भारत त्योहारों का देश है। उन्हीं में से एक है लोहड़ी का त्योहार जो ज्यादातर उत्तर भारत में मनाया जाता है। सिख धर्म के लोगों के लिए ये पर्व एक नए साल की तरह मनाया जाता है। इस दिन किसान अपनी नई फसल को अग्नि को समर्पित कर आभार व्यक्त करते हैं। कहा जाता है कि इस दौरान आग की लपटें जितनी ऊँची जाती हैं उतना ही अच्छा आशीर्वाद मिलता है। लोहड़ी का पर्व तो सब मनाते हैं, लेकिन कुछ ही लोग इसको मनाने का कारण भी जानते हैं। तो चलिए आज के इस ब्लॉग में हम आपको Why We Celebrate Lohri in Hindi के बारे में बताएंगे।
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फसल से जुड़ा है ये पर्व
मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाने वाला त्यौहार लोहड़ी का सम्बन्ध फसल से भी है। इस दिन से खेतों में गन्ने की फसल बोई जाती है और रबी की कटी फसलों को अग्नि में समर्पित किया जाता है। लोहड़ी का त्यौहार सुख समृद्धि और हर्षोउल्लास का दिन है।
इस दिन से गन्ने की फसल को बोया जाता है
नए साल के बाद सबसे पहले आने वाला त्यौहार लोहड़ी किसान और खेती को समर्पित है। इस दिन से ही गन्ने की खेती की शुरुवात होती है लेकिन उससे पहले रबी की फसल को काटा जाता है और उसे घर में संभल कर रख लिया जाता है। माना जाता है की लोहड़ी के त्यौहार के ज़रिए नई फसल का भोग देवी देवताओं को लग जाता है। इस दिन रात्रि में सभी लोग तिल, मुमफली, गुड़ से बानी मिठाइयों को अग्नि में समर्पित करते हैं।
लोहड़ी संत कबीर की पत्नी की याद में भी मनाया जाता है
लोहड़ी को मानने के पीछे का कारण यह भी है की लोहड़ी संत कबीर की पत्नी की याद में मनाया जाता है। जिनका नाम था लोई, इसी कारण लोहड़ी को लोई भी कहा जाता हैं। लेकिन इस त्यौहार से जुड़ी एक प्रचलित कथा दुल्ला भट्टी की भी है।
अक्सर आपने लोहड़ी के दिन दुल्ला भट्टी के नाम का ज़िक्र तो ज़रूर सुना होगा या उनसे जुड़े गीतों के बारे में। दुला भट्टी एक डांकू था जिसने सुंदरी और मुंदरी नमक लड़कियों को तस्करों से बचाकर उनकी शादी अच्छे लड़के से करवा दी थी जिसके बाद शगुन के तौर गुड़ और शक्कर बांटे गए, तभी से दुल्ला भट्टी की कहानी और गीत लोहड़ी के दिन सुनाए जाने लगे।
इस दिन किसान अपनी फसल को अग्नि में समर्पित करते हैं
लोहड़ी के त्यौहार की मुख्य चीज रात में जलने वाली आग है जो कि अग्निदेव का प्रतिनिधित्व करती है। इस दिन लोग एक जगह इकठ्ठा होकर अग्नि देव को तिल, गुड़ से बनी चीजें समर्पित करते हैं ताकि उनकी फसल अच्छी हो और बढ़ती रहे। लोक मान्यताओं के अनुसार आग की लपटें लोगों की प्रार्थना सूर्यदेव तक पहुँचाती है। जिसके बदले में उन्हें उनकी भूमि के लिए आशीर्वाद मिलता है।
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प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है यह दिन
लोहड़ी का त्यौहार मुख्य तौर पर अग्नि और सूर्य को समर्पित है। जिसकी पवित्र अग्नि में नई फसल को अर्पित किया जाता है। साथ ही प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए अग्नि में तिल, गुड़, मूंगफली आदि भी समर्पित किया जाता है। जिसके बदले में उन्हें आशीर्वाद प्राप्त होता है और देवी देवताओं तक भी फसल का कुछ अंश पहुँचता है। ताकि उनकी फसल अच्छी और लहराते रहे।
FAQs
नई फसल की पूजा की जाती है।
सूर्य देव और अग्नि देव का।
रेवड़ी, मूंगफली, गुड़, तिल और गजक चढ़ाने की परंपरा है।
लोहड़ी का अर्थ तीन शब्दों से बना है ‘ल’ का मतलब लकड़ी, ओह का मतलब उपले और ड़ी का मतलब रेवड़ी होता है।
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