Ismat Chughtai in Hindi: मशहूर अफ़साना निगार इस्मत चुग़ताई का जीवन परिचय 

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इस्मत चुग़ताई

इस्मत चुग़ताई (Ismat Chughtai) उर्दू और हिंदी साहित्य में एक जाना-माना नाम हैं। वहीं विभाजन के दौर में वह सबसे प्रतिष्ठित लेखिकाओं में से एक थीं जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से देश का विभाजन, रूढ़िवादी परम्पराओं और महिलाओं के सम्मान जैसे प्रमुख विषयों को व्यक्त किया। बता दें कि इस्मत चुग़ताई को ‘राजिंदर सिंह बेदी’, ‘कृष्ण चंदर’ और ‘सआदत हसन मंटो’ जैसे प्रतिष्ठित अदीबों के साथ आधुनिक उर्दू फ़िक्शन का चौथा स्तंभ माना जाता हैं।  

वहीं आधुनिक उर्दू साहित्य में अपना विशेष योगदान देने के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा वर्ष 1976 पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके आलावा उन्हें “साहित्य अकादमी पुरस्कार”, “ग़ालिब अवार्ड”, “इक़बाल सम्मान” व “नेहरू अवार्ड” से भी पुरस्कृत किया जा चुका हैं। क्या आप जानते हैं कि गूगल ने वर्ष 2018 में इस्मत चुग़ताई जी के 107वें जन्म दिवस पर ‘डूडल’ (Doodle) बनाकर उन्हें सम्मानित किया था। 

बता दें कि इस्मत चुग़ताई जी की कई कहानियों को बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। वहीं बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएच.डी. की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में उर्दू विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी इस्मत चुग़ताई (Ismat Chughtai) का जीवन परिचय और उनके अदब का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम प्रसिद्ध अफ़साना निगार ‘इस्मत चुग़ताई’ का जीवन संपूर्ण परिचय (Ismat Chughtai in Hindi) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

नाम इस्मत चुग़ताई (Ismat Chughtai) 
जन्म 21 अगस्त 1915 
जन्म स्थान बदायूं, उत्तर प्रदेश 
पिता का नाम मिर्ज़ा क़सीम बेग चुग़ताई 
पति का नाम शहीद लतीफ़
शिक्षा एफ.ए 
पेशा लेखिका 
भाषा उर्दू, हिंदी 
विधाएँ उपन्यास, कहानी, आत्मकथा 
उपन्यास टेढ़ी लकीर, जिद्दी, एक कतरा-ए-खून, जंगली कबूतर आदि।  
कहानी-संग्रह छुई-मुई, चोटें, कलियाँ, एक रात आदि। 
आत्मकथा कागजी है पैहरन 
पुरस्कार “पद्मश्री”, “साहित्य अकादमी पुरस्कार”,  “इक़बाल समान” व “फ़िल्म फेयर अवार्ड” आदि। 
निधन 24 अक्तूबर 1991

उतर प्रदेश के बदायूं शहर में हुआ जन्म 

उर्दू अदब की विख्यात लेखिका इस्मत चुग़ताई (Ismat Chughtai) का जन्म 21अगस्त 1915 को उतर प्रदेश के शहर बदायूं में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘मिर्ज़ा क़सीम बेग चुग़ताई’ था जो कि पेशे से एक उच्च सरकारी पदाधिकारी थे। बता दें कि इस्मत चुग़ताई अपने दस भाई-बहनों में नौवीं संतान थीं। वहीं जब तक वह बाल्यावस्था से किशोरावस्था तक पहुंची तब तक उनकी सभी बहनों का निकाह हो चुका था। उनका शुरूआती बचपन अपने भाइयों के साथ खेल-कूद और पढ़ाई के साथ बीता। 

इस्मत चुग़ताई की शिक्षा 

इस्मत चुग़ताई जी ने बचपन में फुटबॉल खेलना, गुल्ली-डंडा व पेड़ों पर चढ़ना जैसे वो हर कार्य किए जो उस दौर में लड़कियों के लिए मना थे। वहीं उनकी आरंभिक शिक्षा आगरा से हुई जहाँ से उन्होंने चौथी कक्षा की परीक्षा पास की। किंतु इसके बाद उनके पिता का तबादला अलीगढ़ में हो गया जिसके बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई अलीगढ़ के एक विद्यालय से की। आठवीं कक्षा की परीक्षा में पास होने के बाद उनके माता-पिता उनकी आगे की पढ़ाई के हक में नहीं थे। लेकिन इस्मत के विरोध के कारण वह उच्च शिक्षा के लिए राजी हो गए।  

अलीगढ़ से अपनी 10वीं और एफ.ए की परीक्षा के बाद इस्मत ने लखनऊ के आई.टी कॉलेज में दाख़िला लिया जहां उनके विषय अंग्रेज़ी, राजनीतिशास्त्र और अर्थशास्त्र थे। यहीं से उनका साहित्यिक सफर शुरू हुआ जो जीवन में अंत तक जारी रहा। 

स्क्रीन राइटर और फ़िल्म प्रोड्यूसर शाहिद लतीफ़ से हुई शादी 

अपनी पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात अलीगढ़ में ‘शाहिद लतीफ़’ से हुई थीं जो उस समय एम.ए की पढ़ाई कर रहे थे। इसके साथ ही उनकी कहानियाँ कई पत्रिकाओं में ‘अदब-ए-लतीफ़’ के नाम से प्रकाशित होती थी। वहीं जब इस्मत चुग़ताई बंबई (वर्तमान मुंबई) आयीं तो उनके और शाहिद लतीफ़ के बीच प्रेम संबंध शुरू हो गया। जिसके बाद दोनों ने शादी कर ली। बता दें कि शाहिद लतीफ़ ने ही इस्मत का परिचय फ़िल्मी दुनिया से करवाया था। जो उस हिंदी फिल्म निर्देशक, लेखक और निर्माता बन गए थे। 

फिल्मों के लिए लिखी कहानियाँ 

फ़िल्मी जगत से परिचय होने के बाद इस्मत ने कई हिंदी फिल्मों के लिए कहानियाँ और संवाद लिखें। उनकी कुछ लोकप्रिय फिल्मों के नाम इस प्रकार हैं: ‘ज़िद्दी’, ‘गर्म हवा’, ‘आरज़ू’, ‘सोने की चिड़िया’ व ‘जुनून’। वर्ष 1967 में शाहिद लतीफ़ का दिल का दौरा पड़ने के निधन होने के बाद भी वह कई वर्षों तक फ़िल्मी दुनिया से सम्बद्ध रहीं। 

इस्मत चुग़ताई की साहित्यिक रचनाएँ 

इस्मत चुग़ताई ने आधुनिक उर्दू  साहित्य में कई महत्वपूर्ण विषयों पर अपनी यथार्थवादी और अनूठी शैली से कई अनुपम रचनाएँ साहित्य जगत को दी। वहीं आधुनिक उर्दू फिक्शन में बहुत कम समय में ही उन्होंने अपनी एक अलग जगह बना ली थीं। उन्होंने अपने साहित्य में जिंदगी के छोटे-छोटे विषयों को आधार बनाकर सरल भाषा में रचना की जिससे पाठक वर्ग अपने आपको जुड़ा हुआ महसूस करता हैं। 

वहीं समलैंगिकता के विषय पर आधारित उनकी लघु कहानी “लिहाफ” ने उन्हें साहित्य जगत में लोकप्रिय बना दिया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस कहानी के लिए उन्हें वर्ष 1942 में अश्लीलता के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। किंतु  लाहौर उच्च न्यायालय में उन्हें पेश करने के बाद रिहा कर दिया गया। बता दें कि उनकी पहली कहानी वर्ष 1939 में ‘फ़सादी’ शीर्षक से प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका ‘साक़ी’ में प्रकाशित हुई थी। आइए अब हम इस्मत चुग़ताई जी की संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-

कहानी-संग्रह 

Ismat Chughtai in Hindi की कड़ी में इनके द्वारा लिखी गई कहानी-संग्रह इस प्रकार हैं:

कहानी-संग्रह प्रकाशन 
फ़सादीवर्ष 1939
इंतिखाबवर्ष 1939
कलियाँवर्ष 1941
चोटेंवर्ष 1942
लिहाफवर्ष 1942
एक बातवर्ष 1946
छुई मुईवर्ष 1952
दो हांथवर्ष 1955
धनी बातेंवर्ष 1955
दोजखवर्ष 1960
दिल की दुनियावर्ष 1966
तनहाई का ज़हरवर्ष 1977
बदन की खुशबूवर्ष 1979
अमरबेलवर्ष 1979
थोड़ी सी पागलवर्ष 1979
आधी औरत आधा ख्वाबवर्ष 1986
तीन अनाड़ीवर्ष 1988

उपन्यास 

Ismat Chughtai in Hindi की कड़ी में इनके द्वारा लिखे गए उपन्यास इस प्रकार हैं:

  • टेढ़ी लकीर
  • जिद्दी
  • एक कतरा-ए-खून
  • जंगली कबूतर 
  • दिल की दुनिया
  • मासूमा 
  • बहरूप नगर 
  • सौदाई
  • अजीब आदमी
  • बाँदी 

आत्मकथा 

  • कागजी है पैहरन 

पुरस्कार एवं सम्मान 

इस्मत चुग़ताई (Ismat Chughtai Biography in Hindi) को आधुनिक उर्दू साहित्य में विशेष योगदान देने के लिए  सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:-

  • पद्मश्री – वर्ष 1976 
  • इक़बाल समान – (मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सम्मानित)
  • ग़ालिब एवार्ड 
  • साहित्य अकादमी पुरस्कार 
  • नेहरू अवार्ड 
  • फ़िल्म फेयर अवार्ड 

निधन 

इस्मत चुग़ताई (Ismat Chughtai) ने तकरीबन आधी सदी तक साहित्य का सृजन किया और उर्दू अदब को कई अनुपम साहित्यिक रचनाएँ दी। वहीं अदब की दुनिया में रोशनियां बिखेरने के बाद उनका 24 अक्तूबर 1991 को निधन हो गया। किंतु उनकी साहित्यिक रचनाओं के लिए उन्हें हमेशा अदब की दुनिया में याद किया जाता रहेगा। 

पढ़िए हिंदी साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ मशहूर अफ़साना निगार इस्मत चुग़ताई का जीवन परिचय के साथ ही हिंदी साहित्य के अन्य साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही है। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-

चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती

FAQs 

इस्मत चुग़ताई का जन्म कहाँ हुआ था?

इस्मत चुग़ताई का जन्म 21 अगस्त 1915 को उतर प्रदेश के शहर बदायूं में हुआ था। 

इस्मत चुग़ताई के पिता का क्या नाम था?

उनके पिता का नाम ‘मिर्ज़ा क़सीम बेग चुग़ताई’ था जो कि पेशे से एक उच्च सरकारी पदाधिकारी थे। 

इस्मत चुगताई की प्रसिद्ध कृति का क्या नाम है?

बता दें कि इस्मत चुगताई की प्रसिद्ध कृति का नाम ‘लिहाफ’, ‘चौथी का जोड़ा’, ‘नन्ही की नानी’, ‘भूल-भुलय्याँ’, ‘मसास’ और ‘बिच्छू फूफी’ आदि है। 

इस्मत चुगताई की आत्मकथा का क्या नाम है?

उनकी बहुचर्चित आत्मकथा का नाम ‘कागजी है पैहरन’ है। 

इस्मत चुगताई का निधन कब हुआ था?

इस्मत चुगताई का निधन  24 अक्तूबर 1991 को हुआ था। 

आशा है कि आपको मशहूर अफ़साना निगार इस्मत चुग़ताई’ (Ismat Chughtai Biography in Hindi) का संपूर्ण जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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