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‘मरजादा न लही’ के माध्यम से प्रेम की मर्यादा के उल्लंघन की बात की जा रही है। प्रेम की एक विशेष मर्यादा होती है, जिसमें दोनों प्रेमी-प्रेमिका अपनी-अपनी ओर से प्रेम को पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ निभाते हैं, और एक-दूसरे की भावनाओं को समझते हैं। प्रेम का वास्तविक रूप समर्पण और आस्थापूर्ण संबंध में होता है। लेकिन कृष्ण ने गोपियों के प्रति इस प्रेम को निभाने के बजाय उन्हें योग का संदेश भेजा, जो एक मानसिक और दार्शनिक मार्ग था, न कि प्रेम का कोई प्रत्यक्ष प्रतीक। गोपियों ने इसे एक छलावे के रूप में लिया, क्योंकि उनके अनुसार यह प्रेम की सच्ची भावना के विपरीत था। इस प्रकार, गोपियों ने कृष्ण के इस व्यवहार को ‘मरजादा का उल्लंघन’ माना।
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