महिलाओं के बिना इस दुनिया की कल्पना करना बेहद मुश्किल है। पुरुष प्रधान समाज में पहले, खास तौर पर निचली जातियों में महिलाओं को घर के कामों तक सीमित कर दिया जाता था और शिक्षा से दूर रखा जाता था। लेकिन अपने दृढ़ संकल्प से महिलाएं खुद को हर परिस्थिति में आगे बढ़ाने से नहीं रुकीं, फिर चाहें बात साहित्य की हो, कला, विज्ञान या बिजनेस की ही क्यों न हो। अगर बात विज्ञान के क्षेत्र की करें तो महिलाओं ने यहां केमेस्ट्री से लेकर ऐस्ट्रोनॉमी तक हर विषय में खास योगदान दिया है। विज्ञान के क्षेत्र में ऐसी बहुत सी क्रांतिकारी महिलाएं रही हैं जो इंवेंशन्स और रिसर्च में सबसे आगे रहीं। ये ब्लॉग विश्व की उन सभी Mahila Vaigyanik को सम्मान देने के लिए लिखा गया है जो अपने क्षेत्र में सुपर स्टार रहीं या जिन्हें अब भूला जा चुका है। ये Mahila Vaigyanik वो हैं जिन्होंने बेड़ियां तोड़कर दुनिया को दिखा दिया कि मेहनत और लगन आपके रास्ते की हर बाधा को दूर कर देती है।
‘आप पुरुष को शिक्षित करते हैं तो आप पुरुष को ही शिक्षित करते हैं। आप महिला को शिक्षित करते हैं तो आप एक पीढ़ी को शिक्षित करते हैं।’ – ब्रिघम यंग
This Blog Includes:
मैरी क्यूरी
‘लोगों के प्रति कम जिज्ञासु रहिए और आइडियाज के लिए ज्यादा जिज्ञासु बनिये।’
7 नवंबर 1867 को पोलिश में जन्मी मैरी क्यूरी एक फिजिसिस्ट और केमिस्ट थीं। वो दुनिया की पहली महिला थीं जिन्होंने नोबेल पुरस्कार जीता था। दुनिया की सबसे जानी मानी Mahila Vaigyanik रेडियोएक्टिविटी पर अपनी ग्राउंड ब्रेकिंग रिसर्च के लिए पहचानी जाती हैं। उन्होंने दो नए एलिमेंट-रेडियम और पोलोनियम की खोज की थी। इसके लिए उन्होंने खुद की बनाई तकनीक का सहारा लिया था जिसमें रेडियोएक्टिव आइसोटोप को आइसोलेट किया जाता है। इस कारण उन्हें सन् 1911 में केमिस्ट्री के लिए नोबल पुरस्कार मिला था। मैरी क्यूरी न सिर्फ नोबेल पुरस्कार पाने वाली दुनिया की इकलौती महिला हैं, बल्कि वो एकमात्र वैज्ञानिक हैं जिन्होंने दो अलग अलग क्षेत्रों में पुरस्कार प्राप्त किया है। मैरी क्यूरी की मृत्यु 4 जुलाई 1934 को रेडिएशन से एक्सपोजर के कारण एप्लास्टिक एनीमिया होने से हुई।
ये भी ज़रूर पढ़ें : साइंस GK क्विज़
रॉसलिंड फ्रैंक्लिन
‘विज्ञान मुझे जीवन का व्यवहारिक ज्ञान देता है। ये जहां तक भी जाता है, ये एक ही तथ्य पर आधारित है, एक्सपीरियंस एंड एक्सपेरिमेंट।’
दुनिया की सबसे जानी मानी Mahila Vaigyanik में से एक, रॉसलिंड फ्रेंकलिन एक्स-रे क्रिस्टेलोग्राफर और केमिस्ट थीं जिनका जन्म 25 जुलाई 1920 को हुआ था। हालांकि वो कोल, ग्रेफाइट और वायरसेज पर अपने काम के लिए जानी जाती थीं, लेकिन डीएनए की पिक्चर्स के एक्स-रे डिफ्रैक्शन में उनका विशेष योगदान था। इसमें खास तौर पर फोटो 51 था जिसकी मदद से डीएनए डबल हेलिक्स मॉडल को डिस्कवर किया जा सका। भले ही उन्हें अपने जीवन काल में डीएनए पर उनके काम के लिए क्रेडिट नहीं मिला मृत्यु के बाद उन्हें उनके काम के लिए सम्मानित किया गया।
ये भी पढ़ें : सी. वी. रमन, जिनकी खोज ने देश का बढ़ाया मान
वेरा रूबिन
‘साइंस में ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसे केवल पुरुष हल कर सकते हैं और महिलाएं हल नहीं कर सकती हैं।’
वेरा फ्लोरेंस कूपर रूबिन एक अमरीकी एस्ट्रोनॉमर थीं जिनका जन्म 23 जुलाई 1928 को हुआ था। गैलेक्सी रोटेशन रेट्स के लिए अपने पायनियरिंग काम के लिए जानी जाने वाली, वेरा एस्ट्रोनॉमी के क्षेत्र में दुनिया की सबसे प्रसिद्ध Mahila Vaigyanik हैं। डार्क मैटर की मौजूदगी के कुछ शुरुआती सबूतों के लिए उनके ऑबजरवेशन इंस्ट्रूमेंट की तरह काम आए। तारों पर उनके काम को लेकर उन्हें बहुत वाह वाही मिली साथ ही उन्हें रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी से गोल्ड मेडेल और नेशनल मेडल ऑफ साइंस से ब्रूस मेडेल के साथ ही बहुत से मेडेल मिले। उनके नाम से ही नेशनल साइंस फाउंडेशन वेरा सी. रूबिन ऑब्जरवेट्री का नाम पड़ा, जिसने उन्हें इस तरह का सम्मान पाने वाली पहली महिला बनाया।
ये भी पढ़ें : होम साइंस
गरट्रूड इलियन
‘परीश्रम से न घबराएं। कुछ भी आसानी से प्राप्त नहीं होता है। आपका मनोबल कम करने की किसी को अनुमति न दें, न ही आपको कोई कह पाए कि ये काम आप नहीं कर सकते। मेरे जमाने में मुझे कहा जाता था कि महिलाएं केमेस्ट्री नहीं पढ़ती। मुझे समझ नहीं आया कि हम क्यों नहीं कर सकते।’
एक जानी मानी बायोकेमिस्ट और फार्माकोलॉजीस्ट, गरट्रूड इलियन दुनिया की जानी मानी Mahila Vaigyanik की हमारी लिस्ट में अगला मशहूर नाम है। न्यूयॉर्क में 23 जनवरी 1918 को जन्मी गरट्रूड ने दुनिया की पहली कामयाब एंटीवायरल ड्रग और पहला इम्मूनोसप्रेसिव ड्रग तैयार की थी। उन्होंने जॉर्ज एच हिचिंग और सर जेम्स ब्लैक के साथ सन् 1988 में फिजिओलॉजी मेडिसिन में नोबेल पुरस्कार जीता था। ये पुरस्कार उन्हें नई ड्रग बनाने के लिए रेशनल ड्रग डिजाइन के मेथड को इस्तेमाल करने के उनके इनोवेटिव वर्क के लिए मिला था।
ये भी पढ़ें : 10 इंडियन साइंटिस्ट जिन्होंने दुनिया बदल दी
कैरोलिन हर्शल
‘जब मैं अपना सारा काम पूरा कर लेती हूं तो मैं स्वर्ग में पूरी रात झाड़ू लगाकर अपना समय बिता कर सकती हूं।’
16 मार्च 1950 में हनूवर में जन्मीं कैरोलिन हर्शल को एस्ट्रोनॉमी के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिया जाता है। उन्होंने कई कॉमेट्स की खोज की थी। सबसे प्रसिद्ध Mahila Vaigyanik में से एक मानी जाने वाली कैरोलिन हर्शल का नाम कई चीजों में पहली महिला के तौर पर गिना जाता है जिनमें शामिल हैं इंग्लैंड में गवर्नमेंट पोजीशन संभालने वाली पहली महिला, Mahila Vaigyanik के तौर पर सैलरी पाने वाली पहली महिला, रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी से गोल्ड मेडल पाने वाली पहली महिला। कैरोलिना का खोजा हुआ 35पी/हर्शेल रिगोलेट, एक पिरिओडिक कॉमेट उनके नाम से ही जाना गया।
बारबरा मैक्लिंटॉक
‘मैं जो काम कर रही थी उसमें इतनी दिलचस्पी रखती थी कि मैं उसे करने के लिए सुबह होने का इंतजार नहीं कर पाती थी। मेरा एक मित्र, एक जेनेटिसिस्ट, मुझे बच्चा कहता था, क्योंकि बच्चे ही उस चीज के लिए सुबह तक का इंतजार नहीं कर सकते जिसे वो करना चाहते हैं।’
दुनिया की सबसे प्रसिद्ध Mahila Vaigyanik में गिनी जाने वाली, बारबरा मैक्लिंटॉक एक अमेरिकी साइंटिस्ट और साइटोजेनेटिसिस्ट थीं। उनका जन्म 16 जून 1902 में हार्टफोर्ड, कनेक्टिकट में हुआ था। उन्हें अपने क्षेत्र में सबसे क्रांतिकारी माना जाता था, उन्होंने अपना पूरा जीवन मेज साइटोजेनेटिक्स के विकास में एक्सटेंसिव रिसर्च करने में बिता दिया। उन्हें सन् 1983 में जेनेटिक ट्रांस्पोजीशन के लिए फीजिओलोजी मेडिसिन में नोबल पुरस्कार मिला। इस क्षेत्र में वो पहली Mahila Vaigyanik थीं जिन्हें ये पुरस्कार साझा नहीं करना पड़ा था।
जेन गुडॉल
‘अगर हम समझ लेंगे तो हम परवाह कर सकेंगे। जब हम परवाह करेंगे, हम मदद करेंगे। जब हम मदद करेंगे तभी सब सुरक्षित हो पाएंगे।’
जाने गुडॉल एक एंथ्रोपोलॉजिस्ट और प्राइमैटोलॉजिस्ट हैं जो दुनिया की सबसे जानी मानी Mahila Vaigyanik की हमारी लिस्ट में अहम नाम हैं। 3 अप्रैल 1934 को जन्मी जाने चिम्पान्जी की वर्ल्ड एक्सपर्ट बन गई थीं। उनका सबसे ज्यादा जाना जाने वाला कार्य है, तंजानिया के गॉम्बे स्ट्रीम नेशनल पार्क में चिम्पैन्जी के फैमिलियल और सोशल इंटरैक्शन पर 60 साल लंबी स्टडी। वर्जीनिया में जाने गुडॉल इंस्टीट्यूट की संस्थापक होने के साथ ही रूट्स एंड शूट्स प्रोग्राम की शुरुआत भी की थी। उन्हें 2002 में यूएन मैसेंजर ऑफ पीस पुकारा जाने लगा और वर्तमान में वो वर्ल्ड फ्यूचर काउंसिल में ऑनररी मेंबर हैं।
‘महिलाएं दुनिया का सबसे बड़ा अप्रयुक्त भंडार हैं।’ – हिलेरी क्लिंटन
इन मशहूर Mahila Vaigyanik ने विज्ञान के क्षेत्र को अपनी खोज और आविष्कारों से बदलकर रख दिया। इनमें से ज्यादातर उस दौर की रहीं हैं जिस समय विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं की उपस्थिति पर पुरुष प्रधान समाज के कारण हमेशा सवाल उठाए जाते थे। लेकिन इन जानी मानी Mahila Vaigyanik ने अपनी काबिलियत को दुनिया के आगे अपने अतुलनीय कार्यों से साबित कर ही दिया।
ये भी पढ़ें : मोटिवेशनल कविताएँ
FAQs
-दर्शन रंगनाथन दर्शन रंगनाथन भारत की मशहूर रसायन वैज्ञानिक थीं।
-आसिमा चटर्जी
-डॉक्टर कादम्बिनी गांगुली
-जानकी अम्माल
-अन्ना मणि
-रमन परिमाला
-राजेश्वरी चटर्जी
-इरावती कर्वे
3 नवंबर 1962 को शिमला में जन्मीं गगनदीप विज्ञान में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने वाले विश्व के सबसे पुराने वैज्ञानिक संस्थान ‘वैज्ञानिक रॉयल सोसाइटी’ द्वारा फेलो के रूप में चुनी जाने वाली पहली भारतीय महिला वैज्ञानिक हैं। कांग ने 1990 के दशक में भारत में डायरिया जैसे रोगों और पब्लिक हेल्थ पर कार्य किया है।
वेलनटीना तेरेश्कोवा अंतरिक्ष में जाने वाली पहली (एकल मिशन वोस्तोक 6, 1963) और 1982 तक इकलौती महिला थीं। मॅई जेमिसन एसटीएस -47, 1992 में अंतरिक्ष में पहली अश्वेत महिला हैं। कल्पना चावला (सामने)- भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री और लॉरेल क्लॉर्क STS-107 पर, चित्र क्रू की वापसी से पहले का है, जिसमें उनकी जान चली गई थी।
आशा करते हैं कि आपको Mahila Vaigyanik का ब्लॉग अच्छा लगा होगा। यदि आप विदेश में पढ़ना चाहते है तो हमारे Leverage Edu के एक्सपर्ट्स से 1800572000 पर कांटेक्ट कर आज ही 30 मिनट्स का फ्री सेशन बुक कीजिए।
-
Excellent knowledge
-
आपका आभार, ऐसे ही हमारी वेबसाइट पर बने रहिए।
-
2 comments
Excellent knowledge
आपका आभार, ऐसे ही हमारी वेबसाइट पर बने रहिए।