प्रमुख सुर्खियां
- संविधान के भाग III (अनुच्छेद 12 – 35) में मौलिक अधिकारों का वर्णन किया गया है।
- पूर्व में संविधान में संपत्ति का अधिकार (अनुच्छेद 31) भी मूल अधिकारों में ही निहित था। बाद में इसे 44वे संविधान अधिनियम के तहत 1978 में मूल अधिकारों की सूची से हटा दिया गया।
मौलिक अधिकारों से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु
- मौलिक अधिकारों को संविधान द्वारा संरक्षित किया गया है।
- ये अधिकार स्थाई नहीं हैं। इनमें समय के साथ साथ बदलाव किया जा सकता है।
- मूल अधिकारों को केवल संशोधन अधिनियम के अनुसार ही बदला जा सकता है। साधारण विधेयक के द्वारा नहीं।
- यदि किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का हनन होता है, तो वह सीधे सुप्रीम कोर्ट जा सकता है।
- राष्ट्रीय आपातकाल के समय अनुच्छेद 20 और 21 में निहित मौलिक अधिकाओं को छोड़कर अन्य सभी अधिकारों को हटाया जा सकता है।
- जिन क्षेत्रों में किसी विशिष्ट परिस्थितियों के अंतर्गत सैन्य कानून लगाया जाता है, वहां मौलिक अधिकार निष्क्रीय किए जा सकते हैं।
मौलिक कौन कौन से होते हैं?
- समानता का अधिकार : क़ानून के समक्ष समानता, कानूनों के सामान संरक्षण, धार्मिक, जातीय और क्षेत्रीय आधार पर समानता, शिक्षा का अधिकार,
- स्वतंत्रता का अधिकार : व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार, अभिव्यक्ति के स्वतंत्रता, शांतिपूर्ण तरीके से सभा करने का अधिकार, भारत में कहीं भी आने जाने का अधिकार, भारत के किसी भी भाग में रहने का अधिकार, कोई भी व्यवसाय चुनने या व्यापार करने का अधिकार, किसी अपराध में दोषी पाए जाने पर संरक्षण का अधिकार, जीवन की रक्षा का अधिकार
- शोषण के खिलाफ अधिकार : बंधुआ मजदूरी पर प्रतिबन्ध, खतरनाक कामों में बच्चों से काम करवाने पर रोक,
- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार : आस्था और प्रार्थना करने की आज़ादी, धार्मिक आयोजन करने की आज़ादी
- संवैधानिक उपचारों का अधिकार : मौलिक अधिकारों को उचित रूप से लागू कराने के लिए अदालत में जाने का अधिकार
- सांस्कृतिक अधिकार : अल्पसंख्यक समुदाय की भाषा और संस्कृति के संरक्षण का अधिकार, अल्पसंख्यकों की शैक्षिक संस्था स्थापित करने का अधिकार
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