GITAM (डीम्ड यूनिवर्सिटी) ने सरकारी संस्थानों से कुल INR 28.87 करोड़ की फंडिंग हासिल की है। यह फंडिंग चार मुख्य श्रेणियों के लिए है। इसमें जनजातीय सशक्तिकरण और अनुसंधान, वैज्ञानिक प्रगति, इंजीनियरिंग में इनोवेशन और एकेडमिक-इंडस्ट्री पार्टनरशिप शामिल है।
ऑफिशियल प्रेस रिलीज के अनुसार, इस ग्रांट का उद्देश्य माॅडर्न इंजीनियरिंग प्रोग्रेस और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर से लेकर आदिवासी और लैंगिक मुद्दों पर व्यापक अध्ययन तक कई प्रोजेक्ट्स का समर्थन करना है।
यूनिवर्सिटी का दावा है कि उसके साइंस एंड टेक्नोलाॅजी डिपार्टमेंट (डीएसटी) सीड डिवीजन ने आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के दूरदराज के इलाकों में आदिवासी समुदायों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के उद्देश्य से तीन शोध परियोजनाएं प्रदान की हैं।
PVTG, CRRC और TITE प्रोजेक्ट्स के तहत वित्त पोषित ये प्रोजेक्ट्स वैकल्पिक आजीविका बनाने और हाशिए पर रहने वाले समुदायों को सशक्त बनाने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने पर ध्यान केंद्रित करती हैं। शिक्षा मंत्रालय ने शिक्षकों, अभिभावकों और किशोरों के लिए अनुसंधान और प्रशिक्षण के माध्यम से इंटरनेट पर सुरक्षित व्यवहार को बढ़ावा देने पर केंद्रित एक परियोजना को मंजूरी दे दी है।
स्कूलों के लिए पांच शोध परियोजनाओं को मंजूरी
इसके अलावा सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च (ICSSR) ने GITAM के भीतर विभिन्न स्कूलों के लिए पांच रिसर्च प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी है। कौटिल्य स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी, GITAM स्कूल ऑफ ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंसेज (विशेष रूप से राजनीति विज्ञान विभाग और एप्लाइड साइकोलॉजी विभाग) और GITAM स्कूल ऑफ बिजनेस द्वारा शुरू की गई ये प्रोजेक्ट्स सरकारी पहलों के प्रभावों और कार्यान्वयन की जांच करती हैं।
GITAM (डीम्ड यूनिवर्सिटी) के बारे में
गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट एक निजी डीम्ड विश्वविद्यालय है जो विशाखापत्तनम, हैदराबाद और बेंगलुरु में स्थित है। विश्वविद्यालय की स्थापना 1980 में विशाखापत्तनम में स्वर्गीय एम. वी. वी. एस. मूर्ति द्वारा की गई थी। GITAM को भारत और विदेश में शिक्षा और नियामक निकायों और शीर्ष संगठनों द्वारा मान्यता प्राप्त है।
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