Shakeel Badayuni Shayari: शकील बदायूनी के चुनिंदा शेर, शायरी और ग़ज़ल

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Shakeel Badayuni Shayari in Hindi

शकील बदायूनी उर्दू के प्रसिद्ध शायर और बॉलीवुड के मशहूर गीतकार थे, जिनकी रचनाओं ने समय-समय पर समान को आईना दिखाने का सफल प्रयास किया। शकील बदायूनी ने बॉलीबुड की कई लोकप्रिय फिल्मों के लिए शानदार गीत लिखे, इसके साथ ही उन्होंने अपनी रचनाओं में प्रेम, विरह और सौंदर्य के भावों का एक अनोखे ढंग से चित्रण किया। शकील बदायूनी के द्वारा लिखे गए गीतों को मोहम्मद रफी, लता मंगेशकर और आशा भोंसले जैसे मशहूर गायकों ने अपनी आवाज देकर सम्मानित किया। इस ब्लॉग में आप शकील बदायूनी की शायरी (Shakeel Badayuni Shayari in Hindi) के साथ-साथ, उनकी ग़ज़लें भी पढ़ने का अवसर मिल जाएगा। शकील बदायूनी के चुनिंदा शेर, शायरी और ग़ज़ल आपके जीवन में साहित्य को उचित स्थान और सम्मान देने का काम करेंगे।

शकील बदायूनी के बारे में

शकील बदायूनी के कुशल लेखन ने उन्हें उनके समय का एक मशहूर शायर और गीतकार बनाया। ये उनके लेखन का ही प्रभाव है कि आज भी उनका लेखन युवाओं के लिए उतना ही प्रासंगिक है, जितना कभी पहले हुआ करता था। शकील बदायूनी का जन्म 3 अगस्त 1916 को उत्तर प्रदेश के बदायूँ में हुआ था, उनका असली नाम इसरार हुसैन था। शकील बदायूनी ने मात्र 14 साल की उम्र से ही अपनी कविताएं लिखनी शुरू कर दी थी।

“शकील बदायूनी” ने अपनी शिक्षा उर्दू, अरबी, फारसी और हिंदी भाषाओं में प्राप्त की थी। शकील बदायूनी ने अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन की और कई सालों तक दिल्ली में सरकारी नौकरी पर रहें, जिसके बाद वर्ष 1940 में वह मुंबई चले गए और बाकी जीवन वहीं गुज़ारा। शकील बदायूनी की रचनाओं के कारण ही उनका नाम भारतीय सिनेमा के सम्मानित गीतकारों में आता है। शकील बदायूनी को तीन बार फिल्मफेयर पुरस्कार और वर्ष 1963 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। अपना जीवन उर्दू साहित्य के प्रति समर्पित करने वाले शकील बदायूनी का निधन 20 अप्रैल 1970 को मुंबई में हुआ था।

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शकील बदायूनी की शायरी – Shakeel Badayuni Shayari in Hindi

शकील बदायूनी की शायरी (Shakeel Badayuni Shayari in Hindi) पढ़कर आपको उर्दू साहित्य को समझने का मौका मिलेगा, जो कुछ इस प्रकार है:

Shakeel Badayuni Shayari in Hindi
"ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया 
जाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया..."

-शकील बदायूनी

"हम ने सीने से लगाया दिल न अपना बन सका 
 मुस्कुरा कर तुम ने देखा दिल तुम्हारा हो गया..."

-शकील बदायूनी

"उन्हें अपने दिल की ख़बरें मिरे दिल से मिल रही हैं 
मैं जो उन से रूठ जाऊँ तो पयाम तक न पहुँचे..."

-शकील बदायूनी

“मुझे छोड़ दे मेरे हाल पर तिरा क्या भरोसा है चारागर 
ये तिरी नवाज़िश-ए-मुख़्तसर मेरा दर्द और बढ़ा न दे…”

-शकील बदायूनी

“तर्क-ए-मय ही समझ इसे नासेह 
इतनी पी है कि पी नहीं जाती…”

-शकील बदायूनी

“मैं नज़र से पी रहा था तो ये दिल ने बद-दुआ दी 
तिरा हाथ ज़िंदगी भर कभी जाम तक न पहुँचे…”

-शकील बदायूनी

“वो हवा दे रहे हैं दामन की 
हाए किस वक़्त नींद आई है…”

-शकील बदायूनी

“दिल की बर्बादियों पे नाज़ाँ हूँ 
फ़तह पा कर शिकस्त खाई है…”

-शकील बदायूनी

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शकील बदायूनी के शेर

शकील बदायूनी के शेर पढ़कर आपको साहित्य के आँगन में फलने-फूलने की प्रेरणा मिलेगी। शकील बदायूनी के शेर निम्नलिखित हैं:

Shakeel Badayuni Shayari in Hindi
“अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे 
बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे…”

-शकील बदायूनी

“काँटों से गुज़र जाता हूँ दामन को बचा कर 
फूलों की सियासत से मैं बेगाना नहीं हूँ…”

-शकील बदायूनी

“वो हम से ख़फ़ा हैं हम उन से ख़फ़ा हैं 
मगर बात करने को जी चाहता है…”

-शकील बदायूनी

“तुम फिर उसी अदा से अंगड़ाई ले के हँस दो 
आ जाएगा पलट कर गुज़रा हुआ ज़माना…”

-शकील बदायूनी

“क्या असर था जज़्बा-ए-ख़ामोश में 
ख़ुद वो खिच कर आ गए आग़ोश में…”

-शकील बदायूनी

“भेज दी तस्वीर अपनी उन को ये लिख कर 'शकील' 
आप की मर्ज़ी है चाहे जिस नज़र से देखिए…”

-शकील बदायूनी

“कोई ऐ 'शकील' पूछे ये जुनूँ नहीं तो क्या है 
कि उसी के हो गए हम जो न हो सका हमारा…”

-शकील बदायूनी

“क्या हसीं ख़्वाब मोहब्बत ने दिखाया था हमें 
खुल गई आँख तो ताबीर पे रोना आया…”

-शकील बदायूनी

“काफ़ी है मिरे दिल की तसल्ली को यही बात 
आप आ न सके आप का पैग़ाम तो आया…”

-शकील बदायूनी

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शकील बदायूनी की दर्द भरी शायरी

शकील बदायूनी की दर्द भरी शायरी पढ़ने का अवसर मिलेगा, जो कुछ इस प्रकार हैं:

Shakeel Badayuni Shayari in Hindi
“ग़म-ए-हयात भी आग़ोश-ए-हुस्न-ए-यार में है 
ये वो ख़िज़ाँ है जो डूबी हुई बहार में है…”

-शकील बदायूनी

“दिल की तरफ़ 'शकील' तवज्जोह ज़रूर हो 
ये घर उजड़ गया तो बसाया न जाएगा…”

-शकील बदायूनी

“मेरा अज़्म इतना बुलंद है कि पराए शोलों का डर नहीं 
मुझे ख़ौफ़ आतिश-ए-गुल से है ये कहीं चमन को जला न दे…”

-शकील बदायूनी

“नई सुब्ह पर नज़र है मगर आह ये भी डर है 
ये सहर भी रफ़्ता रफ़्ता कहीं शाम तक न पहुँचे…”

-शकील बदायूनी

“ये अदा-ए-बे-नियाज़ी तुझे बेवफ़ा मुबारक 
मगर ऐसी बे-रुख़ी क्या कि सलाम तक न पहुँचे…”

-शकील बदायूनी

“मोहब्बत ही में मिलते हैं शिकायत के मज़े पैहम 
मोहब्बत जितनी बढ़ती है शिकायत होती जाती है…”

-शकील बदायूनी

“मुझे दोस्त कहने वाले ज़रा दोस्ती निभा दे 
ये मुतालबा है हक़ का कोई इल्तिजा नहीं है…”

-शकील बदायूनी

“कैसे कह दूँ कि मुलाक़ात नहीं होती है 
रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है…”

-शकील बदायूनी

“उठा जो मीना-ब-दस्त साक़ी रही न कुछ ताब-ए-ज़ब्त बाक़ी 
तमाम मय-कश पुकार उठ्ठे यहाँ से पहले यहाँ से पहले…”

-शकील बदायूनी

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मोहब्बत पर शकील बदायूनी की शायरी

मोहब्बत पर शकील बदायूनी की शायरी निम्नवत हैं, जो आपको मोहब्बत को महसूस करना सिखाएंगी;

"उन का ज़िक्र उन की तमन्ना उन की याद 
वक़्त कितना क़ीमती है आज कल..."

-शकील बदायूनी

“मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न दे 
मैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ से जाँ-ब-लब मुझे ज़िंदगी की दुआ न दे…”

-शकील बदायूनी

"जाने वाले से मुलाक़ात न होने पाई 
 दिल की दिल में ही रही बात न होने पाई..."

-शकील बदायूनी

“यूँ तो हर शाम उमीदों में गुज़र जाती है 
आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया…”

-शकील बदायूनी

"कभी यक-ब-यक तवज्जोह कभी दफ़अतन तग़ाफ़ुल 
मुझे आज़मा रहा है कोई रुख़ बदल बदल कर..."

-शकील बदायूनी

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शकील बदायूनी की ग़ज़ल – Shakeel Badayuni Ghazal

शकील बदायूनी की ग़ज़ल (Shakeel Badayuni Ghazal) आपको उर्दू साहित्य के सौंदर्य से परिचित कराएंगी, जो नीचे दी गई हैं-

आज फिर गर्दिश-ए-तक़दीर पे रोना आया

Shakeel Badayuni Shayari in Hindi
आज फिर गर्दिश-ए-तक़दीर पे रोना आया,
दिल की बिगड़ी हुई तस्वीर पे रोना आया,
इश्क़ की क़ैद में अब तक तो उमीदों पे जिए, 
मिट गई आस तो ज़ंजीर पे रोना आया,
क्या हसीं ख़्वाब मोहब्बत ने दिखाया था हमें, 
खुल गई आँख तो ता'बीर पे रोना आया,
पहले क़ासिद की नज़र देख के दिल सहम गया, 
फिर तिरी सुर्ख़ी-ए-तहरीर पे रोना आया,
दिल गँवा कर भी मोहब्बत के मज़े मिल न सके, 
अपनी खोई हुई तक़दीर पे रोना आया,
कितने मसरूर थे जीने की दुआओं पे 'शकील', 
जब मिले रंज तो तासीर पे रोना आया,

-शकील बदायूनी

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अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे

Shakeel Badayuni Shayari in Hindi
अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे,
बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे,
वो वक़्त भी ख़ुदा न दिखाए कभी मुझे,
उन की नदामतों पे हो शर्मिंदगी मुझे,
रोने पे अपने उन को भी अफ़्सुर्दा देख कर, 
यूँ बन रहा हूँ जैसे अब आई हँसी मुझे,
यूँ दीजिए फ़रेब-ए-मोहब्बत कि उम्र भर,
मैं ज़िंदगी को याद करूँ ज़िंदगी मुझे,
रखना है तिश्ना-काम तो साक़ी बस इक नज़र,
सैराब कर न दे मिरी तिश्ना-लबी मुझे,
पाया है सब ने दिल मगर इस दिल के बावजूद,
इक शय मिली है दिल में खटकती हुई मुझे,
राज़ी हों या ख़फ़ा हों वो जो कुछ भी हों'शकील',
हर हाल में क़ुबूल है उन की ख़ुशी मुझे,

-शकील बदायूनी

ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया

ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया 
जाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया 
यूँ तो हर शाम उमीदों में गुज़र जाती है 
आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया 
कभी तक़दीर का मातम कभी दुनिया का गिला 
मंज़िल-ए-इश्क़ में हर गाम पे रोना आया 
मुझ पे ही ख़त्म हुआ सिलसिला-ए-नौहागरी 
इस क़दर गर्दिश-ए-अय्याम पे रोना आया 
जब हुआ ज़िक्र ज़माने में मोहब्बत का 'शकील' 
मुझ को अपने दिल-ए-नाकाम पे रोना आया

-शकील बदायूनी

ग़म-ए-आशिक़ी से कह दो रह-ए-आम तक न पहुँचे

ग़म-ए-आशिक़ी से कह दो रह-ए-आम तक न पहुँचे 
मुझे ख़ौफ़ है ये तोहमत तिरे नाम तक न पहुँचे 
मैं नज़र से पी रहा था तो ये दिल ने बद-दुआ दी 
तिरा हाथ ज़िंदगी भर कभी जाम तक न पहुँचे 
वो नवा-ए-मुज़्महिल क्या न हो जिस में दिल की धड़कन 
वो सदा-ए-अहल-ए-दिल क्या जो अवाम तक न पहुँचे 
मिरे ताइर-ए-नफ़स को नहीं बाग़बाँ से रंजिश 
मिले घर में आब-ओ-दाना तो ये दाम तक न पहुँचे 
नई सुब्ह पर नज़र है मगर आह ये भी डर है 
ये सहर भी रफ़्ता रफ़्ता कहीं शाम तक न पहुँचे 
ये अदा-ए-बे-नियाज़ी तुझे बेवफ़ा मुबारक 
मगर ऐसी बे-रुख़ी क्या कि सलाम तक न पहुँचे 
जो नक़ाब-ए-रुख़ उठा दी तो ये क़ैद भी लगा दी 
उठे हर निगाह लेकिन कोई बाम तक न पहुँचे 
उन्हें अपने दिल की ख़बरें मिरे दिल से मिल रही हैं 
मैं जो उन से रूठ जाऊँ तो पयाम तक न पहुँचे 
वही इक ख़मोश नग़्मा है 'शकील' जान-ए-हस्ती 
जो ज़बान पर न आए जो कलाम तक न पहुँचे

-शकील बदायूनी

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