भारत के महान शिक्षाविद और दार्शनिक, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, एक ऐसे व्यक्तित्व थे जिन्होंने शिक्षा और मानवता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका जन्म 5 सितंबर, 1888 को तमिलनाडु के तिरुत्तनी में हुआ था। उनके जीवन और कार्य ने पूरे देश को प्रेरित किया। उनका मानना था कि शिक्षक केवल ज्ञान देने के लिए ही नहीं बल्कि समाज के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनके इन्हीं गुणों का सम्मान करने और स्कूल में बच्चों को अच्छी सीख देने के लिए डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर भाषण देने के लिए कहा जाता है, अगर आप अपने स्कूल में भाषण देने की तैयारी कर रहे हैं तो, ये लेख आपके लिए है। यहाँ Sarvepalli Radhakrishnan Speech Speech in Hindi 100, 200 और 500 शब्दों में दिया गया है।
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100 शब्दों में ऐसे दें डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर भाषण
आप 100 शब्दों में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर स्पीच (Sarvepalli Radhakrishnan Speech in Hindi) इस प्रकार दे सकते हैं –
आदरणीय प्रधानाचार्य/प्रधानाचार्या जी, समस्त गुरुजन एवं सहपाठियों
आज हम बात करेंगे एक ऐसे व्यक्ति की जिन्होंने अपना जीवन शिक्षा और मानवता की सेवा में समर्पित कर दिया। यह महान व्यक्ति और कोई नहीं बल्कि स्वतंत्र भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति रहे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन हैं। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ था। डॉ राधाकृष्णन के जन्मदिन को ही भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस हमें अपने शिक्षकों के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है। यह एक ऐसा माध्यम है जो छात्रों को न केवल अपने व्यक्तिगत विकास के लिए बल्कि समाज और राष्ट्र की प्रगति के लिए भी शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है।
धन्यवाद!
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200 शब्दों में ऐसे दें डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर भाषण
आप 200 शब्दों में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर स्पीच (Sarvepalli Radhakrishnan Speech in Hindi) इस प्रकार दे सकते हैं –
आदरणीय प्रधानाचार्य/प्रधानाचार्या जी, समस्त गुरुजन एवं सहपाठियों
आज हम सब यहाँ एक महान हस्ती, सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद करने के लिए एकत्रित हुए हैं। सर्वपल्ली राधाकृष्णन, एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अपना पूरा शिक्षा और मानवता की सेवा में समर्पित कर दिया था। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जिनके जन्मदिन को हम शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं, एक आदर्श शिक्षक और महान व्यक्तित्व थे। उन्होंने अपने जीवन में भारतीय समाज और शिक्षा के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि ज्ञान और शिक्षा समाज की प्रगति के मूल तत्व हैं। उनके सिद्धांत और शिक्षाएं हमें हमेशा प्रेरित करती रहेंगी। डॉ. राधाकृष्णन का मानना था कि शिक्षा का उद्देश्य केवल जानकारी देना नहीं है, बल्कि नैतिकता और चरित्र का निर्माण करना भी है। उनके योगदान के सम्मान में, 1962 से उनके जन्मदिन यानी 5 सितंबर को भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस हमें शिक्षकों की भूमिका और महत्व की याद दिलाता है। इस विशेष अवसर पर, हम अपने शिक्षकों को धन्यवाद देते हैं और उनके प्रति अपना सम्मान व्यक्त करते हैं। उनकी मेहनत और संघर्ष के बिना, हम जीवन में इतनी ऊँचाइयों तक नहीं पहुँच सकते थे। आइए, हम सभी मिलकर इस शिक्षक दिवस पर अपने शिक्षकों के प्रति अपनी कृतज्ञता और सम्मान प्रकट करें।
धन्यवाद!
500 शब्दों में ऐसे दें डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर भाषण
आप 500 शब्दों में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर स्पीच (Sarvepalli Radhakrishnan Speech in Hindi) इस प्रकार दे सकते हैं –
स्पीच कीs शुरुआत में
आदरणीय प्रधानाचार्य/प्रधानाचार्या जी, समस्त गुरुजन एवं सहपाठियों
नमस्कार मेरा नाम …….. है और मैं कक्षा ….. का/की छात्र/छात्रा हूँ। आज हम एक ऐसे महान व्यक्तित्व को श्रद्धांजलि देने के लिए एकत्रित हुए हैं जिनका जीवन और कार्य हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है। हम बात कर रहे हैं डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की, जो न केवल भारत के दूसरे राष्ट्रपति थे बल्कि एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद और दार्शनिक भी थे।
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का प्रारंभिक जीवन
सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को ब्रिटिश भारत की मद्रास प्रेसिडेंसी (वर्तमान तमिलनाडु) के चित्तूर जिले के तिरुतनी गाँव में हुआ था। राधाकृष्णन की प्रारंभिक शिक्षा उनके घर के पास ही एक स्थानीय स्कूल में हुई। वह बचपन से ही वे पढ़ाई में बहुत तेज थे। अपनी कड़ी मेहनत और लगन सेउन्होंने 1902 में अपनी मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की और आगे की शिक्षा के लिए उन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में प्रवेश लिया। मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में, राधाकृष्णन ने दर्शनशास्त्र में गहरी रुचि दिखाई। 1906 में दर्शनशास्त्र में बैचलर डिग्री प्राप्त की और इसके बाद उन्होंने इसी विषय में मास्टर डिग्री की पढ़ाई की।
सर्वपल्ली राधाकृष्णन के प्रमुख कार्य और योगदान
अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक शिक्षक के रूप में की। उन्होंने पहले सरकारी स्कूलों में पढ़ाया और फिर 1918 में वह कलकत्ता विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर बने। इसके बाद 1921 में, उन्हें ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भारतीय दर्शन के प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया गया, जहाँ उन्होंने भारतीय संस्कृति को पश्चिमी दुनिया के सामने प्रस्तुत किया। उनकी किताबें, जैसे “The Philosophy of Rabindranath Tagore” और “Indian Philosophy”, ने उन्हें एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। 1952 में, डॉ. राधाकृष्णन भारत के दूसरे राष्ट्रपति बने। उन्होंने राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारियों को अत्यंत कुशलता के साथ निभाया।
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स्पीच के अंत में
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन और कार्य भारतीय और वैश्विक समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके द्वारा दी गई शिक्षाएं और आदर्श हमे हमेशा प्रेरित करती रहेंगी और एक बेहतर समाज के निर्माण के लिए मार्गदर्शन प्रदान करेंगी।
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर भाषण तैयार करने के टिप्स
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर भाषण तैयार करने के लिए टिप्स निम्नलिखित है –
- सबसे पहले डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन से जुड़े सभी फैक्ट और जानकारी इकट्ठा कर लें।
- फिर उन्हें अच्छी तरह से फ्रेम करें और स्पीच को लिखित रूप में तैयार करें।
- अपने भाषण की शुरुआत में, डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बारे में संक्षिप्त जानकारी दें।
- स्पीच देते समय शब्दों का सही चयन करें।
- समय का ध्यान रखें और अपने भाषण को निर्धारित समय सीमा के अंदर पूरा करें।
- स्पीच देने से पहले लेखन को अच्छी तरह पढ़ लें।
- अपनी स्पीच के अंत में श्रोताओं का शुक्रिया अदा करना न भूलें।
FAQs
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने सुझाव दिया था कि अगर उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए तो यह उनके लिए गर्व की बात होगी। उनके इस विनम्र सुझाव को मनाते हुए, 1962 से 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। तब से लेकर भारत में हर साल 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
भारत में हर साल 5 सितम्बर को डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के उपलक्ष्य में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इस दिन शिक्षा के जगत में उनके अतुलनीय योगदान और उपलब्धियों को याद किया जाता है।
सर्वपल्ली राधाकृष्णन को स्वत्रंत भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति के रूप में जाना जाता है।
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