संधि, हिंदी व्याकरण के महत्वपूर्ण विषयों में से एक है। इसका शाब्दिक अर्थ है- मेल। यानी दो वर्णों के परस्पर मेल से जो परिवर्तन होता है, उसे संधि कहा जाता है और दो शब्दों के मेल से बने शब्द को पुनः अलग अलग करना संधि विच्छेद कहलाता है।
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Gurupadesh ka Sandhi Viched क्या है?
इस लेख में हम जानेंगे कि गुरुपदेश का संधि विच्छेद क्या होगा। तो आईये आपको बताते हैं कि गुरुपदेश का संधि विच्छेद होगा ‘गुरु + उपदेश‘। गुरुपदेश शब्द में दीर्घ संधि लागू होती है।
दीर्घ संधि क्या है?
दीर्घ संधि, स्वर संधि का एक प्रकार है जिसमें दो स्वर्ण या सजातीय स्वरों के बीच संधि होकर उनके दीर्घ रूप हो जाते है। अर्थात दो स्वर्ण स्वर मिलकर दीर्घ हो जाते हैं।
इस संधि के चार रूप होते है-
जब अ,आ के साथ अ,आ हो तो “आ” बनता है
जब इ,ई के साथ इ,ई हो तो “ई” बनता है
जब उ,ऊ के साथ उ,ऊ हो तो “ऊ”बनता है
ऋ के साथ ऋ/ ऋ हो तो “ऋ” बनता है
उदाहरण
- वेद + अंत = वेदांत
- वार्ता + आलाप = वार्तालाप
- मुनि + इंद्र = मुनींद्र
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आशा करते हैं कि इस ब्लॉग से आपको Gurupadesh ka Sandhi Viched पता चल गया होगा। संधि से जुड़े हुए अन्य महत्वपूर्ण और रोचक ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहिए।