प्रथम विश्व युद्ध दुनिया का पहला महायुद्ध था। इस युद्ध से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पूरी दुनिया प्रभावित हुई थी। इस युद्ध की शुरुआत यूरोप की धरती पर हुई थी। इस युद्ध में लगभग 6 करोड़ यूरोपीय लड़ाकों ने भाग लिया था। यह दुनिया के सबसे घटक युद्धों में से एक था। इस युद्ध में पूरी दुनिया के लगभग 9 करोड़ सैनिक मारे गए थे। यह वास्तव में यह युद्ध राष्ट्रों के द्वारा अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने और वर्चस्व स्थापित करने की लड़ाई थी। यहां First World War Kab Hua Tha (प्रथम विश्व युद्ध कब हुआ था) और इसमें भारत की भूमिका एवं इसके प्रभावों के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है।
प्रथम विश्व युद्ध कब हुआ था? (First World War Kab Hua Tha)
प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत 28 जुलाई 1914 को शुरू हुआ था और 11 नवम्बर 1918 तक चला था। इस युद्ध की भीषणता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह युद्ध चार साल से भी अधिक दिनों तक चला था और इसने पूरे दुनिया के लगभग 9 करोड़ से भी ज्यादा लोगों को प्रभावित किया था।
प्रथम विश्व युद्ध में भारत की भूमिका
प्रथम विश्व युद्ध के समय भारत ब्रिटेन का उपनिवेश था। भारत की जनता अंग्रेजों की गुलाम थी। भारत के लोगों को नहीं चाहते हुए भी ज़बरदस्ती युद्ध में घसीटा गया था। किसानों के हाथों में से हल छीनकर उन्हें ज़बरदस्ती हथियार पकड़ा दिए गए थे। एक ब्रिटिश सैनिक के खर्चे में 10 भारतीय सैनिक रखे जाते थे। भारतीय सैनिकों को मूलभूत सुविधाएं जैसे राशन आदि भी नहीं प्रदान की जाती थीं। इस युद्ध में भारत के जवान न चाहते हुए भी ब्रिटेन की तरफ से लड़ रहे थे और अपनी जान गँवा रहे थे।
प्रथम विश्व युद्ध के प्रभाव
प्रथम विश्व युद्ध आर्थिक और सामजिक रूप से काफी घातक साबित हुआ था:
आर्थिक परिणाम
- विनाशकारी खर्च: युद्ध में शामिल देशों ने भारी मात्रा में धन खर्च किया। हथियारों, गोला-बारूद, सैनिकों के भरण-पोषण और बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण पर अरबों डॉलर खर्च हुए। इसने इन देशों की अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया।
- करों में वृद्धि: युद्ध के खर्च को पूरा करने के लिए सरकारों ने करों में भारी वृद्धि की। इससे लोगों की क्रय शक्ति कम हुई और अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ी।
- मुद्रास्फीति: युद्ध के दौरान मुद्रा का अत्यधिक मुद्रण हुआ, जिसके कारण मुद्रास्फीति बढ़ गई। इससे वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें आसमान छूने लगीं।
- औद्योगिक उत्पादन में गिरावट: युद्ध के कारण कई कारखानों और उद्योगों को नष्ट कर दिया गया था। इससे औद्योगिक उत्पादन में गिरावट आई और बेरोजगारी बढ़ गई।
- विश्व व्यापार में गिरावट: युद्ध के कारण विश्व व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ। समुद्री मार्ग अवरुद्ध हो गए और व्यापारिक संबंधों में तनाव बढ़ गया।
सामजिक परिणाम
- महिलाओं की भूमिका में बदलाव: पुरुषों के युद्ध में जाने के कारण महिलाओं को कारखानों और कार्यालयों में काम करना पड़ा। इससे महिलाओं की सामाजिक स्थिति में सुधार हुआ और उन्हें अधिक स्वतंत्रता मिली।
- राष्ट्रवाद का उदय: युद्ध ने राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा दिया। लोगों ने अपने देश के प्रति समर्पण की भावना दिखाई।
- समाजवादी विचारधारा का उदय: युद्ध के बाद कई देशों में सामाजवादी विचारधारा मजबूत हुई। लोगों ने समानता और न्याय की मांग की।
- नई विश्व व्यवस्था का उदय: युद्ध के बाद यूरोप का वर्चस्व समाप्त हो गया और अमेरिका एक नई विश्व शक्ति के रूप में उभरा।
- राष्ट्रों के विभाजन: युद्ध के बाद कई नए राष्ट्रों का उदय हुआ और पुराने साम्राज्यों का पतन हुआ।
प्रथम विश्व युद्ध का भारत पर प्रभाव
प्रथम विश्व युद्ध ने भारत को भी व्यापक रूप से प्रभावित किया था:
- प्रथम विश्व युद्ध में भारतीयों को जबरन डाला गया था। इस कारण से लोगों को अंग्रेजों से और अधिक नफरत हो गई और लोगों में राष्ट्रवाद की भावना का उदय हुआ।
- प्रथम विश्व युद्ध के समय अंग्रेजों ने युद्ध का खर्च उठाने के लिए भारतीय संसाधनों का जमकर दोहन किया जिसके आर्थिक दुष्परिणाम भारत को झेलने पड़े थे।
- प्रथम विश्व युद्ध में कई भारतीय नागरिक अपने प्राणों से हाथ धो बैठे थे, जिस कारण से कई परिवार बर्बाद हो गए।
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