भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-3 चंद्रमा मिशन लॉन्च किया है। चंद्रयान-3 मिशन पर लगभग 54 महिला इंजीनियर/वैज्ञानिक काम कर रही हैं। वे अलग-अलग केंद्रों पर काम करने वाले विभिन्न प्रणालियों के सहयोगी और उप परियोजना निदेशक और परियोजना प्रबंधक हैं।
चंद्रयान-2 मिशन में 2 महिला डायरेक्टर एम. वनिता और मिशन डायरेक्टर रितु करिधल श्रीवास्तव ने अहम भूमिका निभाई थी। चंद्रयान-3 मिशन के निदेशक मोहन कुमार हैं, व्हीकल/रॉकेट निदेशक बीजू सी. थॉमस हैं और अंतरिक्ष यान निदेशक डॉ. पी. वीरमुथुवेल हैं।
इस बार चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग की जिम्मेदारी एक महिला साइंटिस्ट के हाथों में है। ISRO साइंटिस्ट ऋतु करिधाल चंद्रयान-3 की मिशन डायरेक्टर हैं।
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रॉकेट की रफ्तार 6,437 किलोमीटर प्रति घंटा हो जाएगी। आसमान में 62 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचने पर दोनों बूस्टर रॉकेट से अलग हो जाएंगे और रॉकेट की रफ्तार 7 हजार किमी प्रति घंटा पहुंच जाएगी।
ISRO चीफ ने बताया कि चंद्रयान-3 लैंडर की लैंडिंग वेलोसिटी को 2 मीटर/सेकंड से बढ़ाकर 3 मीटर/सेकंड कर दिया गया है। यह एडजस्टमेंट सुनिश्चित करता है कि 3 मीटर/सेकंड की वेलोसिटी पर भी लैंडर दुर्घटनाग्रस्त नहीं होगा।
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इसका वजन करीब 3,900 किलोग्राम है। इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से छोड़ा गया है। 4 साल में दूसरी बार भारत अपना मिशन मून लॉन्च कर रहा है, जिसमें कई जरूरी बदलाव किए गए हैं।
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क्यों खास है चंद्रयान-3 मिशन?
चंद्रयान-3 मिशन अलग और खास माना जा रहा है क्योंकि अब तक जितने भी देशों ने अपने यान चंद्रमा पर भेजे हैं उनकी लैंडिग उत्तरी ध्रुव पर हुई है, जबकि चंद्रयान 3 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला यान होगा। इसके अलावा चंद्रयान 3 इसरो ही नहीं बल्कि पीएम मोदी का भी ड्रीम प्रोजेक्ट है।
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