आज का समय डिजीटल ट्रांजेक्शन का समय है। अधिकतर युवा आज मोबाइल ऐप्स के द्वारा ही लेनदेन करना पसंद करते हैं। लेकिन इसके बावजूद भी अभी भी नकदी की अहमियत कम नहीं हुई है। खासतौर से लोकल बस या ऑटो रिक्शा में सफर करते समय सिक्कों की ही ज़रूरत होती है। क्रिकेट के मैच के टॉस का निर्धारण भी सिक्के के द्वारा ही किया जाता है। इससे पता चलता है कि सिक्के की महत्ता अभी भी बनी हुई है। क्या आपको पता है कि भारत में पहला एक रूपए का सिक्का कब बनाया गया? यहाँ उस बारे में विस्तार से बताया जा रहा है।
भारतीय सिक्के का इतिहास
भारत में पहला एक रूपए का सिक्का कब बनाया गया? इसे जानने के लिए आपको पहले भारतीय सिक्कों का इतिहास पता करना होगा। भारत में सिक्कों की अपनी एक अलग रोचक दास्तान है। एक रुपए के सिक्के का इतिहास और भी खास रहा है क्योंकि इसे उस दौर में लाया गया जब देश में पहले से अलग-अलग तरह की मुद्राओं का चलन था। दरअसल व्यापार में आने वाली लेन देन संबंधी परेशानियों को दूर करने के लिए किया गया था।
19 अगस्त, 1757 को भारत में सिक्के के रूप में सर्वप्रथम एक रुपए की मुद्रा को जारी किया गया था। हालांकि, शुरुआती दौर में इसका दायरा सीमित था, लेकिन इतिहास में यह तारीख मुख्य रूप से उल्लेखित की गई है।
1962 में आया आज़ाद भारत का पहला एक रूपए का सिक्का
एक रूपए का सिक्का कलकत्ता स्थित टकसाल से जारी किया गया था। एक रूपए के सिक्के से पहले इस टकसाल में सोने, चांदी और ताम्बे के सिक्के ढाले जाते थे जिनको क्रमशः कैरोलिना, एंजलीना और कॉपरून के नाम से जाना जाता था। आज़ादी के बाद भी वर्ष 1950 तक भारत में अंग्रेजों के वाले गए सिक्के ही चलन में थे। इसके बाद भारत ने अपने सिक्के ढालने शुरू किए। वर्ष 1962 में एक रूपए का सिक्का आज़ादी के बाद का पहला एक रूपए का सिक्का था जो कि चलन में आया और अभी तक प्रचलन में है।
एक रुपया = 16 आना
प्रारम्भ में एक रुपए का मतलब 16 आना हुआ करता था। यानि उस 1 रूपए का सिक्का 64 पैसों के बराबर हुआ करता था। एक आने में 4 पैसे हुआ करते थे।
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आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको पहला एक रुपये का सिक्का कब बनाया गया? से जुड़ी पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।