LIBOR in Hindi: लिबोर क्या है? इसकी गणना कैसे की जाती है?

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LIBOR in Hindi

LIBOR UPSC in Hindi: लिबोर (LIBOR), जिसका पूरा नाम लंदन इंटरबैंक ऑफर रेट है, एक महत्वपूर्ण ब्याज दर है जिसे प्रमुख बैंक एक दूसरे से उधारी लेने के लिए निर्धारित करते हैं। यह दर वैश्विक वित्तीय बाजारों में एक केंद्रीय भूमिका निभाती है और विभिन्न वित्तीय उत्पादों के मूल्य निर्धारण में इसका व्यापक उपयोग होता है। लिबोर का असर केवल बैंकों पर नहीं, बल्कि उधारी दरों, ऋणों, बांडों और अन्य वित्तीय उपकरणों पर भी पड़ता है, जो वैश्विक वित्तीय प्रणाली को प्रभावित करते हैं। UPSC परीक्षा में यह एक महत्वपूर्ण विषय है, क्योंकि लिबोर से जुड़ी जानकारी आर्थिक नीतियों, वैश्विक वित्तीय बाजारों, और भारत की आर्थिक स्थिति से सीधा संबंध रखती है। इसलिए इस ब्लॉग में आपको लिबोर क्या है (LIBOR in Hindi) के बारे में विस्तार से बताया गया है। 

लिबोर क्या है? (LIBOR in Hindi)

लिबोर (LIBOR), यानी लंदन इंटरबैंक ऑफर रेट, एक प्रमुख ब्याज दर है जिसे प्रमुख बैंक आपस में उधारी लेने के लिए निर्धारित करते हैं। यह दर वैश्विक वित्तीय बाजारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और विभिन्न वित्तीय उत्पादों के मूल्य निर्धारण में इसका व्यापक उपयोग होता है। लिबोर का उपयोग न केवल बैंकिंग और वित्तीय लेन-देन में, बल्कि उपभोक्ता ऋण जैसे बंधक, क्रेडिट कार्ड और छात्र ऋण की ब्याज दरों के निर्धारण में भी किया जाता है। यह दर वैश्विक स्तर पर वित्तीय स्थिरता और आर्थिक नीतियों पर प्रभाव डालती है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।

लिबोर का संक्षिप्त इतिहास

1980 के दशक में, जब ब्याज दरों पर आधारित वित्तीय उत्पादों का बाजार तेजी से बढ़ा, तो बैंकों को एक सामान्य ब्याज दर की आवश्यकता महसूस हुई। इस समस्या का समाधान करते हुए, ब्रिटिश बैंकर्स एसोसिएशन (BBA) ने 1984 में एक ब्याज दर तय की, जिसे 1986 में BBA LIBOR कहा गया। यह दर बैंकों के बीच लोन और अन्य वित्तीय लेन-देन को सरल और व्यवस्थित बनाने के लिए बनाई गई थी।

समय के साथ, लिबोर में कई बदलाव किए गए। 2014 में, इंटरकॉन्टिनेंटल एक्सचेंज (ICE) ने BBA LIBOR को अधिग्रहित किया और इसका नाम बदलकर ICE LIBOR रखा। इसके बाद कुछ नई मुद्राएँ जोड़ी गईं और कुछ पुरानी मुद्राएँ बंद कर दी गईं। इसके अलावा, 2008 के वित्तीय संकट के बाद लिबोर की दरों का पुनर्मूल्यांकन किया गया, जिसके परिणामस्वरूप कुछ समय अवधियों को घटाया गया और अधिक पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए सुधार किए गए।

LIBOR के प्रकार

लिबोर के प्रमुख प्रकार (Major Types of LIBOR in Hindi) निम्नलिखित हैं:

  1. यूएसडी LIBOR (USD LIBOR): यह अमेरिकी डॉलर पर आधारित ब्याज दर है, जिसे अमेरिका में लोन लेने और देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह दर अमेरिकी वित्तीय बाजार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और अमेरिकी ऋणों के मूल्य निर्धारण में इसका उपयोग होता है।
  2. जीबीपी LIBOR (GBP LIBOR): यह ब्रिटिश पाउंड पर आधारित ब्याज दर है, जिसका उपयोग यूके में लोन और उधारी के काम में किया जाता है। यह दर ब्रिटेन के वित्तीय लेन-देन को प्रभावित करती है।
  3. ईयूआर LIBOR (EUR LIBOR): यह यूरो पर आधारित ब्याज दर है, जिसे यूरोपीय संघ के देशों में लेन-देन और लोन के लिए उपयोग किया जाता है। यह दर यूरोपीय देशों के वित्तीय उत्पादों और ऋणों के मूल्य निर्धारण में महत्वपूर्ण होती है।

इन सभी प्रकारों का उपयोग वैश्विक वित्तीय बाजारों में विभिन्न मुद्राओं में उधारी और निवेश के लिए किया जाता है।

लिबोर का महत्व

लिबोर का महत्व (Importance of LIBOR in Hindi) इस प्रकार है:

  1. ब्याज दरों और मूल्य निर्धारण के लिए महत्वपूर्ण बेंचमार्क: कई ऋणदाता, उधारकर्ता, निवेशक, और वित्तीय संस्थान ब्याज दरें और मूल्य निर्धारण तय करने के लिए लिबोर पर निर्भर करते हैं। यह वित्तीय लेन-देन को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाता है।
  2. उपभोक्ता ऋण उत्पादों में उपयोग: लिबोर सिर्फ वित्तीय बाजारों में ही नहीं, बल्कि बंधक, क्रेडिट कार्ड, और छात्र ऋण जैसे उपभोक्ता ऋण उत्पादों के लिए भी एक महत्वपूर्ण बेंचमार्क दर के रूप में काम करता है।
  3. ब्याज दर निर्धारण में सहायक: लिबोर विभिन्न ऋणों पर चुकाए जाने वाली ब्याज दरों को निर्धारित करने में मदद करता है, जिन्हें व्यक्तिगत और व्यावसायिक ऋणदाता चुकाते हैं।

इस प्रकार, लिबोर वैश्विक वित्तीय बाजार और व्यक्तिगत वित्तीय निर्णयों के लिए एक अहम मानक है।

लिबोर की गणना कैसे की जाती है?

लिबोर दरों की गणना 18 प्रमुख बैंकों द्वारा दी गई दरों के आधार पर की जाती थी। ये दरें असल में किए गए लेन-देन पर आधारित नहीं होती थीं, बल्कि बैंकों का अनुमान होता था कि अगर उन्हें दूसरे बैंकों से पैसे उधार लेने हों तो वे कितनी दर पर उधार लेंगे।

लिबोर की गणना को और अधिक सटीक और समान बनाने के लिए, 2018 में ICE (इंटरकॉन्टिनेंटल एक्सचेंज) ने एक नया तरीका अपनाया, जिसे ‘वॉटरफॉल पद्धति’ कहा गया।

इस पद्धति में, सबसे ऊंची और सबसे नीची दरों को हटा दिया जाता था, ताकि सही दर मिल सके। इसके तहत, IBA ने चार सबसे ऊंची और चार सबसे नीची दरों को हटा दिया और बाकी बची दरों का औसत लेकर लिबोर दर तय की।

LIBOR का उपयोग

लिबोर का उपयोग (Use of LIBOR in Hindi) दुनिया भर में विभिन्न वित्तीय लेन-देन में किया जाता है। इसे पाँच मुख्य तरीकों से उपयोग किया जाता है:

  1. ऋण पर ब्याज दर तय करना: बैंक और वित्तीय संस्थाएँ लिबोर का इस्तेमाल बंधक, छात्र ऋण और अन्य ऋणों पर ब्याज दर तय करने के लिए करती हैं।
  2. डेरिवेटिव अनुबंध: लिबोर का उपयोग ब्याज दर से जुड़े डेरिवेटिव जैसे स्वैप, वायदा और विकल्पों की कीमत तय करने के लिए किया जाता है।
  3. वित्तीय उत्पाद: कुछ वित्तीय उत्पाद जैसे बांड और नोट्स लिबोर से जुड़े होते हैं, और ये उनकी रिटर्न को प्रभावित करते हैं।
  4. निवेश में मदद: निवेशक लिबोर से जुड़े उत्पादों का उपयोग अपने निवेश को सुरक्षित और लाभकारी बनाने के लिए करते हैं।
  5. अंतरराष्ट्रीय लेन-देन: लिबोर का उपयोग विभिन्न देशों और मुद्राओं में ब्याज दर जोखिम को समझने के लिए किया जाता है, जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निवेश को आसान बनाता है।

LIBOR के उपयोग के उदाहरण

लिबोर (LIBOR in Hindi) विभिन्न वित्तीय उत्पादों के लिए जरूरी है। यहां कुछ उदाहरण दिए गए हैं:

  1. समायोज्य दर बंधक (ARMs): कुछ बंधकों पर ब्याज दर लिबोर से जुड़ी होती है। इसका मतलब है कि जब लिबोर बढ़ता या घटता है, तो बंधक पर ब्याज दर भी बदलती है।
  2. कॉर्पोरेट ऋण: कंपनियाँ ऐसे ऋण लेती हैं जिनमें ब्याज दर लिबोर के आधार पर तय होती है। इस प्रकार के ऋणों में ब्याज दर में बदलाव लिबोर दर के उतार-चढ़ाव के अनुसार होता है।
  3. व्युत्पन्न (Derivatives): कई वित्तीय उत्पाद जैसे ब्याज दर स्वैप भी लिबोर से जुड़े होते हैं, जो उनके मूल्य और जोखिम को प्रभावित करते हैं। इन उत्पादों का मूल्यांकन लिबोर दर पर निर्भर करता है।

लिबोर को क्यों समाप्त किया जा रहा है?

लिबोर (LIBOR) को समाप्त करने का मुख्य कारण इसकी विश्वसनीयता में कमी आना था। 2008 के वित्तीय संकट के बाद यह खुलासा हुआ कि कुछ बैंक जानबूझकर लिबोर दरों में हेरफेर कर सकते थे, जिससे इस दर की सटीकता और ईमानदारी पर सवाल उठने लगे। इसके अलावा, वर्तमान में बैंक एक-दूसरे से कम उधारी लेते हैं, जिससे लिबोर दर का निर्धारण ठीक से नहीं किया जा सकता।

इसकी जगह पर अब अधिक भरोसेमंद दरें, जैसे SOFR (Secured Overnight Financing Rate) और SONIA (Sterling Overnight Index Average), पेश की गई हैं, जो वास्तविक लेन-देन पर आधारित होती हैं और अधिक पारदर्शिता और स्थिरता प्रदान करती हैं। इसके अतिरिक्त, वित्तीय संस्थानों ने भी लिबोर को समाप्त करने की सिफारिश की है, ताकि एक मजबूत और स्थिर बेंचमार्क प्रणाली स्थापित की जा सके। इसलिए, लिबोर को समाप्त कर नए और अधिक विश्वसनीय बेंचमार्क दरों का उपयोग किया जा रहा है।

LIBOR का भविष्य

बैंकों को लिबोर (LIBOR) से जुड़े उत्पादों को नए ARR (वैकल्पिक संदर्भ दर) के अनुसार पुनः तैयार करने की आवश्यकता है। रिजर्व बैंक की सहायता से दो टीमें इस बदलाव के लिए आवश्यक योजनाएं बना रही हैं। बैंकों को मौजूदा समझौतों को सही तरीके से संशोधित करने के लिए तकनीकी और कानूनी समस्याओं का समाधान करना होगा, साथ ही उधारकर्ताओं और अन्य संबंधित पक्षों से उचित बदलाव की जानकारी साझा करनी होगी।

इसके अलावा, बैंकों को यह भी समझना होगा कि यह बदलाव उनके लाभ और हानि पर कैसे असर डाल सकता है, और बदलाव को सुगम बनाने के लिए अपने सिस्टम में आवश्यक परिवर्तन करने होंगे। इस प्रक्रिया के दौरान, बैंकों को अपने ग्राहकों को नई दरों के बारे में जानकारी देने और पुराने उत्पादों को नए बेंचमार्क दरों के अनुरूप अनुकूलित करने में समय और प्रयास दोनों की आवश्यकता होगी।

लिबोर मानक के बारे में पूछे जाने वाले प्रश्न

लिबोर मानक के बारे में पूछे जाने वाले प्रश्न (LIBOR UPSC in Hindi) इस प्रकार हैं:

प्रश्न 1: लिबोर क्या है?
उत्तर: LIBOR (लंदन इंटरबैंक ऑफर्ड रेट) एक प्रमुख ब्याज दर है, जो यह दर्शाती है कि बड़े बैंक एक-दूसरे से लंदन इंटरबैंक बाजार में कितने प्रतिशत पर पैसे उधार ले सकते हैं। यह दर विभिन्न समय अवधियों के लिए निर्धारित की जाती है और वैश्विक वित्तीय लेन-देन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।


प्रश्न 2: लिबोर का क्या महत्व है?
उत्तर: LIBOR का उपयोग कई वित्तीय उत्पादों में होता है, जैसे बंधक, छात्र ऋण, डेरिवेटिव (ब्याज दर से जुड़े सौदे) और क्रेडिट कार्ड। यह ब्याज दरों को तय करने के लिए एक प्रमुख बेंचमार्क है और वैश्विक वित्तीय प्रणाली के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।


प्रश्न 3: लिबोर को चरणबद्ध तरीके से क्यों समाप्त किया जा रहा है?
उत्तर: LIBOR को समाप्त करने का निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि कुछ बैंकों ने जानबूझकर इसे बदलकर अपनी इच्छाओं के अनुसार मूल्यांकन किया था, जिससे इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे थे। इस कारण, एक मजबूत और पारदर्शी ब्याज दर प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए इसे समाप्त किया जा रहा है और नई दरों को लागू किया जा रहा है।


प्रश्न 4: लिबोर के स्थान पर वैकल्पिक संदर्भ दरें क्या हैं?
उत्तर: LIBOR के स्थान पर कई देशों ने नई दरों को चुना है। अमेरिका में, SOFR (सिक्योर्ड ओवरनाइट फाइनेंसिंग रेट) को प्रमुख विकल्प के रूप में अपनाया गया है। वहीं, भारत में, LIBOR के विकल्प के रूप में MMIFOR (मॉडिफाइड मुंबई इंटरबैंक फॉरवर्ड आउटराइट रेट) का उपयोग किया जा रहा है।


प्रश्न 5: लिबोर (LIBOR) क्या है? इसका वैश्विक वित्तीय बाजारों में क्या महत्व है?
उत्तर: LIBOR (लंदन इंटरबैंक ऑफर्ड रेट) एक प्रमुख ब्याज दर है, जिसे यह दर्शाने के लिए निर्धारित किया जाता है कि लंदन के प्रमुख बैंक एक-दूसरे से कितने प्रतिशत पर पैसे उधार ले सकते हैं। यह ब्याज दर विभिन्न समय अवधियों (1 दिन से लेकर 12 महीने तक) के लिए तय की जाती है।

वैश्विक वित्तीय बाजारों में LIBOR का महत्व अत्यधिक है, क्योंकि यह ब्याज दरों को निर्धारित करने के लिए एक प्रमुख बेंचमार्क है। इसे बंधक, छात्र ऋण, कॉर्पोरेट ऋण, डेरिवेटिव, और क्रेडिट कार्ड जैसे वित्तीय उत्पादों में उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, LIBOR का उपयोग विभिन्न देशों के बीच आर्थिक लेन-देन और जोखिम के आकलन में भी किया जाता है।


प्रश्न 6: लिबोर दर की गणना कैसे की जाती है और इसमें शामिल बैंकों का क्या योगदान होता है?
उत्तर: लिबोर दर की गणना 18 प्रमुख बैंकों द्वारा दी गई दरों के औसत पर आधारित होती है। ये बैंक अपने अनुमान के आधार पर तय करते हैं कि यदि उन्हें दूसरे बैंकों से उधारी लेनी पड़ी, तो वे कितनी दर पर उधार लेंगे। दर की गणना में सबसे ऊंची और सबसे नीची दरों को हटा दिया जाता है और बाकी दरों का औसत लिया जाता है।
यह प्रक्रिया इसलिए की जाती है ताकि दरों में अधिकतम पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित की जा सके। हालांकि, 2008 के वित्तीय संकट के बाद इसमें सुधार की प्रक्रिया शुरू की गई और 2018 में “वॉटरफॉल पद्धति” को अपनाया गया।


प्रश्न 7: लिबोर को समाप्त करने की आवश्यकता क्यों पड़ी?
उत्तर: लिबोर को समाप्त करने की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि 2008 के वित्तीय संकट के बाद यह खुलासा हुआ कि कुछ बैंकों ने जानबूझकर लिबोर दर को संशोधित किया था, जिससे इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे। इसके अलावा, वर्तमान में बैंकों के बीच उधारी लेने की प्रक्रिया बहुत कम हो गई है, जिससे लिबोर की सटीकता पर भी असर पड़ा।
इस कारण, लिबोर को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का निर्णय लिया गया और इसके स्थान पर नए और अधिक विश्वसनीय संदर्भ दरों का विकास किया गया, जैसे SOFR (सिक्योर्ड ओवरनाइट फाइनेंसिंग रेट) और SONIA (सोसाइटी फॉर नॉटेड इंस्ट्रूमेंट्स ऑल्ड)।


प्रश्न 8: SOFR (सिक्योर्ड ओवरनाइट फाइनेंसिंग रेट) और SONIA (सोसाइटी फॉर नॉटेड इंस्ट्रूमेंट्स ऑल्ड) के बारे में बताइए।
उत्तर: SOFR और SONIA दोनों ही लिबोर के स्थान पर विकसित की गई वैकल्पिक संदर्भ दरें हैं।

  • SOFR (सिक्योर्ड ओवरनाइट फाइनेंसिंग रेट) को अमेरिका में लिबोर के स्थान पर उपयोग किया जाता है। यह दर सुरक्षित ऋणों पर आधारित होती है और इसे संघीय रिजर्व बैंक द्वारा निगरानी की जाती है।
  • SONIA (सोसाइटी फॉर नॉटेड इंस्ट्रूमेंट्स ऑल्ड) ब्रिटेन में लिबोर के विकल्प के रूप में उपयोग की जाती है और यह दर बैंक ऑफ इंग्लैंड द्वारा निर्धारित की जाती है। SONIA दर को रातोंरात रिवर्स रेपो लेन-देन से लिया जाता है, जो इसकी सटीकता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करता है।

प्रश्न 9: लिबोर का वैश्विक व्यापार और निवेश पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: लिबोर का वैश्विक व्यापार और निवेश पर गहरा प्रभाव पड़ता है, क्योंकि यह दर वैश्विक वित्तीय लेन-देन के लिए एक बेंचमार्क है।

  • यह ऋणों पर ब्याज दर निर्धारित करने का एक महत्वपूर्ण आधार है, जिससे बैंकों, कंपनियों और उपभोक्ताओं को वित्तीय लागत का आकलन करने में मदद मिलती है।
  • लिबोर दरों में उतार-चढ़ाव वैश्विक निवेश निर्णयों को प्रभावित करते हैं, जैसे कि बांड, स्टॉक, और विदेशी मुद्रा निवेश।
  • इसके अलावा, लिबोर दरों में बदलाव से अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए ऋण की लागत पर भी असर पड़ता है, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है।

प्रश्न 10: लिबोर के समाप्त होने से भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय संस्थाओं पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर: लिबोर के समाप्त होने से भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय संस्थाओं पर कुछ महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकते हैं।

  • भारत में लिबोर का उपयोग कई वित्तीय उत्पादों, जैसे बंधक, उपभोक्ता ऋण, और कॉर्पोरेट ऋण में किया जाता है। इसके स्थान पर MMIFOR (मॉडिफाइड मुंबई इंटरबैंक फॉरवर्ड रेट) का इस्तेमाल किया जा रहा है।
  • यह बदलाव भारतीय बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के लिए तकनीकी और कानूनी चुनौतियाँ प्रस्तुत कर सकता है, क्योंकि उन्हें मौजूदा समझौतों और दरों को नए बेंचमार्क के अनुसार बदलने की आवश्यकता होगी।
  • इसके अलावा, यह बदलाव भारतीय निवेशकों के लिए नए जोखिम और अवसर उत्पन्न कर सकता है, जो बेंचमार्क दरों से जुड़े वित्तीय उत्पादों में निवेश करते हैं।

FAQs

LIBOR क्या है?

LIBOR (London Interbank Offered Rate) एक प्रमुख ब्याज दर है, जिसे लंदन में बैंकों के बीच उधारी पर निर्धारित किया जाता है। यह वित्तीय बाजारों में बेंचमार्क के रूप में काम करता है।

LIBOR का पूरा रूप क्या है?

LIBOR का पूरा रूप ‘London Interbank Offered Rate’ है।

LIBOR कैसे निर्धारित किया जाता है?

LIBOR 18 प्रमुख बैंकों द्वारा प्रस्तुत दरों के औसत से निर्धारित किया जाता है, जो एक दूसरे से उधार लेने के लिए तय करते हैं।

LIBOR किस समय अवधि के लिए निर्धारित की जाती है?

LIBOR विभिन्न समय अवधियों के लिए निर्धारित की जाती है, जैसे एक दिन, एक सप्ताह, एक महीना, तीन महीने, छह महीने, और एक साल।

LIBOR को समाप्त क्यों किया जा रहा है?

LIBOR की समाप्ति का निर्णय इस कारण लिया गया क्योंकि कुछ बैंकों ने दरों में हेरफेर किया था, जिससे इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठे थे।

LIBOR के स्थान पर कौन सी दरें अपनाई जा रही हैं?

LIBOR के स्थान पर SOFR (USA), SONIA (UK), और ESTR (Eurozone) जैसी दरों का उपयोग किया जा रहा है।

LIBOR की शुरुआत कब हुई थी?

LIBOR की शुरुआत 1980 के दशक में हुई थी, जब अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय बाजारों में एक सामान्य ब्याज दर की आवश्यकता महसूस हुई।

LIBOR की गणना में कितने बैंकों की दरों का योगदान होता है?

LIBOR की गणना में 18 प्रमुख वैश्विक बैंकों की दरों का योगदान होता है।

क्या LIBOR को पूरी तरह से समाप्त किया जा चुका है?

नहीं, LIBOR को धीरे-धीरे समाप्त किया जा रहा है और इसके स्थान पर नए मानक अपनाए जा रहे हैं।

LIBOR को कौन-सी एजेंसियां निर्धारित करती हैं?

LIBOR को Intercontinental Exchange (ICE) द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जो इसकी गणना और प्रशासन की जिम्मेदारी निभाता है।

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