महत्वपूर्ण व्यक्ति | दलाई लामा |
सम्बंधित देश | तिब्बत /चीन |
दलाई लामा का पद | तिब्बत के धार्मिक गुरु |
भारत में दलाई लामा का शरण स्थल | धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश |
हाल के घटनाक्रम
- चीन ने कुछ दिनों पहले भारत में दलाई लामा का जन्मदिन मनाये जाने का विरोध जताया था।
- दलाई लामा और तिब्बत भारत और चीन संबंधों के बीच प्रमुख बाधाओं में से एक हैं ।
- चीन दलाई लामा को अलगाववादी मानता है, जिनका तिब्बतियों पर काफी प्रभाव है। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की निरंतर आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए भारत तिब्बत संबंधों का उपयोग करना चाहता है।
भारत की तिब्बत नीति का इतिहास
- सदियों से, तिब्बत भारत का वास्तविक पड़ोसी रहा है।
- 1914 में, तिब्बती प्रतिनिधि ने चीनियों के साथ ब्रिटिश भारत के साथ शिमला समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसने सीमाओं को निर्धारित किया।
- हालाँकि, 1950 में तिब्बत पर चीन के पूर्ण अधिकार के बाद चीन ने इन सीमाओं को मानने से इंकार कर दिया।
- इसके अलावा, 1954 में, भारत ने तिब्बत को “चीन के तिब्बत क्षेत्र” के रूप में मान्यता देने के लिए चीन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
- 1959 में, तिब्बती विद्रोह के बाद , दलाई लामा (तिब्बती लोगों के आध्यात्मिक गुरु ) भागकर भारत आ गए।
- पूर्व प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें और तिब्बती शरणार्थियों भारत में राजनैतिक शरण दी।
भारत की तिब्बत नीति में परिवर्तन
- भारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव की स्थिति में भारत की तिब्बत नीति में बदलाव आया है। भारत ने दलाई लामा की सक्रियता पर पाबंदी लगा दी है।
- दलाई लामा भारत में रहकर कोई भी राजनैतिक गतिविधि नहीं कर सकते हैं।
- भारत सरकार चीन के खिलाफ दलाई लामा को लेकर कोई भी सार्वजनिक बयान देने से बचती है।
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