क्या आप जानते हैं, कि 24 जून को कौन सा दिवस मनाया जाता है? अगर नहीं, तो यह लेख आपके लिए है, क्योंकि आज हम 24 जून मई को मनाये जाने वाले दिवस के बारे में जानेंगे। बता दें कि तारीखों से जुड़े सामान्य ज्ञान से परिचित रहना बहुत जरूरी है क्योंकि कई कॉम्पिटेटिव परीक्षाओं में इससे संबंधित प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं। ऐसे में आईये जानते हैं कि 24 जून को कौन सा दिवस मनाते हैं?
24 जून को कौन सा दिवस मनाया जाता है?
24 जून को रानी दुर्गावती का बलिदान दिवस है। रानी दुर्गावती गढ़ा राज्य की महारानी थीं जो अपने राज्य की रक्षा के लिए वीरगति को प्राप्त हो गई थी। ऐसे में 24 जून यानी उनके शहादत के दिन को ‘बलिदान दिवस’ के तौर पर मनाया जाता है। बता दें कि ‘रानी दुर्गावती’ का जन्म 5 अक्टूबर सन 1524 को महोबा शहर (वर्तमान उत्तर प्रदेश) में हुआ था। दुर्गाष्टमी के दिन जन्म होने के कारण उनका नाम दुर्गावती रखा गया। रानी दुर्गावती सुन्दर, सुशील, योग्य एवं साहसी लड़की थी जो राजा ‘कीर्तिसिंह चंदेल’ की एकमात्र संतान थीं। रानी दुर्गावती का बचपन उस माहौल में बीता जिस राजवंश ने अपने मान सम्मान के लिये कई लडाइयां लड़ी थी। वहीं उन्हें बचपन से ही तीरंदाज़ी, तलवारबाजी और घुड़सवारी का शौक थाI केवल 18 वर्ष की आयु में उनकी शादी गढ़ा राज्य के राजा दलपत शाह से कर दी गई थीI
क्यों मनाया जाता है रानी दुर्गावती का बलिदान दिवस
मुग़ल सेना से युद्ध करने के दौरान रानी दुर्गावती बुरी तरह से घायल हो गई थींI उनके सेनापति ने उन्हें युद्ध बीच में छोड़कर किसी सुरक्षित स्थान पर चले जाने का आग्रह किया, लेकिन वे लड़ती रहींI जब वे लड़ते लड़ते बहुत अधिक घायल हो गईं और उन्हें ऐसा लगा कि वे अब नहीं बचेंगी तो उन्होंने अपने सैनिक से उन्हें मार देने के लिए कहाI जब सैनिक ऐसा करने से मना कर दिया तो उन्होंने अपनी तलवार को खुद अपने सीने में भोंक दिया और वे शहीद हो गईंI रानी दुर्गावती नहीं चाहती थीं कि मुगलों को वे ज़िंदा मिलेंI उनके इस बलिदान की याद में हर साल उनकी शहादत वाले दिन 24 जून को रानी दुर्गावती का बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता हैI
कैसे मनाया जाता है रानी दुर्गावती का बलिदान दिवस
रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं:
- श्रद्धांजलि सभाएं: रानी दुर्गावती की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि अर्पित कर उनके बलिदान को स्मरण किया जाता है।
- गोष्ठियां और सेमिनार: इतिहासकार और विद्वान रानी दुर्गावती के जीवन, शासन और युद्धों पर चर्चा करते हैं।
- सांस्कृतिक कार्यक्रम: नाटक, नृत्य, और संगीत के माध्यम से रानी दुर्गावती की वीर गाथाओं को प्रस्तुत किया जाता है।
- प्रदर्शनियां: रानी दुर्गावती के जीवन और उनके राज्य से जुड़ी वस्तुओं की प्रदर्शनियां आयोजित की जाती हैं।
- रक्तदान शिविर: रानी दुर्गावती के साहस और बलिदान से प्रेरणा लेकर लोग रक्तदान करते हैं।
- प्रतियोगिताएं: निबंध, चित्रकला और वाद-विवाद जैसी प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं, जिसमें छात्र रानी दुर्गावती के जीवन और कार्यों पर अपनी समझ व्यक्त करते हैं।
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