यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) ने भारत में हायर एजुकेशन इंस्टिट्यूट्स में शैक्षणिक मानकों को बढ़ाने और एकेडमिक स्टैंडर्ड को बढ़ावा देने के लिए नई गाइडलाइंस जारी की हैं। सोशल साइंस, बिजनेस, एकेडमिक और शिक्षा उद्योग के शिक्षकों और लीडर से बनी एक प्रतिष्ठित समिति ने गाइडलाइंस का रोडमैप तैयार किया है जिसमें शैक्षिक चुनौतियों का सामना करना और भविष्य की चुनौतियों का अनुमान लगाना शामिल है।
UGC के चेयरमैन जगदीश कुमार के ट्वीट के मुताबिक, गाइडलाइंस का उद्देश्य एकेडमिक स्टैंडर्ड को बढ़ावा देने से लेकर रिचर्स को बढ़ावा देने और टेक्नोलॉजी को अपनाने का है। इससे शिक्षा के क्षेत्र में नाॅलेज और रिसर्च को प्रोत्साहित किया जा सके।
The Institutional Development Plan for Higher Education Institutions (HEIs) in India is a forward-looking roadmap for fostering innovation, enhancing academic excellence, and ensuring sustainable growth for the continual advancement of HEIs. Please read.https://t.co/RHcnHxP7k4 pic.twitter.com/VbuJDId8Yp
— Mamidala Jagadesh Kumar (@mamidala90) February 7, 2024
क्वालिटी एजुकेशन पर फोकस होना जरूरी
गाइडलाइंस में बताया गया है कि हायर एजुकेशन में क्वालिटी एजुकेशन पर फोकस होना आवश्यक है। इससे स्टूडेंट्स का क्लाॅस में ओवरऑल डेवलपमेंट होगा और वह अपनी परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे। आपको बता दें कि ये गाइडलाइंंस नेशनल एजुकेशन पाॅलिसी (NEP) 2020, सस्टेनेबल डेवलमेंट गोल्स (एसडीजी), और एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स (एबीसी) के अनुरूप हैं।
गाइडलाइंस में यह भी शामिल
- गाइडलाइंस से कमीशन का प्लान है कि इंस्टिट्यूशनल डेपलपमेंट के माध्यम से हायर एजुकेशनल इंस्टिट्यूट्स का मार्गदर्शन किया जाएगा।
- विश्व स्तर पर और भारत में हायर एजुकेशन में सीखने के परिणामों की गुणवत्ता और मानकों पर ध्यान केंद्रित करना।
- एजुकेशन में आगामी चुनौतियों का सामना करने और नेतृत्व की भूमिका के महत्व पर ध्यान देना।
- गाइडलाइंस क्वालिटी एजुकेशन पर जोर देती हैं और इसका लक्ष्य उच्च शिक्षा में भारतीय दृष्टिकोण का निर्माण करना है।
- गाइडलाइंस में ओवरऑल एजुकेशन पर जोर देने के साथ ही स्किल और कैपेसिटी के साथ कैंडिडेट्स का डेवलपमेंट कराना है।
UGC के बारे में
यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) 28 दिसंबर, 1953 को अस्तित्व में आया और विश्वविद्यालय में शिक्षा, परीक्षा और अनुसंधान के रेगुलेशंस के समन्वय और रखरखाव के लिए 1956 में संसद के एक अधिनियम द्वारा भारत सरकार की काॅंस्टिट्यूशनल बाॅडी बन गया। यह यूनिवर्सिटी और काॅलेजों को ग्रांट देता है।
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