शोध प्रस्ताव सामान्य तौर पर हायर एजुकेशन और साइंस के क्षेत्र में रिसर्च के लिए लिखा जाने वाला एक डॉक्यूमेंट होता है। जिसमें एक शोधार्थी अपने क्षेत्र से संबंधित विषय के बारे में शोध प्रस्ताव में अपने शोध का पूरा विवरण लिखता है। जिसके माध्यम से उस शोधार्थी को उस यूनिवर्सिटी या संस्थान में प्रवेश मिलता है। वर्तमान समय में भारत प्रगति की ओर बढ़ रहा है,जिसमें शोध की भी बहुत बड़ी भूमिका है। आज शोध कार्य भी हर क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहा हैं, जिसके कारण हर क्षेत्र में शोध के माध्यम से नई-नई जानकारियां हमें मिलती है। शोध कार्य की आज हर क्षेत्र में तेजी से मांग बढ़ रही है इसलिए इस ब्लॉग में shodh prastav kya hai के बारे में विस्तार से जानेंगे।
This Blog Includes:
- शोध प्रस्ताव क्या होता है?
- शोध प्रस्ताव का महत्व जानिए
- शोध प्रस्ताव के प्रकार कितने होते हैं?
- शोध प्रस्ताव का फॉर्मेट क्या होता है?
- शोध के कार्य क्या-क्या होते हैं?
- शोध रिपोर्ट फॉर्मेट जानिए
- शोध प्रस्ताव तैयार करते समय ध्यान रखने वाले कुछ प्रमुख बिंदु
- लघु शोध निबंध क्या होता है?
- शोध प्रस्ताव किन क्षेत्रों के लिए लिखा जाता है?
- FAQs
शोध प्रस्ताव क्या होता है?
किसी भी प्रकार का शोध हमेशा किसी लक्ष्य या उद्देश्य के लिए किया जाता है, इससे हमें यह ज्ञात हो जाता है कि कोई भी शोध लक्ष्य या बिना किसी मकसद के नहीं होता। जैसे ही किसी शोध की रूपरेखा निर्मित हो जाती है, उसी समय उसका उद्देश्य निर्धारित हो जाता है। शोध नए तथ्यों की खोज ही नहीं अपितु उसकी तर्कसंमत्त व्याख्या भी है। शोध के लिए स्पष्ट और व्यवस्तिथ रूप रेखा निर्मित करने के लिए यह आवश्यक है कि रिसर्चर द्वारा सिलेक्ट किया हुआ विषय एकदम स्पष्ट हो। उसे ही शोध प्रस्ताव कहा जाता है, जिसे किसी यूनिवर्सिटी या इंस्टिट्यूट में प्रवेश लेने से पहले सिलेक्शन कमेटी के सामने पेश किया जाता हैं।
शोध प्रस्ताव का महत्व जानिए
वर्तमान समय मे शोध कार्य हर एक क्षेत्र में किया जा रहा हैं, जिसमें नए तथ्यों की खोज की जाती है। शोध न केवल नए ज्ञान को प्राप्त करने का प्रमुख स्रोत होता है बल्कि यह किसी भी देश की प्रोग्रेस और राइज में भी उपयोगी भूमिका निभाता है। लेकिन कई बार रिसर्चर विषय का सही ज्ञान और एक्सपीरियंस न होने के कारण ऐसे विषय को चुन लेते हैं, जिसकी सीमा निर्धारित होती है। जिसके कारण अनावश्क विस्तार शोध में हो जाता है। इसीलिए शोध विषय का क्षेत्र निश्चित और सीमित होना चाहिए। शोध प्रस्ताव से हमें निम्नलिखित तथ्यों के बारे में ज्ञात होता है जो इस प्रकार हैं:
- नए फैक्ट्स की खोज करना।
- फैक्ट्स की नवीन ढंग से प्रस्तुतिकरण।
- नए तथ्यों की खोज के साथ-साथ पुराने तथ्यों की जाँच करना।
- किसी एक घटना के साथ उससे संबंधित अन्य जानकारियां प्राप्त करना।
- शोध के लिए नए वैज्ञानिक उपकरणों एवं सिद्धांतों को विकसित करना।
शोध प्रस्ताव के प्रकार कितने होते हैं?
एक शोध प्रस्ताव बहुत से प्रमुख क्षेत्र के लिए लिखा जाने वाला डॉक्यूमेंट है, जिसके माध्यम से एक रिसर्चर अपने संबंधित क्षेत्र और विषय में शोध प्रस्ताव को लिखता है। यहां कुछ प्रमुख शोध से संबंधित शोध की विधियों के बारे में बताया जा रहा है-
- मूलभूत अनुसंधान (Fundamental Research) – मूलभूत अनुसंधान में निष्कर्षों द्वारा किसी विशेष वैज्ञानिक नियमों को उजागर किया जाता है।
- प्रयोगिक शोध (Applied Research) – इस अनुसंधान में किसी विशेष समस्या का समाधान किया जाता है। इसमें किन्हीं विशेष नियमों का किसी समस्या पर होने वाले प्रभाव के बारे में रिसर्च की जाती है।
- साहित्यिक शोध (Literary Research)- इसमें साहित्य से संबंधित विषयों पर शोध किया जाता है। शोधर्थी साहित्य की किसी एक विधा, किसी साहित्यकार की रचना, लेखक का जीवन आदि विषयों पर गहनता से शोध किया जाता है। इस प्रकार के शोध साहित्यिक क्षेत्र में बड़े महत्वपूर्ण होते है।
- ऐतिहासिक शोध (Historical Research)– इस शोध के अंतर्गत इतिहास के अतीत का अध्ययन किया जाता है। संसार में घटित सभी घटनााओं का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सभी पहलुओं पर रिसर्च की जाती है।
- व्याख्यात्मक शोध- इस शोध में शोधार्थी उपलब्ध ज्ञान और ज्ञान सामग्री के आधार पर उसकी व्याख्या करके मौलिक तथ्यों की खोज करता है। एक्सप्लनेटोरी रिसर्च रिसर्चर के मौलिक ज्ञान को बढ़ाने का कार्य करता है।
- भाषा वैज्ञानिक शोध (Linguistic Research)- इस प्रकार के शोध में भाषा के विकास को समझने बहुत सहायक होता है जिससे किसी भाषा के प्रयोग एवं उसकी सरंचना को समझने में सहायता मिलती है।
- सर्वे रिसर्च– इस शोध में शोधार्थी अलग-अलग परिस्थितियों का सर्वेक्षण करके मौलिक तथ्यों को प्रस्तुत करता है।
शोध प्रस्ताव का फॉर्मेट क्या होता है?
यहां शोध प्रस्ताव का फॉर्मेट दिया जा रहा है, जिसके माध्यम से आपको रिसर्च प्रपोज़ल के फॉर्मेट की इम्पोर्टेंट जानकारी मिलेगी। इसके साथ ही आपको अपना शोध प्रस्ताव लिखने में भी बहुत सहायता मिलेगी-
शोध प्रस्तावना का मुख्य भाग – 1
- विषय को चुनने की प्रेरणा
- शोध समस्या का उल्लेख तथा समस्या का चयन
- सामग्री संकलन (विषय से संबंधित कितने प्रकार की सामग्री मिली)
- विषय वस्तु का विवेचन
- विषय वस्तु का महत्व
- शोध की दिशा
- शोध कार्य की परिसीमा
- शोध प्रविधि
- संबंधित विषय पर पहले किए गए कार्य का विवरण
- शोध कार्य की प्रसंगिकता
- शोध प्रबंध की विशेषताएं
शोध विषय का मध्य भाग
- विषय से संबंधित विभिन्न चैप्टर्स का निर्धारण
- चयनित अध्याय के अनुसार टॉपिक/सब टॉपिक बनाना
- तथ्य निरूपण
- चेप्टर से संबंधित विषय का सम्यक विश्लेषण
- सभी चैप्टर्स के बीच तरतम्यता व एकसूत्रता
- तार्किक विश्लेषण तथा विवेचन
- सिद्धांत- निरूपण के आधार पर चेपटर्स का व्यवहारिक प्रतिपादन
उपसंहार (निष्कर्ष)
- शोध सारांश (शोध प्रबंध का सारांश)
- सभी चैप्टर्स का सार
- शोध में निहित केंद्रीय तत्व
- संक्षिप्तता
परिशिष्ट
- आधार ग्रंथ
- संदर्भ ग्रंथ
- आलोचनात्मक ग्रंथ
- शोध पत्रिकाएं
- रिपोर्ट्स
- इंटरव्यू (यदि हों)
- शब्दकोश
- इंटरनेट स्रोत आदि
शोध के कार्य क्या-क्या होते हैं?
एक शोध कार्य कई महत्वपूर्ण चरणों मे पूर्ण होता है, आमतौर पर सभी शोध कार्यों को कुछ प्रमुख चरणों से होकर गुजरना होता है, जो इस प्रकार हैं:
- समस्या का चयन (Identify the problem)- किसी भी शोध में सबसे पहले समस्या या प्रश्न का चयन किया जाता है।
- परिकल्पनाओं का निर्माण (Making of Hypothesis)- शोध के दूसरे स्टेप में सभी समस्याओं को जानने के बाद उससे संबंधित परिकल्पनाओं का निर्माण किया जाता है।
- शोध प्रारूप का विकास ( Development of Research Design)– शोध में उठाए गए सभी प्रश्नों व समस्याओं का उत्तर खोजना।
- प्रतिचयन (Selecting Samples)– इसमें किसी शोध के द्वारा खोजें गए परिणामों की जांच की जाती है।
- शोध प्रस्ताव लेखन (Writing Research Proposal)- किसी भी शोध कार्य को करने से पहले उसका प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाता है। यह नियम बहुत से विश्वविद्यालयों और संस्थानों में कम्पलसरी कर दिया गया है। शोध पत्र बहुत संक्षिप्त में होना चाहिए जिससे शोध के बारे में सभी महत्वपूर्ण तत्वों के बारे में ज्ञात हो सकें।
- आकड़ो का एकत्रीकरण (Collecting Data)- इसमें शोधकर्ता शोध की प्रकृति, उसका क्षेत्र,उद्देश्य, शोध में लगने वाली लागत, समय की उपलब्धता इत्यादि को ध्यान में रखकर आकड़ो के एकत्रीकरण करने की विधि का चयन करता है।
- आकड़ो का विश्लेषण (Analysing Data)- शोध के लिए सभी आकड़ो का एकत्रीकरण करने के बाद शोध प्रक्रिया के अगले चरण में आकड़ो का विश्लेषण किया जाता हैं।
- शोध रिपोर्ट लिखना (Writing a Research Report)- शोध के सभी चरणों के पूर्ण होने के बाद शोध रिपोर्ट लिखी जाती है जिसमें शोध से संबंधित परिणामों के बारे में सभी जानकारियां होती हैं।
शोध रिपोर्ट फॉर्मेट जानिए
किसी शोद्यार्थी द्वारा शोध पूरा होने के बाद शोध रिपोर्ट बनाई जाती है। शोध रिपोर्ट का फॉर्मट नीचे दिए बिंदुओं के आधार पर भी बनाया जा सकता है-
- रिपोर्ट का शीर्षक (Title of Report)
- विषय सूची (Table of Contents)
- सार (Synopsis)
- परिचय (Introduction)
- क्रियाविधि (Methodology)
- परिणाम (Results)
- विचार-विमर्श (Discussions)
- निष्कर्ष (Conclusions)
- अनुशंसाए (Recommendations)
- संदर्भ ग्रंथ (Bibliography)
- परिशिष्ट (Appendices)
शोध प्रस्ताव तैयार करते समय ध्यान रखने वाले कुछ प्रमुख बिंदु
यहां शोध प्रस्ताव से संबंधित कुछ प्रमुख बिंदुओं के बारे में बताया जा रहा है, जिससे आपको अपना शोध प्रस्ताव बनाते समय इन महत्वपुर्ण बिंदुओं को ध्यान में रखना चाहिए-
- शोध समस्या को परिभाषित करना
- शोध विषय पर प्रकाशित सामग्री की समीक्षा करना
- स्टडी के दायरे पर यूनिट्स को तय करना
- प्राकल्पना का सूत्रीकरण
- शोध विधियों और तकनीकों का अध्ययन
- शोध सामग्री को कलेक्ट करना
- सामग्री का विश्लेषण करना
- व्याख्या करना
- रिपोर्ट लिखना
लघु शोध निबंध क्या होता है?
लघु शोध निबंध के प्रस्ताव में मुख्य रूप से कुछ प्रमुख बिंदुओ की सूची नीचे दी गई है-
- लघु शोध परिचय अध्ययन की आवश्यकता का महत्व
- लघु शोध शीर्षक
- लघु शोध में प्रयुक्त पदों की परिभाषा
- लधु शोध अध्ययन उद्देश्य
- हाइपोथिसिस (यदि कोई है)
- शोध प्रारूप ( रिसर्च मेथाडोलॉजी, सैंपलिंग डिजाइन, डाटा संग्रहण, इंस्टूमेंट्स, और सटेटिकल टेक्निक्स)
- लघु शोध कार्य का परिसीमन
- संदर्भ ग्रंथ
शोध प्रस्ताव किन क्षेत्रों के लिए लिखा जाता है?
आमतौर पर शोध प्रस्ताव हायर एजुकेशन,विज्ञान और रिसर्च संबंधी क्षेत्रों के लिए लिखा जाता है। जिसके माध्यम से किसी कैंडिडेट को उस संस्थान में अपने संबंधित विषय में रिसर्च करने का मौका मिलता है। यहां कुछ प्रमुख क्षेत्रों के बारे में जानकारी दी जा रही है-
- यूनिवर्सिटी
- इंस्टीटूशन
- रिसर्च इंस्टिट्यूट
- विज्ञान से संबंधित क्षेत्र
- फाइनेंस से संबंधित क्षेत्र
- साहित्य से संबंधित क्षेत्र
- टेक्नोलॉजी से संबंधित क्षेत्र
- खाद्य पदार्थों से संबंधित क्षेत्र
- इकोनॉमिक्स से संबंधित क्षेत्र
- रक्षा से संबंधित क्षेत्र आदि
FAQs
अनुसंधान की प्रक्रिया के दौरान, एक शोधकर्ता से शोध प्रस्ताव लिखवाया जाता है, जिससे उस शोधकर्ता के रिसर्च विषय से संबंधित सभी महत्वपुर्ण जानकारी सम्मिलित होती है। जिसे शोध प्रस्ताव या रिसर्च परपोसल कहा जाता है।
प्रथम चरण में शोधार्थी को शोध समस्या की पहचान करनी होती है अर्थात जिस भी क्षेत्र में उसे शोध कार्य करना है उसकी पहचान करना होता है। शोध समस्या ऐसी होनी चाहिए जिससे किसी नये ज्ञान के बारे में जानकारी मिले।
शोध ही मानवता को आगे बढ़ाता है। यह जिज्ञासा से प्रेरित क्षेत्र है जिससे एक शोधर्थी को नए-नए विषयों के बारे में बहुत सी महत्वपुर्ण जानकारी प्राप्त होती है। शोध हमारे सामजिक उत्थान के लिए भी बहुत जरुरी है। शोध के बिना मानव की प्रगति होना असंभव हैं।
वैज्ञानिकों,शिक्षकों, छात्रों एवं अभिभावकों द्वारा अनुभव की जा रही है दिन-प्रतिदिन की समस्यायें किसी भी शोधकर्ता के लिये एक उपयोगी समस्या का स्रोत हो सकती हैं।
सामाजिक शोध निष्कर्षों की वैज्ञानिकता का परीक्षण न करना सामाजिक अनुसंधान की मुख्य समस्या है।
उम्मीद है आपको shodh prastav kya hai पर आधारित शोध प्रस्ताव का यह ब्लॉग पसंद आया होगा। यह ब्लॉग अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर शेयर करें। ऐसे ही अन्य रोचक, ज्ञानवर्धक और आकर्षक ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।