सूर समर – कथहिं प्रतापु।। इन पंक्तियों में लक्ष्मण के मन का कौनसा भाव प्रकट हुआ है?

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सूर समर - कथहिं प्रतापु।। इन पंक्तियों में लक्ष्मण के मन का कौनसा भाव प्रकट हुआ है
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उत्तर- इस पंक्ति में लक्ष्मण का वीरता और आत्मसम्मान का भाव प्रकट हुआ है। वे कहते हैं कि सच्चे शूरवीर अपनी वीरता का प्रदर्शन युद्धभूमि में करते हैं, न कि अपनी प्रशंसा स्वयं करके। इस कथन के माध्यम से लक्ष्मण ने परोक्ष रूप से परशुराम के बड़बोलेपन पर व्यंग्य किया और अपनी निर्भीकता तथा साहसी स्वभाव को उजागर किया।

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