Jaun Elia Shayari: 40+ जौन एलिया की शायरी, जो बनी इश्क़, फ़िक्र और फ़लसफ़े की बुलंद आवाज़

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Jaun Elia Shayari

Jaun Elia Shayari: “अब नहीं कोई बात ख़तरे की, अब सभी को सभी से ख़तरा है।” इस शेर के जरिए अपनी बात को बेबाकी से कहने वाले जौन एलिया उर्दू अदब के एक मशहूर शायर थे। उनकी शायरी में दर्द, प्रेम, विद्रोह और उदासी की गहराई दिखाई देती है, जो उन्हें अन्य शायरों से अलग बनाती है। जौन एलिया का जन्म 14 दिसंबर, 1931 को उत्तर प्रदेश के अमरोहा में हुआ था, इनका मूल नाम सय्यद हुसैन जौन असग़र नक़वी था। लेकिन शायरी के लिए उन्होंने ‘जौन एलिया’ नाम चुना था। इस ब्लॉग के माध्यम से आप जौन एलिया की कुछ लोकप्रिय शायरी (Jaun Elia Shayari) पढ़ पाएंगे, जो आपका परिचय उर्दू साहित्य से करवाएंगी। ये शायरियां सही मायनों में इश्क़, फ़िक्र और फ़लसफ़े की बुलंद आवाज़ बनने का काम करती हैं, जो आपको उनके बारे में जानने के लिए प्रेरित करेंगी।

नाम सय्यद हुसैन जौन असग़र नक़वी (Syed Sibt-e-Ashgar Naqvi)
जन्म 14 दिसंबर, 1931
जन्म स्थान अमरोहा, उत्तर प्रदेश
पिता का नाम सय्यद शफ़ीक़ हसन एलिया
शिक्षाएम.ए.
कार्यक्षेत्रशायर, पत्रकार, विचारक, अनुवादक व  गद्यकार। 
भाषाउर्दू और फ़ारसी 
काव्य संग्रहशायद, गोया, यानी और गुमान आदि। 
मृत्यु08 नवंबर, 2002 कराची, सिंध 

जौन एलिया की शायरी – Jaun Elia Shayari

जौन एलिया की शायरी (Jaun Elia Shayari) युवाओं को उर्दू साहित्य के प्रति आकर्षित करेंगी, जो कुछ इस प्रकार है –

“मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस
 ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं…”
 -जौन एलिया

“जो गुज़ारी न जा सकी हम से
हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है…”
 – जौन एलिया

“ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता
एक ही शख़्स था जहान में क्या…”
 – जौन एलिया

“क्या सितम है कि अब तिरी सूरत
ग़ौर करने पे याद आती है…”
 – जौन एलिया

“हम को यारों ने याद भी न रखा
‘जौन’ यारों के यार थे हम तो…”
 – जौन एलिया

“और तो क्या था बेचने के लिए
अपनी आँखों के ख़्वाब बेचे हैं…”
– जौन एलिया

“मेरी हर बात बे-असर ही रही
नक़्स है कुछ मिरे बयान में क्या…”
– जौन एलिया

“नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम…”
– जौन एलिया

“याद उसे इंतिहाई करते हैं
सो हम उस की बुराई करते हैं…”
– जौन एलिया

“अब नहीं कोई बात ख़तरे की
अब सभी को सभी से ख़तरा है…”
– जौन एलिया

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मोहब्बत पर जौन एलिया की शायरी – Jaun Elia Love Shayari in Hindi

मोहब्बत पर जौन एलिया की शायरियाँ (Jaun Elia Shayari) जो आपका मन मोह लेंगी – 

“ज़िंदगी किस तरह बसर होगी
 दिल नहीं लग रहा मोहब्बत में…”
– जौन एलिया

“सारी दुनिया के ग़म हमारे हैं
 और सितम ये कि हम तुम्हारे हैं…”
– जौन एलिया

“किस लिए देखती हो आईना
तुम तो ख़ुद से भी ख़ूबसूरत हो…”
– जौन एलिया

“मुझे अब तुम से डर लगने लगा है
तुम्हें मुझ से मोहब्बत हो गई क्या…”
– जौन एलिया

“इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊँ
वरना यूँ तो किसी की नहीं सुनी मैं ने…”
– जौन एलिया

“क्या कहा इश्क़ जावेदानी है!
आख़िरी बार मिल रही हो क्या…”
– जौन एलिया

“यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का
वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे…”
– जौन एलिया

“अब मिरी कोई ज़िंदगी ही नहीं
अब भी तुम मेरी ज़िंदगी हो क्या…”
– जौन एलिया

“कितनी दिलकश हो तुम कितना दिल-जू हूँ मैं
क्या सितम है कि हम लोग मर जाएँगे…”
– जौन एलिया

“बिन तुम्हारे कभी नहीं आई
 क्या मिरी नींद भी तुम्हारी है…”
– जौन एलिया

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जौन एलिया के शेर – Jaun Elia Poetry in Hindi

जौन एलिया के लोकप्रिय शेर (Jaun Elia Poetry in Hindi) इस प्रकार हैं:-

“कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोई
 तू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया…”
– जौन एलिया

“उस गली ने ये सुन के सब्र किया
 जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं…”
– जौन एलिया

“दिल की तकलीफ़ कम नहीं करते
 अब कोई शिकवा हम नहीं करते…”
– जौन एलिया

“अपने सब यार काम कर रहे हैं
और हम हैं कि नाम कर रहे हैं…”
– जौन एलिया

“सोचता हूँ कि उस की याद आख़िर
अब किसे रात भर जगाती है…”
– जौन एलिया

“मेरी बाँहों में बहकने की सज़ा भी सुन ले
अब बहुत देर में आज़ाद करूँगा तुझ को…”
– जौन एलिया

“ज़िंदगी एक फ़न है लम्हों को
अपने अंदाज़ से गँवाने का…”
– जौन एलिया

“मैं रहा उम्र भर जुदा ख़ुद से
याद मैं ख़ुद को उम्र भर आया…”
– जौन एलिया

“यूँ जो तकता है आसमान को तू
कोई रहता है आसमान में क्या…”
– जौन एलिया

“क्या तकल्लुफ़ करें ये कहने में
जो भी ख़ुश है हम उस से जलते हैं…”
– जौन एलिया

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जौन एलिया की दर्द भरी शायरी – Jaun Elia Shayari in Hindi

जौन एलिया की दर्द भरी शायरियाँ (Jaun Elia Shayari in Hindi) कुछ इस प्रकार हैं –

“बहुत नज़दीक आती जा रही हो
 बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या…”
– जौन एलिया

“कौन इस घर की देख-भाल करे
 रोज़ इक चीज़ टूट जाती है…”
– जौन एलिया

“मुस्तक़िल बोलता ही रहता हूँ
कितना ख़ामोश हूँ मैं अंदर से…”
– जौन एलिया

“तुम्हारा हिज्र मना लूँ अगर इजाज़त हो
 मैं दिल किसी से लगा लूँ अगर इजाज़त हो…”
– जौन एलिया

“ऐ शख़्स मैं तेरी जुस्तुजू से
 बे-ज़ार नहीं हूँ थक गया हूँ…”
– जौन एलिया

“अब तो हर बात याद रहती है
 ग़ालिबन मैं किसी को भूल गया…”
– जौन एलिया

“नहीं दुनिया को जब पर्वा हमारी
 तो फिर दुनिया की पर्वा क्यूँ करें हम…”
– जौन एलिया

“एक ही तो हवस रही है हमें
अपनी हालत तबाह की जाए…”
– जौन एलिया

“इक अजब हाल है कि अब उस को
याद करना भी बेवफ़ाई है…”
– जौन एलिया

“जाते जाते आप इतना काम तो कीजे मिरा
याद का सारा सर-ओ-सामाँ जलाते जाइए…”
– जौन एलिया

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जौन एलिया की गजलें

जौन एलिया की गजलें (Jaun Elia Shayari) पूरी बेबाकी से समाज के हर पहलु पर अपनी राय रखती हैं, जो निम्नलिखित हैं:-

नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम

नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम

ख़ामोशी से अदा हो रस्म-ए-दूरी
कोई हंगामा बरपा क्यूँ करें हम

ये काफ़ी है कि हम दुश्मन नहीं हैं
वफ़ा-दारी का दावा क्यूँ करें हम

वफ़ा इख़्लास क़ुर्बानी मोहब्बत
अब इन लफ़्ज़ों का पीछा क्यूँ करें हम

सुना दें इस्मत-ए-मरियम का क़िस्सा
पर अब इस बाब को वा क्यों करें हम

ज़ुलेख़ा-ए-अज़ीज़ाँ बात ये है
भला घाटे का सौदा क्यों करें हम

हमारी ही तमन्ना क्यूँ करो तुम
तुम्हारी ही तमन्ना क्यूँ करें हम

किया था अह्द जब लम्हों में हम ने
तो सारी उम्र ईफ़ा क्यूँ करें हम

उठा कर क्यों न फेंकें सारी चीज़ें
फ़क़त कमरों में टहला क्यों करें हम

जो इक नस्ल-ए-फ़रोमाया को पहुँचे
वो सरमाया इकट्ठा क्यों करें हम

नहीं दुनिया को जब पर्वा हमारी
तो फिर दुनिया की पर्वा क्यूँ करें हम

बरहना हैं सर-ए-बाज़ार तो क्या
भला अंधों से पर्दा क्यों करें हम

हैं बाशिंदे उसी बस्ती के हम भी
सो ख़ुद पर भी भरोसा क्यों करें हम

चबा लें क्यों न ख़ुद ही अपना ढाँचा
तुम्हें रातिब मुहय्या क्यों करें हम

पड़ी रहने दो इंसानों की लाशें
ज़मीं का बोझ हल्का क्यों करें हम

ये बस्ती है मुसलमानों की बस्ती
यहाँ कार-ए-मसीहा क्यूँ करें हम
– जौन एलिया

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ठीक है ख़ुद को हम बदलते हैं

ठीक है ख़ुद को हम बदलते हैं
शुक्रिया मश्वरत का चलते हैं

हो रहा हूँ मैं किस तरह बरबाद
देखने वाले हाथ मलते हैं

है वो जान अब हर एक महफ़िल की
हम भी अब घर से कम निकलते हैं

क्या तकल्लुफ़ करें ये कहने में
जो भी ख़ुश है हम उस से जलते हैं

है उसे दूर का सफ़र दर-पेश
हम सँभाले नहीं सँभलते हैं

तुम बनो रंग तुम बनो ख़ुश्बू
हम तो अपने सुख़न में ढलते हैं

मैं उसी तरह तो बहलता हूँ
और सब जिस तरह बहलते हैं

है अजब फ़ैसले का सहरा भी
चल न पड़िए तो पाँव जलते हैं
– जौन एलिया

उम्र गुज़रेगी इम्तिहान में क्या

उम्र गुज़रेगी इम्तिहान में क्या
दाग़ ही देंगे मुझ को दान में क्या

मेरी हर बात बे-असर ही रही
नुक़्स है कुछ मिरे बयान में क्या

मुझ को तो कोई टोकता भी नहीं
यही होता है ख़ानदान में क्या

अपनी महरूमियाँ छुपाते हैं
हम ग़रीबों की आन-बान में क्या

ख़ुद को जाना जुदा ज़माने से
आ गया था मिरे गुमान में क्या

शाम ही से दुकान-ए-दीद है बंद
नहीं नुक़सान तक दुकान में क्या

ऐ मिरे सुब्ह-ओ-शाम-ए-दिल की शफ़क़
तू नहाती है अब भी बान में क्या

बोलते क्यूँ नहीं मिरे हक़ में
आबले पड़ गए ज़बान में क्या

ख़ामोशी कह रही है कान में क्या
आ रहा है मिरे गुमान में क्या

दिल कि आते हैं जिस को ध्यान बहुत
ख़ुद भी आता है अपने ध्यान में क्या

वो मिले तो ये पूछना है मुझे
अब भी हूँ मैं तिरी अमान में क्या

यूँ जो तकता है आसमान को तू
कोई रहता है आसमान में क्या

है नसीम-ए-बहार गर्द-आलूद
ख़ाक उड़ती है उस मकान में क्या

ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता
एक ही शख़्स था जहान में क्या
– जौन एलिया

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अपने सब यार काम कर रहे हैं

अपने सब यार काम कर रहे हैं
और हम हैं कि नाम कर रहे हैं

तेग़-बाज़ी का शौक़ अपनी जगह
आप तो क़त्ल-ए-आम कर रहे हैं

दाद-ओ-तहसीन का ये शोर है क्यूँ
हम तो ख़ुद से कलाम कर रहे हैं

हम हैं मसरूफ़-ए-इंतिज़ाम मगर
जाने क्या इंतिज़ाम कर रहे हैं

है वो बेचारगी का हाल कि हम
हर किसी को सलाम कर रहे हैं

एक क़त्ताला चाहिए हम को
हम ये एलान-ए-आम कर रहे हैं

क्या भला साग़र-ए-सिफ़ाल कि हम
नाफ़-प्याले को जाम कर रहे हैं

हम तो आए थे अर्ज़-ए-मतलब को
और वो एहतिराम कर रहे हैं

न उठे आह का धुआँ भी कि वो
कू-ए-दिल में ख़िराम कर रहे हैं

उस के होंटों पे रख के होंट अपने
बात ही हम तमाम कर रहे हैं

हम अजब हैं कि उस के कूचे में
बे-सबब धूम-धाम कर रहे हैं
जौन एलिया

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FAQs

जौन एलिया का जन्म कहाँ हुआ था?

जौन एलिया का जन्म उत्तर प्रदेश के अमरोहा में हुआ था।

जौन एलिया के पिता का नाम क्या था?

जौन एलिया के पिता का नाम ‘सय्यद शफ़ीक़ हसन एलिया’ था। 

जौन एलिया की पत्नी का क्या नाम था?

जौन एलिया की पत्नी का नाम ‘ज़ाहिदा हिना’ था। 

जौन एलिया की सबसे प्रसिद्ध किताबें कौन-सी हैं?

जौन एलिया की सबसे प्रसिद्ध किताबें शायद, गोया, यानी और गुमान हैं।

जौन एलिया की मृत्यु कब हुई थी?

जौन एलिया की मृत्यु 08 नवंबर, 2002 को कराची, सिंध में हुई थी। 

आशा है कि आपको जौन एलिया की शायरी (Jaun Elia Shayari) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य शायरी और लोकप्रिय कविताओं से संबंधित ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें। 

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