हिंदी भाषा, हमारी सांस्कृतिक धरोहर और राष्ट्र की आत्मा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल हमारी पहचान है, बल्कि हमारी भावनाओं, विचारों और सांस्कृतिक मूल्यों को भी व्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम है। हिंदी भाषा पर श्लोकों का अध्ययन और साधना हमें इस भाषा की गहराई, सौंदर्य और महत्व को समझने में मदद करती है। इस ब्लॉग में 50+ हिंदी भाषा पर श्लोक (Hindi Bhasha Par Shlok) दिए गए हैं जो हिंदी भाषा की खूबसूरती और उसकी महत्वता को उजागर करते हैं। प्रत्येक श्लोक के साथ उसकी भावार्थ की व्याख्या भी दी गई है, ताकि आप हिंदी भाषा के प्रति अपनी सराहना को और गहरा कर सकें।
हिंदी भाषा पर श्लोक – Hindi Bhasha Par Shlok
हिंदी भाषा पर श्लोक (Hindi Bhasha Par Shlok) भावार्थ के साथ नीचे दिए गए हैं –
- “हिंदी भाषा में छुपा है प्रेम का सागर,
शब्दों की मिठास, जैसे मधु का आकार।”
भावार्थ: हिंदी भाषा में प्रेम की गहराई और शब्दों की मिठास निहित है, जैसे मधु की मिठास।
- “हिंदी वाणी से सजी है यह धरती,
शब्दों की धुन में बसी है यह सृष्टि।”
भावार्थ: हिंदी भाषा से यह धरती सजी है, और शब्दों की धुन में पूरी सृष्टि बसती है।
- “हिंदी भाषा की छांव में जीवन सवेरा,
इसके शब्दों से बनता है हर एक क्षेत्रा।”
भावार्थ: हिंदी भाषा की छांव में जीवन एक नई सुबह की तरह होता है, और इसके शब्द हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण होते हैं।
- “सपनों का संसार है हिंदी की भाषा,
इसके शब्दों में छुपा है सुख और आशा।”
भावार्थ: हिंदी भाषा में सपनों का संसार बसा है, और इसके शब्द सुख और आशा को व्यक्त करते हैं।
- “हिंदी की ध्वनि में है सच्चाई की रचना,
इसके शब्दों में छुपी है ज्ञान की कला।”
भावार्थ: हिंदी की ध्वनि में सच्चाई की रचना होती है, और इसके शब्द ज्ञान की कला को उजागर करते हैं।
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- “हिंदी भाषा का अमृत, हर दिल को छूता,
शब्दों की मिठास, सबके मन को भाता।”
भावार्थ: हिंदी भाषा का अमृत हर दिल को छूता है, और इसके शब्दों की मिठास सभी के मन को भाती है।
- “हिंदी भाषा की छांव में संस्कृति की बात,
इसके शब्दों में बसी है भारतीयता की सौगात।”
भावार्थ: हिंदी भाषा की छांव में भारतीय संस्कृति की बात है, और इसके शब्द भारतीयता की सौगात हैं।
- “हिंदी भाषा से खिलते हैं रिश्तों के फूल,
इसके शब्दों में छुपा है प्रेम का धूल।”
भावार्थ: हिंदी भाषा से रिश्तों के फूल खिलते हैं, और इसके शब्द प्रेम की धूल में छुपे होते हैं।
- “हिंदी का गीत गाता है आकाश का चाँद,
इसके शब्दों में छुपी है धरती की जान।”
भावार्थ: हिंदी का गीत आकाश के चाँद की तरह गाता है, और इसके शब्द धरती की जान को उजागर करते हैं।
- “हिंदी भाषा की रचना में छुपा है इतिहास,
इसके शब्दों में बसी है सभ्यता का अतीत।”
भावार्थ: हिंदी भाषा की रचना में इतिहास छुपा है, और इसके शब्द सभ्यता के अतीत को दर्शाते हैं।
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- “हिंदी का स्वर है शांति का संगी,
इसके शब्दों में छुपी है अमन की ध्वनि।”
भावार्थ: हिंदी का स्वर शांति का साथी है, और इसके शब्द अमन की ध्वनि को व्यक्त करते हैं।
- “हिंदी की भाषा में सजी है कविता की चमक,
इसके शब्दों में बसी है कला की झलक।”
भावार्थ: हिंदी भाषा में कविता की चमक है, और इसके शब्द कला की झलक को प्रकट करते हैं।
- “हिंदी भाषा से जुड़ी हैं दिल की धड़कनें,
इसके शब्दों में बसी हैं भावनाओं की रागनें।”
भावार्थ: हिंदी भाषा दिल की धड़कनों से जुड़ी है, और इसके शब्द भावनाओं के राग को व्यक्त करते हैं।
- “हिंदी के शब्दों में है ज्ञान का दीप,
इसके संदेशों में बसी है सच्चाई की क्रीप।”
भावार्थ: हिंदी शब्दों में ज्ञान का दीप है, और इसके संदेश सच्चाई की क्रीप को उजागर करते हैं।
- “हिंदी भाषा की छांव में मिलती है शांति,
इसके शब्दों में बसी है सभ्यता की मान्यता।”
भावार्थ: हिंदी भाषा की छांव में शांति मिलती है, और इसके शब्द सभ्यता की मान्यता को दर्शाते हैं।
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- “हिंदी के शब्द बुनते हैं स्वप्नों का राग,
इसके संदेशों में छुपा है जीवन का भाग।”
भावार्थ: हिंदी के शब्द स्वप्नों का राग बुनते हैं, और इसके संदेश जीवन के भाग को प्रकट करते हैं।
- “हिंदी की भाषा में बसी है संस्कृति की धारा,
इसके शब्दों में छुपी है सभ्यता की सारा।”
भावार्थ: हिंदी भाषा में संस्कृति की धारा है, और इसके शब्द सभ्यता का पूरा सार छुपाते हैं।
- “हिंदी के शब्द बुनते हैं रिश्तों की धागा,
इसके संदेशों में बसी है आत्मा की सागर।”
भावार्थ: हिंदी के शब्द रिश्तों की धागा बुनते हैं, और इसके संदेश आत्मा का सागर प्रकट करते हैं।
- “हिंदी भाषा की गूंज में छुपा है सुख का संगी,
इसके शब्दों में बसी है हृदय की लगन।”
भावार्थ: हिंदी भाषा की गूंज में सुख का साथी है, और इसके शब्द हृदय की लगन को व्यक्त करते हैं।
- “हिंदी का शब्द प्रकाश है बुद्धि का दीप,
इसके संदेशों में छुपा है प्रेम का रीप।”
भावार्थ: हिंदी का शब्द बुद्धि का दीप है, और इसके संदेश प्रेम की गहराई को प्रकट करते हैं।
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- “हिंदी की भाषा से जुड़ी है संस्कृति की जड़,
इसके शब्दों में बसी है विरासत की क़द।”
भावार्थ: हिंदी भाषा संस्कृति की जड़ से जुड़ी है, और इसके शब्द विरासत की क़द को दर्शाते हैं।
- “हिंदी भाषा का अद्भुत है रस,
इसके शब्दों में छुपा है संस्कृति का हर्ष।”
भावार्थ: हिंदी भाषा का रस अद्भुत है, और इसके शब्द संस्कृति के हर्ष को प्रकट करते हैं।
- “हिंदी भाषा में छुपा है भावनाओं का सागर,
इसके शब्दों में बसी है प्रेम की झिलमिलागर।”
भावार्थ: हिंदी भाषा में भावनाओं का सागर छुपा है, और इसके शब्द प्रेम की झिलमिलाहट को व्यक्त करते हैं।
यह थे 23 हिंदी भाषा पर श्लोक (Hindi Bhasha Par Shlok) आगे पढ़ते रहिए
हिंदी भाषा पर श्लोक संस्कृत में – Hindi Bhasha Par Shlok in Sanskrit
हिंदी भाषा पर श्लोक संस्कृत में (Hindi Bhasha Shlok in Sanskrit) इस प्रकार हैं –
श्लोक 1:
“सर्वे भाषायाः सुखदायाः, हृदयं हि सुखायम्।
हिंदी भाषा सुरम्यत्वे, जीवनस्य निधानम्।”
भावार्थ: सभी भाषाएँ आनंद देती हैं, लेकिन हिंदी, अपनी मीठी प्रकृति के साथ, जीवन का खजाना है।
श्लोक 2:
“भाषा सर्वमयी नित्यं, हिंदीया समृद्धिस्वरम्।
संस्कृतिः प्रवर्धिता, वाङ्मयं ललितम्॥”
भावार्थ: भाषा हमेशा विद्यमान रहती है, हिंदी समृद्धि का प्रतीक है। संस्कृति को पोषित करती है और वाणी को ललित बनाती है।
श्लोक 3:
“हिंदी भाषा वैभवाति, सुर-गुण सुमधुराम्।
संगृहीतस्य शीलस्य, सुकृतिः स्वप्नभ्रमाम्॥”
भावार्थ: हिंदी भाषा की महिमा है, इसके दिव्य और मधुर गुण हैं। यह शील और सद्गुणों को समेटे हुए है, जो सपनों को भी प्रभावी बनाते हैं।
श्लोक 4:
“विवेकसारं हिंदीं, वाणी तां प्रशंसे।
तात्त्विकता सम्पन्ना, मनसां भूतलस्य॥”
भावार्थ: हिंदी विवेक का सार है, इसकी वाणी सराहनीय है। यह दार्शनिक गहराई में पूर्ण है और पृथ्वी के दिल से जुड़ी है।
श्लोक 5:
“सुधा-रश्मि समन्वितां, हिंदीं वदामि याम्।
पावनं सत्यकाव्यं, सदा तामिह वन्दामि॥”
भावार्थ: मैं हिंदी की बात करता हूँ, जो अमृत की किरणों से अलंकृत है। यह पवित्र और सत्य कविताएं हैं जिन्हें मैं हमेशा श्रद्धा से स्वीकार करता हूँ।
श्लोक 6:
“जगताम् इष्टरम्यत्वं, हिंदी गीतिरेव हि।
पवित्रा सदा सुगन्धा, वैभवस्य व्यञ्जिका॥”
भावार्थ: इस संसार में, हिंदी सबसे मधुर संगीत है। यह हमेशा पवित्र और सुगंधित रहती है, और वैभव की संकेतक है।
श्लोक 7:
“मधुरं हिंदी वाक्यम्, समृद्धि सुखायाम्।
वाङ्मयी सुरनादेति, चिरं चलति धीरम्॥”
भावार्थ: हिंदी के मधुर शब्द समृद्धि और खुशी लाते हैं। वे दिव्य संगीत की तरह गूंजते हैं, जो शांति के साथ स्थिर रहते हैं।
श्लोक 8:
“हिंदीभाषायाः सौम्यं, काव्यशास्त्रम् आदृतम्।
संस्कृति संवलितां, लोकमानं प्रतीयते॥”
भावार्थ: हिंदी की सौम्यता, काव्यशास्त्र में आदृत है। यह संस्कृति को बनाए रखती है और लोगों के बीच सम्मानित होती है।
श्लोक 9:
“सर्वस्मिन्सु विशेषं, हिंदी वाङ्मयं यथा।
दिव्यं मम हृद्यानि, यथा ताम् समन्वितम्॥”
भावार्थ: सभी भाषाओं में, हिंदी का स्थान विशेष है। यह मेरे हृदय में दिव्य है, जैसा कि यह आकाशीय गुणों के साथ मेल खाती है।
श्लोक 10:
“सुधा-सरणी हिंदी, स्वराति नित्यम्।
जीवनस्य माध्यमम्, लोकस्मृति वैभवम्॥”
भावार्थ: हिंदी एक अमृत की धारा है, जो हमेशा मधुर होती है। यह जीवन का माध्यम और लोक स्मृति की महिमा है।
श्लोक 11:
“वाणी त्वां यत्र गत्वा, ज्ञायते गुणसागरम्।
हिंदी सदा श्रेयोवती, अद्वितीय स्वरायाम्॥”
भावार्थ: जहां भाषण की दिशा होती है, वहां गुणों का सागर प्रकट होता है। हिंदी हमेशा श्रेष्ठ और अनुपम ध्वनि है।
श्लोक 12:
“उत्कर्षलक्ष्मी हिंदी, भवती वर्धमानम्।
श्रुतवाक्याः प्रीयते, मनोहरस्य नन्दनी॥”
भावार्थ: हिंदी, उत्कृष्टता की देवी है, जो हमेशा बढ़ती रहती है। सुनी गई बातें प्रिय होती हैं, और आनंद की पुत्री की तरह आकर्षक हैं।
श्लोक 13:
“प्रभात-रश्मि हिंदी, काव्यलक्ष्मी दिव्याः।
संस्कृत्याः सुहृदं हि, सर्वांगीणं निपुणम्॥”
भावार्थ: हिंदी, प्रातः की किरण की तरह, दिव्य काव्य की देवी है। यह संस्कृति की मित्र है और सभी पहलुओं में कुशल है।
श्लोक 14:
“सुपठ्यं हिंदी वाक्यं, सदा स्मृतिशक्ति दायिनी।
शुद्धं रसभरेण, विदितं जगतां यथा॥”
भावार्थ: हिंदी का सुगम वाक्य हमेशा स्मरण शक्ति प्रदान करता है। यह शुद्ध और रसपूर्ण है, और पूरी दुनिया में ज्ञात है।
श्लोक 15:
“हिंदी भाषा वैभवाति, जीवनस्य सुन्दरिता।
सुन्दरं दर्शयति, प्रकटं आत्मभूतम्॥”
भावार्थ: हिंदी भाषा की महिमा है, जो जीवन की सुंदरता को प्रकट करती है। यह आत्मा की स्पष्ट सुंदरता को दर्शाती है।
श्लोक 16:
“काव्यवाणी हिंदी, सौम्या सुरमधुरा।
शिक्षामृत-दायिनी, तात्त्विकता प्रभा॥”
भावार्थ: हिंदी की काव्य वाणी, सौम्य और मधुर है। यह शिक्षा का अमृत प्रदान करती है और दार्शनिक चमक को दर्शाती है।
श्लोक 17:
“सर्वगुण-निर्मिता हिंदी, तत्र लावण्यवती।
संस्कृतिपरिपोषणी, लोकानां सुखजननी॥”
भावार्थ: हिंदी, सभी गुणों से निर्मित है और सुंदरता की प्रतीक है। यह संस्कृति को पोषित करती है और लोगों की खुशी को बढ़ाती है।
श्लोक 18:
“हिंदीयानि वाणी, सुखस्य दायिनी।
सद्रूपवर्षा, प्रकटं शीतलम्॥”
भावार्थ: हिंदी की वाणी सुख का स्रोत है। यह अपने सच्चे रूप में बहती है और शीतलता को प्रकट करती है।
श्लोक 19:
“शुद्धा हिंदी वाणी, सौम्या सुरमधुरा।
शिक्षामृत-दायिनी, आदर्श तु भव्याः॥”
भावार्थ: हिंदी की वाणी शुद्ध और सौम्य है, मधुरता से भरी हुई है। यह शिक्षा का अमृत देती है और आदर्श और भव्य है।
श्लोक 20:
“नित्यम् आनंददाता हिंदी, वाणी विमुक्तिः।
सृजनस्य सर्वविधा, सुरलक्ष्मी स्थिता॥”
भावार्थ: हिंदी, जो सदा आनंद देती है, वाणी को मुक्त करती है। यह सभी प्रकार के सृजन का स्रोत है और दिव्य संपत्ति में स्थित है।
यह थे 20 हिंदी भाषा पर संस्कृत में श्लोक (Hindi Bhasha Par Shlok) आगे पढ़ते रहिए
श्लोक 21:
“धारिणी हिंदी, मनोहरं वचसा।
विविधतया प्रदीप्तं, जीवनस्य रमणम्॥”
भावार्थ: हिंदी, जो सब कुछ समेटे हुए है, मनोहर शब्दों से भरी है। यह विविधता से प्रकाशित है और जीवन की सुख-समृद्धि का स्रोत है।
श्लोक 22:
“भाषा-रूपिणी हिंदी, संवृद्धिस्वरूपिणी।
समृद्धि-प्रसारिणी, सर्वस्व-धारा॥”
भावार्थ: हिंदी भाषा का रूप है, जो विकास का स्वरूप है। यह समृद्धि को फैलाती है और सभी का आधार है।
श्लोक 23:
“हिंदी वाणी मधुरं, संस्कृतिः सुरा।
शिक्षामृत-दायिनी, तात्त्विकता प्रभा॥”
भावार्थ: हिंदी की वाणी मधुर है, संस्कृति की अमृत है। यह शिक्षा का अमृत देती है और दार्शनिक चमक को प्रकट करती है।
श्लोक 24:
“हिंदी ज्ञानस्य प्रभा, वाणी सुखप्रदायिनी।
संस्कृति-संरक्षक, जीवनस्य सौंदर्या॥”
भावार्थ: हिंदी ज्ञान की चमक है, वाणी जो सुख देती है। यह संस्कृति की संरक्षक है और जीवन की सुंदरता है।
श्लोक 25:
“भाषाशास्त्रमयी हिंदी, सम्पूर्णा दिव्यरूपा।
सौम्यतेषु परिपूर्णा, लक्षणस्य प्रीयताम्॥”
भावार्थ: हिंदी भाषाशास्त्र में पूरी और दिव्य रूप से पूर्ण है। यह सौम्यता में परिपूर्ण है और लक्षणों में प्रिय है।
श्लोक 26:
“संपूर्णा हिंदी, ज्ञानस्य समृद्धि।
वाणी सुरमयी, जीवनस्य रत्नम्॥”
भावार्थ: हिंदी पूर्णता के साथ, ज्ञान की समृद्धि है। इसकी वाणी मधुर है और जीवन का रत्न है।
श्लोक 27:
“हिंदी वाणी रसमयी, सुखदायिनी मम।
संस्कृतिः प्रकाशिनी, चिरं जीवितस्य॥”
भावार्थ: हिंदी की वाणी रस से भरी है, जो मुझे खुशी देती है। यह संस्कृति को प्रकाशित करती है और जीवनभर बनी रहती है।
श्लोक 28:
“सर्वगुणयुक्ता हिंदी, वाणी आत्माभ्युत्थानम्।
सम्पूर्णा जीवनस्य, अद्वितीय शश्वत॥”
भावार्थ: हिंदी सभी गुणों से युक्त है, वाणी आत्मा की उन्नति है। यह जीवन की पूर्णता और अद्वितीयता को दर्शाती है।
श्लोक 29:
“हिंदी मधुर वाणी, संस्कृतिः पवित्रा।
शिक्षां देती चिरं, सुकृतमयी वचसा॥”
भावार्थ: हिंदी की वाणी मधुर है, संस्कृति पवित्र है। यह दीर्घकाल तक शिक्षा देती है और सद्गुणपूर्ण शब्द है।
श्लोक 30:
“भाषा-रूपी हिंदी, संस्कृतिसंरक्षिता।
सुवर्णवाणी नित्यम्, जीवनस्य आधारम्॥”
भावार्थ: हिंदी भाषा का रूप है, संस्कृति की संरक्षक है। यह सदा सुवर्णवाणी है और जीवन का आधार है।
श्लोक 31:
“हिंदी वाणी अत्यंत सुखद, सौम्यतां युक्तम्।
संस्कृति धारिणी, सृजनाय गुणयुक्तम्॥”
भावार्थ: हिंदी की वाणी अत्यंत सुखद और सौम्यता से युक्त है। यह संस्कृति की धारक है और गुणयुक्त सृजन के लिए है।
श्लोक 32:
“वाणी हिंदी का सौंदर्य, सबके मन को छूता।
संस्कृतिका आधार, जीवन को सँवारा॥”
भावार्थ: हिंदी की वाणी का सौंदर्य सबके दिल को छूता है। यह संस्कृति का आधार है और जीवन को संवारती है।
श्लोक 33:
“हिंदी की वाणी में है, ज्ञान की अमृतधारा।
संस्कृति का पथप्रदर्शक, जीवन का सारा॥”
भावार्थ: हिंदी की वाणी में ज्ञान की अमृतधारा है। यह संस्कृति की पथप्रदर्शक है और जीवन का संपूर्ण हिस्सा है।
श्लोक 34:
“हिंदी की शब्द-धारा, ज्ञान का दायिनी।
संस्कृतिः समृद्धि की, जीवन की भवानी॥”
भावार्थ: हिंदी की शब्दधारा ज्ञान का दायिनी है। यह संस्कृति और समृद्धि की देवी है, और जीवन की भाग्यशाली है।
श्लोक 35:
“हिंदी भाषा की मृदुलता, सबको भाती है।
संस्कृति की सुंदरता, जीवन को सजाती है॥”
भावार्थ: हिंदी भाषा की मृदुलता सभी को भाती है। संस्कृति की सुंदरता जीवन को सजाती है।
श्लोक 36:
“वाणी हिंदी की सुंदरता, सबको आनंद देती।
संस्कृति की प्रतिष्ठा, जीवन को रोशन करती॥”
भावार्थ: हिंदी की वाणी की सुंदरता सभी को आनंदित करती है। संस्कृति की प्रतिष्ठा जीवन को रोशन करती है।
श्लोक 37:
“हिंदी भाषा का सौंदर्य, गुणों से परिपूर्ण है।
संस्कृति की रक्षा, जीवन की सम्पत्ति है॥”
भावार्थ: हिंदी भाषा का सौंदर्य गुणों से भरा हुआ है। यह संस्कृति की रक्षा करती है और जीवन की सम्पत्ति है।
श्लोक 38:
“हिंदी वाणी की मधुरता, सबको प्रिय लगती है।
संस्कृति का समर्थन, जीवन को संवारती है॥”
भावार्थ: हिंदी वाणी की मधुरता सबको प्रिय लगती है। संस्कृति का समर्थन जीवन को संवारता है।
श्लोक 39:
“हिंदी की वाणी की विशेषता, ज्ञान का प्रकाश है।
संस्कृति की संरक्षक, जीवन की सुगंध है॥”
भावार्थ: हिंदी की वाणी की विशेषता ज्ञान की चमक है। यह संस्कृति की संरक्षक है और जीवन की सुगंध है।
श्लोक 40:
“हिंदी की वाणी में है, भावनाओं की अमृतधारा।
संस्कृति का संगठक, जीवन का प्यारा॥”
भावार्थ: हिंदी की वाणी में भावनाओं की अमृतधारा है। यह संस्कृति का संगठक और जीवन का प्रिय है।
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