5 मार्च 2024 को केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि गौरवशाली पारसी-जोरास्ट्रियन संस्कृति की साइंटिफिक पॉइंट ऑफ व्यू से पढ़ाई की जानी चाहिए। ईरानी मुंबई यूनिवर्सिटी (MU) में उस इमारत के भूमि पूजन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में थीं, जिसमें अवेस्ता-पहलवी स्टडी सेंटर होगा।
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MU ने सेंटर स्थापित करने के लिए केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं।
केंद्र विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज के तहत कार्य करेगा, जो पारसी धर्मग्रंथों, शास्त्रीय साहित्य, समुदाय, पारसी संस्कृति और आध्यात्मिकता जैसे क्षेत्रों के पढ़ाई और रिसर्च के महत्व पर प्रकाश डालेगा।
MU को केंद्रीय मंत्रालय से मिली इतनी एड
MU को केंद्रीय मंत्रालय से लगभग INR 12 करोड़ की फाइनेंशियल एड मिली है, जो एक लैंग्वेज लैब, मल्टीमीडिया स्टूडियो और सपोर्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के लिए धन देगी। ईरानी ने विलुप्त हो रही भाषाओं, विशेषकर अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित भाषाओं के पुनरुद्धार के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि युवा पारसियों को एथनिक स्किल्स में ट्रेंड करने की आवश्यकता है और उन्हें मंत्रालय द्वारा फाइनेंशियल एड दी जा सकती है।
केंद्र का उद्देश्य अवेस्ता-पहलवी विरासत को संरक्षित करना, पारसी-जोरास्ट्रियन संस्कृति की पढ़ाई, भारत के विकास में पारसी कम्युनिटी के योगदान का पता लगाना, भावी पीढ़ी के लिए लिंगविस्टिक कैरेकारस्टिक्स का डॉक्यूमेंटेशन करना और भारत की कल्चरल डाइवर्सिटी में अवेस्ता-पहलवी के योगदान को समझना है। विश्वविद्यालय की योजना मास्टर और पीएचडी की पेशकश करने की है। अवेस्ता-पहलवी स्टडी में सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्सेज के साथ। इस सेंटर का मिशन ग्लोबल लेवल पर विविध भारतीय संस्कृतियों को बढ़ावा देना और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करना होगा।
एमयू के कुलपति रवींद्र कुलकर्णी ने पारसी समुदाय और पारसी संस्कृति की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की स्टडी और प्रोटेक्शन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने वैश्विक स्तर पर भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप इस क्षेत्र में अकादमिक अनुसंधान को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
1888 से की जा रही है MU में अवेस्ता-पहलवी की पढ़ाई
MU में 1888 से अवेस्ता-पहलवी की पढ़ाई की जा रहा है, लेकिन इसका दायरा बढ़ाने के लिए केंद्र की स्थापना की गई है। यह पहल सांस्कृतिक विविधता और भारतीय भाषाओं और संस्कृति की विरासत को बढ़ावा देने की विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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