एक सेमेस्टर या फिर पूरी पढ़ाई करने के लिए छात्र फिर से विदेश में पढ़ने के लिए हुए उत्सुक

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COVID बैच के छात्रों की पढ़ाई में कठिनाई

अमेरिका के मिशिगन में स्थित ग्रैंड वैली स्टेट यूनिवर्सिटी ने यह खुलासा किया है कि उसके छात्र COVID के बाद फिर से दुनिया में कहीं भी एक सेमेस्टर या फिर आगे की पढ़ाई करना चाहते हैं।

इस यूनिवर्सिटी के ताज़ा आंकड़े यह बताते हैं कि यहां के 110 से अधिक छात्र विदेशों में पढ़ाई करने की तैयारी कर रहे हैं, जबकि पिछले साल अंतरराष्ट्रीय प्रोग्राम्स को पूरा सिर्फ 40 से कम छात्रों ने किया था।

यूनिवर्सिटी की स्टडी अब्रॉड और इंटरनेशनल पार्टनरशिप की डायरेक्टर रेबेका मॉरिससे ने कहा कि हम दुनिया के कई हिस्सों में स्टडी अब्रॉड प्रोग्राम के फिर से शुरू होने के लिए बहुत उत्साहित हैं।

स्वीडिश हाई एजुकेशन इंस्टीटूशन्स ग्रुप के एक सदस्य डॉ पेर निल्सन, जो कि उमिया विश्वविद्यालय के सदस्य हैं, ने कहा कि स्वीडन स्टडी अब्रॉड करने के इच्छुक छात्रों की संख्या में विकास देख रहा है।

डॉ निल्सन ने यह भी कहा कि COVID का प्रभाव एक सेमेस्टर के लिए आने वाले एक्सचेंज छात्रों पर भी पड़ा है। COVID के दौरान हमने आने वाले सभी एक्सचेंज स्टूडेंट्स में से लगभग 50 प्रतिशत को खो दिया था, लेकिन अब हालात सामान्य होते दिखाई दे रहे हैं।

हालांकि संख्या बढ़ रही है, पर डॉ निल्सन का कहना है कि इसको पहले के स्तर पर लौटने में कई साल लग सकते हैं।

यूएई छात्रों को पढ़ाई के लिए विदेश भेजने में भारी निवेश करता है। ताज़ा रिपोर्ट किए गए आंकड़ों से संकेत मिलता है कि संख्या लगभग 15,000 छात्र प्रति वर्ष है।

मई 2022 में छपी एक स्टडी के मुताबिक महामारी के कारण ब्रिटेन में पढ़ाई के लिए आवेदन करने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या में 11-14 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो दुनिया में छात्रों की संख्या के मामले में टॉप पांच अंतरराष्ट्रीय शिक्षा स्थलों में से एक है।

UK Higher Education Statistics Agency के आंकड़े बताते हैं कि 2020-2021 अकादमिक वर्ष में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के नामांकन में मामूली ग्रोथ हुई थी, हालांकि कई ऐसे छात्र भी थे, जो ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे थे।

अबू धाबी और ब्लूमिंगटन में एक उच्च शिक्षा सलाहकार, Edu Alliance के को-फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ सेंथिल नाथन के अनुसार, 2022-2023 अकादमिक वर्ष में यूके के लिए यूरोपीय संघ के देशों से कम आवेदन देखने को मिले हैं।

डॉ नाथन ने कहा कि यूके के कई विश्वविद्यालय, चीन, भारत, नाइजीरिया और अन्य देशों से आवेदनों में वृद्धि की रिपोर्ट कर रहे हैं।

यूके में एक कंसल्टेंसी AS करियर की फाउंडर, एन स्टार्की, ने यूके में आने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों के संबंध में एक समान तस्वीर देखी है। एन स्टार्की ने आगे कहा कि यह 2 साल पहले ज़रूर प्रभावित हुआ था मगर अब यह सामान्य हो रहा है।

डॉ नाथन ने कहा कि पढ़ाई के मामले में टॉप पांच देशों में से एक, कनाडा ने महामारी के दौरान इंटरनेशनल हाई एजुकेशन मार्किट में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है।

वहीं पर ऑस्ट्रेलिया में विदेशी छात्र एनरोलमेंट की संख्या के पुनर्निमाण में भी समय लगने की संभावना है। ऑस्ट्रेलिया ने 2020 और 2021 में उच्च शिक्षा में विदेशी छात्रों के सालाना एनरोलमेंट के नंबर्स में एक चौथाई तक की गिरवाट देखी थी।

अंतरराष्ट्रीय उच्च शिक्षा के सबसे बड़े बाजार, अमेरिका ने 2019-2020 और 2020-2021 के बीच नए अंतरराष्ट्रीय छात्र नामांकन की संख्या में 45.6 प्रतिशत की गिरावट का अनुभव किया था लेकिन तब से संख्या बढ़ गई है। एक रिपोर्ट के अनुसार उनमें 68 प्रति प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

डॉ नाथन ने कहा, “सभी सबूत छात्रों की उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने के लिए नए सिरे से रुचि की ओर इशारा करते हैं। अमेरिका में, अंतरराष्ट्रीय शिक्षा संस्थान ने 2021 में अमेरिकी विश्वविद्यालयों में सर्वे किया और लगभग 50 प्रतिशत संस्थानों ने फॉल [autumn] के लिए विदेश में व्यक्तिगत अध्ययन की योजना बनाई।”

डॉ नाथन ने आगे कहा कि विदेशों में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या आने वाले फॉल सीजन 2022 की अवधि के लिए बढ़ रही है।

विश्वविद्यालय और प्राइवेट क्षेत्र के छात्र आवास प्रोवाइडर्स अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर निर्भर रहते हैं। कई वर्षों के रेवेन्यू में वृद्धि के बाद, यह संसथान महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए और अभी तक कठिनाइयों का अनुभव कर रहे हैं।

अमेरिका में, अंतरराष्ट्रीय छात्र संख्या में गिरावट के कारण विश्वविद्यालयों के रेवेन्यू में अनुमानित $10 बिलियन (INR 80 हज़ार करोड़) की गिरावट आई है।

डॉ नाथन के अनुसार, विदेशों में जाने में भारतीय छात्रों की रुचि फिर से अपने पीक पर लौट रही है, लेकिन चीनी छात्र, जिनकी सरकार ने अपने देश के बॉर्डर खोलने के बारे में सतर्क रुख अपनाया था, वे पहले की तरह बड़ी संख्या में शिक्षा के लिए विदेश यात्रा नहीं कर रहे हैं।

डॉ नाथन ने सुझाव दिया कि भारत छात्रों को विदेश भेजने के मामले में चीन से आगे निकल सकता है, जबकि शैक्षणिक संस्थान ब्राजील, इंडोनेशिया, नाइजीरिया और पाकिस्तान जैसे अन्य बाजारों में तेजी से दिलचस्पी ले रहे हैं।

जिस तरह COVID-19 ने लोगों के काम करने के तरीके को बदल दिया है, रिमोट रोजगार और घर से काम करना अब कई लोगों के जीवन का एक सामान्य हिस्सा है, इसलिए रिमोट स्टडी अब्रॉड अधिक और अच्छे से स्थापित हो सकता है।

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