डिग्री और शॉर्ट टर्म प्रोग्राम में प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के एसेंशियल पार्ट के तौर पर शामिल, इंटर्नशिप उन लोगों को बहुत ज्यादा फायदा देती है जो अपने चुने हुए फील्ड में रियल वर्ल्ड एक्सपोजर चाहते हैं। पर्सनल डेवेलपमेंट में सहयोग करने वाली, इंटर्नशिप कई तरह की होती हैं, इनमें वर्चुअल, फुलटाइम, पार्ट टाइम, पेड और अनपेड शामिल हैं। आप किसी भी तरह की इंटर्नशिप चुनें, उसका प्रभाव एक समान ही होता है, फिर भी फुलटाइम और पेड इंटर्नशिप को ज्यादा बेहतर माना गया है क्योंकि इसमें स्टूडेंट्स रियल वर्कप्लेस में काम करने के साथ ही पैसे भी कमा सकते हैं। क्या आप अपने मिड सेमेस्टर ब्रेक में इंटर्नशिप करने की दुविधा में हैं? यहां इस ब्लॉग में इंटर्नशिप का महत्व और उसके सभी पहलुओं को विस्तार से बताया गया है जिन्हें आपको इंटर्नशिप का चुनाव करते वक्त ध्यान रखने की जरूरत है।
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इंटर्नशिप क्या होती है?
इंटर्नशिप एक प्रोफेशनल सीखने का अनुभव है जो एक छात्र की पढ़ाई के क्षेत्र या करियर की रुचि से संबंधित स्किल्स, प्रैक्टिकल कार्य प्रदान करता है। एक इंटर्नशिप एक छात्र को करियर की खोज और विकास और नए कौशल सीखने का अवसर देता है। यह छात्रों को वर्कप्लेस में नए विचार और ऊर्जा लाने, प्रतिभा विकसित करने और भविष्य के फुल टाइम कर्मचारियों के लिए संभावित रूप से एक कनेक्शंस बनाने का अवसर प्रदान करता है।
इंटर्नशिप के प्रकार
इंटर्नशिप का महत्व काफी होता है इसलिए इंटर्नशिप के प्रकार भी जानने आवश्यक हैं, जो इस प्रकार हैं:
- मेडिकल इंटर्नशिप
- अकाउंटिंग इंटर्नशिप
- जर्नलिज्म इंटर्नशिप
- ITI/GTI इंटर्नशिप
- मार्केटिंग इंटर्नशिप
- डिप्लोमा इंटर्नशिप
- इंजीनियरिंग इंटर्नशिप
- मैनेजमेंट इंटर्नशिप
- आर्ट्स एंड कल्चर इंटर्नशिप
- सोशल इंटर्नशिप
इंटर्नशिप के मुख्य उद्देश्य
आजकल लगभग सभी बड़ी कंपनियां इंटर्नशिप की सुविधा देती हैं। उनका मानना है कि भावी पीढ़ी को सिर्फ किताबी नॉलेज नहीं बल्कि व्यवहारिक ज्ञान भी देना चाहिए। इसलिए पेप्सी, कोकोकोला, डिटॉल, रेकिट बेंकाइजर, HUL, Nestle जैसी बड़ी कंपनियां पढ़ने वाले छात्रों को इंटर्नशिप की सुविधा देती हैं। इससे उन्हें भविष्य में अच्छे युवा काम करने के लिए मिल जाते हैं। इसका अन्य उद्देश्य ज्ञान को बांटना भी है।
फील्ड का अनुभव मिलता है
इंटर्नशिप का महत्व की बात हो तो सबसे पहला पॉइंट है कि ये आपके फील्ड को बेहतर समझने के लिए इंटर्नशिप आपकी खास मदद करती है। इंटर्नशिप आपको जरूरी प्रैक्टिकल अनुभव देती है साथ ही, आप ये भी समझ पाते हैं कि आपके डिग्री कोर्स में मिलने वाली शिक्षा को आप रियल लाइफ सिचुएशन में किस तरह लागू कर सकते हैं। साथ ही, आपकी एकेडमिक योग्यता कैसे काम आ सकती है। व्यापार की शर्तों और एजुकेशनल क्वालिफिकेशन में अंतर को एम्प्लॉयर्स लगातार महसूस करते हैं। इस अंतर को इंटर्नशिप के जरिए खत्म किया जा सकता है क्योंकि इसमें आप अपने इंडस्ट्री एक्सपीरियेंस को निखार सकते हैं और आपके मन के फील्ड में आपको वास्तविक दुनिया का एक्सपोजर होता है।
सेल्फ ग्रोथ में सहयोगी
इंटर्नशिप आपको न केवल प्रोफेशनलिज्म विकसित करने में मदद करती है, बल्कि इससे सेल्फ ग्रोथ में भी सहयोग मिलता है। इसलिए भी इंटर्नशिप का महत्व बहुत है। आपमें तमाम गुण जैसे, इंटीग्रिटी, कमिटमेंट और सेल्फ मोटिवेशन विकसित करने लगते हैं। इंटर्नशिप के दौरान, आपको ढेर सारे कार्य करने होते हैं, इससे आपकी प्रबंधन क्षमता मे इजाफा होता है और टीम के साथ काम करने से आप अपनी इंटरपर्सनल और कम्यूनिकेशन स्किल में सुधार ला सकते हैं साथ ही आप इसमें टीम वर्क के महत्व को भी समझेंगे। इसके साथ ही आप बिना फुल टाइम जॉब के कई तरह के ऑप्शंस की तलाश कर सकते हैं। आप अलग अलग इंटरप्राइजेज में कई तरह की इंटर्नशिप कर सकते हैं जिससे आपको अपने लिए बेहतर फील्ड का चुनाव करने में मदद मिलती है।
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आपके सीवी का महत्व बढ़ता है
एक फ्रेशर के लिए रेज्यूमे बनाने से कठिन काम और कुछ नहीं होता। इंटर्नशिप का महत्व केवल आपको मिले एक्सपीरिएंस तक ही सीमित नहीं है, बल्कि आपको बहुत सी नई बातें सिखाती और आपके स्किल को भी निखारती है। आप इंटर्नशिप का महत्व को तब समझेंगे जब आप अपनी उपलब्धियों की लिस्ट एक पेपर पर बनाएंगे। इसलिए, इंटर्नशिप पूरी करने के बाद, आपको बैठकर उन बातों पर विचार करने की जरूरत है जिन्हें आपने सीखा है और किस प्रकार ये आपके प्रोफेशनली और पर्सनली काम आ सकते हैं। एक इंटर्न के तौर पर, आपको नए टास्क लेने और अपने कंपटीटर से टक्कर लेने का मौका मिलता है। इससे आपके सीवी को सामान्य से ज्यादा महत्व मिलता है और वो संभावित इंपलायर को लुभाता है।
कार्य फील्ड के वातावरण का अनुभव
इंटर्नशिप का महत्व इसलिए भी है कि फुल टाइम ऑफिस इंटर्नशिप से आपको वर्कप्लेस में आने वाली चुनौतियां, ऑर्गनाइजेशन के बिहेवियर और उनके प्रोफेशनलिज्म के बारे में भी पता चलता है। और तो और, एक फुल टाइम इंटर्न के तौर पर आपको सीनियर्स से सीखने का मौका मिलता है। और बहुत सी इंटर्नशिप आपके प्रदर्शन को देखते हुए प्री प्लेसमेंट ऑफर भी देती हैं जिससे आपको उसी संस्थान में फुलटाइम जॉब सीधे तौर पर मिल जाता है।
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नई कॉम्पलेक्स एबिलिटीज और एप्टिट्यूड सीखें
एक तरफ जहां अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम आपके प्रोफेशनल जीवन को एक मजबूत आधार देते हैं, वहीं इंटर्नशिप का महत्व इसलिए भी है क्योंकि ये आपको नए एप्टिट्यूड सीखने के मौके देकर आपकी संभावनाओं को और बढ़ा देती है। इन एबिलिटीज में जटिल और ईजी एप्टिट्यूड का मिश्रण होता है। एक टेम्परेरी पोजिशन पर, आपको नई चीजें सीखने का मौका मिलता है फिर चाहे वो सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन हो या अन्य कोई भी स्किल जो आप सीखना चाहते थे। बहुत सी कंपनी इंटर्न को अलग-अलग विभागों में काम करने का मौका देती हैं जिससे उन्हें बेहतर विकल्प चुनने में मदद मिलती है। साथ ही, आपको अपनी इंटरपर्सनल और कम्युनिकेशन स्किल सुधारने का मौका मिलता है और आप वर्कफील्ड में उचित व्यवहार करना भी सीखते हैं।
नेटवर्किंग में अच्छी शुरुआत
इंटर्नशिप का महत्व नेटवर्किंग बनाने में भी अहम है। नेटवर्किंग के जरिए आप अपने मनचाहे करियर को वास्तविकता का रूप दे सकते हैं। एक इंटर्न के तौर पर तमाम ऑर्गनाइजेशन में काम करने से आपको नेटवर्किंग में खास मदद मिलती है जो आपके लिए भविष्य में सार्थक साबित हो सकती है। जब आप स्कूल में होते हैं तब आपको अपनी इंडस्ट्री से जुड़े लोगों से संपर्क बनाना कठिन होता है। लेकिन इंटर्नशिप के दौरान आपको चुनी हुई फील्ड में काम करने वाले अनुभवी लोगों से संपर्क बनाने में मदद मिलती है। यह पहचान आपको ग्रेजुएशन के बाद काम आती है जब आपको अपने फील्ड में बेहतर मौकों की तलाश होती है।
मेंटर ढूंढ सकते हैं
इंटर्न के तौर पर काम करने पर, आपको उस संस्थान में काम करते हुए अपने लिए सबसे बेहतर मेंटर चुनने का सुनहरा अवसर मिलता है। हालांकि, आपको प्रोत्साहित करने वाला रिपोर्टिंग मैनेजर मिलने की गारंटी नहीं है। फिर भी कई बार आपको ऐसे टीम लीडर या मैनेजर मिल सकते हैं जिनसे आप बहुत कुछ सीखना चाहेंगे और भविष्य में इंटर्नशिप के बाद भी उनके संपर्क में बने रहना चाहेंगे। इसके चलते इंटर्नशिप का महत्व और बढ़ जाता है। जिससे आपको उनसे करियर संभावनाओं में मार्गदर्शन मिलता रहेगा। अपने फील्ड में बेहतर मेंटर ढूंढना आपके लिए काफी मददगार साबित हो सकता है क्योंकि वे आपके करियर के सफर को बेहतरीन बना सकते हैं।
FAQs
इंटर्नशिप एक प्रोफेशनल सीखने का अनुभव है जो एक छात्र की पढ़ाई के क्षेत्र या करियर की रुचि से संबंधित स्किल्स, प्रैक्टिकल कार्य प्रदान करता है।
इंटर्नशिप के प्रकार इस प्रकार हैं: मेडिकल इंटर्नशिप, अकाउंटिंग इंटर्नशिप, जर्नलिज्म इंटर्नशिप, ITI/GTI इंटर्नशिप आदि।
इंटर्नशिप अगर पढ़ते समय की जाती है तो यह 1-2 महीने की होती है। ग्रेजुएशन की पढ़ाई के बाद जॉब करने से पहले इंटर्नशिप की अवधि 2-3 महीने तक अलग-अलग कंपनियों के हिसाब से तय होती है।
आशा करते हैं कि आपको इंटर्नशिप का महत्व के इस ब्लॉग से आपको महत्वपूर्ण जानकारी मिली होगी। ऐसे ही ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहिए।