प्रमुख सुर्खयां
- केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वस्तु और सेवाकर (GST) पर परिषद की 47वीं बैठक में दर संरचना को सरल बनाने क प्रयास को आगे बढ़ाते हुए कई वस्तुओं पर मिलने वाली छूट को ख़त्म करते हुए कुछ वस्तुओं और सेवाओं के लिए उनकी दरों में बढ़ोतरी को मंजूरी प्रदान की है।
- मई 2022 में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले में कहा गया कि GST Council की सिफारिशें बाध्यकारी नहीं हैं।
- केरल और तमिलनाडु ने इस फैसले का स्वागत करते हुए माना है कि राज्य अपने अनुकूल सिफारिशों को स्वीकार कर सकते हैं।
GST के बारे में
- GST को 101वें संविधान संशोधन अधिनियम 2016 के माध्यम से प्रस्तुत किया गया था।
- यह देश के सबसे बड़े टैक्स सुधारों में से एक है।
- इसे वन नेशन वन टैक्स के नाम से भी जाना जाता है।
- GST के अंतर्गत उत्पाद शुल्क, वैल्यू एडेड टैक्स (VAT) और सेवा कर आदि अप्रत्यक्ष करों को शामिल किया गया है।
- जीएसटी कर के व्यापक भार को कम करता है जिसका प्रभाव सीधे अंतिम उपभोक्ता पर पड़ता है।
GST का ढांचा
- केंद्रीय GST के अंतर्गत आने वाले विषय : उत्पाद शुल्क सेवा कर आदि।
- राज्य GST के अंतर्गत आने वाले विषय : VAT, विलासिता कर आदि
- अंतराजीय व्यापार को IGST के अंतर्गत कवर किया जाता है।
- IGST एक कर न होकर राज्य और संघ के करों के एकत्रीकरण के लिए एक तरीका है।
- इसके अनुसार 5%, 12%, 18% और 28% की टैक्स स्लैब को शामिल किया गया है।
GST की उपयोगिता
- एक समूचे राष्ट्रीय बाज़ार का निर्माण
- कर अनुपालन में बढ़ोतरी
- कर चोरी में कमी लाना
- निश्चितता लेकर आना
- भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना
GST लागू करने की आवश्यकता क्यों पड़ी?
- दोहरे करों, करों की बहुलता को समाप्त करके एक समुचित राष्ट्रीय बाज़ार को खड़ा करने के लिए।
- उपभोक्ता पर पड़ने वाले अप्रत्यक्ष कर के बोझ को कम करने के लिए।
- इनपुट टैक्स क्रेडिट में कमी लाने के लिए।
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