प्रणब मुखर्जी भारत के तेरहवें राष्ट्रपति थे। वह उम्दा शक्शियत के धनी थे, उनकी इसी खासियत की वजह से उन्हें स्टेट्समैन भी कहा जाता था। असल मायने में वह किसी प्रेरणा से कम नहीं थे। उन्होंने अपनी सूझबूझ से देश के लिए कई अहम फैंसले लिए और वह सफल भी साबित हुए थे। विरोधी खेमा भी उनके अंदाज़ और उनकी बुद्धिमता का कायल था और कुछ राजनीतिक पंडित उन्हें कांग्रेस का चाणक्य भी कहते थे। तो आइए प्रणब मुखर्जी का जीवन परिचय जाना जाए.
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प्रणब मुखर्जी का प्रारंभिक जीवन
प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 को पश्चिम बंगाल के वीरभूमि जिले के मिटरी गाँव में हुआ था। पिता का नाम कामदा किंकर मुखर्जी था और माता का नाम राजलक्ष्मी मुखर्जी था। उनके पिता एक स्वतंत्रता सेनानी थे। उनके पिता भारत की आज़ादी के लिए जेल भी जा चुके थे। उनके पिता पश्चिम बंगाल की विधान परिषद में 1952 से 1964 तक सदस्य रहे थे।
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शिक्षा
प्रणब मुखर्जी ने वीरभूमि के सूरी विद्यासागर कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की। कलकत्ता विश्वविद्यालय से इन्होंने इतिहास और राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर और कानून की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद इन्होंने मानद डी लिट की उपाधि भी हासिल की।
निजी जीवन
22 वर्ष की उम्र में प्रणब मुखर्जी का विवाह 13 जुलाई 1957 को शुभ्रा मुखर्जी से हुआ था। इनके दो बेटे (अभिजीत और इंद्रजीत) और एक बेटी शर्मिष्ठा हैं। इनकी पत्नी का निधन 18 अगस्त 2015 को हो गया था। अभिजीत और शर्मिष्ठा दोनों ही राजनीति में सक्रिय हैं। प्रणब मुखर्जी का जीवन परिचय
प्रणब मुखर्जी का करियर
प्रणब मुखर्जी 1963 में विद्यानगर कॉलेज में राजनीति शास्त्र के प्राध्यापक के रूप में शुरुआत की और बाद में पत्रकार के रूप में कार्य शुरु किया। इन्होंने पोस्ट एंड टेलीग्राफ ऑफिस में एक क्लर्क के तौर पर भी नौकरी की। इसके अतिरिक्त वह एक अच्छे वकील, ‘बंगाल साहित्य परिषद्‘ के ट्रस्टी और ‘अखिल भारत बंग साहित्य सम्मलेन‘ के अध्यक्ष भी रह चुके थे।
राजनीतिक जीवन
इन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1969 में कांग्रेस से सदस्य के रूप में की थी। इसके बाद 1975, 1981, 1993 और 1999 में फिर चुने गए। 1973 में औद्योगिक विकास विभाग में केंद्रीय उप-मंत्री के रूप में नियुक्त किए गए। 1997 में इन्हें सर्वश्रेष्ठ सांसद चुना गया। 2004 में इन्होंने पहली बार लोकसभा की जंगीपुर (पश्चिम बंगाल) सीट से चुनाव लड़ा और जीते। उन्हें 1984,1991,1996 और 1998 में संसद के राष्ट्रीय चुनाव कराने के लिए ऑल इंडिया कांग्रेस समिति (एआईसीसी) की अभियान समिति का अध्यक्ष नियक्त किया गया था। वह 28 जून 1999-2012 तक एआईसीसी की केंद्रीय चुनाव समन्वय समिति के अध्यक्ष भी रह चुके थे।
देहांत
31 अगस्त 2020 को 84 वर्ष की उम्र में प्रणब मुखर्जी इस दुनिया से हमेशा के लिए चले गए थे। उनके निधन से पहले उन्होंने ट्विटर से खुद के कोरोना वायरस पॉजिटिव होने की सूचना दी थी। उनके पॉजिटिव होने से ठीक पहले ही उनके दिमाग से सर्जरी की मदद से ब्लड क्लॉट को निकाला गया था।
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राजनीतिक पद
प्रणब मुखर्जी ने राजनीति में सक्रिय रहते हुए कई अहम पद संभाले थे। उनके पास कई मंत्रालय भी रहे थे। आइए प्रणब मुखर्जी का जीवन परिचय में जानते हैं कौन-कौन से मंत्रालय उनके पास थे –
- इंदिरा गाँधी की सरकार में 15 जनवरी 1982 से 31 दिसंबर 1984 तक वित्त मंत्री के पद पर कार्य किया।
- पी वी नरसिम्हा राव सरकार में 24 जून 1991 से 15 मई 1996 तक योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे।
- पी वी नरसिम्हा राव सरकार में 10 फरवरी 1995 से 16 मई 1996 तक भारत के विदेश मंत्री रहे।
- मनमोहन सिंह की सरकार में 22 मई 2004 से 26 अक्टूबर 2006 तक भारत के रक्षा मंत्री रहे।
- मनमोहन सरकार में 24 जनवरी 2009 से 26 जून 2012 तक भारत के केंद्रीय मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री के पद पर कार्य किया।
राष्ट्रपति रहते हुए कार्य
जुलाई 2012 में प्रणब मुखर्जी पी.ए. संगमा को 70% वोटों से हराकर राष्ट्रपति बने थे। वह पहले बंगाली थे जो देश के राष्ट्रपति बने थे। आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश, 2013 को प्रणब मुखर्जी ने फ़रवरी 2013 में पारित करवाया था, यौन अपराधों से संबंधित कानूनों पर भारतीय दंड सहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम और दंड प्रक्रिया सहिंता, 1973 में संशोधन का प्रावधान उपलब्ध करवाया था। राष्ट्रपति रहते हुए उन्होंने अफज़ल गुरु, अजमल कसाब और याकूब मेमन जैसी आतंकवादियों की फांसी रद्द कर उन्हें फांसी के तख्ते पर भेजा था। प्रणब मुखर्जी का जीवन परिचय में उनके राष्ट्रपति रहते हुए काफी कार्य हुए थे।
पुस्तकें
प्रणब मुखर्जी को पढ़ने, लिखने, बागवानी (गार्डनिंग) और संगीत का बहुत शौक था। वहीँ उन्हें फुटबॉल खेलने का भी बहुत शौक़ था, उन्होंने अपने पिता के नाम पर कामदा किंकर गोल्ड कप टूर्नामेंट मुर्शीदाबाद में शुरू किया था। प्रणब मुखर्जी का जीवन परिचय में चलिए इनके द्वारा लिखी गई पुस्तकों के बारे में जानते हैं –
- मिडटर्म पोल (1969)
- इमर्जिंग डाइमेंशन्स ऑफ इंडियन इकोनॉमी (1984)
- ऑफ द ट्रैक (1987)
- सागा ऑफ स्ट्रगल एंड सैक्रिफाइस (1992)
- द ड्रामेटिक डिकेड : द डेज ऑफ़ इंदिरा गाँधी इयर्स (2014)
जीवन परिचय
प्रणब मुखर्जी ने 40 वर्षों तक देश की सेवा की और अपने इन्हीं कामों का फल उन्हें पुरस्कारों और सम्मानों के रूप में मिला। उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार व सम्मान मिल चुके हैं। चलिए, नज़र डालते हैं उनके पुरस्कारों पर –
- पद्म विभूषण (2008)
- भारत रत्न (2019)
- वोल्वरहैम्टन विश्वविद्यालय में डोक्टरेट की उपाधि (2011)
- ‘ग्रैंड क्रॉस ऑफ नेशनल ऑर्डर ऑफ द आइवरी कोस्ट’ अवार्ड (2016)
- ढाका विश्वविध्यालय में बांग्लादेश के राष्ट्रपति के द्वारा कानून की डॉक्टरेट की उपाधि (2013)
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रोचक तथ्य
प्रणब मुखर्जी का जीवन रोचक तथ्यों से भी भरा हुआ है। हम अब आपको जो तथ्य बताएंगे वह आप आपको शायद ही उनके बारे में पता होंगे. देखिए प्रणब मुखर्जी का जीवन परिचय और रोचक तथ्य –
- वह अपने जीवन के बारे में 40 वर्षों से एक डायरी लिख रहे थे, जिसे आने वाले समय में प्रकाशित किया जाएगा।
- जब वे राष्ट्रपति बने थे, तब पूर्व कमुनिस्ट लीडर सोमनाथ चटर्जी जी ने मुखर्जी जी को भारत के स्टेट्समैन का नाम दिया था।
- उनका 13 नंबर से अनोखा नाता रहा है। वे 13 वें राष्ट्रपति बनने के लिए मैदान में उतरे थे। 13 नंबर का बंगला था दिल्ली में। 13 तारीख को शादी की सालगिरह। इतना ही नहीं 13 जून 2012 को ही पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने प्रणब मुखर्जी का नाम राष्ट्रपति पद के लिए लिया था।
- उन्हें हिंदी नहीं आती थी। एक बार उन्होंने कहा था कि यही एक कारण है जो वे आज भी पीएम नहीं बन पाए।
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पूछे गए सवाल (Frequently Asked Questions)
उत्तर: देश के पूर्व राष्ट्रपति
उत्तर: 11 दिसंबर, 1935
उत्तर: 31 अगस्त, 2020
उत्तर: शर्मिष्ठा मुखर्जी
उत्तर: 84 वर्ष
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