हिन्दी साहित्य में ‘छायावादी युग’ के चार स्तंभों में से एक सुमित्रानंदन पंत ने 7 वर्ष की अल्प आयु में ही काव्य रचनाएं शुरू कर दी थीं। हिंदी काव्य धारा में उनकी रचनाएं वीणा, पल्लव, तारापथ, आजाद, गंगा, नौका-विहार, धरती का आंगन इठलाता आदि प्रमुख हैं। अपने जीवनकाल के दौरान उन्होंने 28 किताबें प्रकाशित कीं जिनमें कविताएं, काव्य नाटक और निबंध शामिल थे। उनकी रचनाओं के बारे में हिंदी की परीक्षाओं के अलावा UPSC मेंस एग्जाम और इंटरव्यू में भी पूछा जाता है, इसलिए इस ब्लाॅग में हम सुमित्रानन्दन पन्त की किताबें ( Sumitranandan Pant Books) विस्तार से जानेंगे।
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सुमित्रानन्दन पन्त के बारे में
सुमित्रानंदन पंत का जन्म बागेश्वर ज़िले के कौसानी, उत्तराखंड में 20 मई 1900 को हुआ था। बचपन में उनका नाम ‘गुसाईं दत्त’ था लेकिन हाई स्कूल के समय उन्होंने अपना नाम बदलकर सुमित्रानंदन पंत रख लिया। पंत ने सात वर्ष की अल्प आयु में ही कविता लिखना शुरू कर दिया था। उनका रचनाकाल वर्ष 1916 से 1977 तक लगभग 60 वर्षों तक रहा। 28 दिसंबर 1977 को 77 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया और इसी के साथ छायावाद के युग का अंत हो गया था।
सुमित्रानन्दन पन्त की किताबें कौन सी हैं?
सुमित्रानंदन पंत का पूरा जीवन हिंदी साहित्य में ही बीता और उनकी काव्य रचनाएं किसी के भी जीवन को नया नजरिया देती हैं। 1907 से 1918 के दौरान लिखी गईं पंत जी की कविताओं को संकलित कर 1927 में इसे वीणा के नाम से प्रकाशित किया गया था।
बता दें कि महाकवि सुमित्रा नंदन पंत जी जब 22 वर्ष के थे तब उनकी पहली किताब उच्छावास और दूसरी किताब पल्लव प्रकाशित हुई थी। कवि सुमित्रानंदन पंत जी ने अपनी 77 वर्ष के जीवन में कई पुस्तकें लिखीं, जिनमें उपन्यास, कविता, निबंध, पद्य नाटक आदि शामिल हैं, जिनके बारे में यहां बताया जा रहा है।
वीणा
महाकवि सुमित्रानंदन पंत जी ने 1919 में वीणा की रचना की और अपने इस काव्य संग्रह में कुदरत की सौंदर्यता का चित्रण गीतों के माध्यम से किया है।
ग्रंथी
महाकवि सुमित्रानंदन पंत जी ने ग्रंथी को 1920 में रचना का रूप दिया और अपने इस काव्य संग्रह में वियोग-व्यथा को व्यक्त किया है।
पल्लव
पंत जी का तीसरा कविता संग्रह पल्लव और इसे 1926 में प्रकाशित किया गया था। इसमें कवि ने पत्तों के माध्यम से कुछ बातें कहने की कोशिश की है।
गुंजन
पंत जी ने 1932 में गुंजन को रचना का रूप दिया और इसमें उन्होंने अपने कुदरती प्रेम और इसकी अद्भुत छटा का खूबसूरत तरीके से वर्णन किया है।
युगांत
पंत जी की युगांत रचना सामाजिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है और इसे 1937 में प्रकाशित किया गया था। इसमें उन्होंने समाजवाद का प्रभाव साफ दिखाया है।
युगवाणी
पंत जी ने हिंदी साहित्य में बहुत अधिक योगदान दिया है। पंत जी ने 1938 में अपनी कृति युगवाणी प्रगतिवाद से प्रभावित होकर लिखी थी।
ग्राम्या
पंत ने जी ग्राम्या को 1940 में रचना का रूप दिया और इसे समाजवाद और प्रगतिवाद से प्रभावित होकर लिखा है। इसमें उन्होंने पीड़ितों के लिए संवेदना प्रकट की है।
हार
पंत जी का ‘हार‘ शीर्षक से 200 पृष्ठों का ‘एक खिलौना‘ उपन्यास लिख था। उनके इस उपन्यास को काफी प्रसिद्धि मिली थी और इसे 1960 में प्रकाशित किया गया था।
साठ वर्ष: एक रेखांकन
पंत जी ने आत्मकथा साठ वर्ष: एक रेखांकन भी लिखी थी और यह 1963 में प्रकाशित हुई थी। कहा जाता है कि यह पंत जी की सबसे प्रसिद्ध रचनाओं में से एक है।
लोकायतन
पंत जी की कृति ‘लोकायतन‘ में भारतीय जीवन की स्वतंत्रता के पहले और बाद की कथा को काव्य रूप दिया गया है। इसे 1964 में प्रकाशित किया गया था।
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सुमित्रानन्दन पन्त की किताबें (सूची)
सुमित्रानन्दन पन्त की रचनाएं और कविताएं किताबों के रूप में संकलित हैं, यहां सुमित्रानन्दन पन्त की किताबें (Sumitranandan Pant Books) सूची में दी जा रही हैंः
संख्या | काव्य | प्रकाशन वर्ष | लिंक |
1 | स्वच्छंद | – | यहां से खरीदें |
2 | ग्रंथि | वर्ष 1920 | यहां से खरीदें |
3 | पल्लव | वर्ष 1926 | यहां से खरीदें |
4 | गुंजन | वर्ष 1932 | यहां से खरीदें |
5 | युगांत | वर्ष 1937 | – |
6 | युगवाणी | वर्ष 1938 | – |
7 | स्वर्णकिरण | वर्ष 1947 | – |
8 | स्वर्णधूलि | वर्ष 1947 | – |
9 | उत्तरा | वर्ष 1949 | – |
10 | तारापथ | – | यहां से खरीदें |
11 | चिदंबरा | वर्ष 1958 | यहां से खरीदें |
12 | कला और बूढ़ा चाँद | वर्ष 1959 | यहां से खरीदें |
13 | लोकायतन | वर्ष 1964 | – |
14 | गीतहंस | वर्ष 1969 | – |
15 | पाँच कहानियाँ | वर्ष 1938 | – |
16 | हार | वर्ष 1960 | – |
17 | साठ वर्ष: एक रेखांकन | वर्ष 1963 | – |
18 | चांदनी | – | – |
19 | गंगा | – | – |
20 | नौका बिहार | – | – |
21 | यह धरती कितना देती है | – | – |
22 | लहरों का गीत | – | – |
23 | पतझड़ | – | – |
24 | मानसी | – | – |
25 | मेघनाथ वध | – | – |
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सुमित्रानन्दन पन्त ने कितनी पुस्तकें लिखी थीं?
पंत जी का साहित्यिक जीवन लगभग 60 वर्षों तक रहा जिसमें उन्होंने कई विशिष्ट काव्य रचनाएं की थीं। पंत जी ने उपन्यास, कविताएं, महाकाव्य आदि की रचनाएं कीं और उन्होंने अपने जीवनकाल के दौरान कई किताबें लिखीं थीं। उनकी प्रमुख किताबों में पल्लव, कला और बूढ़ा चांद, तारा पथ, गुंजन आदि शामिल रहीं।
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रचनाओं में दिखती थी पंत जी की भाषा शैली की मधुरता
पंत जी ने कविताएं और रचनाओं की कृतियों में जिस तरह खड़ी भाषा का इस्तेमाल किया है वह लोगों द्वारा काफी पसंद किया गया। उनकी भाषा शैली में मधुरता होने से लोग पाठक उनकी किताबों में शुरू से अंत तक रहते हैं।
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FAQs
सुमित्रानंन्दन पंत का जन्म कौसानी, उत्तराखंड भारत में हुआ था।
सुमित्रानन्दन पंत के पिता का नाम गंगाधरपंत था।
भारत सरकार ने सुमित्रानन्दन पंत के सम्मान में ‘डाक टिकट’ जारी किया था।
सुमित्रानन्दन पंत एक भारत के छायावाद के बहुत बड़े कवि थे।
आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको Sumitranandan Pant Books (सुमित्रानन्दन पन्त की किताबें) पता चल गई होंगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।