जानिए कैसे लिखें सरदार वल्लभ भाई पटेल पर भाषण?

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सरदार वल्लभ भाई पटेल पर भाषण

लोहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल एक ऐसे महान स्वतंत्रता सेनानी रहे, जिन्होंने अपने अविस्मरणीय योगदान से भारत को अखंडता और एकता सूत्र में रहने का मंत्र दिया। सरदार पटेल ने आधुनिक भारत के लिए आचार्य चाणक्य की भांति अपनी भूमिका को निभाया है। सरदार पटेल का जीवन परिचय युगों-युगों तक युवाओं को प्रेरित कराता रहेगा। इस पोस्ट के माध्यम से आप ‘सरदार वल्लभ भाई पटेल पर भाषण’ कैसे लिखें, की जानकारी प्राप्त कर पाएंगे। सरदार पटेल पर एक अच्छा भाषण लिखने के लिए आपको इस पोस्ट को अंत तक पढ़ना पड़ेगा।

सरदार वल्लभ भाई पटेल पर भाषण लिखने की टिप्स

सरदार वल्लभ भाई पटेल का जीवन युवाओं को प्रेरणा देने वाला जीवन रहा है, उनकी जीवन यात्रा पर एक अद्भुत भाषण लिखने के लिए आप निम्नलिखित टिप्स को फॉलो कर सकते हैं;

  • भाषण की प्रस्तावना को आसान भाषा में अभिवादन के साथ लिखें।
  • भाषण का उद्देश्य पटेल जी के जीवन पर प्रकाश डालने का होना चाहिए।
  • भाषाण को सरल और मर्यादित भाषा में लिखें।
  • भाषण की शुरुआत पटेल जी की जीवन यात्रा का आरंभ यानि कि शुरुआत उनके बचपन से करें।
  • फिर भाषण के माध्यम से पटेल जी के जीवन संघर्षों पर प्रकाश डालें।
  • भाषण में पटेल जी की उपलब्धियों के बारे में अवश्य लिखें।
  • सरदार पटेल द्वारा लिए गए निर्णयों को भाषण में उचित स्थान दें, जो आज तक भारत पर अपना प्रभाव डाल रहे हैं।
  • भाषण का उद्देश्य जनसमूह को जागरूक करने का होना चाहिए।
  • भाषण को एक जयघोष के माध्यम से समाप्त करें।

सरदार वल्लभ भाई पटेल पर भाषण

सरदार वल्लभ भाई पटेल जी पर एक अद्भुत भाषण आप भी लिख सकते हैं, जिसको उदाहरण के लिए आप नीचे दिए गए भाषण से आसानी से समझ सकते हैं;

आदरणीय परिवारजनों!

सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जयंती पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।

“रन फॉर यूनिटी” को आरंभ करने से पहले सरदार पटेल जी की जीवन की गौरवगाथा का गुणगान करना आवश्यक हो जाता है। यह एक ऐसा उत्सव है, जो भारत की अखंडता और अस्मिता के लिए हर वर्ष मनाया जाता है। हर वर्ष की भांति हम सभी भारतीय आपसी मतभेद भुलाकर, इस वर्ष भी इस उत्सव को बड़े ही गौरव और हर्षोल्लास के साथ मनाने जा रहे हैं। यह उत्सव प्रतीक है एकता, अखंडता और हमारी भारतीय पहचान पर गर्व करने का। यह उत्सव एक ऐसे महान स्वतंत्रता सेनानी की गौरवगाथा है, जिन्हें आधुनिक भारत का चाणक्य भी कहा जाता है।

आधुनिक भारत के चाणक्य के नाम से सरदार वल्लभभाई पटेल को जाना जाता है, जिन्होंने जीवनभर राष्ट्रहित सर्वोपरि की विचारधारा का अनुसरण किया। पटेल जी एक ऐसे दूरगामी सोच वाले नेता थे, जिन्हें जनता का अपार समर्थन प्राप्त था। पटेल जी को उन भारतीय नेताओं में गिना जाता है, जिनकी छवि ने भारतीय राजनीति को राष्ट्र सर्वप्रथम की भावना का संदेश दिया। पटेल जी एक ऐसे नेता थे, जो कभी भी विभाजन के पक्ष में नहीं थे। पटेल जी एक ऐसे नेता थे, जो यदि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री हुए होते तो भारत के कुछ जटिल मुद्दे 70 वर्षों तक ठंडे वस्ते में नहीं पड़े रहते।

31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के नडियाद में लोहपुरुष का जन्म हुआ, जिन्होंने अपनी शिक्षा के दौरान गाँधी जी से प्रेरित होकर स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ने का निर्णय लिया। भारत के स्वतंत्र होने से पहले पटेल जी की विचारधारा और दूरगामी सोच ने उन्हें एक जनप्रिय नेता बना दिया। युवाओं और किसानों को अपनी विचारधारा में मुख्य स्थान वाले पटेल जी का सारा जीवन भारत माता की सेवा में समर्पित रहा। सरदार पटेल एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने सनातन धर्म के ध्वजवाहक बनने का संकल्प लेकर सोमनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया।

भारत को अखंड बनाए रखने के लिए लोहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल जी ने, स्वतंत्रत भारत की हर छोटी-बड़ी रियासत को, एकता सूत्र में बांधने का काम किया। सरदार पटेल जी ने लगभग 562 रियासतों का भारत में विलय करके, भारत के एकीकरण में मुख्य योगदान दिया। भारतीयों में भारतीय सनातन पहचान के लिए सरदार पटेल जी ने सोमनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया, जो राष्ट्रीय को राष्ट्र की मूल पहचान से एकीकृत कराने के लिए महत्वपूर्ण था। विभाजन के समय भी सरदार पटेल की दृढ़ इच्छा शक्ति का ही असर था कि सरदार पटेल ने विभाजन के समय भी प्रखरता से अपना पक्ष रखा।

पटेल जी का जीवन आज भी हम युवाओं को आपसी मतभेद मिटाकर, हमारी भारतीय पहचान पर गर्व की अनुभूति कराता है। पटेल जी की दृढ़ इच्छाशक्ति के चलते गाँधी जी ने उन्हें ‘लोहपुरुष’ की उपाधि दी थी। हम सभी आज भी अपनी भारतीय पहचान पर गर्व करते हुए, राष्ट्रहित सर्वोपरि की भावना का अनुसरण कर सकते हैं और भारत के विश्वगुरु बनने के संकल्प को मिलकर पूरा कर सकते हैं।

भारत माता की जय

वन्दे मातरम!

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FAQs

सरदार पटेल का जन्म कब और कहां हुई?

सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को नडियाद, गुजरात में हुई थी।

विश्व की सबसे ऊँची मूर्ति कहाँ है?

विश्व की सबसे ऊँची मूर्ति भारत के गुजरात राज्य के नर्मदा नदी के तट पर स्तिथ है, जिसे स्टेचू ऑफ यूनिटी के नाम से जाना जाता है।

लौह पुरुष की उपाधि किसने और क्यों दी?

सरदार पटेल को लौह पुरुष की उपाधि महात्मा गांधी ने नीतिगत दृढ़ता के लिए दी थी।

आशा है कि आपको ‘सरदार वल्लभ भाई पटेल पर भाषण’ पर आधारित यह ब्लाॅग जानकारी से भरपूर लगा होगा। इसी तरह के अन्य जनरल नॉलेज के ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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