आजादी के आंदोलन में क्रांति की अलख जगाते भगत सिंह के नारे

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भगत सिंह के नारे

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान क्रांतिकारियों में से एक भगत सिंह भी थे, जिनके विचारों और नारों ने भारतीय समाज की चेतना को जगाने का प्रयास किया। शहीद भगत सिंह के परम बलिदान ने क्रांति की एक ऐसी अलख जगाई, जिसने ब्रिटिश साम्राज्य की नीव हिला कर रख दी थी। आजादी के आंदोलन में क्रांति की अलख जगाने वाले क्रांतिकारी भगत सिंह ने कई नारे (Bhagat singh slogan in Hindi) दिए, जिन्होंने भारतीय समाज को एकता सूत्र में बांधा और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की प्रेरणा दी है। साथ ही उन्होंने देशवासियों में एकजुटता और देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस ब्लॉग में आपको भगत सिंह के नारे पढ़ने का अवसर मिलेंगे, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह के लिए भारतीय समाज को प्रेरित किया।

भगत सिंह के नारे

 भगत सिंह के नारे और उनके विचार स्वतंत्रता संग्राम के सैलाब को उत्तेजित करने में मदद करते थे। उनके नारे लोगों को आजादी के लिए संघर्ष की ऊर्जा और समर्पण दिलाते थे। भगत सिंह के नारे (Bhagat singh slogan in Hindi) और उनके विचार उनकी विचारधारा को प्रकट करते थे। वे अहिंसा, स्वतंत्रता, और आपसी सहमति की महत्वपूर्ण भावनाओं के पक्षधर थे, और उन्होंने इसे अपने नारों के माध्यम से प्रमोट किया। नीचे भगत सिंह के नारे प्रस्तुत हैं :

इंकलाब जिंदाबाद!

यह नारा भगत सिंह का सबसे प्रसिद्ध था और इसका मतलब होता है “क्रांति जिंदाबाद” या “दल दल दल”। इस नारे (Bhagat singh slogan in Hindi) के माध्यम से वह लोगों को यह समझाते थे कि वे स्वतंत्रता संग्राम में समर्थ हैं और उन्हें आजादी की ओर बढ़ना होगा।

भगत सिंह के नारे

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साम्राज्यवाद का नाश हो!

यह नारा (Bhagat singh slogan in Hindi) भगत सिंह ने दिया था। यह नारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण नारा था। यह नारा ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ भारतीयों की भावनाओं को व्यक्त करता था।

भगत सिंह का मानना था कि साम्राज्यवाद एक अमानवीय व्यवस्था है। यह व्यवस्था लोगों के अधिकारों का हनन करती है। उन्होंने साम्राज्यवाद को समाप्त करने के लिए संघर्ष किया। 

भगत सिंह के नारे

सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

यह नारा भगत सिंह के साथी क्रांतिकारी राजगुरु द्वारा प्रस्तुत किया गया था और इसका मतलब था कि वे स्वतंत्रता के लिए अपनी जान की तमन्ना रखते हैं और वे इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए तैयार हैं।

भगत सिंह के नारे

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मेरे खून का एक-एक कतरा इंकलाब लाएगा

यह नारा भगत सिंह ने दिया था। यह नारा भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण नारा था। यह नारा भगत सिंह के क्रांतिकारी विचारों को व्यक्त करता था।

भगत सिंह का मानना था कि स्वतंत्रता के लिए बलिदान देना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यदि उन्हें स्वतंत्रता के लिए मरना पड़ा, तो वे मरने को तैयार थे। उनका मानना था कि उनके बलिदान से इंकलाब आएगा।

भगत सिंह के नारे

पिस्तौल और बम इंकलाब नहीं लाते, क्रान्ति की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है

भगत सिंह के द्वारा कहे गए इस उक्ति में उनका संदेश है कि स्वतंत्रता संग्राम के लिए आवश्यक है कि लोग अपने विचारों को मजबूत करें और अपनी आत्मविश्वास बनाए रखें, बिना शस्त्रों और हिंसा का सहारा लिए। वे इस बात का प्रमोट करते थे कि आपके विचार और आदर्श आपके क्रांति के सच्चे शक्ति हैं और यही सबसे महत्वपूर्ण है।

पिस्तौल और बम इंकलाब नहीं लाते। क्रांति की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है। विचार ही क्रांति की असल शक्ति हैं। जब लोग अपने अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए जागरूक हो जाते हैं, तो वे क्रांति करने के लिए तैयार हो जाते हैं। विचार ही लोगों को क्रांति के लिए प्रेरित करते हैं।

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“वांदे मातरम्”

यह प्राचीन संस्कृत नारा है, जिसका मतलब होता है “मां, मैं आपकी प्रतिष्ठा के लिए बलिदान करता हूँ”। भगत सिंह और उनके साथी क्रांतिकारी इस नारे को अपने स्वतंत्रता संग्राम के प्रतीक के रूप में प्रयोग करते थे।

“वांदे मातरम्” एक प्रसिद्ध संगठनिक नारा था जिसे भगत सिंह और उनके साथी क्रांतिकारी इस्तेमाल करते थे। इस नारे का मतलब होता है “मां, मैं आपकी प्रतिष्ठा के लिए बलिदान करता हूँ”। यह नारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उद्घाटन और प्रेरणा का स्रोत बना।

“वांदे मातरम्” का प्रयोग भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान आम जनता के बीच जागरूकता और उत्साह को बढ़ावा देने के लिए किया जाता था। यह नारा भारतीय मातृभूमि के प्रति गहरी भक्ति और समर्पण का प्रतीक भी होता था, जिससे लोग आपसी एकता और आदर्शों के प्रति समर्पित रहते थे।

“वांदे मातरम्” का उपयोग स्वतंत्रता संग्राम के दौरान रैलियों, सभाओं, और संघर्ष के समय किया जाता था, और यह नारा आज भी भारतीयों के लिए एक महत्वपूर्ण भावना का प्रतीक है।

भगत सिंह के ये नारे आज भी भारतवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। ये नारे हमें बताते हैं कि स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करना कितना महत्वपूर्ण है।

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FAQs

भगत सिंह कौन थे?

भगत सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी थे। वह अहिंसा के प्रति अपने सख्त निष्ठा और आपकी कोर्ट में अपनी जान की क़ुर्बानी के लिए प्रसिद्ध हैं।

भगत सिंह की जन्म तिथि और स्थान क्या थे?

भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर 1907 को पुंजाब के बंदे नगर गाँव में हुआ था।

भगत सिंह की शिक्षा कहाँ से हुई और उन्होंने कौन सी पढ़ाई की?

भगत सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नाकोदर, पंजाब के स्कूलों से प्राप्त की और फिर वे डयल सिंह कॉलेज, लाहौर में गए, जहाँ से उन्होंने आर्ट्स की पढ़ाई की।

भगत सिंह का संघर्ष और स्वतंत्रता संग्राम में योगदान क्या था?

भगत सिंह ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपने जीवन को समर्पित किया और उन्होंने जलियांवाला बाग में हुए मासूम लोगों पर ब्रिटिश साम्राज्य की निर्ममता को कठिन शब्दों में आलोचना की। उन्होंने “हक़ीक़त-ए-किस्तवार” के तहत उपयोगकर्ताओं की दिक्कतों का समर्थन किया।

भगत सिंह की शहादत कब और कैसे हुई?

भगत सिंह, राजगुरु, और सुखदेव ने ग्यारह माह की सजा काटने के बाद 23 मार्च 1931 को लाहौर की सीटी प्रिसन से बाहर निकलकर जलाना बाग की ओर बढ़ते हुए अंग्रेज सरकार के खिलाफ ब्रिटिश पुलिस के खिलाफ आगे बढ़ते हुए गोलीबारी कर ली और शहीद हो गए।

आशा है कि इस ब्लाॅग आप भगत सिंह के नारे और इनसे जुड़ी विस्तृत जानकारी प्राप्त कर पाए होंगे। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग इवेंट्स आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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