सभी बच्चों को सही एजुकेशन मिल सके, इसके लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इन योजनाओं से बच्चों को उनकी पढ़ाई के अलावा स्काॅलरशिप की सुविधा भी उपलब्ध रहती है।
उत्तराखंड सरकार अब राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए एक नया फॉर्मूला लेकर आई है। अब राज्य सरकार लचर शिक्षा व्यवस्था को बचाने के लिए ‘अभिभावकों’ की तलाश कर सरकारी स्कूलों की स्थिति में सुधार करेगी।
उत्तराखंड में शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए, राज्य सरकार के शिक्षा विभाग ने सरकार के साथ हाथ मिलाने के इच्छुक लोगों से समर्थन हासिल करने का एक तरीका पेश किया है। सरकारी स्कूलों पर हर साल INR 10,000 करोड़ खर्च करने के बावजूद शिक्षा के स्तर में सुधार के प्रयासों के लिए स्टेट ने यह पहल की है।
डिपार्टमेंट द्वारा तैयार किया जा रहा है प्रस्ताव
एजुकेशन डायरेक्टर जनरल बंशीधर तिवारी ने कहा कि स्कूलों का नाम गोद लेने वाले व्यक्ति के माता-पिता या उसकी पसंद के किसी और के नाम पर रखा जाएगा। इसके बदले में संबंधित को स्कूल पर कुछ खर्च वहन करना होगा। इसके लिए डिपार्टमेंट द्वारा प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।
स्कूलों को बेहतर बनाने के लिए किए जा रहे प्रयास
एजुकेशन डायरेक्टर जनरल ने कहा कि बेसिक, जूनियर और प्राइमलरी एजुकेशन का सालाना बजट INR 10 हजार करोड़ है। इसमें से INR 1100 करोड़ केंद्र सरकार द्वारा हर साल समग्र शिक्षा अभियान के तहत दिए जा रहे हैं। वहीं, मिड-डे मील योजना के तहत INR 200 करोड़ दिए जाते हैं। इसके बाद कुछ स्कूलों में स्थिति काफी खराब है और उन्हें बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
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