भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और ‘लौहपुरुष’ कहे जाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भारत की आजादी और भारतीय रियासतों को भारतीय संघ में मिलाने में अपना अहम योगदान दिया था। सरदार पटेल भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री और भारत के प्रथम गृह मंत्री भी थे। देश की आजादी में उन्होंने जितना योगदान दिया, उससे कहीं ज्यादा योगदान उन्होंने आजाद भारत को एक सूत्र में बांधने में भी किया था। भारत सरकार ने सरदार वल्लभभाई पटेल को वर्ष 1991 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ (मरणोपरांत) से सम्मानित किया था। बता दें कि इस वर्ष 31 अक्टूबर, 2024 को सरदार वल्लभभाई पटेल की 149वीं जयंती (Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti 2024) मनाई जाएगी। आइए अब जानते हैं ‘लौहपुरुष’ सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन परिचय (Sardar Vallabhbhai Patel Ka Jivan Parichay) और उनके अहम योगदान के बारे में विस्तार से।
मूल नाम | वल्लभभाई झावेरभाई पटेल (Vallabhbhai Jhaverbhai Patel) |
जन्म | 31 अक्टूबर, 1875 |
जन्म स्थान | नाडियाड, गुजरात |
शिक्षा | रोमन लॉ (मिडिल टेम्पल, इग्लैंड) |
पिता का नाम | झावेरभाई पटेल |
माता का नाम | लाडबा पटेल |
पत्नी का नाम | जावेरबाई |
संतान | मणिबेन (पुत्री) दह्याभाई पटेल (पुत्र) |
पेशा | वकालत, राजनीतिज्ञ |
धारित पद | प्रथम उप-प्रधानमंत्री, प्रथम गृह मंत्री |
आंदोलन | भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन (Indian Independence Movement) |
सम्मान | भारत रत्न (मरणोपरांत) वर्ष 1991 |
निधन | 15 सितंबर 1950, मुंबई |
This Blog Includes:
- सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन परिचय – Sardar Vallabhbhai Patel Ka Jivan Parichay
- भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में भूमिका
- स्वतंत्रता के बाद के भारत में योगदान
- विभाजन के बाद निभाई अहम भूमिका
- भारत में राष्ट्रीय एकता दिवस
- सरदार वल्लभभाई पटेल के अनमोल विचार
- सरदार वल्लभभाई पटेल पर लिखी गई बुक्स
- ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’
- FAQs
सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन परिचय – Sardar Vallabhbhai Patel Ka Jivan Parichay
सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को नाडियाड, गुजरात के एक किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘झावेरभाई पटेल’ और माता का नाम ‘लाडबा पटेल’ था। वल्लभभाई पटेल का बचपन करमसद के पैतृक खेतों में बीता। यहीं से वह मिडिल स्कूल से पास हुए और नाडियाड के हाई स्कूल में गए, जहां से उन्होंने 1897 में मैट्रिक पास किया। उन्होंने बाद में लंदन जाकर बैरिस्टर की पढ़ाई की और भारत आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे और इसमें उन्हें बड़ी सफलता मिली।
ये वो दौर था जब पूरे देशभर में स्वतंत्रता के लिए आंदोलन चल रहे थे। वहीं इन आंदोलनों में महात्मा गांधी की मुख्य भूमिका थी। सरदार पटेल, महात्मा गांधी से बहुत प्रेरित थे। यही कारण था कि उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया। देश को आजादी दिलाने और आजादी के बाद देश का शासन सुचारु रुप से चलाने में सरदार पटेल का विशेष योगदान रहा है।
वर्ष 1917 में भारत में प्लेग और 1918 में अकाल जैसी आपदाएँ भी आईं और दोनों ही मौकों पर सरदार पटेल ने संकट निवारण के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए। वर्ष 1917 में उन्हें ‘गुजरात सभा’ का सचिव चुना गया, जो एक राजनीतिक संस्था थी, जिसने गांधीजी को उनके अभियानों में बहुत मदद की थी।
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भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में भूमिका
वहीं वर्ष 1918 में ‘खेड़ा सत्याग्रह’ के दौरान ‘महात्मा गांधी‘ के साथ उनके संबंध घनिष्ठ हो गए। उस समय गांधीजी ने कहा था कि यदि वल्लभभाई की सहायता नहीं होती तो “यह अभियान इतनी सफलतापूर्वक नहीं चलाया जाता”। इसके बाद पंजाब में ब्रिटिश सरकार के नरसंहार और आतंक के साथ ‘खिलाफत आंदोलन’ शुरू हुआ। इसमें गांधीजी और कांग्रेस ने असहयोग का निर्णय लिया। वल्लभभाई ने हमेशा के लिए अपनी कानून की प्रैक्टिस छोड़ दी और खुद को पूरी तरह से राजनीतिक और स्वतंत्रता के कार्यों में लगा दिया।
इस समय तक कांग्रेस ने देश के लिए पूर्ण स्वराज के अपने लक्ष्य को स्वीकार कर लिया था। ‘साइमन कमीशन‘ के बहिष्कार के बाद गांधीजी द्वारा प्रसिद्ध ‘नमक सत्याग्रह’ शुरू किया गया।
इसके बाद ‘अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी’ ने 8 अगस्त, 1942 को बंबई में प्रसिद्ध ‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव पारित किया। जिसके बाद फिर से ब्रिटिश सरकार द्वारा वल्लभभाई को कार्य समिति के अन्य सदस्यों के साथ 9 अगस्त, 1942 को गिरफ्तार कर लिया गया और गांधीजी, कस्तूरबा जी के साथ अहमदनगर किले में नजरबंद कर दिया गया।
इस बार सरदार लगभग तीन वर्ष तक जेल में रहे। यह उनके जीवन की सबसे लंबी जेल यात्राओं में से एक थी। जब कांग्रेस नेताओं को मुक्त कर दिया गया और ब्रिटिश सरकार ने भारत की स्वतंत्रता की समस्या का शांतिपूर्ण संवैधानिक समाधान खोजने का निर्णय लिया, उस समय वल्लभभाई पटेल कांग्रेस के मुख्य वार्ताकारों में से एक थे।
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स्वतंत्रता के बाद के भारत में योगदान
जब भारत को वर्ष 1947 में पूर्ण स्वतंत्रता मिली तो सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के प्रथम उप-प्रधानमंत्री बने और गृह मंत्री बनाएं गए। इसके साथ ही उन्होंने राज्य और सूचना और प्रसारण विभागों के लिए जिम्मेदारी भी उठाई। लेकिन एक गंभीर समस्या अभी भी सामने खड़ी थी जिसका उन्हें सामना करना था। उस समय देश में छोटी-बड़ी 562 रियासतें थीं। इनमें से कई रियासतों ने तो आजाद रहने का ही फैसला कर लिया था, लेकिन सरदार पटेल ने इन सबको देश में मिलाने में अपनी अहम भूमिका निभाई। देश की बड़ी जनसंख्या और राज्यों का एकीकरण वल्लभभाई पटेल के जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि में से एक थी।
विभाजन के बाद निभाई अहम भूमिका
सरदार वल्लभभाई पटेल ने बड़े साहस और दूरदर्शिता के साथ भारत-पाकिस्तान विभाजन की समस्याओं को सुलझाया, कानून और व्यवस्था को बहाल किया। इसके साथ ही दोनों देशों से आए हजारों शरणार्थियों के पुनर्वास का काम किया। उन्होंने ब्रिटिश सरकार के चले जाने के बाद आम सेवाओं को दुबारा सुचारु रूप से चलाने और हमारे नए लोकतंत्र को एक स्थिर प्रशासनिक आधार प्रदान करने के लिए एक ‘नई भारतीय प्रशासनिक सेवा’ का भी गठन किया।
सरदार वल्लभभाई पटेल का मुंबई में 15 दिसंबर 1950 को निधन हो गया था। वल्लभभाई पटेल भारत की स्वतंत्रता के प्रमुख वास्तुकारों और अभिभावकों में से एक थे और देश की स्वतंत्रता को मजबूत करने में उनका योगदान अद्वितीय है। इस वर्ष 31 अक्टूबर, 2024 को सरदार वल्लभभाई पटेल की 149वीं जयंती (Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti 2024) मनाई जाएगी।
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भारत में राष्ट्रीय एकता दिवस
भारत ने सदैव ही देश और दुनिया को ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का मंत्र दिया है। हमारे हजारों साल पुराने शास्त्रों तथा पुराणों में भी ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के महत्व को बताया गया है जिसका अर्थ है “विश्व एक परिवार है”। भारत में राष्ट्रीय एकता की भावना को व्यवहार में लाने के लिए 31 अक्टूबर को ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ (National Unity Day) मनाया जाता है। इस दिन हमारे देश के पहले गृहमंत्री सरदार बल्लभभाई पटेल का जन्म हुआ था।
सरदार पटेल ‘लौह पुरुष’ के रूप में जाने जाते हैं, तथा उन्होंने आजादी के समय 562 रियासतों को एकजुट करके एक संघ का रूप दिया, जिसे आज हम भारत के नाम से जानते हैं। इसके अतिरिक्त भारत बहु-धर्मीय, बहु-सांस्कृतिक राष्ट्र है, यहाँ पर अनेक संस्कृति और धर्म के लोग आपसी सौहार्द और सदभाव से रहते हैं, हम कह सकते है की भारत अनेकता में एकता का सटीक उदाहरण है। विश्व के किसी भी अन्य देश में इतनी सांस्कृतिक भिन्नताएं नहीं मिलेगी जितनी हमारे देश में हैं।
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सरदार वल्लभभाई पटेल के अनमोल विचार
यहाँ सरदार वल्लभभाई पटेल के अनमोल विचार नीचे दिए गए बिंदुओं में बताएं जा रहें है, जो हर एक भारतीय के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं:-
- हर नागरिक की यह मुख्य जिम्मेदारी है कि वह महसूस करे कि उसका देश स्वतंत्र है और अपने स्वतंत्रता देश की रक्षा करना उसका कर्तव्य है।
- भारत एक अच्छा उत्पादक है और इस देश में कोई अन्न के लिए आंसू बहाता हुआ भूखा ना रहे।
- इस मिट्टी में कुछ खास है, जो कई बाधाओं के बावजूद हमेशा महान आत्माओं का निवास रहा है।
- भले ही हम हजारों की संपत्ति खो दें, और हमारा जीवन बलिदान हो जाए, हमें मुस्कुराते रहना चाहिए और ईश्वर और सत्य में अपना विश्वास बनाए रखना चाहिए।
- जब जनता एक हो जाती है, तब उसके सामने क्रूर से क्रूर शासन भी नहीं टिक सकता। अतः जात-पांत के ऊंच-नीच के भेदभाव को भुलाकर सब एक हो जाइए।
- आपकी भलाई आपके रास्ते में बाधा है, इसलिए अपनी आंखों को गुस्से से लाल होने दें, और अन्याय के साथ मजबूती से लड़ने की कोशिश करें।
सरदार वल्लभभाई पटेल पर लिखी गई बुक्स
अगर आप भारत के ‘लौहपुरुष’ सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन परिचय (Sardar Vallabhbhai Patel Ka Jivan Parichay) और स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी अहम भूमिका के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो यहाँ कुछ प्रमुख बुक्स के बारे में बताया जा रहा हैं:-
- द मैन हू यूनिफाइड इंडिया – बी कृष्णा
- पटेल: ए लाइफ – राजमोहन गांधी
- भारतीय राज्यों का एकीकरण – वी.पी. मेनन
- भारत का बिस्मार्क- सरदार वल्लभभाई पटेल – बलराज कृष्ण
- सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन और कार्य – पुरुषोत्तम दास सग्गी
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‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’
‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ (Statue of Unity) अखंड भारत के निर्माता तथा भारत के प्रथम उप-प्रधानमंत्री व प्रथम गृहमंत्री “सरदार वल्लभ भाई पटेल” को समर्पित एक स्मारक है। ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ (Statue of Unity) को गुजरात राज्य के नर्मदा जिले के केवड़िया में ‘सरदार सरोवर बांध’ के निकट स्थापित किया गया है। जिसकी कुल ऊंचाई ‘182 मीटर’ (597 फीट) हैं। वहीं इसके बाद विश्व की दूसरी सबसे ऊँची प्रतिमा चीन में ‘स्प्रिंग टैम्पल बुद्ध’ की है, जिसकी कुल ऊंचाई 153 मीटर (502 फीट) हैं।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ (Statue of Unity) का कुल वजन 1700 टन है। जिसमें पैर की ऊंचाई 80 फीट, हाथ की 70 फीट, कंधे की 140 फीट और चेहरे की ऊंचाई 70 फीट है। वहीं इस भव्य मूर्ति के भीतर एक लाइब्रेरी भी है, जहां पर ‘सरदार वल्लभ भाई पटेल’ से जुड़े हुए इतिहास को दर्शाया गया है।
बता दें कि ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ (Statue of Unity) की आधारशिला वर्ष 2014 में भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्म दिवस की 138वीं वर्षगांठ पर रखी गई थी। वहीं ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ (Statue of Unity) का उद्घाटन वर्ष 2018 में सरदार पटेल की 142वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री ‘नरेंद्र मोदी’ के द्वारा किया गया था। इसके बाद से ही यह स्थल दुनिया में पर्टयन का विशेष केंद्र बना हुआ है।
FAQs
सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 नाडियाड, गुजरात में हुआ था।
सरदार पटेल का पूरा नाम ‘वल्लभभाई झावेरभाई पटेल’ (Vallabhbhai Jhaverbhai Patel) था।
उनकी माता का नाम ‘लाडबा पटेल’ जबकि पिता का नाम ‘झावेरभाई पटेल’ था।
सरदार वल्लभभाई पटेल का 15 दिसंबर, 1950 को 75 वर्ष की आयु में मुंबई में निधन हुआ था।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को गुजरात राज्य के नर्मदा जिले के केवड़िया में ‘सरदार सरोवर बांध’ के निकट स्थापित किया गया है।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी गुजरात राज्य के नर्मदा जिले में है।
देश के पहले गृहमंत्री कौन थे?
स्वतंत्र भारत के प्रथम गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल थे।
आशा है कि आपको ‘लौहपुरुष’ सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन परिचय (Sardar Vallabhbhai Patel Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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संपतलाल जी, आपके द्वारा बताए गए पॉइंट्स नोट कर लिए गए हैं।
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