प्रमुख सुर्खियां
- मानवाधिकार आयोग देश के नागरिकों के मानव अधिकारों की रक्षा करता है।
- मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 के प्रावधानों के आधार पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)
- की स्थापना की गई।
- वर्ष 2006 और 2019 में मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम में संशोधन किए गए।
- इसे पेरिस के सिद्धांतों के आधार पर गठित किया गया है।
- पेरिस के सिद्धांतों को 1993 में संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा द्वारा अनुमोदित किया गया था।
मुख्य सदस्य और नियुक्तियां
- यह एक बहु सदस्यीय संस्था होती है। इसके चार सदस्य होते हैं और एक अध्यक्ष होता है।
- इसकी नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है।
- इसके नियुक्ति करने वाली समिति के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं। समिति में कुल छह सदस्य होते हैं।
- समिति में लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा के उपसभापति, संसद के दोनों सदनों के मुख्य विपक्षी नेता और केंद्रीय गृहमंत्री होते हैं।
- भारत के मुख्य न्यायाधीश या सुप्रीम कोर्ट जज को इसका अध्यक्ष नियुक्त किया जाता है।
- इसके अध्यक्ष का कार्यकाल तीन वर्ष तक या 70 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो) तक रहता है।
- राष्ट्रपति चाहे तो कुछ विशेष स्थितियों में इसके अध्यक्ष या किसी सदस्य को पद से हटाने का अधिकार भी रखते हैं।
मावधिकार आयोग के कार्य और शक्तियां
- मानवाधिकार आयोग के पास दीवानी अदालत के समान सभी शक्तियां होती हैं और वह इसके अनुरूप मामलों पर कार्यवाही भी कर सकता है।
- यह शिकायत किए जाने पर किसी भी केंद्रीय या राज्य स्तरीय अधिकारी की जांच करने हेतु अधिकृत है।
- यह किसी मामले के घटित होने के केवल एक वर्ष के भीतर ही उसे देख सकता है। एक वर्ष से अधिक समय हो जाने के बाद उस पर कार्यवाही करना इसके अधिकार क्षेत्र में नहीं है।
- इसके कार्य मुख्य रूप से सिफारशी प्रकार के होते हैं।
- सेना के सम्बन्ध में इसके अधिकार सीमित हैं।
- इसके पास किसी को दण्डित करने की कोई शक्ति नहीं होती है।
- किसी प्राइवेट बॉडी द्वारा मानवाधिकार का उल्लंघन किए जाने के सम्बन्ध में इसके पास एक्शन लेने का कोई अधिकार नहीं है।
- इसके पास पीड़ित पक्ष को आर्थिक मदद देने का भी की अधिकार नहीं है।
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