White Revolution in Hindi : जानिए श्वेत क्रांति कैसे बनी एक मिसाल

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श्वेत क्रांति

भारत में कितनी ही क्रांतियों ने जन्म लिया और सबने सफलता हासिल की और उसमें एक दर्जा हासिल किया। ऐसी ही एक बुनियादी क्रांति का नाम था श्वेत क्रांति। इसने भारत में दूध से उत्पादन, रोजगार व हर पहलु पर एक क्रांतिकारी मुकाम हासिल किया। श्वेत क्रांति को दुग्ध क्रांति के नाम से भी जाना जाता है। इस क्रांति के पीछे डॉ. वर्गीज कुरियन थे। उनकी सोच से भारत दूध उत्पादन में दुनिया का नंबर 1 देश कैसे बना, यह विस्तार से जानिए श्वेत क्रांति (white revolution in Hindi) के इस ब्लॉग से।

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भारत में श्वेत क्रांति का इतिहास क्या है?

श्वेत क्रांति (white revolution in Hindi) को ऑपरेशन फ्लड (Operation Flood) के नाम से भी जाना जाता हैं। इसे 1970 में लाॅंच किया गया था, इसकी शुरुआत भारत के नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) ने की थी, जो कि उस समय में दुनिया का सबसे बड़ा डेयरी प्रोग्राम सिद्ध हुआ। डॉक्टर वर्गीज कुरियन द्वारा ही एक अलग से एजेंसी “इंडियन डेयरी कोरोपोरेशन” (IDC) बनाई गई, जिससे ओपरेशन फ्लड को ग्रांट मिल सके और इस तरह से मिल्क प्रोडक्शन जो कि योजना की शुरुआत में 22,000 टन था वो 1989 तक मिल्क पाउडर प्रोडक्शन 1,40,000 टन तक पहुँच गया।

जब अमूल ने अपना उत्पादन शुरू किया था तब मार्केट में बहुत से प्रतिद्वंदी जैसे पोलसन और अन्य विदेशी कंपनियां थी, लेकिन अमूल ने न केवल इन सबको कड़ी टक्कर दी, बल्कि यह बहुत जल्द भारत की सबसे पसंदिता डेयरी कंपनी भी बन गई। दुग्ध क्रांति यानी श्वेत क्रांति के कारण 1950-51 में जहाँ दुग्ध उत्पादन 17 मिलियन टन था वो 2001-02 तक 84.6 मिलियन टन तक पहुँच चुका था।

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दुग्ध क्रांति की किसने की शुरुआत

श्वेत क्रांति
Courtesy: Google Doodles Archives

केरल के वर्गीज कुरियन श्वेत क्रांति के जनक थे। उन्होंने देश में दुग्ध उत्पादन करने वाली सबसे बड़ी कंपनी अमूल की स्थापना की। अमूल के चेयरमेन वर्गीज कुरियन के एक्सपेरिमेंटल पैटर्न पर यह ऑपरेशन फ्लड आधारित था। इस कारण इन्हें ही NDDB का चेयरमैन भी बनाया गया था। इन्हें ऑपरेशन फ्लड के आर्किटेक्ट के तौर पर भी जाना जाता हैं। उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नेतृत्व में कई अन्य कंपनियों ने और अमूल के इंफ्रास्ट्रक्चर एरेंजमेंट और रिसोर्स के मैनेजमेंट के साथ नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड शुरू किया। कुरियन के साथ उनके मित्र एच.एम.डालया ने भैंस के दूध से मिल्क पाउडर बनाने और कंडेंसड मिल्क बनाने की तकनीक के आविष्कार में योगदान दिया।

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श्वेत क्रांति के कारण क्या हैं?

आजादी के बाद देश के ग्रामीण क्षेत्रों का विकास बहुत जरूरी था, क्योंकि तब फसल उत्पादन के साथ दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में भी देश पिछड़ रहा था। दूध और डेयरी के उत्पादों को बाहर से आयात करने से देश पर आर्थिक भार बढ़ने लगा था। 1950 और 1960 में दुग्ध उत्पादन तो बढ़ा लेकिन एनुअल प्रोडक्शन ग्रोथ इन सालों में निगेटिव रह रही थी। आजादी के बाद पहले दशक में एनुअल कंपाउंड ग्रोथ 1.64 प्रतिशत थी, जो की 1960 के अंत तक 1.15 प्रतिशत पर आ गई। इस कारण भारत सरकार ने डेयरी सेक्टर में नीतियों में बड़े परिवर्तन करते हुए दुग्ध उत्पादन में आत्म-निर्भर होने का प्रयास किया।

लाल बहादुर शास्त्री ने 31 अक्टूबर 1946 को कंजरी में अमूल की कैटेल फीड फैक्ट्री का उद्घाटन किया। उन्हें इस प्रोजेक्ट की आवश्यकता पता थी, इसलिए उन्होंने कुरियन के साथ देश के विभिन्न हिस्सों में बसे किसानों के आर्थिक तरक्की और समस्यायों के बारे में बात की। इस यात्रा से ही नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड का गठन हुआ। जुलाई 1970 में यूनाईटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोग्राम (UNDP) और फ़ूड एंड एग्रीकल्चर (FAO) के टेक्निकल असिस्टेंस में ओपरेशन फ्लड को लांच किया गया।

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श्वेत क्रांति के कितने चरण हैं?

श्वेत क्रांति के लिए सोच-समझ के चरण बनाए गए थे। नीचे हम श्वेत क्रांति के चरणों के बारे में जानेंगे।

श्वेत क्रांति का पहला चरण (जुलाई 1970-1980)

दुग्ध क्रांति (white revolution in Hindi) के पहले चरण में 10 राज्यों में 18 मिल्क शेड्स लगाना था। ये सभी मिल्क शेड्स 4 बड़े शहर (दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई) की मार्केट से जुड़े थे। चरण के अंत तक 1981 में 13,000 गाँवों में डेयरी कोऑपरेटिव विकसित हो चुके थे, जिनमें से 15,000 किसान शामिल थे। पहले चरण में यूरोपियन इकनोमिक कम्युनिटी द्वारा गिफ्ट दिए गए स्किम्ड मिल्क पाउडर और बटर की सेल की गई थी और इससे ही आर्थिक सहायता मिली थी। NDDB ने ये प्रोग्राम प्लान किया था और यूरोपियन इकनोमिक कम्युनिटी (EEC) की मदद से इसकी डिटेल्स निर्धारित की थी।

श्वेत क्रांति का दूसरा चरण (1981-1985) 

इस चरण का उद्देश्य पहले चरण को ही आगे बढ़ाते हुए कर्नाटक, राजस्थान और मध्य-प्रदेश जैसे अन्य राज्यों में भी डेयरी डेवलपमेंट प्रोग्राम चलाना था। 1985 में इस चरण के अंत तक 136 मिल्क शेड्स बन गए, जो कि 34,500 गाँवों तक फैले थे और 43000 गाँवों में 4.25 मिलियन तक दूध का उत्पादन होने लगा। 1989 में घरेलू दुग्ध उत्पादन भी 22000 टन हो गया, इन सब में इसी का गिफ्ट और वर्ल्ड बैंक लोन ने बहुत मदद की। ऑपरेशन फ्लड को यूरोपियन इकनोमिक कम्युनिटी,वर्ल्ड बैंक और भारत के नेशनल डेयरी डेवलपमेंट द्वारा संयुक्त रूप से स्पोंसर किया जा रहा था।

यूएनडीपी भी विदेश एक्सपर्ट्स, कंसलटेंट और उपकरण को भेजकर सहायता उपलब्ध करवा रहा था। वर्ल्ड बैंक और इसके सहयोगीयों ने भी एग्रीकल्चर एक्सटेंशन, बारिश आधारित फिश फार्म,स्टोरेज और मार्केटिंग जैसे क्षेत्रों में देश का सपोर्ट किया।

श्वेत क्रांति का तीसरा चरण (1985-1996)

श्वेत क्रांति (white revolution in Hindi) और मजबूत और विकसित हो गई थी, जिससे दुग्ध उत्पादन बढ़ा और इंफ्रास्ट्रक्चर में भी सुधार हुआ। कॉपरेटिव सदस्यों के लिए वेटरनरी फर्स्ट एंड हेल्थ केयर सर्विसेज, फीड एंड आर्टिफिशयल इनसेमिनेशन सर्विसेज दी गई। इस चरण के दौरान 30,000 नए डेयरी कॉपरेटिव जोड़े गए। 1988-1989 तक तो मिल्क शेड्स की संख्या भी बढ़कर 173 हो गई और इसकी एक विशेषता यह भी थी कि इसमें महिला सदस्यों की संख्या में इजाफा हुआ।

1995 में तो वुमन डेयरी कोऑपरेटिव लीडरशिप प्रोग्राम (WDCLP) को एक पाइलट प्रोजेक्ट के तौर पर भी लाॅंच किया गया। इसका उद्देश्य डेयरी कॉपरेटिव मूवमेंट में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना था। गांवों में महिलाओं को ट्रेनिंग देना और उनका लेटेन्ट पोटेंशियल बढ़ाना था। इसमें जानवरों को पोषण युक्त भोजन देने, नए इनोवेशन जैसे थिलेरिओइसिस (Theileriosis) के लिए वैक्सीन बनाने, प्रोटीन फीड बाइपासिंग और दुधारों जानवरों की संख्या बढ़ाने पर दिया। 1996 में जब यह चरण समाप्त हुआ तब तक 9.4 मिलियन (94 लाख) किसानों के बीच में 73,300 डेयरी को ऑपरेटिव बन चुके थे।

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श्वेत क्रांति से हुए लाभ

  • श्वेत क्रांति से दुग्ध उत्पादन बढ़ा और मात्र 40 वर्ष में 20 मिलियन (2 करोड़) मीट्रिक टन से 100 मिलियन (10 करोड़) मैट्रिक टन हो गया और ये सिर्फ इस डेयरी कोपरेटिव मूवमेंट के कारण संभव हुआ।
  • इस क्रांति ने देश के किसानों को ज्यादा से ज्यादा जानवर रखने को प्रोत्साहित किया, जिसके कारण देश में 500 मिलियन तक भैंसे और मवेशी हो गए जो कि दुनिया में सबसे ज्यादा हैं।
  • डेयरी कोऑपरेटिव मूवमेंट देश के सभी हिस्सों में हुआ, जिसका फायदा 22 राज्यों के 180 जिलों के 1,25,000 गांवों को मिला। यह मूवमेंट अपने विकसित उपलब्धियों और राज्यों और जिलों के सपोर्टिव सिस्टम के कारण बहुत सफल रहा।

भारत और विश्व दुग्ध दिवस

विश्व दुग्ध दिवस (World Milk Day) दुनिया में हर वर्ष 1 जून को मनाया जाता है। वर्गीज कुरियन के प्रभावशाली श्वेत क्रांति को दुनिया में विश्व दुग्ध दिवस में योगदान के रूप में देखा जाता है।

Source- Nisha education

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श्वेत क्रांति से जुड़े रोचक तथ्य क्या हैं?

श्वेत क्रांति से जुड़े रोचक तथ्य हम लाएंगे आपके सामने जो आपको जानने चाहिए। तो आइए, नज़र डालते हैं उन रोचक तथ्यों पर।

  • वर्गीज कुरियन के जन्मदिन के दिन 26 नवंबर को देश में 2014 से राष्ट्रीय दुग्ध दिवस (National Milk Day) मनाया जाता है।
  • श्वेत क्रांति से प्रभावित होकर लोकप्रिय डायरेक्टर श्याम बेनेगल ने मंथन फिल्म बनाई थी, जिसे भारत के साथ-साथ विदेशों में भी सराहा गया था। यह फिल्म 1976 में आई थी और इसे बेस्ट फिल्म के लिए नेशनल अवार्ड भी मिल चुका है।
  • अमूल की स्थापना को श्वेत क्रांति के नाम से जाना जाता है।
  • भैंस के दूध से पाउडर का निर्माण करने वाले कुरियन दुनिया के पहले व्यक्ति थे। इससे पहले गाय के दूध से पाउडर का निर्माण किया जाता था। उस वक्त भैंस के दूध का पाउडर बनाने की तकनीक नहीं थी।
  • श्वेत क्रांति लाने वाले ‘मिल्कमैन ऑफ इंडिया’ के नाम से मशहूर कुरियन दूध नहीं पीते थे।

FAQ

श्वेत क्रांति के जनक कौन हैं?

उत्तर: भारत में श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज़ कुरियन थे।

श्वेत क्रांति कब आई?

उत्तर: श्वेत क्रांति भारत में 13 जनवरी 1970 को शुरू हुई थी।

श्वेत क्रांति का क्या उद्देश्य था?

उत्तर: इस क्रांति का उद्देश्य भारत को दुनिया में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन करने वाले देशों की श्रेणी में लाना था। 

श्वेत क्रांति को और किस नाम से जाना जाता है?

उत्तर: ऑपरेशन फ्लड

दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए भारत सरकार द्वारा कौन सी क्रांति शुरू की गई?

उत्तर: दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने “श्वेत क्रांति” की शुरुआत की थी।

श्वेत क्रांति का अर्थ क्या है?

उत्तर: श्वेत क्रांति ने भारत में दूध से उत्पादन, रोजगार व हर पहलु पर एक क्रांतिकारी मुकाम हासिल किया। श्वेत क्रांति को दुग्ध क्रांति के नाम से भी जाना जाता है।

दुग्ध क्रांति यानी श्वेत क्रांति की शुरुआत कब और किसने की?

उत्तर: भारत में 1970 में ‘श्वेत क्रांति’ की शुरुआत हुई थी। इसकी शुरुआत डॉ॰ वर्गीज़ कुरियन ने की थी।

उम्मीद है कि आपको श्वेत क्रांति (white revolution in Hindi) के इस ब्लाॅग में आपको श्वेत क्रांति यानी दुग्ध क्रांति क्या है और इसने कैसे दुग्ध उत्पादन बढ़ाने में सहायक रही है के बारे में जानकारी मिल गई होगी। यदि आपको यह ब्लाॅग पसंद आया है तो इस ब्लॉग को शेयर करें, जिससे बाकी लोग भी श्वेत क्रांति के बारे में जान सकेंगे। ऐसे ही ज्ञानवर्धक ब्लॉग्स पढ़ने के लिए आप Leverage Edu पर बनें रहें।

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