Rajyapal Ki Niyukti Kaun Karta Hai: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 153 के अनुसार प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल होगा। राज्यपाल राज्य का कार्यकारी प्रमुख (संवैधानिक प्रमुख) होता है तथा केंद्र के प्रतिनिधि के रूप में भी कार्य करता है। भारत के संविधान के अंतर्गत जिस परिसंघीय ढांचे की संरचना की गई है उसमें राज्यपाल, केंद्र सरकार तथा राज्यों के बीच एक सुद़ृढ पुल के समान है। वहीं राज्य और केंद्र सरकार के अंतसंबंध बहुत कुछ राज्यपाल के व्यक्तित्व के ऊपर निर्भर करते हैं, इसलिए यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण एवं गरिमामय पद है।
बताना चाहेंगे UPSC परीक्षा समेत विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल की नियुक्तियों से संबंधित प्रश्न अकसर पूछे जाते हैं। इसलिए इस लेख में राज्यपाल की नियुक्ति कौन करता है? (Rajyapal Ki Niyukti Kaun Karta Hai) की संपूर्ण जानकारी दी गई है।
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राज्यपाल की नियुक्ति कौन करता है? – Rajyapal Ki Niyukti Kaun Karta Hai
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 155 के अनुसार राज्यपाल की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और अधिपत्र द्वारा करते हैं। वहीं भारत के संविधान के अनुच्छेद 159 अनुसार राज्यपाल को राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति द्वारा शपथ दिलाई जाती है। उनकी अनुपस्थिति में उपलब्ध वरिष्ठतम न्यायाधीश शपथ दिलवाते हैं। नियुक्ति परंपरा के अनुसार राज्यपाल उस राज्य से संबंधित न हो जहाँ उसे नियुक्त किया गया है, ताकि वह स्थानीय राजनीति से मुक्त रह सके।
क्या आप जानते हैं कि राज्यपाल न तो जनता द्वारा सीधे चुना जाता है और न ही अप्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रपति की तरह संवैधानिक प्रक्रिया के तहत राज्यपाल का निर्वाचन होता है। इसके अलावा राज्यपाल राष्ट्रपति की इच्छा पर पद धारण करता है और राष्ट्रपति द्वारा किसी भी समय हटाया जा सकता है।
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राज्यपाल के निर्वाचन के लिए पात्रता
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 158 के अनुसार राज्यपाल पद के लिए निर्वाचित होने वाले कैंडिडेट के लिए पात्रता शर्तें निम्नलिखित हैं:-
- अनुच्छेद 157 के अनुसार राज्यपाल नियुक्त होने का पात्र व्यक्ति भारत का नागरिक हो और 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
- राज्यपाल विधानमंडल या संसद का सदस्य नहीं होगा,
- अन्य कोई लाभ का पद धारण नहीं करेगा,
- उपलब्धियॉं तथा भत्तों का हकदार होगा ।
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राज्यपाल की पदावधि
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 156 के अनुसार राज्यपाल की पदावधि की शर्तें निम्नलिखित हैं:-
- राज्यपाल, राष्ट्रपति के प्रसादपर्यन्त पद धारण करेगा ।
- राज्यपाल, राष्ट्रपति को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा अपना पद त्याग सकेगा ।
- राज्यपाल की पदावधि 5 वर्ष निर्धारित है ।
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राज्यपाल की शक्तियाँ
यहाँ राज्यपाल की प्रमुख शक्तियों के बारे में बताया गया हैं:-
- अनुच्छेद 161: क्षमादान शक्तियाँ।
- अनुच्छेद 164: मुख्यमंत्री एवं अन्य मंत्रियों को नियुक्त करने की शक्ति।
- अनुच्छेद 165: महाधिवक्ता को नियुक्ति करने की शक्ति।
- अनुच्छेद 174: सदन के सत्रावसान और विधानसभा के विघटन की शक्ति।
- अनुच्छेद 176: राज्यपाल द्वारा सदन के लिए विशेष अभिभाषण।
- अनुच्छेद 200: किसी विधेयक (विधानसभा) को स्वीकृत करने एवं आरक्षित करने (रोकने) की शक्ति।
- अनुच्छेद 203: किसी अनुदान की मॉंग राज्यपाल की सिफारिश पर ही की जायेगी, अन्यथा नही।
- अनुच्छेद 213: अध्यादेश जारी करने की शक्ति।
FAQs
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 159 के अनुसार राज्यपाल को राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति द्वारा शपथ दिलाई जाती है।
राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद की सलाह पर राज्यपाल की नियुक्ति करता है।
राज्य के राज्यपाल को राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और अधिपत्र द्वारा नियुक्त करता है।
भारतीय संविधान में राज्यपाल को पांच साल से पहले हटाने की एक प्रक्रिया है। राष्ट्रपति अपने विवेक से राज्यपाल को बर्खास्त कर सकता है।
राज्यपाल का कार्यकाल पांच वर्षों का होता है। वर्षों की यह अवधि राज्यपाल पद अभिग्रहण करने की तारीख से आरंभ होती है।
भारत के संविधान के अनुसार, राज्यपाल बनने के लिए न्यूनतम आयु 35 वर्ष होनी चाहिए।
भारत में राज्यपाल का पद, कनाडा के संविधान से लिया गया है।
राज्यपाल राज्य का कार्यकारी प्रमुख (संवैधानिक प्रमुख) होता है तथा केंद्र के प्रतिनिधि के रूप में भी कार्य करता है।
संविधान की धारा 168 के अनुसार, राज्यपाल अपने प्रदेश की विधायिका के एक अहम अंग होते हैं।
आशा है कि आपको इस लेख में राज्यपाल की नियुक्ति कौन करता है? (Rajyapal Ki Niyukti Kaun Karta Hai) की संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। ऐसे ही सामान्य ज्ञान और UPSC परीक्षा से जुड़े अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।