Vikram Betal ki Kahaniyan: जानिए कौन थे राजा विक्रमादित्य और बेताल

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Vikram Betal ki Kahaniyan

विक्रम एक साहसी और निडर राजा था। जिन्होंने अपनी बुद्धि के बल पर पूरे भारत में राज किया। इसी पराक्रम और साहस के बल पर एक योगी ने राजा से वचन लिया और राजा ने उस वचन को निभाया। विक्रम बेताल की कहानियां बेताल पच्चीसी के नाम से भी प्रचलित है। इस ब्लॉग के अंदर Vikram Betal ki Kahaniyan है जिसके अंदर कई प्रेरणादायक और नेतृत्व क्षमता को बढ़ाने वाली कहानियों को शामिल किया गया है। कहानियों के अंदर बेताल तब सुनता है जब उसे राजा विक्रम जंगल से पकड़ कर एक योगी की तरफ ले कर जा रहे होते हैं। जब बेताल रास्ता लंबा होने के कारण राजा विक्रम को कहानियां सुनाता है, यह सभी कहानियां विक्रम बेताल की कहानी के नाम से प्रसिद्ध है। आइए जानते हैं Vikram Betal ki Kahaniyan विस्तार से।

Vikram Betal ki Kahaniyan: बैताल पच्चीसी प्रारम्भ की कहानी

Source : Nuteq Entertainment
गंधर्वसेन नाम का राजा उज्जैन में राज करता था। उनकी तीन रानियाँ थी और छः लड़के थे। विक्रमादित्य उनमें सबसे ज़्यादा साहसी था । राजा की मृत्यु के बाद उनका लड़का शंख राज सिंहासन पर बैठा लेकिन उनकी विलासता के कारण राज्य की हालत ख़राब हो गई थी। एक दिन सिपाहियों की मदद से विक्रमादित्य ने उन्हें मार डाला और राजा बन गए। एक योगी विक्रमादित्य दरबार में आया और कुछ देकर चला गया, राजा ने कोषाध्यक्ष को फल दे दिया। 10 दिन तक ऐसा किया इस बार भी आया तो कोषाध्यक्ष ने फल बंदर को खाने के लिए दिया, उसमे से एक लाल रंग का रत्न निकला। राजा ने पूछा- “कीमती भेट मुझे क्यों दी?” योगी ने राजा को बताया मुझे मंत्र की साधना करनी है। योगी ने बताया कि अमावस्या के दिन उन्हें शमशान आना होगा। अमावस्या के दिन विक्रम आदित्य शमशान आए। योगी ने कहा- “हे राजन, तुम यहां आए, मैं बहुत खुश हुआ कि तुम्हें वचन याद हैं। पूर्व दिशा में जाना वहां महाश्मशान के एक पेड़ पर मुर्दा है, उसे ले आना। वह अपना नाम बेताल बताता है और विक्रम मुर्दे को पीछे लटका कर चलता है। मुर्दा बोलता है मेरी एक शर्त है, कि तू पूरे रास्ते में कुछ नहीं बोलेगा। अगर तू बोला तो मैं पेड़ पर लौटकर लटक जाऊंगा।” अब यहाँ से बैताल अब राजा विक्रम को कहानी सुनानी शुरू करता है, चलिए सुनते हैं उसकी कहानियां।
Vikram Betal ki Kahaniyan
Source – Deepawali

Vikram Betal ki Kahaniyan: बालक क्यों हँसा?

चित्रकूट में चंद्रलोक नाम का राजा रहता था। वो शिकार खोजने जंगल गया, वहां उसे ऋषि कन्या दिखी उसे देखकर वह मोहित हो गया ऋषि ने बोला शिकार खेलना पाप है, राज ने वचन दिया की अब शिकार नहीं करूंगा। राजा ने ऋषि कन्या से शादी करने के लिए प्रस्ताव दिया, ऋषि ने दोनों की शादी करा दी। बीच में एक राक्षस मिला, वह बोला “मैं तुम्हारी रानी को खाऊँगा।” “अगर उसके बचाना तो सात दिन के भीतर एक ब्राहमण लड़के की बलि दो जो इच्छा से अपने प्राण देदे और उसके माता-पिता उसे मारते समय उसके हाथ-पैर पकड़ें।” राजा ने एक लड़के की मूर्ति बनाई और उस लड़के ने अपने माता -पिता को राजी कर लिया अपने बलिदान देने के लिए, जैसे ही राक्षस के सामने राजा लड़के को मारने लगा लड़का हंस पड़ा। बेताल ने पूछा राजा लड़का क्यों हंसा? राजा ने कहा – ब्राह्मण का लड़का परोपकार के लिए अपना शरीर दे रहा था। इसी हर्ष से और अचरज से वह हंसा। 
कहानी की सीख-  मुसीबत के समय उसका सामना अकेले ही करना होता है।
Source: Logical Hindu

Vikram Betal ki Kahaniyan: सबसे ज्यादा प्रेम में अंधा कौन था?

Source: Discover The Religion
अर्थ दत्त एक साहूकार था। आनंगमंजरी साहूकार की बेटी थी उसका विवाह अमीर साहूकार के बेटे मणिवर्मा से करा दिया। मणिवर्मा अपनी पत्नी को बहुत चाहता था मगर वह उससे प्यार नहीं करती थी। मणिवर्मा कहीं गया उसके पीछे से आनंगमंजरी राजपुरोहित के लड़के कमलाकर देखा तो उसे बहुत से चाहने लगी, पुरोहित का लड़का उस लड़की को चाहने लगा। आनंगमंजरी महल के बाग़ में जाकर चंडी देवी को प्रणाम कर के कहा यदि अगले जन्म में मुझे कमलाकर ना मिले तो मुझे अगला जन्म मत देना। कमलाकर ने आनंगमंजरी को देखा, खुशी के मारे वह मर गई। उसे मरा देखकर कमलाकर को दिल का दौरा पड़ा और मर गया। पराया आदमी के साथ मरा देखकर वह दुखी हुआ और उसने भी प्राण त्याग दिए। चारों ओर हाहाकार मचा चंडी देवी प्रकट हुई और उसने सबको जीवित कर दिया । कहानी खत्म हुई। बेताल ने राजा से कहा राजन यह बताओ कि इन तीनों में से सबसे ज्यादा विराग में अंधा कौन था? राजा विक्रमादित्य ने कहा “मेरे विचार से मणिवर्मा था क्योंकि वह अपनी पत्नी को पराया आदमी को प्यार करते देखकर ही शोक से मर गया। आनंगमंजरी और कमलाकर तो खुशी से मरे।”
कहानी की सीख- किसी भी चीज की अति नुकसानदायक हो सकती है, इसलिए इंसान को हमेशा अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए।

Vikram Betal ki Kahaniyan: चार पढ़े लिखे मूर्ख

Source: Panchatantra Series
कुशीनगर में एक राजा राज्य करता था, वह एक ब्राह्मण था। जिसके चार लड़के थे। ब्राह्मण कुछ समय बाद मर गया और उनके रिश्तेदारों ने उनका सारा धन छीन लिया और चारों भाई नाना जी के यहां रहने गए। लेकिन कुछ समय बाद उनके साथ वहां भी बुरा बर्ताव होने लगा। चारों भाई अलग -अलग दिशा में चले गए। कुछ समय बाद में विद्या सीख कर आए एक ने कहा ” मैं मरे हुए प्राणी के शरीर पर मांस चला सकता हूं।”दूसरे ने कहा “मैं खाल और बाल पैदा कर सकता हूं”। तीसरे ने कहा “मैं सारे अंग बना सकता हूं।” चौथा बोला “मैं जान डाल सकता हूं।” विद्या को आजमाने चारों जंगल गए एक मरा शेर मिला उसे उठाकर साथ ले गए। एक ने उसमें मांस डाला, दूसरे ने उसमें खाल पैदा की थी, तीसरे ने उसमें सारे अंग बनाया और चौथे ने उसमें जान डाली। शेर जीवित हो गया और वह भूखा था तो उसने चारों को खा लिया। बेताल ने पूछा ” शेर बनाने का पाप किसने किया?” राजा बोला पाप चौथे वाले ने क्योंकि उसने उसमें जान डाली, बाकियों को नहीं पता था कि क्या बना रहे हैं।
कहानी से सीख: सिर्फ ज्ञानी होने से कुछ नहीं होता, बुद्धि का सही समय उपयोग करना चाहिए 

Vikram Betal ki Kahaniyan: योगी पहले क्यों रोया, फिर क्यों हँसा?

कलिंग देश के शोभावती का राजा प्रद्युमन था। वही एक ब्राहमण का लड़का देवसोम रहता था जिसने सारी विद्या सीख ली थी। एक दिन उसकी मृत्यु हो गई। बूढ़े माँ-बाप बहुत दुखी हुए। शमसान में रोने की आवाज़ सुनकर एक योगी बाहर आया। पहले खूब हँसा फिर रोया और फिर उस लड़के शरीर में प्रवेश कर गया। वो जिंदा हो गया सब खुश हो गए और तपस्या करने लगा। इतना कहकर बेताल बोला, “राजन, यह बताओ कि यह योगी पहले क्यों रोया, फिर क्यों हँसा?” राजा ने कहा, “इसमें क्या बात है! वह रोया इसलिए कि जिस शरीर को उसके माँ-बाप ने पाला-पोसा और जिससे उसने बहुत-सी शिक्षाएँ प्राप्त कीं, उसे छोड़ रहा था। हँसा इसलिए कि वह नये शरीर में प्रवेश करके और अधिक सिद्धियाँ प्राप्त कर सकेगा।”
कहानी से सीख: शिक्षा के ज्ञान से बढकर कुछ नहीं है।

Vikram Betal ki Kahaniyan: वर कौन है?

Vikram Betal ki Kahaniyan
Source – Pinterest
उज्जैन में हरिदास नाम राजसेवक रहता था। उसकी एक बेटी थी महादेवी। उसकी शादी की चिंता सताने लगी। हरिदास राज दरबार में बैठे चर्चा कर रहे थे, तभी एक युवक दरबार में आया ही था कि उसने हरिदास की लड़की से शादी करने की इच्छा जताई। युवक ने बोला मैंने एक ऐसा रथ बनाया है, जिससे मैं आपको दुनिया के सभी कोने घुमा सकता हूँ, हरिदास ने बोला अगर ऐसा है तो कल सुबह मुझसे अपने रथ के साथ मिलो। हरिदास लड़के से मिला और उसे उज्जैन चलने को बोला रथ में सवार होने के बाद दोनों उज्जैन पहुंच गए। हरीदास ने खुश होकर लड़की की शादी अपनी बेटी से कराने का फैसला किया, हरीदास को पता चला कि महादेवी की मां और उसके भाई ने भी एक-एक लड़का महादेवी से शादी कराने के लिए चुना है। महादेवी के भाई उसने अपनी विद्या का इस्तेमाल करके पता लगाया कि महादेवी कहां है? महादेवी का पता चलने के बाद अब हरिदास के ढूंढे लड़के का रथ लेकर उसके पास आए। मां के ढूंढ लड़के ने राक्षस से लड़कर महादेवी को बचाया। बेताल ने सवाल पूछा राजन क्या आप बता सकते हैं? विक्रमादित्य ने कहा यह सच है कि जिस लड़के ने महादेवी को राक्षस से बचाया वही असली मायने में बहादुर है जैसा वर महादेवी चाहती थी। इतना कहकर फिर बेताल अपने पेड़ की तरफ उड़ चला।
कहानी से सीख: मुश्किल समय में साहसी लोग ही काम आते हैं।
Source – Maha Cartoon TV XD

Vikram Betal ki Kahaniyan पीडीएफ

विक्रम बेताल की अन्य कहानियां

विकर्म बेताल की अन्य कहानियां नीचे दी गई है:

  1. पापी कौन?
  2. पति कौन?
  3. पुण्य किसका?
  4. ज्यादा पापी कौन?
  5. असली वर कौन?
  6. पत्नी किसकी?
  7. किसका पुण्य बड़ा?
  8. सबसे बढ़कर कौन?
  9. सबसे अधिक त्यागी कौन?
  10. सबसे अधिक सुकुमार कौन?
  11. दीवान की मृत्यु क्यूँ?
  12. चोर ज़ोर-ज़ोर से क्यों रोया और फिर हँसा?
  13. क्या चोरी की गयी चीज़ पर चोर का अधिकार होता है?
  14. अधिक साहसी कौन?
  15. विद्या क्यों नष्ट हो गयी?
  16. पिण्ड दान का अधिकारी कौन?
  17. सर्वश्रेष्ठ वर कौन?
  18. शेर बनाने का अपराध किसने किया?
  19. माँ-बेटी के बच्चों में क्या रिश्ता हुआ?
  20. बेताल पच्चीसी

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