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उत्तर – गोपियाँ उद्धव के योग-संदेश को ऐसी कठिन और अप्राकृतिक बात मानती हैं, जिसे वे अपने मन और हृदय से समझ ही नहीं पा रहीं। वे कहती हैं कि यह संदेश उन्हीं लोगों के लिए है जिनके मन चंचल, चकरी की भांति घूमते रहते हैं, अर्थात जो तर्क और ज्ञान की बातें आसानी से ग्रहण कर लेते हैं। परन्तु उनका प्रेम और विरह इतना गहरा और स्थिर है कि वे इस योग-संदेश को अपने हृदय की व्यथा के सामने ‘बेमानी’ और ‘अनजानी बीमारी’ समझती हैं। इसलिए वे चाहती हैं कि यह संदेश उन्हीं को दिया जाए जो इसे समझ सकें, न कि उनकी मन की पीड़ा को और बढ़ाएं।
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