हिंदी के विख्यात कवि और पत्रकार माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय और साहित्यिक योगदान

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Makhanlal Chaturvedi Ka Jivan Parichay

माखनलाल चतुर्वेदी आधुनिक हिंदी साहित्य में छायावादी युग के एक प्रमुख कवि और प्रख्यात पत्रकार माने जाते हैं। यद्यपि वे छायावाद के प्रमुख चार स्तंभों जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’, सुमित्रानंदन पंत और महादेवी वर्मा के बाद आते हैं, फिर भी उनकी काव्य संवेदना और राष्ट्रीय चेतना ने इस युग को विशिष्ट पहचान दी। हिंदी साहित्य में उन्हें ‘एक भारतीय आत्मा’ के रूप में भी जाना जाता है।

आधुनिक हिंदी साहित्य में विशेष योगदान के लिए माखनलाल चतुर्वेदी को वर्ष 1963 में गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा ‘पद्म भूषण’ सम्मान प्रदान किया गया था। इसके अतिरिक्त उन्हें ‘हिम तरंगिनी’ काव्य संग्रह के लिए वर्ष 1955 में ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ भी प्राप्त हुआ। साथ ही, उन्हें ‘देव पुरस्कार’ और ‘साहू जगदीश पुरस्कार’ सहित कई अन्य प्रतिष्ठित सम्मानों से भी अलंकृत किया गया है।

बता दें कि माखनलाल चतुर्वेदी जी की कई प्रसिद्ध काव्य रचनाएँ जैसे ‘पुष्प की अभिलाषा’, ‘वीणा का तार’, ‘टूटती जंजीर’, ‘नई-नई कोपलें’, ‘हिमालय का उजाला’ और ‘वर्षा ने आज विदाई ली’ को विद्यालयों के साथ-साथ बी.ए. और एम.ए. के पाठ्यक्रम में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता है। वहीं, अनेक शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की है। इसके साथ ही, UGC-NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले छात्रों के लिए माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है।

नाम माखनलाल चतुर्वेदी
जन्म 4 अप्रैल, 1889
जन्म स्थान होशंगाबाद, मध्य प्रदेश
पिता का नाम श्री नंदलाल चतुर्वेदी 
माता का नाम श्रीमती सुकर बाई 
पत्नी का नाम ग्यारसी बाई
पेशा कवि, लेखक, पत्रकार 
भाषा हिंदी 
साहित्य काल आधुनिक काल (छायावादी युग)
विद्याएँ कविता, कहानी, निबंध, पत्रकारिता 
काव्य-संग्रह ‘हिमकिरीटिनी’, ‘हिमतरंगिनी’, ‘युग चरण’, ‘समर्पण’, ‘मरण ज्वार’ आदि। 
संपादन प्रभा (मासिक पत्रिका), कर्मवीर, प्रताप आदि। 
पुरस्कार ‘पद्मभूषण’, ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘देव पुरस्कार’ आदि।
निधन 30 जनवरी, 1968, भोपाल, मध्य प्रदेश 
जीवनकाल 78 वर्ष

मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में हुआ था जन्म

राष्ट्रीय भावना और ओज के प्रसिद्ध कवि माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल 1889 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के निकट बाबई नामक ग्राम में हुआ था। उनके पिता श्री नंदलाल चतुर्वेदी प्राथमिक विद्यालय में अध्यापक थे और माता श्रीमती सुकर बाई एक सामान्य गृहिणी थीं। अल्प आयु में पिता के देहांत के बाद परिवार की समस्त जिम्मेदारी उनकी माता पर आ गई। उनका बाल्यकाल अनेक आर्थिक और सामाजिक संघर्षों के बीच बीता।

माखनलाल चतुर्वेदी की शिक्षा 

माखनलाल चतुर्वेदी की आरंभिक शिक्षा घर पर ही हुई थी। किंतु बाबई जैसी छोटी बस्ती में प्राथमिक शिक्षा की उचित व्यवस्था न होने के कारण उनकी माता ने उन्हें उनकी बुआ के पास सिरमनी (या सिरमऊ) नामक कस्बे में भेज दिया। वहीं उन्होंने लगभग दस वर्षों तक रहकर शिक्षा प्राप्त की और यहीं से उन्हें काव्य-लेखन की प्रेरणा मिली। इसके बाद उन्होंने स्वाध्याय के माध्यम से संस्कृत, बांग्ला, गुजराती, मराठी और अंग्रेज़ी भाषाओं का ज्ञान अर्जित किया।

15 वर्ष की आयु में हुआ विवाह 

जिस समय माखनलाल चतुर्वेदी स्वाध्याय के माध्यम से अनेक विषयों का अध्ययन कर रहे थे, उसी दौरान वर्ष 1904 में 15 वर्ष की आयु में उनका विवाह ‘ग्यारसीबाई’ से हुआ। किंतु कुछ वर्षों के वैवाहिक जीवन के बाद उनकी पत्नी का गंभीर बीमारी के कारण निधन हो गया।

अध्यापन कार्य से की करियर की शुरुआत 

माखनलाल चतुर्वेदी ने वर्ष 1905 में बंबई (वर्तमान मुंबई) के निकट स्थित ‘मसन’ नामक गाँव में अध्यापक के रूप में कार्य करना शुरू किया। यह वह समय था जब पूरे भारत में ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध स्वतंत्रता आंदोलनों की लहर चल रही थी। इसी दौर में उनका संपर्क कई क्रांतिकारियों से हुआ और उनके व्यक्तित्व पर ‘स्वामी रामतीर्थ’, ‘पंडित माधवराव सप्रे’, ‘सैयद अलीमीर’ तथा ‘माणकचंद जैन’ के विचारों का गहरा प्रभाव पड़ा।

जब उनका तबादला वर्ष 1907 में खंडवा जिले में हुआ, तब तक वह हिंदी काव्य-जगत में एक प्रतिष्ठित कवि के रूप में अपनी पहचान बना चुके थे। इस समय तक वह साहित्य और पत्रकारिता के क्षेत्र में इतनी ख्याति प्राप्त कर चुके थे कि आठ वर्षों तक अध्यापन कार्य करने के बाद उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया और अपना संपूर्ण जीवन साहित्य सृजन को समर्पित कर दिया।

राजद्रोह के आरोप में जाना पड़ा जेल 

वर्ष 1913 में माखनलाल चतुर्वेदी ने ‘प्रभा’ पत्रिका का संपादन शुरू किया। इसी दौरान उनका संपर्क प्रसिद्ध पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी गणेश शंकर विद्यार्थी से हुआ, जिससे उनके जीवन में एक नया मोड़ आया। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन और साहित्य देश सेवा के लिए समर्पित कर दिया। एक तरफ जहाँ वे क्रांतिकारी आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लेते थे, वहीं दूसरी तरफ अपनी कविताओं और पत्रिकाओं के माध्यम से राष्ट्रभक्ति की भावना को प्रकट करते और ब्रिटिश शासन का पुरजोर विरोध करते रहे।

इसी कारण ब्रिटिश हुकूमत ने घबराकर उन पर राजद्रोह का अभियोग लगा दिया, जिसके कारण उन्हें कुछ वर्ष जेल में भी रहना पड़ा। वर्ष 1919-1920 के बीच भारतीय राजनीति में महात्मा गांधी के आगमन के बाद उन पर गांधी जी के विचारों का भी गहरा प्रभाव पड़ा। जेल से रिहा होने के बाद भी ब्रिटिश हुकूमत द्वारा उन पर कड़ी नजर रखी जाती थी। एक बार जब वे जबलपुर की एक सभा में ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपना भाषण दे रहे थे, तब उन पर परिणामस्वरूप पुनः 12 मई, 1930 को राजद्रोह का अभियोग लगाकर एक वर्ष के लिए जेल में कैद कर दिया गया।

किंतु वह ब्रिटिश शासन के शोषण और अत्याचारों से तनिक भी विचलित नहीं हुए और मुखर स्वर में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ अपनी रचनाएँ करते रहे। इसके बाद, वर्ष 1924 में गणेश शंकर विद्यार्थी की गिरफ़्तारी के बाद माखनलाल चतुर्वेदी ने ‘प्रताप’ पत्रिका का संपादन संभाला। इसके पश्चात वह कालांतर में ‘संपादक सम्मेलन’ और ‘हिंदी साहित्य सम्मेलन’ के अध्यक्ष भी रहे।

माखनलाल चतुर्वेदी की प्रमुख रचनाएं

माखनलाल चतुर्वेदी जी ने छायावादी युग में कई अनुपम काव्य रचनाएँ हिंदी साहित्य को दी हैं। उन्होंने हिंदी साहित्य में मुख्य रूप से काव्य, नाटक और निबंध विधा में रचनाएँ की हैं। नीचे उनकी समग्र साहित्यिक कृतियों की सूची दी जा रही है:-

काव्य संग्रह

काव्य संग्रहप्रकाशन 
हिमकिरीटिनीवर्ष 1943 
हिमतरंगिनीवर्ष 1949 
मातावर्ष 1951 
युग चरण वर्ष 1956 
समर्पणवर्ष 1956 
वेणु लो गूँजे धरावर्ष 1960 
बीजुरी काजल आँज रहीवर्ष 1980 

गद्यात्मक रचनाएँ 

  • कृष्णार्जुन युद्ध
  • साहित्य के देवता 
  • समय के पाँव 
  • अमीर इरादे: ग़रीब इरादे
  • रंगों की बोली 

माखनलाल चतुर्वेदी की भाषा शैली 

माखनलाल चतुर्वेदी की रचनाएँ राष्ट्रीय भावना से युक्त हैं। इनमें स्वतंत्रता की चेतना के साथ देश के प्रति त्याग और बलिदान की भावना मिलती है। उन्होंने भक्ति, प्रेम और प्रकृति से संबंधित कविताएँ भी लिखी हैं। कहा जाता है कि माखनलाल चतुर्वेदी कविता में शिल्प की तुलना में भाव को अधिक महत्व देते थे। उन्होंने परंपरागत छंदबद्धता के साथ-साथ रचना के अनुकूल शब्दों का भी प्रयोग किया है।

पुरस्कार एवं सम्मान 

माखनलाल चतुर्वेदी को आधुनिक हिंदी साहित्य में उनके विशेष योगदान के लिए सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है, जो इस प्रकार हैंः-

  • वर्ष 1947 में माखनलाल चतुर्वेदी को “साहित्य वाचस्पति” की उपाधि से सम्मानित किया गया था। 
  • पद्मभूषण – वर्ष 1963 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति ‘डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन’ द्वारा सम्मानित किया गया। 
  • देव पुरस्कार – वर्ष 1951 
  • साहित्य अकादमी पुरस्कार – वर्ष 1955
  • भारतीय डाक विभाग द्वारा माखनलाल चतुर्वेदी जी के सम्मान में वर्ष 1977 में एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया गया था। 
वर्ष 1977 की डाक टिकट पर माखनलाल चतुर्वेदी

भोपाल में हुआ था निधन 

माखनलाल चतुर्वेदी ने अपना संपूर्ण जीवन साहित्य और पत्रकारिता को समर्पित कर दिया था। जीवन में आई किसी भी समस्या से वे तनिक भी विचलित नहीं हुए और उसका डटकर सामना करते हुए निरंतर आगे बढ़ते रहे। किंतु 30 जनवरी, 1968 को खंडवा में उनका निधन हो गया। उनकी अनुपम काव्य रचनाओं के लिए उन्हें हिंदी साहित्य-जगत में सदा स्मरण किया जाता रहेगा।

FAQs 

माखनलाल चतुर्वेदी जी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

उनका जन्म 04 अप्रैल, 1889 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में हुआ था। 

माखनलाल चतुर्वेदी कौन से युग के कवि हैं?

वे ‘छायावादी युग’ के प्रमुख कवि माने जाते हैं। 

माखनलाल चतुर्वेदी की मृत्यु कब और कहां हुई?

हिंदी साहित्य के महान रचनाकार माखनलाल चतुर्वेदी का निधन 30 जनवरी 1968 को उनके निवास स्थान खंडवा में हुआ था। 

माखनलाल चतुर्वेदी की भाषा क्या थी?

माखनलाल चतुर्वेदी की भाषा हिंदी थी। 

माखनलाल चतुर्वेदी का एक अन्य नाम क्या था?

माखनलाल चतुर्वेदी को ‘एक भारतीय आत्मा’ उपनाम से भी जाना जाता था। 

माखनलाल चतुर्वेदी की प्रमुख रचनाएं कौन-कौन सी हैं?

हिमकिरीटिनी, हिमतरंगिनी, युग चरण, समर्पण, वेणु लो गूँजे धरा और बीजुरी काजल आँज रही आदि इनकी प्रसिद्ध काव्य-कृतियाँ हैं। 

हिमकिरीटनी किसकी रचना है?

हिमकिरीटनी, माखनलाल चतुर्वेदी का लोकप्रिय काव्य-संग्रह हैं। 

पुष्प की अभिलाषा कविता किस पुस्तक से ली गई है?

‘पुष्प की अभिलाषा’ कविता, माखनलाल चतुर्वेदी के काव्य संग्रह ‘हिम तरंगिणी’ में संकलित है।

आशा है कि आपको हिंदी काव्य और राष्ट्रीय चेतना के प्रतीक माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय और काव्य यात्रा पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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