भारत में नेशनल लेवल पर 2 बड़े बोर्ड हैं, CBSE और ICSE। यह दोनों बोर्ड अपने सेट क्राइटेरिया पर चलते हैं। ICSE का फुल फॉर्म है Indian Certificate of Secondary Education। इसकी स्थापना वर्ष 1986 में की गई थी। ICSE ग्रेडिंग सिस्टम भी CBSE के ग्रेडिंग सिस्टम से अलग है। आइए इस ब्लॉग में जानते हैं कि ICSE grading system 2023 कैसे काम करता है।
क्या है ICSE Grading System 2023?
ICSE Grading System 2023 और पैटर्न को छात्रों की अकादमिक केपेबिलिटी और ICSE परीक्षाओं में उनके प्रदर्शन का आकलन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। ग्रेडिंग सिस्टम 0 से 100% तक प्रतिशत सीमा पर आधारित है। ग्रेडिंग सिस्टम को चार हिस्सों में बांटा गया है, जो इस प्रकार है:
ICSE डिस्टिंक्शन प्रतिशत: 90-100%
फर्स्ट डिवीजन: 75-89%
सेकंड डिवीजन: 60-74%
पास: 50-59%
कैसे काम करता है ICSE Grading System 2023?
ICSE परीक्षा पैटर्न दो भाग का होता है। ICSE अंकों की गणना दो प्रकार के आकलनों पर आधारित है- इंटरनल असेसमेंट और एक्सटर्नल असेसमेंट।
- इंटरनल असेसमेंट उस स्कूल द्वारा किया जाएगा, जहां छात्र पढ़ रहा है और यह कुल अंकों का 25% होगा।
- एक्सटर्नल असेसमेंट ICSE बोर्ड द्वारा आयोजित किया जाएगा और यह कुल अंकों का 75% होगा।
एक्सटर्नल असेसमेंट में दो पेपर होते हैं: थ्योरी और प्रैक्टिकल। थ्योरी पेपर तीन घंटे होता है, इसमें 80 अंक होते हैं। प्रैक्टिकल पेपर दो घंटे का होता है, यह 20 अंकों का होता है। एक्सटर्नल असेसमेंट के लिए कुल अंक 100 होते हैं।
ग्रेडिंग प्रणाली पर ICSE बोर्ड ने आने वाले अकादमिक ईयर के लिए अपने पैटर्न में बदलाव किए हैं, जैसे कि-
- नया ग्रेडिंग सिस्टम छात्रों के प्रतिशत अंकों के आधार पर होगा।
- पर्सेंटाइल स्कोर की गणना छात्र के प्रदर्शन और उसी परीक्षा में बैठने वाले अन्य सभी छात्रों के प्रदर्शन के आधार पर की जाएगी।
- प्रत्येक पेपर के लिए अलग-अलग अंकों की गणना की जाएगी और कुल परसेंटाइल स्कोर पर पहुंचने के लिए परसेंटाइल अंकों को जोड़ा जाएगा।
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