल-फूल रहा है और उसमें आनंद रूपी फल लगने लगे हैं। मीराबाई कहती हैं कि उन्होंने भगवान के प्रेम में डूबकर प्रेम का मंथन किया है। उन्होंने प्रेम के मंथन से प्राप्त मक्खन को भगवान को अर्पित कर दिया है। मीराबाई प्रभु के भक्त को देखकर बहुत प्रसन्न होती हैं और संसार के लोगों को मोह-माया में लिप्त देखकर रोती हैं। मीराबाई स्वयं को भगवान कृष्ण की दासी बताती हैं और अपने उद्धार के लिए प्रार्थना करती हैं।

कठिन शब्द अर्थ सहित

गिरधर-पर्वत को धारण करने वाला यानी कृष्ण। 
मोर मुकुट-मोर के पंखों का बना मुकुट। 
सोई-वही। 
जा के-जिसके। 
छाँड़ि दयी-छोड़ दी। 
कुल की कानि-परिवार की मर्यादा। 
करिहै-करेगा। 
ढिग-पास। 
असुवन-आँसू। 
सींचि-सींचकर। 
मथनियाँ-मथानी। 
विलायी-मथी। 
काढ़ि लियो-निकाल लिया। 
डारि दयी-डाल दी।  
तारो-उद्धार। 
सारहीन अंश।

2. पग घुँघरू बांधि मीरां नाची,
मैं तो मेरे नारायण सूं, आपहि हो गई साची
लोग कहँ, मीरा भई बावरी, न्यात कहैं कुल-नासी
विस का प्याला राणी भेज्या, पवित मीरा हॉर्सी
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, सहज मिले अविनासी 

पद का व्याख्या

मीराबाई कहती हैं कि उन्होंने भगवान कृष्ण के प्रेम में पैरों में घुँघरू बांधकर नृत्य किया है। वे अब पूरी तरह से भगवान के प्रति समर्पित हो गयी हैं। मीराबाई के इस आचरण के कारण लोग उसे पागल और कुल का नाश करने वाली कह रहे हैं। कृष्ण के प्रति मीरा के इस प्रेम के कारण राणा ने उसे मारने के लिए विष का प्याला भेजा था लेकिन मीरा ने उस प्याले को हँसते हुए पी लिया। मीरा कहती हैं कि उनके प्रभु गिरधर अविनाशी हैं और वे सहज ही मिल जाते हैं।

कठिन शब्द अर्थ सहित

पग-पैर। 

नारायण-ईश्वर। 

आपहि-स्वयं ही। 

साची-सच्ची। 

भई-होना। 

बावरी-पागल। 

न्यात-परिवार के लोग। 

कुल-नासी-कुल का नाश करने वाली। 

विस-जहर। 

पीवत-पीती हुई। 

हाँसी-हँस दी।

नागर-चतुर। 

अविनासी-अमर।

पाठ्य पुस्तक के प्रश्न उत्तर

Meera Ke Pad Class 11 Question Answer निम्नलिखित है : 

प्रश्न : मीरा कृष्ण की उपासना किस रूप में करती हैं? वह रूप कैसा है?

उत्तर : मीरा कृष्ण की उपासना अपने स्वामी के रूप में करती हैं। उनके लिए श्री कृष्ण केवल भगवान नहीं, बल्कि प्रियतम और पति भी हैं। मीरा के अनुसार श्रीकृष्ण का यह रूप मन मोहने वाला है। वे पर्वत धारण करने वाले हैं, वह मोर मुकुट धारण करने वाले हैं। कृष्ण जी के इस रूप के आगे मीराबाई मोह होकर, सारे संसार के मोह-माया को त्याग दिया। मीरा स्वयं को श्रीकृष्ण की दासी भी मानती है। 

प्रश्न : मीरा जगत को देखकर रोती क्यों हैं?

उत्तर – संसार के सभी लोग सांसारिक मोह-माया में फंस गए हैं जिससे वे भगवान कृष्ण से दूर हो गए हैं। उन लोगों का जीवन व्यर्थ जा रहा है। मीराबाई को लोगों की इस जीवन-शैली को देखकर दुःख होता है। मानव जन्म को सबसे दुर्लभ जन्म माना जाता है। मीराबाई को दुःख होता है कि लोग इस दुर्लभ जन्म को ईश्वर भक्ति में नहीं लगाते। इसलिए संसार की दुर्दशा देखकर मीराबाई को रोना आता है। 

प्रश्न : “मेरे तो गिरिधर गोपाल, दूसरों न कोई……… जल सींचि सींचि, प्रेम-बलि बोयी” इन पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – इन पंक्तियों में मीराबाई यह कहना चाहती है कि उनके लिए भगवान गिरिधर गोपाल यानी श्रीकृष्ण ही सब कुछ हैं। उनके जीवन में किसी दूसरे कोई स्थान नहीं है। श्रीकृष्ण ही उनके लिए सब कुछ है। कृष्ण से बढ़कर उनके लिए और कोई नहीं है। मोर मुकुट धारण करने वाले भगवान कृष्ण को ही मीराबाई अपना पति मानती है। मीराबाई ने कृष्ण जी के लिए अपने परिवार को भी त्याग दिया है। अब उन्हें किसी की परवाह नहीं है। संतन द्विग बैठि-बेठि यानी संतों के पास बैठकर मीराबाई ज्ञान प्राप्त करती है और इस प्रकार लोक-लाज भी खो दी है। उन्होंने अपने आँसुओं के जल से सींच-सींचकर प्रेम का बीज बोया है।  

MCQs 

Meera Ke Pad Class 11 Question Answer के MCQs इस प्रकार से है : 

प्रश्न 1 – मीराबाई किसकी अनन्य भक्त थी –
(क) राधा जी की
(ख) श्री कृष्ण की
(ग) श्री बलराम जी की
(घ) शिव जी की
उत्तर – श्री कृष्ण की

प्रश्न 2 – इस पूरे संसार में मीराजी अपना सिर्फ किसे मानती हैं –
(क) गिरधर गोपाल को
(ख) अपने पति को
(ग) अपने पिता को
(घ) रीती रिवाजों को
उत्तर –गिरधर गोपाल को

प्रश्न 3 – “गिरधर गोपाल” और “मोर मुकुट”, में कौन सा अलंकार है –
(क) मानवीकरण अलंकार
(ख) रूपक अलंकार
(ग) उत्प्रेक्षा अलंकार
(घ) अनुप्रास अलंकार
उत्तर – अनुप्रास अलंकार

प्रश्न 4 – “जाके सिर मोर मुकुट , मेरो पति सोई” , इस पंक्ति में “मेरो पति” का सही अर्थ क्या हैं –
(क) मेरा पति परमेश्वर
(ख) मेरे आराध्य देव या मेरा सर्वस्व
(ग) मोर मुकुट वाला मेरा पति
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – मेरे आराध्य देव या मेरा सर्वस्व

प्रश्न 5 – “छाँड़ि दयी कुल की कानि , कहा करिहै कोई” , पंक्ति में “कानि” शब्द का अर्थ है –
(क) कारण
(ख) कौन
(ग) मर्यादा
(घ) कान
उत्तर –मर्यादा

प्रश्न 6 – “कहा करिहै कोई”, का आशय है –
(क) सब की परवाह करना
(ख) सब की परवाह न करना
(ग) किसी की परवाह करना
(घ) किसी की परवाह न करना
उत्तर – किसी की परवाह न करना

प्रश्न 7 – किनके साथ बैठकर मीरा ने लोक -लाज को त्याग दिया –
(क) साधु-संतों के साथ
(ख) श्री कृष्ण के साथ
(ग) माता-पिता के साथ
(घ) अपने पति के साथ
उत्तर – साधु-संतों के साथ

प्रश्न 8 – “अंसुवन जल सींचि – सींचि , प्रेम – बेलि बोयी” , में कौन सा अलंकार है –
(क) मानवीकरण अलंकार
(ख) रूपक अलंकार
(ग) उत्प्रेक्षा अलंकार
(घ) अनुप्रास अलंकार
उत्तर – रूपक अलंकार

प्रश्न 9 – “बैठि-बैठि” और “सींचि-सींचि” में कौन सा अलंकार है –
(क) पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार
(ख) रूपक अलंकार
(ग) उत्प्रेक्षा अलंकार
(घ) अनुप्रास अलंकार
उत्तर – पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार

प्रश्न 10 – इस जगत में क्या देखकर मीरा प्रसन्न होती है –
(क) मोह-माया
(ख) साधू-संत
(ग) श्री कृष्ण
(घ) प्रभु भक्ति
उत्तर – प्रभु भक्ति

FAQs

मीरा के पदों में प्रकृति का चित्रण कैसे किया गया है?

मीरा के पदों में प्रकृति के विभिन्न रूपों का चित्रण किया गया है। प्रकृति उनके लिए केवल बाहरी सौंदर्य का साधन नहीं, बल्कि भगवान की उपस्थिति का प्रतीक भी है। प्रकृति का चित्रण अनेक रूपों में दर्शाया गया है जो कि निम्नलिखित है : 
वनस्पति: मीरा के पदों में वृक्षों, फूलों, लताओं, और वनस्पतियों का सुंदर वर्णन मिलता है।
जल: नदियों, झीलों, और तालाबों का उल्लेख भी भक्ति भावनाओं को व्यक्त करने के लिए किया जाता है।
पशु-पक्षी: पपीहे, कोयल, मोर, हंस, आदि पक्षियों का चित्रण भी प्रेम और भक्ति का प्रतीक है।

मीरा के पदों की भाषा कौन सी है?

मीराबाई की भाषा शैली राजस्थानी मिश्रित ब्रजभाषा है। इसके साथ ही गुजराती शब्दों का भी प्रयोग किया गया है।

मीरा का विवाह कितने वर्ष की आयु में हुआ था?

मीराबाई की शादी महज 13 साल की उम्र में कर दिया गया। मीराबाई का विवाह सन् 1516 ईस्वी में उदयपुर के राजा महाराणा सांगा के युवराज से सम्पन्न हुआ था।

आशा है कि आपको Meera Ke Pad Class 11 Question Answer से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहे।

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