भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों का इतिहास स्वतंत्रता संग्राम की अनगिनत कहानियों और संघर्षों से भरा पड़ा है। ये वीर महापुरुष और महात्मा अपनी देशभक्ति, बलिदान और संघर्ष के माध्यम से भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्ति दिलाने के लिए समर्पित थे। उनके द्वारा किए गए संघर्षों और बलिदानों ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई दिशा दी। इस संघर्ष में महात्मा गांधी का नेतृत्व महत्वपूर्ण था, जिन्होंने अहिंसा और सत्याग्रह के माध्यम से जनता को संगठित किया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ व्यापक जनआंदोलन चलाया। सुभाष चंद्र बोस ने भी भारतीय राष्ट्रीय सेना के माध्यम से स्वतंत्रता की दिशा में क्रांतिकारी कदम उठाए। साथ ही भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव जैसे युवा क्रांतिकारियों ने अपनी बहादुरी और बलिदान से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम (Indian Freedom Fighters in Hindi) को नई ऊर्जा दी।
इन स्वतंत्रता सेनानियों की वीरता, संघर्ष और बलिदान ने न केवल भारतीय समाज को जागरूक किया बल्कि स्वतंत्रता की ओर एक मजबूत कदम बढ़ाया। उनके अद्वितीय योगदान के कारण ही आज हम स्वतंत्र भारत की धरती पर गर्व से खड़े हैं। इसलिए इस ब्लॉग में महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों (Indian Freedom Fighters in Hindi) के बारे में बताया गया है।
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महत्वपूर्ण भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और उनके योगदान
महत्वपूर्ण भारतीय स्वतंत्रता सेनानी (Indian Freedom Fighters in Hindi) और उनके योगदान के बारे में यहाँ बताया गया है :
महात्मा गांधी | दक्षिण अफ्रीका में नेशनल सिविल राइट्स एक्टिविस्ट के पिता, सत्याग्रह, सविनय अवज्ञा मूवमेंट, क्विट इंडिया मूवमेंट |
कुंवर सिंह | इंडियन रिबेलीयन 1857 |
विनायक दामोदर सावरकर | हिंदू महासभा के प्रमुख और हिंदू राष्ट्रवादी दर्शन के सूत्रधार |
दादाभाई नौरोजी | भारत के अनौपचारिक राजदूत |
तात्या टोपे | 1857 का भारतीय विद्रोह |
के एम मुंशी | भारतीय विद्या भवन के संस्थापक |
जवाहरलाल नेहरू | भारत के प्रथम प्रधानमंत्री |
अशफाकला खान | हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य |
सरदार वल्लभभाई पटेल | विनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन के प्रमुख सदस्य |
लाला लाजपत राय | पंजाब केसरी अगेंस्ट साइमन कमीशन |
राम प्रसाद बिस्मिल | हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के संस्थापक सदस्य |
बाल गंगाधर तिलक | आधुनिक भारत के निर्माता आंदोलन |
रानी लक्ष्मीबाई | 1857 का भारतीय विद्रोह |
बिपिन चंद्र पाल | क्रांतिकारी विचारों के जनक |
चितरंजन दास | बंगाल से असहयोग आंदोलन में नेता और स्वराज पार्टी के संस्थापक |
बेगम हजरत महल | 1857 का भारतीय विद्रोह |
भगत सिंह | सबसे प्रभावशाली क्रांतिकारी में से एक |
लाल बहादुर शास्त्री | श्वेत क्रांति, ग्रीन क्रांति, भारत के प्रधानमंत्री |
नाना साहेब | 1857 का भारतीय विद्रोह |
चंद्रशेखर आजाद | हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के अपने नए नाम के तहत हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचआरए) का पुनर्गठन किया |
सी राजगोपालाचारी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के India Leader के अंतिम गवर्नर जनरल |
अब्दुल हफीज मोहब्बत बरकतउल्ला | क्रांतिकारी लेखक |
सुभाष चंद्र बोस | द्वितीय विश्व युद्ध के राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य |
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महात्मा गांधी
महात्मा गांधी, जिनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख नेता और अहिंसात्मक संघर्ष के प्रेरक थे। गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। गांधीजी का योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रभावशाली था।
महात्मा गांधी का जीवन और स्वतंत्रता में योगदान:
- सत्याग्रह और अहिंसा का सिद्धांत : महात्मा गांधी ने अपने जीवन की सबसे बड़ी विशेषता ‘सत्याग्रह’ (सत्य की शक्ति) को प्रस्तुत किया। उन्होंने अहिंसा (अहिंसात्मक प्रतिरोध) को आंदोलन का मुख्य हथियार बनाया, जो न केवल भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन बल्कि विश्व के अन्य आंदोलनों पर भी प्रभावी साबित हुआ। उनके अहिंसात्मक संघर्ष ने साम्राज्यवादी शासन को चुनौती दी और एक नया जन आंदोलन तैयार किया।
- दक्षिण अफ्रीका में संघर्ष : गांधीजी ने सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में नस्ली भेदभाव और अन्याय के खिलाफ संघर्ष किया। वहां उन्होंने सत्याग्रह के सिद्धांत को विकसित किया और सफलतापूर्वक सामाजिक और राजनीतिक सुधारों के लिए लड़ा।
- भारत लौटने के बाद का संघर्ष : भारत लौटने के बाद, गांधीजी ने भारतीय समाज को एकजुट करने और ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक व्यापक जन आंदोलन तैयार करने का काम किया। उन्होंने कई प्रमुख आंदोलनों का नेतृत्व किया, जैसे कि – चंपारण सत्याग्रह (1917), अहमदाबाद मिल हड़ताल (1918), खिलाफत आंदोलन (1919-1924), नमक सत्याग्रह (1930) और भारत छोड़ो आंदोलन (1942)
- नागरिक असहमति और सामाज में सुधार : गांधीजी ने जातिवाद और अस्पृश्यता के खिलाफ भी संघर्ष किया।
महात्मा गांधी से जुड़े रोचक तथ्य
सुभाष चंद्र बोस
सुभाष चंद्र बोस, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख और गतिशील नेता थे, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह और क्रांतिकारी गतिविधियों के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा दी। उनका जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक, उड़ीसा में हुआ था। वे एक दूरदर्शी और साहसी नेता थे, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए एक नई दृष्टि और रणनीति पेश की।
सुभाष चंद्र बोस के अनमोल विचार
सरदार वल्लभभाई पटेल
सरदार वल्लभभाई पटेल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख नेता और स्वतंत्र भारत के पहले गृह मंत्री थे। उनका जन्म 31 अक्टूबर 1875 को नडियाद, गुजरात में हुआ था। वे भारतीय राजनीति में अपनी दूरदर्शिता, दृढ़ता और मजबूत नेतृत्व के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्हें ‘सद्भाव और एकता का शिल्पकार’ और ‘सर्दार’ के उपनाम से भी जाना जाता है।
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जवाहरलाल नेहरू
जवाहरलाल नेहरू भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता और स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। उनका जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। वे भारतीय राजनीति के एक प्रमुख स्तंभ रहे और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी के करीबी सहयोगी थे। नेहरू की दूरदर्शिता, आधुनिकता के प्रति प्रतिबद्धता, और विकासात्मक दृष्टिकोण ने स्वतंत्र भारत के राजनीतिक और सामाजिक ढांचे को आकार दिया।
लाल बहादुर शास्त्री
लाल बहादुर शास्त्री भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख नेता और भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 को मुगलसराय, उत्तर प्रदेश में हुआ था। वे अपनी सादगी, ईमानदारी और दूरदर्शिता के लिए प्रसिद्ध हैं और उनके नेतृत्व में भारत ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं। उनका जीवन और योगदान भारतीय राजनीति के महत्वपूर्ण अध्यायों में से एक है।
भगत सिंह
भगत सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रांतिकारी नेता थे, जिनका जीवन और योगदान भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। उनका जन्म 28 सितंबर 1907 को लाहौर (अब पाकिस्तान) के बंगा गांव में हुआ था। भगत सिंह की बहादुरी, राष्ट्रवाद और बलिदान ने उन्हें भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे प्रेरणादायक व्यक्तित्वों में से एक बना दिया।
दादा भाई नौरोजी
दादाभाई नौरोजी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख नेता और सामाजिक सुधारक थे, जिन्हें ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नायक’ के रूप में जाना जाता है। उनका जन्म 4 सितंबर 1825 को मुंबई में हुआ था। वे भारतीय राजनीति और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व रहे और उनका योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अत्यंत महत्वपूर्ण था। 1885 में दादाभाई नौरोजी ने एओ ह्यूम द्वारा स्थापित ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह तीन बार (1886, 1893, 1906) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए।
बिपिन चंद्र पाल
बिपिन चंद्र पाल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख नेता और क्रांतिकारी विचारक थे। उनका जन्म 7 नवम्बर 1858 को शिलांग (असम) में हुआ था। उन्हें ‘बाल गंगाधर तिलक’ और ‘लाला लाजपत राय’ के साथ त्रि-शक्ति के एक महत्वपूर्ण सदस्य के रूप में जाना जाता है। वे एक कट्टर राष्ट्रवादी और समाज सुधारक थे, जिनका योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अत्यंत महत्वपूर्ण था।
लाला लाजपत राय
लाला लाजपत राय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख नेता और समाज सुधारक थे, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब के मलेरकोटला जिले के धुंडू गांव में हुआ था। वे ‘लाल बाल पाल’ के त्रय के एक प्रमुख सदस्य थे और भारतीय राजनीति के एक महत्वपूर्ण स्तंभ रहे हैं।
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राजा राम मोहन रॉय
राजा राम मोहन रॉय का जन्म 22 मई 1772 को बंगाल के हूगली जिले के में राधानगर गाँव में हुआ था। वह एक प्रमुख भारतीय समाज सुधारक थे, जिनका योगदान भारतीय समाज के सुधार में अत्यंत महत्वपूर्ण था। उन्होंने विशेष रूप से धार्मिक और सामाजिक सुधारों के लिए काम किया और आधुनिक भारत के एक अग्रणी सुधारक के रूप में जाने जाते हैं।
तात्या टोपे
तात्या टोपे का जन्म 16 फरवरी 1814 को हुआ था। वह एक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख सेनानायक और विद्रोही नेता थे। वे भारतीय सशस्त्र विद्रोह के एक प्रमुख नेता के रूप में जाने जाते हैं, जिन्होंने 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका असली नाम रामचंद्र पांडे था, लेकिन वे तात्या टोपे के नाम से प्रसिद्ध हुए।
बाल गंगाधर तिलक
बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को हुआ था। वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख नेता और सामाजिक सुधारक थे। उन्हें ‘लोकमान्य तिलक’ के नाम से भी जाना जाता है। वे भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के एक अग्रणी विचारक और नेता थे, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता की ओर मार्गदर्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अशफाकउल्ला खान
अशफाकउल्ला खान एक प्रमुख भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका जन्म 22 अक्टूबर 1900 को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर जिले में हुआ था। वे मुख्य रूप से हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) के सदस्य रहे और चंद्रशेखर आज़ाद के करीबी सहयोगी थे। उनकी शहादत ने उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायकों में शामिल कर दिया। 19 दिसम्बर 1927 को उन्हें अंग्रेजी शासन द्वारा फांसी की सजा दी गई।
नाना साहब
बालाजीराव भट, जिन्हें आमतौर पर ‘नाना साहिब’ के नाम से जाना जाता है, का जन्म मई 1824 में बिठूर (कानपुर जिला), उत्तर प्रदेश में हुआ था। वह भारत के मराठा साम्राज्य के आठवें पेशवा थे। शिवाजी के शासनकाल के बाद, वह सबसे शक्तिशाली राजाओं में से एक थे और इतिहास में सबसे साहसी भारतीय स्वतंत्रता योद्धाओं में से एक थे। उनका दूसरा नाम बालाजी बाजीराव था। 1749 में जब छत्रपति शाहू की मृत्यु हुई, तो उन्होंने मराठा साम्राज्य को पेशवाओं के पास छोड़ दिया। उनके राज्य का कोई उत्तराधिकारी नहीं था, इसलिए उन्होंने वीर पेशवाओं को अपना उत्तराधिकारी नामित किया। मराठा साम्राज्य के राजा के रूप में नाना साहिब ने पुणे के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके शासन काल में पूना एक छोटे से गांव से महानगर में तब्दील हो गया था। उन्होंने नए जिलों, मंदिरों और पुलों का निर्माण करके शहर को नया रूप दिया। यह कहते हुए कि, 1857 के विद्रोह में साहिब का महत्वपूर्ण योगदान था, उत्साही विद्रोहियों के एक समूह का नेतृत्व करके उन्होंने कानपुर में ब्रिटिश सैनिकों को पछाड़ दिया। हालाँकि, नाना साहब और उनके आदमियों को हराने के बाद, अंग्रेज कानपुर को वापस लेने में सक्षम थे।
सुखदेव
सुखदेव भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से एक थे। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे और भगत सिंह के करीबी सहयोगी के रूप में प्रसिद्ध हैं। सुखदेव का जन्म 15 सितंबर 1907 को पंजाब के लुधियाना जिले के नवांशहर गाँव में हुआ था। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के लिए कई महत्वपूर्ण गतिविधियों में भाग लिया और अपने जीवन को स्वतंत्रता की दिशा में समर्पित कर दिया।
सुखदेव और भगत सिंह ने मिलकर हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) में सक्रिय भूमिका निभाई और अंग्रेजी शासन के खिलाफ कई महत्वपूर्ण कार्रवाइयों की योजना बनाई। 23 मार्च 1931 को सुखदेव, भगत सिंह और राजगुरु को अंग्रेजी सरकार ने फाँसी दी थी। उनकी शहादत और बलिदान ने उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अमर बना दिया।
कुंवर सिंह
कुंवर सिंह का जन्म 26 अप्रैल 1777 में जगदीशपुर के महाराजा और महारानी (अब भोजपुर जिले, बिहार में) के महाराजा और जगदीसपुर की महारानी के यहाँ हुआ था। विद्रोह के अन्य प्रसिद्ध नामों के बीच उनका नाम अक्सर खो जाता है। बहरहाल, प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान बहुत बड़ा था। बिहार में विद्रोह का नेतृत्व कुंवर सिंह ने किया था। 25 जुलाई 1857 को, उन्होंने लगभग 80 वर्ष की आयु में दानापुर में तैनात सिपाहियों की कमान प्राप्त की। कुंवर सिंह ने मार्च 1858 में आजमगढ़ पर अधिकार कर लिया। 23 जुलाई को जगदीशपुर के पास एक सफल लड़ाई की कमान संभाली।
मंगल पांडे
एक प्रसिद्ध भारतीय स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे को आमतौर पर अंग्रेजों के खिलाफ 1857 के विद्रोह के अग्रदूत के रूप में पहचाना जाता है, जिसे भारत की स्वतंत्रता की पहली लड़ाई माना जाता है। ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना की 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री (बीएनआई) रेजिमेंट में एक सैनिक के रूप में, उन्होंने सिपाही विद्रोह का नेतृत्व किया, जिसके कारण अंततः 1857 का विद्रोह हुआ। 1850 के दशक के मध्य में जब भारत में एक नई एनफील्ड राइफल लॉन्च की गई, तो व्यापार के साथ उनका सबसे बड़ा विवाद शुरू हुआ। राइफल के कारतूसों में जानवरों की चर्बी, विशेष रूप से गाय और सुअर की चर्बी के साथ चिकनाई होने की अफवाह थी। कारतूसों के उपयोग के परिणामस्वरूप, भारतीय सैनिकों ने निगम के खिलाफ विद्रोह कर दिया क्योंकि इसने उनकी धार्मिक मान्यताओं का उल्लंघन किया था। पांडे और उनके साथी सिपाहियों ने 29 मार्च, 1857 को ब्रिटिश कमांडरों के खिलाफ विद्रोह किया और उन्हें मारने का भी प्रयास किया।
सी. राजगोपालाचारी
सी राजगोपालाचारी का जन्म 10 दिसंबर 1878 को हुआ था। 1906 में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होने से पहले पेशे से एक वकील थे। राजगोपालाचारी समकालीन भारतीय राजनीति में एक महान व्यक्ति थे। वह स्वतंत्रता पूर्व युग के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य और महात्मा गांधी के कट्टर समर्थक थे। उन्होंने लाला लाजपत राय के असहयोग आंदोलन में भी सक्रिय रूप से भाग लिया था।
राम प्रसाद बिस्मिल
राम प्रसाद बिस्मिल सबसे उल्लेखनीय भारतीय क्रांतिकारियों में से एक थे, जिन्होंने ब्रिटिश उपनिवेशवाद से लड़ाई लड़ी और देश के लिए स्वतंत्रता की हवा में सांस लेना संभव बनाया, शाही ताकतों के खिलाफ संघर्ष के बाद, स्वतंत्रता की इच्छा और क्रांतिकारी भावना हर इंच में गूंजती रही। वह सुखदेव के साथ हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के एक सम्मानित सदस्य थे। वह कुख्यात काकोरी ट्रेन डकैती में भी भागीदार थे, जिसके लिए ब्रिटिश सरकार ने इन्हें मौत की सजा दी थी।
चंद्रशेखर आज़ाद
चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को भावरस में हुआ था। वह स्वतंत्रता आंदोलन में भगत सिंह के करीबी साथी थे। साथ ही हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य भी थे और ब्रिटिश अधिकारियों के खिलाफ सबसे बहादुर और साहसी भारतीय स्वतंत्रता सेनानी भी थे। ब्रिटिश सेना के साथ युद्ध के दौरान कई विरोधियों की हत्या करने के बाद, उन्होंने अपनी कोल्ट पिस्तौल से खुद को गोली मार ली। उन्होंने वादा किया था कि वह कभी भी अंग्रेजों द्वारा जिंदा नहीं पकड़े जाएंगे।
महिला भारतीय स्वतंत्रता सैनानी
कई महिला भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों (Indian Freedom Fighters in Hindi) ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, चाहे वह स्थानीय स्तर पर देश के लिए लड़कर हो या पुरुषों के साथ मिलकर। भारत की स्वतंत्रता में महिला स्वतंत्रता सैनानियों ने भी भाग लिया जिनके बारे में नीचे बताया गया है:
- झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई
- एनी बेसेंट
- मैडम भीकाजी कामा
- कस्तूरबा गांधी
- अरुणा आसफ अली
- सरोजिनी नायडू
- उषा मेहता
- बेगम हजरत महल
- कमला नेहरू
- विजया लक्ष्मी पंडित
- झलकारी बाई
- सावित्री बाई फुले
- अम्मू स्वामीनाथनी
- किट्टू रानी चेन्नम्मा
- दुर्गा देवी
रानी लक्ष्मीबाई
झांसी की रानी का जन्म मणिकर्णिका 19 नवंबर 1828 वाराणसी भारत में हुआ था। उनके पिता का नाम मोरोपंत तांबे और माता का नाम भागीरथी सप्रे था। इनके पति का नाम नरेश महाराज गंगाधर राव नायलयर और बच्चे का नाम दामोदर राव और आनंद राव था। रानी जी ने बहुत बहादुरी से युद्ध में अपना परिचय दिया था। रानी लक्ष्मीबाई ने अपने दत्तक पुत्र को पीठ पर कसकर बाँधकर अंग्रेजों से युद्ध किया था।
रानी लक्ष्मीबाई के अनमोल विचार
बेगम हज़रत महल
बेगम हज़रत महल का जन्म अवध प्रांत के फैजाबाद जिले में सन 1820 में हुआ था। उन्होंने अंग्रेजों को देश से भगाने में अहम भूमिका निभाई थी। बेगम हजरत महल के बचपन का नाम मुहम्मदी खातून था। वह नवाब वाजिद अली शाह के अनुबंध के तहत पत्नियों में से एक थी। स्वतंत्रता संघर्ष में उनका सबसे बड़ा योगदान हिंदुओं और मुसलमानों को अंग्रेजों से लड़ने के लिए एक बल के रूप में एकजुट करना था। यहां तक कि उन्होंने महिलाओं को अपने घरों से बाहर निकलने और स्वतंत्रता के संघर्ष में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने और प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका मानना था कि महिलाएं दुनिया में कुछ भी कर सकती हैं, किसी भी लड़ाई को लड़ सकती हैं और विजेता के रूप में सामने आ सकती हैं।
सरोजिनी नायडू
निश्चित रूप से सरोजिनी नायडू आज की महिलाओं के लिए एक रोल मॉडल हैं। जिस जमाने में महिलाओं को घर से बाहर निकलने तक की आजादी नहीं थी, सरोजिनी नायडू घर से बाहर देश को आजाद करने के लक्ष्य के साथ दिन रात महिलाओं को जागरूक कर रही थीं। सरोजिनी नायडू उन चुनिंदा महिलाओं में से थीं जो बाद में INC की पहली प्रेज़िडेंट बनीं और उत्तर प्रदेश की गवर्नर के पद पर भी रहीं। वह एक कवयित्री भी थीं।
सावित्रिभाई फुले
महिलाओं को शिक्षित करने के महत्व को उन्होंने जन जन में फैलाने का ज़िम्मा उठाया था। उन्होंने ही कहा था कि अगर आप किसी लड़के को शिक्षित करते हैं तो आप अकेले एक शख्स को शिक्षित कर रहे हैं, लेकिन अगर आप एक लड़की को शिक्षा देते हैं तो पूरे परिवार को शिक्षित कर रहे हैं। उन्होंने अपने समय में महिला उत्पीड़न के कई पहलू देखे थे और लड़कियों को शिक्षा के अधिकार से वंचित होते देखा था। ऐसे में तमाम विरोध झेलने और अपमानित होने के बावजूद उन्होंने लड़कियों को मुख्य धारा में लाने के लिए उन्हें आधारभूत शिक्षा प्रदान करने की जिम्मेदारी उठाई थी।
विजयलक्ष्मी पंडित
जवाहरलाल नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी भी देश के विकास के लिए तमाम गतिविधियों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेती थीं। उन्होंने कई सालों तक देश की सेवा की और बाद में संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंब्ली की पहली महिला प्रेज़िडेंट भी बनीं। वे डिप्लोमेट, राजनेता के अलावा लेखिका भी थीं।
भारतीय स्वतंत्रता सैनानीयों द्वारा दिए गए कोट्स
भारतीय स्वतंत्रता सैनानीयों द्वारा दिए गए कोट्स (Quotes by Indian Freedom Fighters in Hindi) यहाँ दिए गए हैं :
- एक सच्चे और वीर सैनिक को सैन्य और आध्यात्मिक दोनों ही प्रशिक्षण की जरूरत होती है।- नेता जी सुभाष चन्द्र बोस
- आराम, हराम है।- जवाहर लाल नेहरू
- सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा।- मोहम्मद इकबाल
- दुश्मनों की गोलियों का हम डटकर सामना करेंगे, आज़ाद हैं, आज़ाद ही रहेंगे।- चन्द्रशेखर आज़ाद
- भारतीय एकता का मुख्य आधार इसकी संस्कृति ही है, इसका उत्साह कभी भी नहीं टूटा और यही इसकी सबसे बड़ी खासियत है। भारतीय संस्कृति अक्षुण्ण है, क्योंकि भारतीय संस्कृति की धारा निरंतर बहती रहती है, और हमेशा बहती रहेगी। – मदन मोहन मालवीय
- अब भी जिसका खून न खौला खून नहीं वो पानी है…जो ना आए देश के काम वो बेकार जवानी है।- चन्द्रशेखर आज़ाद
- हिन्दी, हिन्दू और हिन्दुस्तान। – भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
- मेरा रंग दे बसंती चोला,माय रंग दे बसंती चोला।- सुखदेव
- मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक चोट ब्रिटिश सम्राज्य के ताबूत की कील बनेगी। – लाला लाजपत राय
- अगर लोगों को स्वराज और सच्चा लोकतंत्र हासिल करना है , तो वे इसे कभी असत्य और हिंसा के द्धारा प्राप्त नहीं कर सकते हैं।- लाल बहादुर शास्त्री
- “आलसी व्यक्तियों के लिए भगवान कभी अवतार नहीं लेते, वे हमेशा मेहनती व्यक्ति के लिए ही अवतरित होते हैं , इसलिए काम करना शुरु करें।” – बाल गंगाधर तिलक
- पहले तो वो आप पर बिल्कुल ध्यान नहीं देंगे, और फिर वो आप पर जमकर हंसेंगे, फिर वो आप से लड़ेंगे और फिर आप जीत जाएंगे। – राष्ट्रपिता, महात्मा गांधी
- विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा। – श्याम लाल गुप्ता
- आज़ादी मिलती नहीं है बल्कि इसे छीनना पड़ता है।- सुभाष चंद्र बोस
FAQs
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के 7 महानायक जिन्होंने आजादी दिलाने में मुख्य भूमिका निभाई
1. मंगल पांडे
2. भगत सिंह
3. महात्मा गांधी
4. पंडित जवाहरलाल नेहरू
5. चंद्रशेखर आजाद
6. सुभाष चंद्र बोस
7. बाल गंगाधर तिलक
देश की आजादी का बीज बोने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत थे। मंगल पांडे द्वारा 1857 में जुलाई की आजादी की मशाल से 90 साल बाद पूरा भारत रोशन हुआ और आज हम स्वतंत्र भारत में सांस ले रहे हैं। आइए जानते हैं ऐसे महान सपूत के बारे में..
अपनी वीरता व निडरता के कारण वे वीरबाला के नाम से जानी गईं। आज सबसे कम उम्र की बलिदानी कनकलता का नाम भी इतिहास के पन्नों से गायब है। बीनादास : बीनादास का जन्म 24 अगस्त 1911 को बंगाल प्रांत के कृष्णानगर गांव में हुआ था।
पारसी परिवार में आज ही के दिन जन्मीं भीकाजी भारत की आजादी से जुड़ी पहली महिला स्वतंत्रता सेनानी थीं. आज भीकाजी कामा का आज 157वां जन्मदिन है. जर्मनी के स्टुटगार्ट में हुई दूसरी ‘इंटरनेशनल सोशलिस्ट कांग्रेस’ में 46 साल की पारसी महिला भीकाजी कामा ने भारत का झंडा फहराया था।
1857-59′ के दौरान हुये भारतीय विद्रोह के प्रमुख केन्द्रों: मेरठ, दिल्ली, कानपुर, लखनऊ, झाँसी और ग्वालियर को दर्शाता सन 1912 का नक्शा। विद्रोह का दमन, ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन का अंत, नियंत्रण ब्रिटिश ताज के हाथ में।
इन महान स्वतंत्रता सेनानियों में भगत सिंह, महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, लाला लाजपत राय, लाल बहादुर शास्त्री और बाल गंगाधर तिलक शामिल हैं। इनके साथ ही कई और देशभक्त हैं जिन्होंने ब्रिटिश आधिपत्य से मुक्ति के लिए योगदान दिया।
‘भारत छोड़ो‘ आंदोलन को आज़ादी से पहले भारत का सबसे बड़ा आंदोलन माना जाता है। देश भर में लाखों भारतीय इस आंदोलन में कूद पड़े थे।
आशा है आपको Indian Freedom Fighters in Hindi पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध व्यक्तियों के जीवन परिचय के बारे पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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