सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई की कहानियां

1 minute read
हरिशंकर परसाई की कहानियां

हिंदी साहित्य के सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई जिनका जन्म 22 अगस्त, 1924 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के जमानी गाँव में हुआ। उन्होंने अपने साहित्यिक जीवन में कई उपन्यास, निबंध, कहानी संग्रह, व्यंग्य-लेख संग्रह, आत्मकथा और संपादन लिखे। हरिशंकर परसाई की कहानियां संग्रह की बात की जाए तो यह आज भी लोगों के दिलों पर गहरी छाप छोड़ता है। इस ब्लॉग में हरिशंकर परसाई की कहानियां कौन-सी हैं और उसमें इन्होंने किस पहलू पर रोशनी डाली है, बताया गया है।

हरिशंकर परसाई की कहानियां

हरिशंकर परसाई ने तीन कहानियां लिखीं जो हैं –

  • हँसते हैं रोते हैं
  • भोलाराम का जीव
  • दो नाक वाले लोग 

यह भी पढ़ें – हरिशंकर परसाई की रचनाएँ – ‘प्रेमचंद के फटे जूते’, ‘भोलाराम का जीव’, ‘रानी नागफनी की कहानी’, ‘सदाचार का तावीज’

भोलाराम का जीव

‘भोलाराम का जीव’ हरिशंकर परसाई की इस कहानी में सरकारी कार्यालयों में पनप रहे भ्रष्टाचार और इसके कारण आम जनता की बढ़ती हुई समस्याओं का इसमें मार्मिक चित्रण किया है। इस कहानी में भ्रष्ट सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था को चित्रित किया गया है साथ ही ये भी प्रभावशाली ढंग से दिखाया है कि मानवीय सवेदनाओं से दूर होकर मनुष्य अपने स्वार्थ में लिप्त हो चुका है और समाज में हो रहे भ्रष्टाचार के क्रूर व्यवहार को चुपचाप देखने और सहने के अलावा आम इंसान के पास दूसरा कोई साधन नहीं है। 

भोलाराम का जीव कहानी PDF

Copyright of IGNOU

दो नाक वाले लोग 

हरिशंकर परसाई की कहानी ‘दो नाक वाले लोग’ समाज में व्याप्त परंपरागत विचारधारा और आधुनिकता के बीच संघर्ष को दर्शाती है। कहानी एक बुजुर्ग सज्जन की है जो अपनी बेटी की शादी में ठाठ-बाट से खर्च करने की इच्छा रखते हैं, बावजूद इसके कि उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है। वह अपनी ‘नाक’ यानी प्रतिष्ठा के कारण कर्ज में डूबने को भी तैयार हैं, परंतु नाक को कटने से बचाने के लिए कुछ भी करने को तैयार नहीं होते।

इस कहानी के आधार पर कहा जा सकता है कि लेखक उन्हें सलाह देते हैं कि वे साधारण तरीके से शादी करें और रिश्तेदारों को बुलाने की चिंता न करें, लेकिन बुजुर्ग अपनी नाक कटने के डर से इसे नहीं मानते। लेखक इस कहानी के माध्यम से न केवल नाक (प्रतिष्ठा) की मूर्खतापूर्ण परंपरा का मजाक उड़ाते हैं, बल्कि समाज के दोहरे मापदंडों और दिखावे की प्रवृत्ति को भी उजागर करते हैं।

कहानी का व्यंग्यात्मक पहलू यह है कि लोग अपनी नाक (प्रतिष्ठा) की सुरक्षा के लिए समाज में धोखा देने, झूठ बोलने और दिखावा करने तक से नहीं हिचकिचाते, फिर भी उनके सामाजिक मूल्यों का प्रदर्शन करते रहते हैं। कहानी में नाक की लंबाई और स्टील की नाक के रूपकों के जरिए यह दिखाया गया है कि समाज में प्रतिष्ठा और इज्जत का दिखावा कितना महत्वहीन और हास्यास्पद हो सकता है।

इस प्रकार, ‘दो नाक वाले लोग’ समाज की मानसिकता पर एक तीखा व्यंग्य है, जो परंपराओं और आधुनिकता के बीच फंसे हुए लोगों की सोच और उनकी सामाजिक स्थिति पर एक करारा प्रहार करता है।

संबंधित आर्टिकल

मैथिली शरण गुप्त की रचनाएँरविंद्र नाथ टैगोर की प्रमुख रचनाएं
अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध की प्रमुख रचनाएँशिवमंगल सिंह सुमन की प्रमुख रचनाएं
माखनलाल चतुर्वेदी की प्रमुख रचनाएंभवानी प्रसाद मिश्र की रचनाएँ
महादेवी वर्मा की प्रमुख रचनाएंप्रताप नारायण मिश्र की प्रमुख रचनाएं
शमशेर बहादुर सिंह की प्रमुख रचनाएंअमृतलाल नागर की रचनाएँ

उम्मीद है, हरिशंकर परसाई की कहानियां कौनसी हैं इसके बारे में आपको जानकारी मिल गई होगी। ऐसे ही हिंदी साहित्य से जुड़े ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

प्रातिक्रिया दे

Required fields are marked *

*

*