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उत्तर: इस पंक्ति का आशय यह है कि लक्ष्मण परशुराम से कहते हैं कि यह (मैं) गन्ने के रस से बनी मीठी खाँड (चीनी) नहीं हूँ, जो आसानी से घुल जाए या टूट जाए, बल्कि यह लोहे से बनी खाँड़ (तलवार) है, जो कठोर और अपराजेय होती है। इस कथन में लक्ष्मण अपने साहस, दृढ़ता और युद्ध-शक्ति का संकेत देते हैं। वे परशुराम को चुनौती देते हुए संकेत करते हैं कि वे कोई साधारण बालक नहीं, बल्कि अपराजेय वीर हैं।
इस पाठ के अन्य प्रश्न
- लक्ष्मण द्वारा परशुराम पर किए गए व्यंग्यों का उल्लेख कीजिए।
- ‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ में राम के किस स्वभाव की प्रशंसा व्यक्त हुई है?
- तुलसीदास का व्यक्तित्व एवं कृतित्व संक्षेप में लिखिए।
- परशुराम के क्रोधित होने का क्या कारण था?
- लक्ष्मण के वचनों का परशुराम पर क्या प्रभाव पड़ा?
- ‘सेवकु सो जो करै सेवकाई’ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
- परशुराम ने लक्ष्मण को क्या चेतावनी दी?
- परशुराम ने अपने पराक्रम की प्रशंसा किस प्रकार की?
- ‘परसु मोर अति घोर’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
- पद्यांश में वर्णित वार्तालाप क्या है और यह किनके बीच चल रहा है?
- “इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं॥” पंक्ति का भावार्थ लिखिए।
- लक्ष्मण के अनुसार ब्राह्मण से युद्ध करना क्यों उचित नहीं है?
- ‘ब्यर्थ धरहु धनु बान कुठारा’ में निहित भाव को स्पष्ट कीजिए।
- लक्ष्मण की किन बातों से परशुराम ने अपमान महसूस किया था?
- सूर समर – कथहिं प्रतापु।। इन पंक्तियों में लक्ष्मण के मन का कौनसा भाव प्रकट हुआ है?
- लक्ष्मण ने परशुराम पर क्या आरोप लगाया?